Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 20 धरती की शान Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 20 धरती की शान
Std 9 GSEB Hindi Solutions धरती की शान Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
कवि की दृष्टि में सर्वाधिक महान कौन है. ?
उत्तर :
कवि की दृष्टि में सर्वाधिक महान मनुष्य है।
प्रश्न 2.
आप क्या-क्या कर सकते हैं. ?
उत्तर :
एक विद्यार्थी होने के नाते मैं अच्छे से अच्छा इन्सान बनकर वे सारे काम कर सकता हूँ जो मेरे कार्य-क्षेत्र में आते हैं।
प्रश्न 3.
अन्य जीवों से मनुष्य महान कैसे है. ?
उत्तर :
अन्य जीवों से मनुष्य महान है। अन्य जीव अब भी बहुत पिछड़े हैं जबकि मनुष्य ने जल, थल और नभ पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है।
प्रश्न 4
धरती-सा धीर किसे कहा गया है ?
उत्तर :
धरती-सा धीर मनुष्य को कहा गया है।
प्रश्न 5.
धरती की शान कविता के रचयिता कौन हैं. ?
उत्तर :
‘धरती की शान’ कविता के रचयिता पंडित भरत व्यास हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सविस्तार लिखिए :
प्रश्न 1.
कविता में कवि ने किन प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया है. ? कैसे ?
उत्तर :
कवि ने कविता में पहाड़, नदियों, धरती, आकाश, हवा जैसे प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया है। कवि ने मनुष्य को असीम शक्तियों से संपन्न बताया है। वह कहता है कि मनुष्य चाहे तो पर्वतों को फोड़ सकता है। वह चाहे तो नदियों के प्रवाह को मोड़ सकता है। वह अगर ठान ले तो धरती और आकाश को जोड़ भी सकता है। मनुष्य पवन-सा गतिमान है। इसलिए वह आकाश में ऊंची-से ऊंची उड़ान भरने में समर्थ है।
प्रश्न 2.
प्रस्तुत कविता में मनुष्य के प्रति किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है, और उससे हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर :
‘धरती की शान’ कविता में मनुष्य को सर्वशक्तिमान बताया गया है। उसकी आत्मा परमात्मा का रूप है। इस दृष्टि से मनुष्य अजरअमर प्राणी है। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य होने के कारण हमें अपने लक्ष्य ऊँचे रखने चाहिए। हमें किसी काम को पहचानकर कठिन-से-कठिन कार्य करने में पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें निराशा का शिकार होकर अपनेआप को कभी अशक्त नहीं अनुभव करना चाहिए।
प्रश्न 3.
धरती की शान से कवि का क्या तात्पर्य है ? भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
‘धरती की शान’ से कवि का तात्पर्य मनुष्य की गौरवपूर्ण उपलब्धियाँ हैं। मनुष्य ने अपने बुद्धिबल से ऐसे अनेक कार्य कर दिखाए हैं, जो कभी असंभव माने जाते थे। मनुष्य ने सभ्यता और संस्कृति के ऊँचे आदर्श कायम किए हैं। उसने धरती पर के सभी प्राणियों में अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित कर दिया है। इसलिए कवि मनुष्य को ‘धरती की शान’ मानता है।
प्रश्न 4.
मनुष्य के लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है काव्य के आधार पर अपने विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर :
मनुष्य अत्यंत समर्थं प्राणी है। वह चाहे तो पहाड़ों को फोड़ सकता है। वह चाहे तो नदियों के प्रवाह की दिशा बदल सकता है। वह मिट्टी से अमृत निचोड़ सकता है। वह चाहे तो काल को भी रोक सकता है। इस प्रकार मनुष्य हर असंभव कार्य को संभव बना सकता है।
प्रश्न 5.
