GSEB Solutions Class 9 Social Science Chapter 9 मूलभूत अधिकार, मूलभूत कर्तव्य तथा राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त

   

Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 9 Social Science Chapter 9 मूलभूत अधिकार, मूलभूत कर्तव्य तथा राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त Textbook Exercise Important Questions and Answers.

मूलभूत अधिकार, मूलभूत कर्तव्य तथा राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त Class 9 GSEB Solutions Social Science Chapter 9

GSEB Class 9 Social Science मूलभूत अधिकार, मूलभूत कर्तव्य तथा राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

प्रश्न 1.
संविधान में समाविष्ट मूलभूत कर्तव्यों के विषय में जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
भारत के संविधान के 42वें संशोधन द्वारा सन् 1976 में संविधान के 4 भाग के पश्चात् भाग 4(क) जोड़कर नागरिक के मौलिक कर्तव्यों ___ को समाविष्ट किया गया । इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को देश प्रेम, कुछ उच्च आदर्शों, मूल्यों के प्रति जाग्रत करना और राष्ट्र
को उन्नत करने के लिए नागरिकों को प्रतिबद्ध करना है ।

  1. संविधान, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना ।
  2. स्वतंत्रता संग्राम के उदात्त विचारों और आदर्शों का अनुसरण करना ।
  3. भारत की सार्वभौमिकता, एकता और अखण्डता की रक्षा करना ।
  4. आवश्यकता पड़ने पर देश की रक्षा करने तथा राष्ट्रसेवा के लिए तैयार रहना ।
  5. भारत के सभी लोगों के प्रति भाईचारे की भावना पैदा करना । महिलाओं के गौरव का हनन होनेवाले मुद्दों का त्याग करना ।
  6. राष्ट्र के पर्यावरण की रक्षा करना, उसको सुधारने का प्रयास करना और सभी जीवों के प्रति दया की भावना रखना ।
  7. राष्ट्र की समृद्धि, सामासिक, सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करना ।
  8. वैज्ञानिक दृष्टि मानवतावादी और संशोधन वृत्ति का विकास करना ।
  9. अपने बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य रूप से शिक्षा देना उनके माता-पिता का कर्तव्य है ।
  10. सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और हिंसा का त्याग करना ।
  11. व्यक्तिगत और सामूहिक पुरुषार्थों के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कटिबद्ध रहना ।

ऐसी सामान्य अपेक्षा रखी जाती है कि, नागरिक स्वेच्छा से इन कर्तव्यों का पालन करें । इन कर्तव्यों में से कुछ कर्तव्यों के पालन के लिए कानून बनाए गयें हैं । जिन कर्तव्यों के पालन के लिए कानून नहीं बनाए गयें है, उनके लिए नागरिक में समानता और जागृति पैदा करने का प्रयास करना चाहिए । 6 जनवरी को मूलभूत कर्तव्य दिवस मनाने का सुझाव दिया गया है ।

प्रश्न 2.
राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
धर्म या जाति के भेदभाव के बिना समाजरचना, समतामूलक, शोषणमुक्त तथा कल्याणकारी समाज व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था की स्थापना इन सिद्धान्तों का मुख्य उद्देश्य हैं ।

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प्रश्न 3.
मूलभूत अधिकारों का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर:
इन अधिकारों को सभी नागरिक बिना किसी भेदभाव के समान रूप से भोग सकते है ।

  • मनुष्य के नागरिक के रूप में अस्तित्व टिकाए रखने तथा उसका सर्वांगीण विकास करने के लिए ये अधिकार बहुत ही उपयोगी है ।
  • ये आधारभूत अधिकार लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था की आधारभूत पहचान है ।
  • संविधान में मूलभूत अधिकार केन्द्र और राज्य सरकारों के विरुद्ध दिये गयें है ।
  • मूलभूत अधिकार हमेशा नागरिक को प्राप्त होते है, परंतु आपातकालीन परिस्थितियों में कुछ मूलभूत अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है ।
  • राज्य ऐसे किसी भी कानून का निर्माण नहीं कर सकती जिसके कारण एक नागरिक के मूलभूत अधिकार समाप्त हो रहे हो ।
  • इन अधिकारों के रक्षण का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय को दिया गया है ।

