GSEB Solutions Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

   

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

Std 9 GSEB Hindi Solutions साँवले सपनों की याद Textbook Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
उत्तर :
बचपन में एक बार सालिम अली के एयरगन से घायल होकर एक गौरैया गिर पड़ी थी। प्रकृति प्रेमी सालिम अली ने उसकी देखभाल के साथ-साथ पक्षियों के बारे में ढेरों जानकारियाँ एकत्र करना शुरू कर दिया। उनके मन में पक्षियों के विषय में जानने की जिज्ञासा ने उन्हें पक्षीप्रेमी बना दिया और इस प्रकार उक्त घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा बदल दी। वे आजीवन पक्षी और प्रकृति के सानिध्य में रहे।

प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर :
सालिम अली प्रकृति प्रेमी थे। केरल का साइलेंट वेली रेगिस्तानी गर्म हवाओं के थपेड़ों से झुलस जाते रहें होंगे। यदि इस साइलेंट वेली को समय रहते न बचाया जाय तो उसके समूल नष्ट होने की संभावना थी। सालिम अली का प्राकृतिक प्रेम और चिंता देखकर संभवतः पूर्व प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी।

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प्रश्न 3.
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि ‘मेरी छत पर बैठनेवाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती
उत्तर :
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा अपने पति के प्राकृतिक व पक्षी प्रेम से परिचित थी। उनके पति का अधिकांश समय पक्षियों के पीछे व्यतित होता था। छत पर रहनेवाली गौरैया से उनका बहुत लगाव था। वे घंटों बैठकर उस गौरैया के साथ बिताते थे। यह गौरैया भी लॉरेंस से घुलमिल गई थी। इसलिए लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने कहा कि ‘मेरी छत पर बैठनेवाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।’

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए –
क. यो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे ?
उत्तर :
लॉरेंस कृत्रिम दुनिया से दूर रहकर प्रकृति की तरह सहज जीवन व्यतीत करते थे। वे प्रकृति व पक्षी से प्रेम करते हुए उसकी
सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे। ठीक उसी प्रकार सालिम अली भी थे। ये भी उन्हीं की तरह बनावट की जिंदगी से दूर सीधा
सादा जीवन जीते थे। इसलिए लेखक ने कहा है कि वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे।

ख. कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा – कैसे गा सकेगा?
उत्तर :
हर मनुष्य के जीवन में मृत्यु का आना सहज, स्वाभाविक है। सालिम अली भी लगभग सौ वर्ष में कुछ वर्ष ही बाकी थे, कैंसर के कारण उनकी मृत्यु हो गई। जो व्यक्ति एक बार मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, उसे किसी कीमत पर वापस नहीं लाया जा सकता। सालिम अली अब इस दुनिया में नहीं रहे, इसलिए कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी लौटाना चाहे तो वे वापस नहीं आ सकते।

ग. सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर :
टापू समुद्र में उभरा हुआ एक छोटा-सा भू-भाग होता है। जबकि सागर अत्यंत विस्तृत और गहरा होता है। सालिम अली के पास प्रकृति व पक्षियों के विषय में सीमित जानकारी नहीं थी। वे पक्षी और प्रकृति से संबंधित विशाल जानकारी रखते थे। वे टापू की तरह सीमित जान से संतुष्ट नहीं हो सकते थे। वे प्रकृति और पक्षियों के बारे में सागर की तरह विशाल और गहन जानकारी रखते थे इसलिए वे प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।

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प्रश्न 5.
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
‘साँचले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लेखक जाबिर हुसैन की भाषाशैली की विशेषता निम्नवत् हैं:
1. लेखक की भाषाशैली सरल व सहज है। कहीं भी बहुत जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।

2. लेखक ने सालिम अली का शब्दचित्र खींचा है। सालिम अली का चेहरा या उनका व्यक्तित्व हमारी आँखों के सामने आ जाता है। लेखक का शब्दचित्र प्रस्तुत करने की शैली अनोखी है।

3. आवश्यकतानुरूप तत्सम, तद्भव, शज व अरबी, फारसी के सरल शब्दों का प्रयोग कर भाषा को जीवन्त रखने का प्रयास किया गया है।

4. जरूरत पड़ने पर मुहावरेदार भाषा का भी प्रयोग लेखक ने किया है। जैसे – आँखें नम होना इत्यादि। इसके अतिरिक्त लेखक ने संवाद-शैली का भी प्रयोग किया है। जैसे ‘मुझे नहीं लगता, कोई इस सोये पक्षी को जगाना चाहेगा।’ या मेरी छत पर बैठनेवाली गौरेया लरिंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। इसके द्वारा लेखक ने संवाद-शैली का प्रभाव उत्पन्न किया है मानो दो लोग आपस में बातें कर रहे हो।

प्रश्न 6.
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी होने के साथ-साथ वे प्रकृति से बेहद प्रेम करते थे। ये खुले विचारोंवाले साधारण व्यक्ति थे। बचपन में उनके एयरगन से एक चिड़िया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने उनके पूरे जीवन-चरित्र को ही बदल दिया। पक्षियों के विषय में अधिक जानने की जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया। वे प्रकृति और पक्षी से बेहद लगाय रखते थे।