धरती की शान कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘धरती की शान’ कविता में कवि ने मनुष्य को धरती का ‘सर्वशक्तिमान प्राणी’ बताया है। कवि के अनुसार मनुष्य में अनेक प्रकार की शक्तियां छिपी हुई हैं। मनुष्य अपनी इन शक्तियों को नहीं पहचानता। इसीलिए वह असहाय बन जाता है। सच यह है कि मनुष्य महाकाल बन सकता है। उसकी आवाज युग बदल सकती है। वह चाहे तो ऊँची-से ऊँची उड़ान भर सकता है। इस प्रकार कविता का केन्द्रीय भाव मनुष्य को अपनी शक्तियों को पहचानने के लिए प्रेरित करना है।
3. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
गुरु-सा मतिमान,
पवन-सा तू गतिमान,
तेरी नभ से भी
ऊँची उड़ान है रे ।
उत्तर :
मनुष्य के पास बुद्धि की कमी नहीं है। उसके पास बृहस्पति जैसी प्रतिभा है। वह वायु जैसी गति रखता है। वह चाहे तो आकाश से भी ऊँचा उठ सकता है। कवि कहना चाहता है कि यदि मनुष्य अपने अंदर छिपी शक्तियों को जाग्रत कर ले तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
प्रश्न 2.
धरती की शान,
तू भारत की संतान
तेरी मुढ़ियों में
बंद तूफान है रे
उत्तर :
प्रत्येक भारतवासी महान है। उसमें अनंत शक्तियाँ छिपी हुई है। वह अपने आपमें तूफान जैसी शक्ति रखता है। वह चाहे तो उसकी उपलब्धियाँ धरती का गौरव बन सकती हैं।
4. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- भूचाल
- हिमगिरि
- वाणी
- तूफान
- अमृत
- धीर
- हिम्मत
- नभ
- निज
उत्तर :
- भूकंप
- हिमालय
- वचन
- कहर
- सुधा
- धैर्ययुक्त
- वीरता
- आकाश
- अपना
5. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- अमृत
- अम्बर
- अमर
- धीर
- वीर
- पाप
- जीवन
उत्तर :
- जहर
- धरती
- मर्त्य
- अधीर
- कायर
- पुण्य
- मृत्यु
6. सही विकल्प चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
तू जो चाहे. पर्वत पहाड़ों को….
(अ) मोड़ दे
(ब) फोड़ दे
(क) तोड़ दे
(इ) जोड़ दे
उत्तर :
(ब) फोड़ दे
प्रश्न 2.
पृथ्वी के लाल तेरा हिमगिरि-सा
(अ) हाल
(ब) भाल
(क) काल
(ड) मिसाल
उत्तर :
(ब) भाल
प्रश्न 3.
……………… को तू जान, जरा शक्ति पहचान
(अ) निज
(ब) स्वयं
(क) खुद
उत्तर :
(अ) निज
प्रश्न 4.
तू जो अगर हिम्मत से …………. ले
(अ) दान
(ब) जान
(क) काम
(ड) पहचान
उत्तर :
(क) काम
7. काव्य-पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
धरती …………… महान है. ।
उत्तर :
धरती की शान तू भारत की संतान,
तेरी मुड़ियों में बंद तूफान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है।।
प्रश्न 2.
तू जो ………….. उड़ान है. रे।
उत्तर :
तू जो अगर हिम्मत से काम ले,
गुरु-सा मतिमान, पवन-सा तू गतिमान,
तेरी नभ से भी ऊंची उड़ान है रे।।
GSEB Solutions Class 9 Hindi धरती की शान Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
मनुष्य को कौन-सा वरदान मिला है?
उत्तर :
मनुष्य की आत्मा में स्वयं भगवान रहते हैं। इसलिए उसके प्राणों को अमरता का वरदान मिला है।
प्रश्न 2.
कवि ने पृच्ची के लाल से क्या कहा है?
उत्तर :
कवि ने मनुष्य को पृथ्वी का लाल कहा है। कवि उससे कहता है तेरे अंदर बहुत-सी शक्तियाँ हैं जिनका तुझे ज्ञान होना चाहिए। …
प्रश्न 3.
हिम्मत से काम लेने पर मनुष्य क्या कर सकता है?
उत्तर :
मनुष्य अगर हिम्मत से काम ले तो धरती पर फैल रहे पापों के प्रलय को रोक सकता है। उसके सामने पशुता भी अपना सिर झुका सकती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
मनुष्य किससे क्या निचोड़ सकता है?
उत्तर :
मनुष्य चाहे तो मिट्टी से अमृत निचोड सकता है।
प्रश्न 2.