प्रश्न 4.
उचित नियंत्रण तथा मर्यादा अर्थात् क्या ?
उत्तर:
भारतीय नागरिकों के सर्वांगीण विकास तथा अभिव्यक्ति के लिए, लोकतंत्र के व्यवस्थित संचालन के लिए व्यक्ति तंदुरस्त और स्वस्थ जीवन जी सके इसलिए स्वतंत्रता के अधिकार का विशेष महत्त्व है । कोई भी व्यक्ति इन स्वतंत्रताओं का उपयोग निरंकुशतापूर्वक, अमर्यादित, असीमितरुप से नहीं कर सकता । व्यापक सामाजिक हित, सार्वजनिक शान्ति तथा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य इन स्वतंत्रताओं पर उचित नियन्त्रण तथा उचित मर्यादाएँ लगा सकता है । कौन-सी स्वतंत्रता किस मर्यादा में रहकर भोगता है इसकी घोषणा संविधान में की गई है । स्वतंत्रताओं पर आवश्यक नियंत्रण और मर्यादाएँ लगाई गयी हैं ।

प्रश्न 5.
प्रतिबन्धित गिरफ्तारी कानून (नजरबन्दी) के विषय में लिखिए ।
उत्तर:
राज्य को अगर ऐसा लगता है कि किसी भी व्यक्ति के द्वारा कोई अपराध या प्रवृत्ति किए जाने की संभावना हो तो प्रतिबन्धित गिरफ्तारी कानून के द्वारा उसे गिरफ्तार किया जा सकता है ।

  • इस कानून का उद्देश्य नजरबन्द किये गये व्यक्ति को उसके कार्य के बदले में सजा देना नहीं बल्कि राज्य, राज्य समाज या किसी व्यक्ति के विरुद्ध अपराधिक कृत्य करने से रोकना है ।
  • इस कानून के अनुसार नजरबन्द किये गये व्यक्ति को तीन महीने से अधिक समय तक नजरकैद नहीं रखा जा सकता ।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सलाहकार बोर्ड के अभिप्राय के आधार पर गिरफ्तारी के आदेश सम्बन्धी आदेश को रद्द किया जा सकता हैं ।
  • किसी संदेहास्पद व्यक्ति को कितने समय तक नजरकैद रखा जाएगा इसका निर्णय राज्य सरकारें करती है ।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान में किन मूलभूत अधिकारों का समावेश किया गया है ?
उत्तर:
भारतीय संविधान में 6 (वर्तमान में 7) मूलभूत अधिकारों का समावेश किया गया है ।

  1. समानता का अधिकार
  2. स्वतंत्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  5. सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
  7. सूचना का अधिकार

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प्रश्न 7.
अल्पसंख्यकों के दिए गये संवैधानिक अधिकारों की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है ।

  • उन्हें अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि, सांस्कृतिक मूल्यों तथा उसके आधार पर रचित वर्गसमूहों को सुरक्षित रखने का अधिकार दिया गया हैं ।
  • राज्य की सहायता से चलनेवाली किसी शिक्षण संस्था में उन्हें बिना भेदभाव के प्रवेश प्राप्त करने का अधिकार है ।
  • कोई भी कानून का निर्माण करके नागरिकों या उसके किसी भाग पर किसी भी संस्कृति या भाषा के आधार पर निर्धारित अल्पसंख्यक को अपनी पसंदगी की शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना तथा उसके व्यवस्थापन का अधिकार देता है ।
  • अल्पसंख्यक वर्ग की संस्थाओं को राज्य की तरफ से मिलनेवाली शैक्षणिक सहायता अथवा शिष्यवृत्ति जैसे लाभों में भाषा या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा । – अल्पसंख्यक वर्गों की संस्थाओं की संपत्ति का अनिवार्य सम्पादन या बिना मुआवजा दिए राज्य इनकी संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर सकता ।

2. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:

प्रश्न 1.
समानता का अधिकार
उत्तर:
इस अधिकार में ‘कानून के समक्ष समानता’ तथा कानून का समान रक्षण ऐसे दो विचारों का समावेश किया गया है । इसका अर्थ किसी भी व्यक्ति या समूह के समर्थन में विशेषाधिकारों का अभाव । इस अधिकार के अन्तर्गत व्यक्तियों के बीच जाति, धर्म, भाषा, लिंग, आय, जन्मस्थान आदि किसी का कोई भी भेदभाव नहीं किया जाता है ।
समानता के अधिकार में निम्न मुद्दों का समावेश किया गया है:
1. कानून के समक्ष समानता
2. सभी प्रकार के भेदभाव निषेध
3. उपाधियों का अन्त
4. राज्य अधीन नौकरियों में समान अवसर 5. अस्पृश्यता निषेध
6. समान काम के लिए समान वेतन ।