लंबी-लंबी यात्रा करके वे पक्षियों के विषय में अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित करते रहे। वे प्रकृति की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। इसीलिए केरल की साइलेंट वेली की सुरक्षा का प्रस्ताव लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पास गये थे। उनके पास प्रकृति एवं पक्षियों की विस्तृत और अथाह जानकारी थी, इसलिए ये किसी समुद्र का टापू बनकर नहीं अथाह समुद्र बनकर उभरे थे।

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प्रश्न 7.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ में लेखक ने प्रसिद्ध पक्षी-वैज्ञानिक सालिम अली के सपनों का चित्रण किया है। इसके अतिरिक्त लेखक ने साँवले कृष्ण से जुड़ी हुई यादों का भी जिक्र किया है। सालिम अली जो अब हमारे लिए एक सपना बन गये हैं और श्रीकृष्ण ने धरती पर जो लीलाएँ की थी वे भी एक सपना है, जिसे हम दोबारा हकीकत के धरातल पर नहीं ला सकते। साँवले सपनों की याद ही सालिम अली की याद है। पूरी कथावस्तु के केन्द्रबिन्दु में सालिम अली है। अतः यह शीर्षक एकदम सार्थक है।

रचना और अविभक्ति

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं ?
उत्तर :
साँवले सपनों की याद पाठ में सालिम अली ने पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त की है। केरल की साइलेंट बेली को रेगिस्तान की गर्म हवाओं से बचाने के लिए ये उस समय के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे। साइलेंट वेली को बचाने का अनुरोध किया था। वे प्रकृति प्रेमी थे इसलिए प्रकृति की सुरक्षा करना अपना दायित्व समझते थे। पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं

  • पर्यावरण को बचाने के लिए नुक्कड़ नाटक द्वारा लोगों में सजगता लाने का प्रयास करेंगे। इनके माध्यम से लोगों को पर्यावरण
    का महत्त्व समझाने की कोशिश करेंगे।
  • पेड़ पौधों को कटने से बचाएँगे। अधिकाधिक पौधे उगाएँगे।
  • प्राकृतिक जलस्रोतों को दूषित होने से बचाएँगे।
  • प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग कम करेंगे।
  • कूड़ा-कचरा के विषय में जागरूकता फैलाएँगे।
  • नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सूखा कचरा व गीला कचरा के विषय में जानकारी देंगे।
  • उसके महत्त्व को समझाएँगे।
  • पर्यावरण के नष्ट होने पर मानव-जीवन का अस्तित्व मिट जाएगा, यह लोगों को समझाने की चेष्टा करेंगे।

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आशय स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 1.
‘मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा।’
उत्तर :
यह पंक्ति ‘मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा।’ सालिम अली जो एक पक्षी-वैज्ञानिक हैं उनके लिए कहा गया है। सालिम अली अब पक्षियों की खोज में जानेवाले अपनी लम्बी यात्रा को छोड़ अंतिम यात्रा की ओर चल पड़े हैं अर्थात् अब उनकी मृत्यु हो गई है, वे चिरकालीन निद्रा में चले गये हैं, अब उन्हें कोई नहीं उठा सकता।

प्रश्न 2.
“दावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या ?’
उत्तर :
कृष्ण ने अपने समय में बाँसुरी बजाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। वृंदावन में उन्होंने अपने आँसुरी से निकलनेवाली मधुर ध्वनि से सबको अभिभूत कर दिया था। आज भी जब लोग वृंदावन की यात्रा करते हैं तो वे कृष्ण के जादुई बाँसुरी से निकलनेवाली ध्यनि का स्मरण करते हैं। उन्हें लगता है कि बस कुछ ही क्षणों में कृष्ण कहीं से आ टपकेंगे और संगीत का जादू, वाटिका के भरे पूरे माहौल पर छा जाएगी। सदैव यात्री आते रहते हैं, ये स्मरण करते रहते हैं। इसलिए श्रृंदावन कभी भी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली नहीं हो सकता। वे लोगों की कल्पनाओं में बसे हैं।

प्रश्न 3.
कौन बचा है, जो अब हिमालय और लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की वकालत करेगा ?
उत्तर :
सालिम अली जो भारत के पहले पक्षी-वैज्ञानिक और वन्यजीव-प्रेमी रक्षक थे। वे प्रकृति में रहनेवाले सभी जीवों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील थे। उनके न रहने पर ऐसा कोई नहीं बचा है जो हिमालय और लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों को बचाने के लिए उनके पक्ष में बातें करें। हिमालय और लद्दाख्न जैसी बरफीली जगहों पर इन पक्षियों का जीवन खतरे में रहता है।

उनका बचाया जाना जरूरी है नहीं तो उन पक्षियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। लेकिन अब ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो उन पक्षियों को बचाने के लिए प्रयास करे | सालिम अली थे। पर अब ये हमारे बीच नहीं हैं। इसलिए इन पक्षियों की वकालत करनेवाला कोई नहीं है।

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अतिरिक्त लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘साँवले सपनों का हुजूम’ किसे कहा गया है ? उसे रोकना संभव क्यों नहीं है ?
उत्तर :
साँवले सपनों का हुजूम सालिम अली को कहा गया है। वे अब अपने अंतहीन सफर के लिए निकल चुके हैं, अर्थात् मृत्यु को प्राप्त हो गये हैं। इसलिए उनके अंतहीन यात्रा को रोकना संभव नहीं है।

