GSEB Solutions Class 9 Hindi पूरक वाचन Chapter 4 महान भारतीय वैज्ञानिक : विक्रम साराभाई

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions पूरक वाचन Chapter 4 महान भारतीय वैज्ञानिक : विक्रम साराभाई Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 4 महान भारतीय वैज्ञानिक : विक्रम साराभाई

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :

प्रश्न 1.
विक्रम साराभाई के परिवार में किन-किन महानुभावों का आना-जाना होता था? उनका बालक विक्रम पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
विक्रम साराभाई का परिवार एक देशप्रेमी संपन्न परिवार था। 1924 में रवीन्द्रनाथ टैगोर तथा दीनबंधु एन्डज उनके पारिवारिक निवास रिट्रीट पर आए थे। प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ सरकार, भौतिक वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बोस और चन्द्रशेखर रमन, प्रसिद्ध चितरंजनदास, भूलाभाई देसाई, मदनमोहन मालवीय, महादेव देसाई, काका कालेलकर, आचार्य कृपलानी आदि महानुभाव उनके परिवार में आते-जाते रहते थे। इनके संपर्क से विक्रम साराभाई में बचपन से ही देशप्रेम की भावना विकसित हुई थी। उनका सारा जीवन इसी भावना से प्रेरित रहा था।

GSEB Solutions Class 9 Hindi पूरक वाचन Chapter 4 महान भारतीय वैज्ञानिक : विक्रम साराभाई

प्रश्न 2.
विक्रम साराभाई ने देश के विकास के लिए कौन-कौन से कार्य किए?
अथवा
विक्रम साराभाई ने देश के विकास में किस तरह योगदान किया?
उत्तर :
विक्रम साराभाई का परिवार काफी संपन्न था। विक्रम साराभाई ने अपनी पारिवारिक सम्पत्ति से अहमदाबाद में ‘भौतिक अनुसंधान शाला’ की स्थापना की। कपड़ा उद्योग को आधुनिक बनाने के लिए उन्होंने अहमदाबाद टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन’ [ATIRA] की स्थापना की। दवाओं के उत्पादन को भी उन्होंने आधुनिक बनाने का प्रयत्न किया। भारतीय उद्योगों को कुशल प्रबंधक देने के उद्देश्य से उन्होंने ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’ (IIM) की स्थापना की। वे परमाणुऊर्जा के शांतिमय उपयोग के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहे। अवकाश-अनुसंधान, संदेशव्यवहार तथा शैक्षणिक कार्यों में उसका उपयोग किया।

प्रश्न 3.
विक्रम साराभाई में कौन-कौन से गुण थे?
उत्तर :
विक्रम साराभाई देश के प्रति समर्पित वैज्ञानिक थे। स्वदेश भावना उनकी रग-रग में बसी हुई थी। अनासक्त भाव से कर्म करना उनका स्वभाव था। वे निरंतर अनुसंधान के पक्षपाती थे। इसीलिए देशभर में जगह-जगह उन्होंने अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना की। इतनी संपन्नता होने के बावजूद उनका जीवन सादगीपूर्ण था। वे सच्चे कर्मयोगी थे। वे एक योग्य शिक्षक थे। विश्वशांति की स्थापना को वे अपना धर्म मानते थे। सचमुच, वे आधुनिक भारत की एक विरल विभूति थे।

प्रश्न 4.
विक्रम साराभाई को आधुनिक शंकराचार्य क्यों कहा जा सकता है? .
उत्तर :
शंकराचार्य अद्वैतमत के प्रवर्तक थे। अपने मत के प्रचार के लिए उन्होंने भारत के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की थी। विक्रम साराभाई विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य को आवश्यक मानते थे। उनकी मान्यता थी कि अनुसंधानों से ही देश के उद्योगों को नई दिशा और गति मिलेगी। इसी उद्देश्य से उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक विभिन्न स्थानों पर अनुसंधान शालाएं स्थापित की। ये अनुसंधान शालाएं आज विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी साबित हो रही हैं। इस दृष्टि से विक्रम साराभाई को आधुनिक शंकराचार्य कहा जा सकता है।

महान भारतीय वैज्ञानिक : विक्रम साराभाई Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

भारत में परमाणुऊर्जा के शांतिमय उपयोग का श्रेय डॉ. होमी जहाँगीर भाभा को जाता है। उनके आकस्मिक निधन के बाद उनके कार्य को आगे बढ़ानेवाले वैज्ञानिक थे – डॉ. विक्रम साराभाई। प्रस्तुत लेख में उनके जीवन एवं कार्यों का परिचय दिया गया है।

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पाठ का सार :

जन्म और बचपन : विक्रम साराभाई अहमदाबाद के प्रसिद्ध उद्योगपति अम्बालाल साराभाई के पुत्र थे। उनके परिवार में देश के वैज्ञानिकों, साहित्यकारों आदि का आना-जाना लगा रहता था। रवीन्द्रनाथ टैगोर बालक विक्रम को देखते ही बोल उठे थे, “अरे! यह बालक तो अत्यन्त असाधारण और मेधावी है!” परिवार में देशभक्ति का वातावरण था। बालक विक्रम में भी देशप्रेम के बीज पड़ गए थे।

शिक्षा तथा कार्यक्षेत्र : कालेज तक की पढ़ाई अहमदाबाद में पूरी करने के बाद विक्रम साराभाई भौतिक विज्ञान की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र बने। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारत में कार्य करना पसंद किया। उन्होंने बैंगलूर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में ब्रह्मांड किरणों पर अनुसंधान करना आरंभ किया। यहाँ उनके मार्गदर्शक प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक डॉ. चन्द्रशेखर रमन थे। यहाँ उन्हें डॉ. होमी जहाँगीर भाभा का सहयोग प्राप्त हुआ।

देश के विकास में योगदान : विक्रम साराभाई ने अपनी पारिवारिक संपत्ति का उपयोग देश के विकास के लिए किया। उन्होंने अहमदाबाद में अनुसंधान कार्य के लिए प्रयोगशाला खोली। कपड़ा उद्योग को आधुनिक बनाने के लिए ‘अहमदाबाद टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन’ (ATIRA) की स्थापना की। उन्होंने दवाओं के उत्पादन को भी आधुनिक बनाने का प्रयास किया। उन्होंने अहमदाबाद में ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’ (IIM) की स्थापना की। इसका उद्देश्य देश के लिए कुशल प्रबंधक तैयार करना था। इसके अतिरिक्त परमाणुऊर्जा के शांतिमय उपयोग के लिए वे जीवनभर कार्य करते रहे।

विशेषताएँ : डॉ. विक्रम साराभाई में प्रबल स्वदेश प्रेम था। उनकी इच्छा भारत को एक स्वावलंबी राष्ट्र बनाने की थी। वे महात्मा गांधी की भाँति आजीवन समर्पित कर्मनिष्ठ योगी थे। वे अनासक्त भाव से कर्म करनेवाले भारत की एक विरल विभूति थे।

जीवन-संदेश : वे देश के युवा वैज्ञानिकों से कहते थे कि वह करो जो जनता और राष्ट्र के लिए उत्कृष्ट हो।

आधुनिक शंकराचार्य : आदि शंकराचार्य ने देश के पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में मठों की स्थापना की थी। उन्हीं की तरह विक्रम साराभाई ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनुसंधान शालाओं की स्थापना की। अपने विचार तथा वाणी से वे हमेशा शांति का संदेश देते रहे।

निधन : 30 दिसम्बर 1971 को केरल में भारत के इस सपूत का निधन हुआ।

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