  • समाज में शोषित और पिछड़े वर्गों को समाज के अन्य वर्गों के समक्ष लाने के लिए उनको संविधान द्वारा विशेष सुविधाएँ प्रदान की गयी है । इसे सकारात्मक भेदभाव कहा जाता है ।

प्रश्न 2.
संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान की आत्मा के समान है ।
उत्तर:
संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ उनके संरक्षण के प्रावधान भी किये गये हैं ।

  • अनुच्छेद 32 के अनुसार यदि किसी नागरिक के अधिकारों का हनन राज्य या संस्था या व्यक्ति या व्यक्ति समूह द्वारा किया जाता है तो नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा हेतु न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है ।
  • संविधान न्यायालय को यह अधिकार हैं कि वह अपने पास आई हुई फरियादों को सावधानी से सुने और नागरिक को न्याय दें, नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करें।
  • इसलिए डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों का अधिकार का महत्त्व स्वीकार करते हुए इसे संविधान की आत्मा कहा है ।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता का अधिकार:
उत्तर:
स्वतंत्रता के अधिकार में नागरिकों को निम्न छ: स्वतंत्रताएँ प्रदान की गयी है :
1. वाणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
2. शांतिपूर्ण, अहिंसक रूप से एकत्रित होने, सभा आयोजित करने की स्वतंत्रता,
3. संस्था अथवा संघगठन की स्वतंत्रता,
4. भारत के किसी भी प्रदेश में स्वतंत्रतापूर्वक घूमने-फिरने की स्वतंत्रता,
5. भारत के किसी भी प्रदेश में स्थायी निवास करने की स्वतंत्रता,
6. कोई भी व्यवसाय, धंधा, नौकरी, व्यापार करने की स्वतंत्रता ।

  • भारतीय नागरिक को अपने सर्वांगीण विकास के लिए ये स्वतंत्रताएँ दी गयी है, लेकिन ये असीमित नहीं है, कुछ मर्यादाओं के अन्तर्गत उसे इन्हें भोगना होता है । कुछ विशेष परिस्थितियों में ये स्वतंत्रताएँ छीनी भी जा सकती है ।

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प्रश्न 4.
शोषण के विरुद्ध अधिकार
उत्तर:
किसी भी व्यक्ति का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा शोषण न हो ऐसी शोषणविहीन समाज की रचना का मुख्य उद्देश्य संविधान में शामिल किया गया है ।

  • मनुष्य का व्यापार, बेगार प्रथा, गुलामी तथा बलपूर्वक करवाई जानेवाली मजदूरी कानून द्वारा प्रतिबंधित किया गया है ।
  • इन व्यवस्थाओं का उल्लंघन एक कानूनी अपराध है ।
  • इस अधिकार का उद्देश्य बालकों अथवा स्त्रियों का व्यापार, जबरदस्ती करवाई जानेवाली मजदूरी, इच्छा के विरुद्ध कार्य करवाना तथा बिना वेतन दिए कोई कार्य की प्रथा का अन्त लाना है ।
  • 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बालक को कारखानों, खानों या जोखिमपूर्ण व्यवसायों में, निर्माण कार्य, गैरेज, होटल, लारी-गल्ला या घर नौकर किसी भी काम में रखना अपराध घोषित किया गया है ।

प्रश्न 5.
आर्थिक नीतियों के संदर्भ में मार्गदर्शक सिद्धांत
उत्तर:
आर्थिक नीतियों के संदर्भ में सिद्धांत : आर्थिक नीतियों के निर्माण में अनेक महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों का समावेश किया गया है, जो निम्न अनुसार है ।