प्रश्न 2.
सालिम अली के इस सफर को अंतहीन सफर क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
सालिम अली पक्षी-प्रेमी थे। वे पक्षियों की खोज में लंबी यात्राएँ करके घर लौट आते थे। इस बार का उनका यह सफर मौत का सफर है, जहाँ से वापस आना संभव नहीं। इसलिए सालिम अली के इस सफर को अंतहीन सफर कहा गया है।

प्रश्न 3.
लेखक ने सालिम अली की तलना किससे की है और क्यों?
उत्तर :
लेखक ने सालिम अली की तुलना उस वन पक्षी से की गई है जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सालिम अली लगभग सौ वर्ष जीकर पक्षियों की खोज करते रहे और पर्यावरण की रक्षा के लिए चिंतातुर रहे।

प्रश्न 4.
वर्षों पूर्व सालिम अली ने क्या कहा था ?
उत्तर :
वर्षों पूर्व सालिम अली ने कहा था कि, लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं, यह उनकी भूल है।

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प्रश्न 5.
सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य क्या भूल करते हैं ? उन्होंने इसे भूल क्यों कहा ?
उत्तर :
सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य पक्षी को आदमी की नजर से देखने की भूल करते हैं। उनके अनुसार भूल इसलिए कहा है क्योंकि मनुष्य हर वस्तु को स्वार्थ की नजर से देखता है। वह पक्षियों को इस दृष्टि से देखता है, कि उससे उसका कितना स्वार्थ पूरा हो सकता है।

प्रश्न 6.
सालिम अली की मौत किस कारण से हुई ?
उत्तर :
लंबी यात्राओं की थकान ने सालिम अली के शरीर को कमजोर बना दिया था। उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो गई थी। इसी वजह से सालिम अली की मौत हुई थी।

प्रश्न 7.
सालिम अली की आँखों की विशेषता बताइए।
उत्तर :
सालिम अली करीबन सौ वर्ष के थे। तब भी उनकी आँखों की रोशनी पहले जैसी ही थी। उनकी आँखों की रोशनी अच्छी थी। अंतिम समय तक उन्होंने पक्षियों की तलाश और हिफाजत की। उनकी आँखों से दूरबीन उनके मरने के बाद ही उतरी थी।

प्रश्न 8.
‘बर्ड चाचर’ किसे कहा गया है ? क्यों ?
उत्तर :
प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली को ‘बर्ड वाचर’ कहा गया है। सालिम अली आजीवन पक्षियों की खोज करके, नई दुर्लभ जानकारियाँ एकत्रित करते रहे तथा पक्षियों की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। पक्षियों की खोज में लम्बी-लम्बी यात्राएँ करते थे। इसलिए उन्हें ‘बर्ड वाचर’ कहा गया है।

प्रश्न 9.
फ्रीडा कौन थी ? लोगों ने उनसे क्या अनुरोध किया ?
उत्तर :
फ्रीडा प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि – उपन्यासकार डी. एच. लॉरेंस की पत्नी थीं। डी. एच. लॉरेंस की मृत्यु के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा को उनके पति के विषय में लिखने को कहा।

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प्रश्न 10.
तहमीना कौन थीं ? उन्होंने अपने पति की मदद किस तरह की ?
उत्तर :
तहमीना सालिम अली की पत्नी थीं, स्कूल के दिनों में वे उनकी सहपाठिन भी थीं। सालिम अली प्रकृति व पक्षी प्रेमी थे। कई बार वे लंबी यात्राओं पर निकल जाते थे। उन्होंने कभी उनके मार्ग में बाधा खड़ी नहीं की। प्रकृति की हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया जो सालिम अली ने गढ़ी थी उसमें तहमीना का भी योगदान था।

अतिरिक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वृंदावन में यमुना नदी का साँवला पानी किन-किन घटनाओं की याद दिलाता है ?
उत्तर :
वृंदावन में यमुना नदी का साँवला पानी कृष्ण से जुड़ी हुई घटनाओं की याद दिलाता है। कृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ रासलीला रची थी, नटखट कृष्ण ने गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था, मक्खन से भरी गगरी फोड़ी थी, दूध छाली से अपने मुँह को भरा था, छोटे-छोटे किन्तु घने पेड़ों की छाँह में विश्राम किया था, बाँसुरी बजाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था, अचानक कहीं से प्रकट होकर संगीत के जादू से पूरे माहौल भर दिया था, वृंदावन में कृष्ण ने जो भी लीलाएँ की थी यहाँ जाने पर वे सभी घटनाएँ याद आ जाती हैं। कृष्ण भी साँवले और यमुना नदी का पानी भी साँवला। इसलिए यमुना नदी के साँवले पानी को देख्न श्याम (साँवले) रंग के कृष्ण से जुड़ी यादों का स्मरण होना स्वाभाविक है।

प्रश्न 2.
फ्रीडा कौन थी ? उन्होंने अपने पति लॉरेंस के विषय में क्या जानकारी दी?
उत्तर :
फ्रीडा अंग्रेजी कवि – उपन्यासकार डी. एच. लॉरेंस की पत्नी थीं। लॉरेंस के विषय में उन्होंने बताया कि वे उनके विषय में कुछ भी कहना उनके लिए असंभव है। उन्होंने बताया कि उनके छत पर रहनेवाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। यो सचमुच खुले विचारों वाले सीधे-सादे आदमी थे। मुमकिन है कि रिस उनकी रग-रग में, उनकी हड़ियों में समाया हो, फिर भी उनके बारे में अपने अनुभवों को शब्दों में अभिव्यक्त करना फ्रीडा के लिए बहुत कठिन था। उन्होंने बताया कि छत पर रहनेवाली गौरैया हम दोनों के बारे में मुड़ासे भी ज्यादा जानकारी रखती है।