  • सभी नागरिकों का महत्तम कल्याण तथा उद्देश्यपूर्ण हो, इस प्रकार से समाज के भौतिक साधनों की मालिकी तथा नियंत्रण का विभाजन करना ।
  • सम्पत्ति तथा उत्पादन के साधनों का किसी एक समूह या वर्ग में केन्द्रीकरण न हो, राज्य द्वारा एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना ।
  • पुरुषों तथा स्त्रियों को समान काम के लिए समान वेतन प्राप्त हो, राज्य ऐसा प्रयास करेंगे ।
  • कार्यस्थल पर सभी कर्मचारियों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे, ऐसी मानवीय परिस्थिति का निर्माण करना । स्त्री-पुरुषों तथा कम आयुवाले बालकों का आर्थिक मजदूरी के कारण स्वास्थ्य बिगड़े ऐसे कामधन्धे या बिन आरोग्यप्रद स्थलों पर तथा जोखिमपूर्ण कार्य न करना पड़े ।
  • औद्योगिक इकाइयों में संचालन प्रक्रिया में कर्मचारियों की भागीदारी के लिए राज्य प्रयास करेगा ।
  • आर्थिक समस्याओं के कारण किसी बालक का शोषण न हो, वह स्वस्थ तथा स्वतंत्र रूप से गौरवपूर्ण स्थिति में तन्दुरस्त विकास कर सके, इसके लिए आवश्यक अवसर तथा सुविधाएँ उत्पन्न करने के लिए राज्य आवश्यक कदम उठाएँगे ।
  • स्त्रियों को प्रसूति के समय आवश्यक अवकाश तथा सुविधाएँ पूरी की जायें । कर्मचारी राज्य बीमा कानून, बोनस धारा, प्रसूति अवकाश धारा, ग्रेज्युइटी धारा आदि कानून मानवीय आधार पर प्राप्त हों, इस आशय से इन सिद्धांतों का निर्माण किया गया है ।
  • कृषि तथा पशुपालन का आधुनिक और वैज्ञानिक स्तर पर विकास हो, राज्य ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे । गायों, बछड़ों, अन्य दुधारू प्राणियों, भारवाहक प्राणियों बैलों, गायों, गधों आदि के कत्ल को रोकने का प्रयास करेंगे ।
  • राज्य में सबको समान न्याय प्राप्त हो । आर्थिक या असमर्थता के कारण किसी भी जरूरतमंद नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसर का इन्कार नहीं किया जाय तथा उसे मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त हो सके, राज्य ऐसी व्यवस्था करे तथा इस प्रकार के कानूनों का निर्माण करें ।

प्रश्न 6.
राजकीय तथा विदेशनीति विषयक सिद्धांत
उत्तर:
राजकीय तथा विदेशनीति विषयक सिद्धांत:

  • ग्रामपंचायतों की स्थापना के लिए राज्य आवश्यक कदम उठाये तथा ये स्वराज्य की एक इकाई के रूप में कार्य कर सकें, इसलिए इन्हें आवश्यक सत्ता तथा अधिकार और आर्थिक सहायता प्रदान करें ।
  • राज्य सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग तथा स्वतंत्र रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ जिससे न्यायाधीश निष्पक्ष, निडर तथा निर्भीक रूप से न्याय कर सके ।
  • अन्तर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा तथा उन्नति के लिए, विश्व के देशों के बीच न्यायपूर्ण तथा गौरवपूर्ण सम्बन्धों के विकास के लिए, अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों तथा संधियों के प्रति आदर में वृद्धि तथा अंतर्राष्ट्रीय मतभेदों, प्रश्नों का शांतिमय रीति से निराकरण लाने का राज्य प्रयत्न करेंगे और उसे प्रोत्साहन देंगे ।

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3. निम्नलिखित विधानों के कारण देकर समझाइए:

प्रश्न 1.
मूलभूत अधिकारों के भंग के विरुद्ध सुरक्षा के लिए न्यायालयों में जा सकते हैं ।
उत्तर:
प्रत्येक लोकतांत्रिक देश में उनके नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार दिये जाते हैं ।

  • किसी भी भेदभाव के बिना सभी नागरिक इन अधिकारों को भोग सकते हैं ।
  • ये अधिकार लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की पहचान है ।
  • नागरिक अपना सर्वांगीण विकास कर सके और समाज का उपयोगी सदस्य बन सके यह नागरिकों को मौलिक अधिकार देने का ध्येय है ।
  • इन मूल अधिकारों का अमल हो इसलिए संविधान में विविध प्रावधान हैं ।
  • इन अधिकारों में से किसी भी अधिकार का भंग हो या कोई अधिकार भोगने न दिया जाये, तो संविधान में न्यायालय में जाकर रक्षा प्राप्त करने के अधिकार का उल्लेख है ।