प्रश्न 3.
पाठ के आधार पर सालिम अली की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
सालिम अली की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

  • पक्षी-प्रेमी : सालिम अली पक्षी प्रेमी थे। वे पक्षियों की खोज में लम्बी-लम्बी यात्राएँ करते थे और ढेरों जानकारियाँ रखते थे। बचपन में एयरगन से एक नीले कंठवाली गौरेया घायल हो कर गिर पड़ी थी। इसी घटना ने उन्हें पक्षियों के विषय में जानकारी एकत्रित करने को प्रेरित किया।
  • प्रकृति प्रेमी : सालिम अली प्रकृति प्रेमी थे। वे प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाय प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल थे। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ एक हँसती-खेलती रहस्यभरी दुनिया पसरी थी। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से गढ़ी थी।
  • पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति चिंतित : प्रकृति के सांनिध्य में रहनेवाले सालिम अली प्रकृति से बेहद प्रेम करते थे और संभवित खतरों से बचाने के लिए भरसक प्रयास करते थे। केरल के साइलेंट वेली को रेगिस्तान की गर्म हवाओं से बचाने के लिए वे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से भी मिले थे।
  • अनोखा व्यक्तित्व : सालिम अली करीब सौ वर्ष के थे। लम्बी यात्राओं की थकान से उनका शरीर दुर्बल हो गया था। इसके बावजूद पक्षियों की तलाश करने के लिए अपनी आँखों से दूरबीन नहीं उतारा। उनके आँखों की रोशनी में तनिक भी कमी नहीं आई थी। ये खुले विचारों के सीधे-सादे व्यक्ति थे। उनका पूरा व्यक्तित्व प्रकृति का प्रतिसप बन गया था।
  • ‘बर्ड वाचर’ : सालिम अली बर्ड वाचर थे। वे सदैव अपनी आँखों पर लगा दूरबीन उनकी मौत के बाद ही उतरा।

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अति लघुत्तरी प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए गये विकल्पों में से चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
मौत की वादी की तरफ कौन अग्रसर है ?
(क) खूबसूरत पंखों पर सवार व्यक्ति
(ख) साँवले सपनों का एक हुजूम
(ग) सुनहरे परिदों का समूह
(घ) खामोश वादियाँ
उत्तर :
(ख) साँवले सपनों का एक हुजूम

प्रश्न 2.
लेखक के मतानुसार – एहसास की उबड़-खाबड़ जमीन पर जन्में मिथक का नाम क्या है ?
(क) फ्रीडा लॉरेंस
(ख) तहमीना
(ग) सालिम अली
(घ) डी. एच. लोरेंस
उत्तर :
(ग) सालिम अली

प्रश्न 3.
कृष्ण की कौन-सी लीला का वर्णन पाठ में नहीं है ?

(क) गोपियों का अपनी शरारतों का निशाना बनाना
(ख) कृष्ण द्वारा कंस का वध
(ग) माखन से भरी हुई गगरी फोड़ना
(घ) घने पेड़ों की छाँह में विश्राम करना
उत्तर :
(ख) कृष्ण द्वारा कंस का वध

प्रश्न 4.
सालिम अली की मृत्यु के लिए कौन-सा कारण जिम्मेदार था ?
(क) सारी जिंदगी प्रकृति के बीच बिताना
(ख) दिन रात पक्षियों के पीछे घूमना
(ग) केंसर जैसी जान लेया बीमारी
(घ) यात्राओं की थकान
उत्तर :
(ग) कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी

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प्रश्न 5.
सालिम अली केरल के साइलेंट वेली को रेगिस्तानी हवाओं से बचाने के लिए किस प्रधानमंत्री से मिले थे ?
(क) चौधरी चरण सिंह
(ख) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ग) अटल बिहारी वाजपेयी
(घ) इन्दिरा गांधी
उत्तर :
(क) चौधरी चरण सिंह

प्रश्न 6.
सालिम अली प्रकृति की दुनिया में क्या बनकर उभरे थे ?
(क) एक टापू
(ख) अथाह सागर
(ग) झील
(घ) नदी
उत्तर :
(ख) अथाह सागर

अर्थ-संबंधी प्रश्नोत्तर

इस हजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफ़र का बोड़ा उताए। लेकिन यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा !

प्रश्न 1.
सालिम अली का यह सफर अन्य सफरों से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर :
इससे पहले सालिम अली पक्षियों की खोज में दूर-दूर तक सफर करते थे। और पक्षी जगत की विभिन्न जानकारी खोजकर लाते थे। यह सफर उनका अंतिम सफर है। वे लौकिक दुनिया को छोड़कर अंतहीन सफर पर निकल पड़े हैं, जहाँ से लौटकर कोई नहीं आता।

प्रश्न 2.
सालिम अली किसकी तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं ?
उत्तर :
सालिम अली वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो।

प्रश्न 3.
क्या देकर भी सालिम अली को लौटाया नहीं जा सकता ?
उत्तर :
जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी सालिम अली को लौटाया नहीं जा सकता। वे अंतहीन सफर के लिए निकल चुके हैं, जहाँ से कोई भी वापस नहीं आता।

प्रश्न 4.
‘हुजूम’ और ‘सैलानी’ शब्द का समानार्थी लिखिए।
उत्तर :
‘हुजूम’ – भीड़,
सैलानी’ – पर्यटक, यात्री

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वर्षों पूर्व, खुद सालिम अली ने कहा था कि लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वो प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं। भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज़ का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है ?

प्रश्न 1.
वर्षों पूर्व सालिम अली ने लोगों और पक्षियों के बारे में क्या कहा था ?
उत्तर :
वर्षों पूर्व सालिम अली ने कहा था, लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है।

प्रश्न 2.
लोग प्रकृति को किस नजर से देखते हैं ?
उत्तर :
लोग प्रकृति अर्थात् जंगल, पहाड़, झरने, आबशारों को आदमी की यानी अपनी नजर से देखते हैं। वे इनकी उपस्थिति में अपना आनंद खोजते हैं, अपनी भलाई देखते हैं।

प्रश्न 3.
‘पहाड़’ और ‘जंगल’ शब्द के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर :
पहाड़ और जंगल के पर्यायवाची निम्नानुसार हैं :
पहाड़ → गिरि, नग
पर्वत जंगल → अरण्य

कानन, वन पता नहीं, यह कब हुआ था। लेकिन कोई आज भी वृंदावन जाए तो नदी का साँवला पानी उसे पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा। हर सुबह, सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है, तो लगता है जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई सामने आएगा और बंसी की आवाज़ पर सब किसी के कदम थम जाएँगे। हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे सब कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या !

प्रश्न 1.
नदी का साँवला पानी किन घटनाक्रम की याद दिलाता है ?
उत्तर :
वृंदावन में कृष्ण की रासलीला, नटखट गोपियों से शरारतें करना, मटकी फोड़ना, घने छोटे पेड़ों में विश्राम करना, बाँसुरी बजाकर वृंदावनवासियों को संगीतमय करना, आदि घटनाएँ यमुना नदी का साँवले पानी की याद दिलाता है।

प्रश्न 2.
वृंदावन की हर सुबह क्या बताती है ?
उत्तर :
वृंदावन की हर सुबह, सूरज निकलने से पहले, जब पतली गलियों से उत्साह भरी भीड़ नदी की ओर बढ़ती है तो लगता है जैसे उस भीड़ को चीरकर अचानक कोई आएगा और बाँसुरी बजाकर सबके कदमों को रोक देगा।

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प्रश्न 3.
वृंदावन की हर शाम सैलानियों को किसका इंतजार रहता है ?
उत्तर :
वृंदावन की हर शाम सैलानियों को कृष्ण के आने का इंतजार रहता है। उन्हें ऐसा लगता है कि वे कहीं से आ टपकेंगे और संगीत का जादू वाटिका के भरे – पूरे माहौल पर छा जाएगा।

मिथकों की दुनिया में इस सवाल का जवाब तलाश करने से पहले एक नज़र कमज़ोर काया वाले उस व्यक्ति पर डाली जाए जिसे हम सालिम अली के नाम से जानते हैं। उम्र को शती तक पहुँचने में थोड़े ही दिन तो बच रहे थे। संभव है, लंबी यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमज़ोर कर दिया हो, और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मौत का कारण बनी हो। लेकिन अंतिम समय तक मौत उनकी आँखों से वह रोशनी छीनने में सफल नहीं हुई जो पक्षियों की तलाश और उनकी हिफ़ाज़त के प्रति समर्पित थी। सालिम अली की आँखों पर चढ़ी दूरबीन उनकी मौत के बाद ही तो उतरी थी।

प्रश्न 1.
सालिम अली के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
सालिम अली एक कमजोर कायावाले व्यक्ति थे। वे ऐसे व्यक्ति थे जो कभी प्रकृति के प्रभाव में नहीं आए। जाने शरीर थक गया था, पर भी मन से वे कभी नहीं थके।।

प्रश्न 2.
सालिम अली की मृत्यु किन कारणों से हुई ?
उत्तर :
सालिम अली का शरीर लम्बी-लम्बी यात्रा करके थक गया था तथा उनको केंसर हुआ था। इस कारण से सालिम अली की मौत हुई।

प्रश्न 3.
सालिम अली की आँखों की क्या खासियत थी ?
उत्तर :
सालिम अली की उम्र सौ वर्ष के आस-पास की उम्र में थी। उनके आँखों की रोशनी बरकरार थी। जीवन के अंतिम समय तक दूरबीन से उन्होंने पक्षियों की तलाश की और उनकी हिफाजत की। मौत के बाद ही उनकी आँखों से दूरबीन हटा था।

GSEB Solutions Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

प्रश्न 4.
‘तलाश’ और ‘हिफ़ाज़त’ का हिन्दी शब्द लिखिए।
उत्तर :
तलाश का हिन्दी शब्द खोज तथा हिफ़ाज़त का हिन्दी शब्द सुरक्षा है। उन जैसा ‘बई वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो। लेकिन एकांत क्षणों में सालिम अली बिना दूरबीन भी देखे गए हैं। दर क्षितिज तक फैली ज़मीन और झुके आसमान को छूने वाली उनकी नज़रों में कुछ-कुछ वैसा ही जादू था, जो प्रकृति को अपने घेरे में बाँध लेता है। सालिम अली उन लोगों में थे जो प्रकृति के प्रभाव में आने की बजाए प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल होते हैं। उनके लिए प्रकृति में हर तरफ़ एक हँसती-खेलती रहस्य भरी दुनिया पसरी थी। यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी।