प्रश्न 2.
संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान की आत्मा के समान है ।
उत्तर:
संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ उनके संरक्षण के प्रावधान भी किये गये हैं ।

  • अनुच्छेद 32 के अनुसार यदि किसी नागरिक के अधिकारों का हनन राज्य या संस्था या व्यक्ति या व्यक्ति समूह द्वारा किया जाता है तो नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा हेतु न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है ।
  • संविधान न्यायालय को यह अधिकार हैं कि वह अपने पास आई हुई फरियादों को सावधानी से सुने और नागरिक को न्याय दें, नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करें।
  • इसलिए डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों का अधिकार का महत्त्व स्वीकार करते हुए इसे संविधान की आत्मा कहा है ।

प्रश्न 3.
‘स्वतंत्रता अमर्यादित नहीं हो सकती ।’ अथवा. ‘निरंकुश नहीं हो सकती ।’
उत्तर:
राज्य समय-समय पर व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है, क्योंकि स्वतंत्रता और अधिकारों की सच्ची अभिव्यक्ति तभी होगी, जब राज्य अनुचित पर उचित प्रतिबन्धों की व्यवस्था करेगा । आज आवश्यकता इस बात की है कि मौलिक अधिकारों का विस्तार किया जाए । इसमें शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, काम का अधिकार । राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर, सार्वजनिक व्यवस्था, देश की एकता औक अखण्डता, न्यायालय का तिरस्कार, बदनामी, नीतिमत्ता, हिंसा और उत्तेजित करनेवाले मुद्दों को ध्यान
में रखकर स्वतंत्रता पर कानून द्वारा उचित मर्यादाएँ लगाई जा सकती है ।

प्रश्न 4.
राजनीति के नीति निर्देशक सिद्धान्तों का क्या अर्थ है ? इनका क्या उद्देश्य है ? इन सिद्धान्तों का महत्त्व समझाइये ।
उत्तर:
अर्थ: भारत के संविधान में राज्य के लिए कुछ मार्गदर्शक सिद्धान्तों का समावेश किया गया है । हम किस प्रकार के भारत का निर्माण करना चाहते हैं, किस प्रकार की समाज रचना करना चाहते हैं इस दर्शन का मार्गदर्शन इन मार्गदर्शक सिद्धान्तों में प्रस्तुत किया गया है । ये सिद्धान्त सरकार को मार्गदर्शन देनेवाले सिद्धान्त होने के कारण, इन्हें ‘राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त’ कहा जाता है ।

उद्देश्य: इन आधारभूत सिद्धान्तों का उद्देश्य ‘लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है । न्याय पर आधारित समाज व्यवस्था स्थापित करना है ।

डॉ. अम्बेडकर के शब्दों में ‘हमने अपने संविधान में राजकीय लोकतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया है । ये सिद्धान्त राज्य को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने का मार्गदर्शन देते है ।

नीति निर्देशक सिद्धांतों का महत्त्व:

  1. ये सिद्धांत सभी नागरिकों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय दिलाकर, सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करते हैं ।
  2. भारत को लोककल्याणकारी राज्य बनाने में इनका बहुत महत्त्व है ।
  3. नीति निर्देशक तत्त्व से राज्य की नीति में स्थायित्व आता हैं ।
  4. इन तत्त्वों से लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ हैं, जिससे सत्ता में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ रही है ।
  5. इन तत्त्वों की अनुपालना से विश्व शान्ति और मानवता की भावना का विकास होता है ।
  6. मादक द्रव्यों व पदार्थों के सेवन पर राज्य रोक लगा देता है तो व्यक्ति में नैतिक मूल्यों का विकास हो सकता है ।

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प्रश्न 5.
मूलभूत अधिकार तथा राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त परस्पर विरोधी नहीं बल्कि एक-दूसरे के पूरक है ।
उत्तर:
मूलभूत अधिकार राज्य की सत्ता को सीमित करते हैं, जबकि मार्गदर्शक सिद्धान्त राज्य की सत्ता का विस्तार करते हैं ।