प्रश्न 1.
बर्ड वाचर अर्थात् क्या ? यह विशेषण किसके लिए दिया गया है ?
उत्तर :
बर्ड वाचर अर्थात् पक्षियों का निरीक्षण, खोज करनेवाला। यह विशेषण सालिम अली के लिए दिया गया है। ये एक अच्छे पक्षी वैज्ञानिक थे। सदैव दूरबीन से पक्षियों की तलाश में लगे रहते थे।

प्रश्न 2.
सालिम अली अन्य लोगों से किस प्रकार अलग थे ?
उत्तर :
अन्य लोग प्रकृति के प्रभाव में आ जाते थे लेकिन सालिम अली प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने के कायल थे। उनके लिए प्रकृति हर तरफ एक हँसती-खेलती रहस्य भरी दुनिया थी।

प्रश्न 3.
तहमीना कौन थी ? सालिम अली के जीवन में उनका क्या योगदान था ?
उत्तर :
तहमीना सालिम अली की पत्नी थी, वे स्कूल के दिनों में उनकी सहपाठी भी रही। सालिम अली ने प्रकृति की जो रहस्यमयी . दुनिया गढ़ी थी उसमें इनकी पत्नी तहमीना का भी पूर्ण योगदान था।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए :

प्रश्न :
(क) जहाँ आसमान और धरती मिलते हुए दिखाई दें, वह स्थल
(ख) पाठशाला में साथ में पढ़नेवाला
उत्तर :
(क) क्षितिज
(ख) सहपाठी

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अपने लंबे रोमांचकारी जीवन में ढेर सारे अनुभवों के मालिक सालिम अली एक दिन केरल की ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर चौधरी चरण सिंह से मिले थे। वे प्रधानमंत्री थे। चौधरी साहब गाँव की मिट्टी पर पड़नेवाली पानी की पहली बूंद का असर जाननेवाले नेता थे। पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चिन्न सालिम अली ने उनके सामने रखा, उसने उनकी आँखें नम कर दी थीं। आज सालिम अली नहीं हैं | चौधरी साहब भी नहीं हैं। कौन बचा है, जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा ? कौन बचा है, जो अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की वकालत करेगा ?

प्रश्न 1.
सालिम अली प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह से क्यों मिले थे ?
उत्तर :
सालिम अली केरल की ‘साइलेंट वेली’ को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध करने के लिए प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे।

प्रश्न 2.
चौधरी चरण सिंह की आँखें क्यों नम हो गई थीं ?
उत्तर :
सालिम अली प्रकृति को बचाने के सन्दर्भ में चौधरी चरण सिंह से मिलने गये थे। उस समय पर उन्होंने पर्यावरण के संभावित खतरों का जो भयावह चित्र खींचा था, उसे जानकर चौधरी चरण सिंह की आँखें नम हो गई थीं।

प्रश्न 3.
पर्यावरण तथा हिमालय शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण → परि + आवरण
हिमालय = हिम + आलय

सालिम अली ने अपनी आत्मकथा का नाम रखा था ‘फॉल ऑफ ए स्पैरो’ (Fall of a Sparrow)। मुझे याद आ गया, डी. एच. लॉरेंस की मौत के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अनुरोध किया कि वह अपने पति के बारे में कुछ लिने। फ्रीडा चाहती तो ढेर सारी बातें लॉरेंस के बारे में लिख्न सकती थी। लेकिन उसने कहा – मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ लिखना असंभव-सा है।

मुझे महसूस होता है, मेरी छत पर बैठनेवाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। मुहासे भी ज़्यादा जानती है। वो सचमुच इतना खुला-खुला और सादा-दिल आदमी था। मुमकिन है, लेरिस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो। लेकिन मेरे लिए कितना कठिन है, उसके बारे में अपने अनुभवों को शब्दों का जामा पहनाना। मुझे यकीन है, मेरी छत पर बैठी गौरैया उसके बारे में, और हम दोनों ही के बारे में, मुझसे ज़्यादा जानकारी रखती है।

प्रश्न 1.
सालिम अली कौन थे ? उनकी आत्मकथा का नाम लिखिए।
उत्तर :
सालिग अली पक्षी एवं प्रकृति के प्रेमी थे। वे प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक थे। उनकी आत्मकथा का नाम है ‘फॉल ऑफ ए स्पैरो’ (Fall of a Sparrow)

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प्रश्न 2.
फ्रीडा कौन थी ? अपने पति के विषय में क्या महसूस करती थीं ?
उत्तर :
फ्रीडा प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि डी. एच. लॉरेन्स की पत्नी थीं। डी. एच. लॉरेन्स को भी प्रकृति व पक्षी से बेहद लगाव था। उनकी पत्नी उनके बारे में यह महसूस करती थीं कि उनके बारे में लिखना असंभव है। उनकी छत पर बैठनेवाली गरिया लरिंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। उतना तो उन्हें भी नहीं पता। अपने पति के अनुभवों को शब्दों में व्यक्त करना उनके लिए कठिन है।

प्रश्न 3.
फ्रीडा के अनुसार डी. एच. लॉरेंस कैसे व्यक्ति थे ?
उत्तर :
फ्रीडा के अनुसार डी. एच. लरिंस खुले विचारोंवाले सीधे-सादे व्यक्ति थे। वे पक्षियों और प्रकृति दोनों से बेहद लगाव रखते थे। वे प्रकृति के कवि थे।

प्रश्न 4.
‘मुमकिन’ और ‘यकीन’ शब्द का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
मुमकिन शब्द का अर्थ है संभवतः और यकीन शब्द का अर्थ है विश्वास।

जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहेली बने रहेंगे। बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरनेवाली, नीले कंठ की वह गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ़ ले जाती रही। जिंदगी की ऊंचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिसप बन गये थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं, उन्हें महसूस होता है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं, और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे।

प्रश्न 1.
बचपन की किस घटना ने सालिम अली को पक्षी प्रेमी बना दिया था ?
उत्तर :
बचपन के दिनों में सालिम अली की एयरगन से घायल होकर गिरनेवाली नीले कंठ की एक गौरैया ने उन्हें पक्षीप्रेमी बना दिया। वह चिड़िया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नये-नये रास्तों की तरफ ले जाती थी।

प्रश्न 2.
नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बनने का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बनने का अर्थ है प्रकृति की तरह अकृत्रिम जीवन जीना। प्रकृतिमय सहज जीवन जीना। सालिम अली एक ऐसे ही व्यक्ति थे, जो नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बनकर सादगीपूर्ण जीवन जीते थे।

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प्रश्न 3.
सालिम अली के परिचित उनके बारे में क्या सोचते हैं ?
उत्तर :
सालिम अली के परिचित उनके बारे में यह सोचते हैं कि वे आज भी पक्षियों की सुराग में निकले हैं और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे।

प्रश्न 4.
नैसर्गिक और प्रतिरुप शब्द में से प्रत्यय व उपसर्ग अलग कीजिए।
उत्तर :
नैसर्गिक में इक प्रत्यय लगा है तथा प्रतिरूप में प्रति उपसर्ग लगा है।

साँवले सपनों की याद Summary in Hindi

जाबिर हसन का जन्म बिहार के जिला नालंदा के नौनहीं गाँव में हुआ था। वे अंग्रेजी भाषा, साहित्य के प्राध्यापक थे। उन्होंने राजनीति में सक्रिय भागीदारी लेते हुए 1977 में मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये और मंत्री बने। सन् 1995 में बिहार विधानसभा के सभापति भी रहे।।

जाबिर हुसैन को हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू तीनों भाषाओं पर समान अधिकार था। तीनों भाषाओं में इन्होंने अपनी लेखनी चलाई है। हिन्दी की उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – जो आगे है, डोला बीबी की मजार, अतित का चेहरा, लोगा, एक नदी रेत भरी इत्यादि।

अपने लम्बे राजनैतिक व सामाजिक जीवन के अनुभवों में उपस्थित आम आदमी की पीड़ा, उसके सुख-दुख व संघर्षों को अपने साहित्य में चित्रित किया है। संघर्षरत आम आदमी और विशिष्ट आदमियों पर लिखी गई उनकी डायरी लोगों में बहुत चर्चित हुई है।

प्रस्तुत पाठ प्रसिद्ध पक्षीविद् सालिम अली की मृत्यु (1989) के बाद उनकी स्मृति में लिखा गया एक संस्मरण है। सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसान को लेखक ने ‘साँवले सपनों की याद’ के रूप में अभिव्यक्त किया है। लेखक ने इस पाठ में सालिम अली का व्यक्ति चित्र प्रस्तुत किया है। प्रकृति और पक्षी के प्रति उनकी दीवानगी बस देखते ही बनती है।

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पाठ का सार :

सालिम अली की अंतिम यात्रा :

सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की ओर जा रही है, जिसे अब कोई रोक नहीं सकता। इस झंड में सालिम अली सबसे आगे चल रहे हैं। यह उनकी अंतिम यात्रा है। अब ये जिंदगी का आखिरी गीत गा चुके वन पक्षी की भाँति प्रकृति में विलीन होने जा रहे हैं। अब उन्हें किसी भी तरह लोटाया नहीं जा सकता।

पक्षी-प्रेमी सालिम अली :

सालिम अली पक्षी प्रेमी वैज्ञानिक थे। वर्षों पहले उन्होंने कहा था कि लोग पक्षी को आदमी की नजर से देखते हैं। यह उनकी भूल है। ठीक उसी तरह, जैसे जंगल और पहाड़ों, झरनों और आवशारों को वे प्रकृति की नजर से नहीं, आदमी की नजर से देशाने को उत्सुक रहते हैं। सामान्य तौर पर साधारण आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता नहीं महसूस कर सकता। किन्तु सालिम अली एक ऐसे ही व्यक्ति थे।

वृंदावन की साँवली यादें :

पता नहीं कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची, गोपियों से कब शरारतें की, कब उन्होंने माखन से भरी मटकियों को फोड़ा, कब वाटिका में छोटे-छोटे किन्तु घने पेड़ों की छाया में विश्राम किया, कब उन्होंने बाँसुरी बजाई, कब वृंदावन की पूरी दुनिया संगीतमय हो गई, किन्तु आज भी कोई वृंदावन जाये तो नदी का साँवला पानी उस पूरे घटनाक्रम की याद दिला देगा। ऐसा लगता है कि जैसे कुछ पलों में वे (कृष्ण) कहीं से आ टपकेंगे और संगीत का जादू वाटिका से भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा।

मिथक सालिम अली बन गए :