  • मूलभूत अधिकार राजकीय लोकतंत्र की स्थापना करते हैं । जबकि मार्गदर्शक सिद्धांतों का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है ।
  • इस प्रकार इनमें कोई विरोध नहीं है, बल्कि एकदूसरे के पूरक है ।

प्रश्न 6.
शोषण मुक्त समाजरचना यह हमारे संविधान का मुख्य उद्देश्य है ।
उत्तर:
हमारे संविधान में समानता का अधिकार देकर जाति, भाषा, धर्म क्षेत्र, लिंग, शिक्षा और आर्थिक असमानता के भेद को समाप्त किया गया है ।

  • भारतीय संविधान में बालमजदूरी, बेगारी प्रथा को समाप्त किया गया है तथा समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान किया है ।
  • मूलभूत कर्तव्यों के द्वारा हमें क्या करना चाहिए तथा क्या नहीं करना चाहिए इसका स्पष्ट वर्णन किया गया है ।
  • भविष्य के नागरिकों, किशोरों को उनके कर्तव्यों और अधिकारों से परिचित करवाया गया है ।
  • भविष्य में इन नागरिकों में सामाजिक तथा राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की भावना, न्यायपूर्ण तथा शोषणविहीन समाज रचना के उच्च आदर्शों को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है ।
  • इस प्रकार शोषण मुक्त समाज रचना ही हमारे संविधान का मुख्य उद्देश्य है ।

प्रश्न 7.
अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू है ।
उत्तर:
भारतीय संविधान में नागरिक का सर्वांगीण विकास करने के लिए नागरिक को कुछ अधिकार दिये गये हैं ।

  • ये अधिकार अमर्यादित नहीं होते है, इन अधिकारों के साथ कुछ कर्तव्य भी जुड़े हुए होते है ।
  • नागरिक केवल अधिकारों का भोग करता रहे तथा कर्तव्यों की उपेक्षा करे ऐसा संभव नहीं है ।
  • प्रत्येक अधिकार का दूसरा पक्ष कर्तव्य होता है, क्योंकि एक का अधिकार दूसरे का कर्तव्य हो सकता है ।
  • इस प्रकार अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू है ।

प्रश्न 8.
बालमजदूरी प्रथा दण्डनीय अपराध है ।
उत्तर:
कोमल आयु के बच्चों से उनकी शक्ति के प्रमाण से अधिक काम लेना और जोखिमपूर्ण स्थानों पर उन्हें नौकरी पर रखा जाये तो वह उनका शोषण माना जाएगा ।

  • 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को किसी भी खतरनाक काम पर नहीं रखा जा सकता ।
  • हमारे संविधान में बाल मजदूरी को दण्डनीय अपराध माना गया है । (बालश्रम का निषेध-अनुच्छेद 24)
  • मनुष्य मात्र को हम एक मनुष्य के रूप में स्वीकार करते हैं तब किसी भी व्यक्ति को गुलाम बनाकर नहीं रख सकते ।
  • उससे जबरदस्ती काम या बेगारी नहीं करा सकते ।
  • इस प्रकार के शोषण का किसी को अधिकार नहीं दे सकतें ।
  • संविधान में इस बेगारी प्रथा को समाप्त कर दिया गया है । इस प्रकार का कार्य दण्डनीय अपराध माना जाता है । (बेगारी उन्मूलन – अनुच्छेद 24)

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प्रश्न 9.
मार्गदर्शक सिद्धान्तों के उद्देश्य समझाइए ।
उत्तर:
मार्गदर्शक सिद्धान्तों का मुख्य उद्देश्य ऐसी समाजव्यवस्था तथा राज्य व्यवस्था स्थापित करना जिसमें सत्ता का विकेन्द्रीकरण हों ।

  • धर्म, जाति के भेदभाव के बिना समाजरचना, समतामूलक, शोषणमुक्त तथा कल्याणकारी समाजव्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था की स्थापना करना है।
  • देश में सामाजिक लोकतंत्र और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है ।
  • लोकतंत्र का राजनीति क्षेत्र के अलावा सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र का विस्तार हों, शोषण तथा अन्यायमुक्त ऐसी समतामूलक, न्याय समाजव्यवस्था का स्वप्न साकार करने की जवाबदारी राज्य को सौंपी गयी है ।

प्रश्न 10.
मार्गदर्शक सिद्धांत देश के शासन में आधारभूत सिद्धांत है ।
उत्तर:
राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों का उद्देश्य ऐसी समाजव्यवस्था तथा राज्य व्यवस्था स्थापित करना, जिसमें जितना संभव हो सके उतना सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो ।

  • देश में सामाजिक सुरक्षा के द्वारा समाज के कमजोर वर्गों के विकास के लिए राज्य विविध कल्याणकारी योजनाएँ बनाएँ ऐसी आशा व्यक्त की गई है ।
  • लोकतंत्र का राजनैतिक क्षेत्र के अलावा सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र का विकास, शोषण तथा अन्यायमुक्त ऐसी समतामूलक, न्यायी समाजव्यवस्था का स्वप्न साकार करने की जवाबदारी राज्य सरकार को सौंपी गयी हैं ।
  • इसलिए मार्गदर्शक सिद्धान्त देश के आधारभूत सिद्धान्त है ।

प्रश्न 11.
आर्थिक तथा सामाजिक लोकतंत्र के बिना राजकीय लोकतंत्र अधुरा है ।
उत्तर:
कुछ अधिकारों (आर्थिक) का समावेश मार्गदर्शक सिद्धांतों में किया गया है । डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने इन अधिकारों के संदर्भ में इनका महत्त्व बताते हुए कहा था कि ‘देश के शासन में ये अधिकार आधारभूत अधिकार सिद्धान्त है ।’ हमारे संविधान में राजनीतिक लोकतंत्र स्थापित करने का प्रयास किया गया है, परन्तु सामाजिक तथा आर्थिक लोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र अधूरा है । जब समाज में समान आर्थिक अवसर मिलेंगे, आय की असमानता घटेगी, नागरिकों में जाति का भेद खत्म होगा, वास्तविक अर्थों
में तभी लोकतंत्र स्थापित होगा ।

प्रश्न 12.
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है ।
उत्तर:
विश्व में हमारी पहचान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों से है ।

  • इन स्थलों को हजारों लोग देखने आते, जिससे हमें आर्थिक अर्जन होता है ।
  • ये स्थल हमें हमारी विरासत और संस्कृति का आभास कराते है ।
  • इसलिए राष्ट्र की समृद्ध तथा समन्वित सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य हैं ।

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4. निम्नलिखित में से योग्य विकल्प पसंद कीजिए:

प्रश्न 1.
डॉ. बाबासाहब अंबेडकर ने किस अधिकार को संविधान की आत्मा कहा है ?
(A) स्वतंत्रता का अधिकार
(B) संवैधानिक उपचार का अधिकार
(C) समानता का अधिकार
(D) सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार
उत्तर:
(B) संवैधानिक उपचार का अधिकार

प्रश्न 2.
किसके अनुसार राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त देश के आधारभूत सिद्धान्त है ?
(A) नरेन्द्र मोदी
(B) जवाहरलाल नेहरु
(C) राजेन्द्र प्रसाद
(D) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर
उत्तर:
(D) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

प्रश्न 3.
प्रतिबंधित गिरफ्तारी (नजरबन्दी) के अन्तर्गत आरोपी को कितने समय तक गिरफ्तार रखा जा सकता है ?
(A) 24 घण्टे
(B) 6 घण्टे
(C) 3 घण्टे
(D) आजीवन
उत्तर:
(A) 24 घण्टे

प्रश्न 4.
किस उम्र के बालकों को मुक्त और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है ?
(A) 6 से 14 वर्ष
(B) 3 वर्ष तक के बालक
(C) 14 वर्ष से अधिक उम्र
(D) 18 वर्ष की उम्रवाले बालक
उत्तर:
(A) 6 से 14 वर्ष

प्रश्न 5.
किस उम्र के बालकों से जोखिम से भरे व्यवसायों में काम नहीं करवाया जा सकता है ?
(A) 14 वर्ष से कम
(B) 18 वर्ष से नीचे
(C) 6 से 14 वर्ष
(D) 28 वर्ष से कम
उत्तर:
(A) 14 वर्ष से कम

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प्रश्न 6.
किस आचरण को भारत का सामाजिक कलंक कहते हैं ?
(A) अस्पृश्यता
(B) बालमजदूरी
(C) बेगार प्रथा
(D) बहम – अंधविश्वास
उत्तर:
(A) अस्पृश्यता

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