सालिम अली एक कमजोर काया वाले व्यक्ति थे झिनकी उम्र लगभग सौ के आसपास थी। लंबी-लंबी यात्रा करने के कारण उनका शरीर कमजोर पड़ गया था। तथा उन्हें केंसर की बीमारी थी जो उनकी मृत्यु का कारण बनी। उनकी आँखों की रोशनी अन्त तक सलामत थी। वे अंतिम साँस तक पक्षियों की देखरेख करते रहे। सालिम अली की आँखों से दूरबीन मौत के बाद ही उतरी थी।

बर्ड वाचर सालिम अली :

सालिम अली बर्ड वाचर थे। उनकी आँखों पर हमेशा दूरबीन लगा रहता था। कभी-कभी एकांत के क्षणों में वे बिना दूरबीन के देखे गये हैं। वे प्रकृति के प्रभाव में आने के बजाय उसे अपने प्रभाव में लाने के कायल थे। प्रकृति उनके लिए हँसती-खेलती रहस्यमयी दुनिया थी। यह दुनिया इन्होंने बड़ी मेहनत से बनाई थी जिसमें उनकी पत्नी तहमीना का भी योगदान था। स्कूल के दिनों में तहमीना उनकी सहपाठी थीं।

प्रधानमंत्री चरणसिंह से मुलाकात :

सालिम अली केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हया के झोंको से बचाने का अनुरोध लेकर उस समय के प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह से मिले। चौधरी चरण भी गाँव की मिट्टी से जुड़े नेता थे। सालिम अली के प्रस्ताव को सुनकर ये ‘भावुक हो उठे थे। आज न तो सालिम अली हैं, न चरणसिंह जी, जो हिमालय और लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की वकालत करें।

पक्षीप्रेमी डी. एच. लॉरेंस :

डी. एच. लॉरंस भी सालिम अली की तरह पक्षीप्रेमी थे। उनकी मृत्यु के बाद लोगों ने उनकी पत्नी को उनके बारे में लिखने को कहा तब उन्होंने कहा कि ‘मेरे लिए लॉरेंसे के बारे में कुछ लिखना असंभव सा है। मुझे महसूस होता है कि, मेरी छत पर बैठनेवाली, गौरेया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती हैं।’ यो सचमुच एक खुला-खुला और सादा-दिल का आदमी था। फ्रीडा लॉरेन्स ने बताया कि अपने पति के बारे में लिखना उनके लिए बहुत कठिन है।

बचपन की एक घटना ने पक्षीप्रेमी बनाया :

बचपन के दिनों में एक नीले कंठ की गौरैया उनकी एयरगन से घायल होकर गिर गई थी। यही गौरैया सारी जिंदगी उन्हें खोज के नये रास्ते की ओर ले जाने के लिए प्रेरणा देती रही। वे लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे।

भ्रमणशील सालिम अली :

सालिम अली भ्रमणशील और यायावरी थे। उनके परिचित इसे अच्छी तरह से जानते थे। ऐसा लगता है कि आज भी ये पक्षियों की खोज में निकलते हैं और थोड़ी देर में गले में लंबी दूरबीन लटकाए खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे। लेखक का मन मानने को तैयार नहीं कि सलीम अली अब हमारे बीच नहीं हैं।

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शब्दार्थ-टिप्पण :

  • परिंदा – पक्षी
  • खूबसूरत – सुन्दर
  • साँवला – श्याम रंग का
  • हुजूम – भीड़
  • खामोश – शांत
  • वादी – घाटी
  • अग्रसर – आगे
  • सैलानी – पर्यटक
  • सफर – यात्रा
  • पलायन – अन्यत्र चले जाना
  • विलीन – अदृश्य, ओझल
  • जिस्म – शरीर
  • हरारत – हलका ज्वर, ताप
  • आबशार – झरना
  • सोता – स्रोत, झरना
  • एहसास – अनुभूति
  • मिथक – अनुश्रुति, जनश्रुति, पुराकथा, पुरानी कथाओं का तत्व
  • हिदायत – चेतावनी
  • शोख – नटखट, चंचल
  • भाँड़े – बर्तन, मटके; गगरी
  • शती – सौ वर्ष
  • हिफ़ाजत – सुरक्षा
  • बर्ड वाचर – पक्षियों का निरीक्षण करनेवाला
  • एकांत – अकेले
  • क्षितिज – जहाँ धरती और आसमान मिलते हुए दिखाई दें, वह स्थल
  • कायल – निरुत्तर कर देना; मान लेना
  • रहस्य – गुप्त बात; राज
  • गढ़ना – रचना
  • रोमांचकारी – रोमांच पैदा करनेवाला
  • सोंधी – मिट्टी की सुगंध
  • संकल्प – दृढ़निश्चय
  • अनुरोध – प्रार्थना
  • सादा दिल – सीधा-सादा
  • मुमकिन – संभव
  • जामा – वस्त्र
  • जटिल – कठिन
  • पहेली – रहस्य
  • प्रतिरूप – एक जैसा रूप
  • यायावरी – घूमने की प्रवृत्ति
  • अथाह – अत्यधिक गहरा
  • सुराग – अनुचिह्न
  • निशान, संकेत मिलना।

मुहावरे

आँख्ने नम करना : आँखों में आँसू आना
वाक्य प्रयोग – देश की खातिर जान कुर्बान कर देनेवाले शहीदों की यादें आज भी आँख्ने नम कर देती हैं।

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