मनुष्य किससे किसको जोड़ सकता है?
उत्तर :
मनुष्य चाहे तो धरती को आकाश से जोड़ सकता है।
प्रश्न 3.
मनुष्य किस पर विजय पा सकता है?
उत्तर :
मनुष्य पाप और पशुता पर विजय पा सकता है।
प्रश्न 4.
मनुष्य की भृकुटी में क्या छिपा है?
उत्तर :
मनुष्य की भृकुटी में तांडव का ताल छिपा है।
प्रश्न 5.
कवि मनुष्य को क्या पहचानने के लिए कहता है?
उत्तर :
कवि मनुष्य को अपनी छिपी शक्तियां पहचानने के लिए कहता है।
प्रश्न 6.
मनुष्य की वाणी में किसका आह्वान है?
उत्तर :
मनुष्य की वाणी में युग का आहवान है।
प्रश्न 7.
मनुष्य चाहे तो किसे थाम सकता है?
उत्तर :
मनुष्य चाहे तो काल को भी थाम सकता है।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- मनुष्य मिट्टी से ………….. निकाल सकता है। (सोना, अमृत)
- मनुष्य की छाती में ……….. बैठा है। (महाकाल, कामदेव)
- मनुष्य का धैर्य…………. के समान है। (धरती, प्रलय)
- मनुष्य को ………… का वरदान मिला है। (निर्भयता, अमरता)
- कवि की दृष्टि में ……. सर्वाधिक महान है। (मनुष्य, यमराज)
उत्तर :
- अमृत
- महाकाल
- धरती
- अमरता
- मनुष्य
निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए:
प्रश्न 1.
- पर्वत और नदियाँ मनुष्य के वश में हैं।
- मनुष्य धरती और आकाश को एक कर सकता है।
- मनुष्य की वाणी में युग की पुकार है।
- मनुष्य आकाश से ऊँचा नहीं उड़ सकता।
- मनुष्य की छाती में महाकाल छिपा है।
उत्तर :
- सही
- सही
- सही
- गलत
- सही
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- मनुष्य मिट्टी से क्या निकाल सकता है?
- मनुष्य की छाती में कौन बैठा है?
- मनुष्य की धीरज किसके समान है?
- मनुष्य को कौन-सा वरदान मिला है?
उत्तर :
- अमृत
- महाकाल
- धरती के समान
- अमरता का
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
मनुष्य की आत्मा में किसका वास है?
A. भगवान का
B. शैतान का
C. हनुमान का
D. विज्ञान का
उत्तर :
A. भगवान का
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- शान
- आहवान
- भाल
- शीश
- ताल
- भृकुटी
- लाल
उत्तर :
- गौरव
- पुकार
- ललाट
- मस्तक
- लय
- भौंह
- पुत्र
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- वरदान
- प्रलय
उत्तर :
- अभिशाप
- निर्माण
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विग्रह करके लिखिए :
प्रश्न 1.
- सर्वाधिक
- परमात्मा
- प्रत्येक
- अंतर्निहित
उत्तर :
- सर्वाधिक = सर्व + अधिक
- परमात्मा = परम + आत्मा
- प्रत्येक = प्रति + एक
- अंतर्निहित = अंत: + निहित
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- मनुष्य मिट्टी में से भी अमृत निकाल सकता है।
- मनुष्य की शक्ति की कोई सीमा नहीं।
- वह आकाश की ऊँचाई सर कर सकता है।
- मनुष्य पशुता पर वह विजयी हो सकता है।
उत्तर :
- अमृत
- शक्ति
- ऊँचाई
- पशुता
निम्नलिखित वाक्यों के रचना की दृष्टि से प्रकार लिखिए :
प्रश्न 1.
- निसर्ग पड़ रहा है।
- हमें सत्य बोलना चाहिए; किन्तु वह अप्रिय नहीं होना चाहिए।
- यह वही भारत देश है, जिसकी संस्कृति महान है।
उत्तर :
- सरल वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मिश्र वाक्य
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- अग्नि की लपट
- बर्फ से बना हुआ पहाड़
- जो कभी भी हो नहीं सकता
- किसी के अंदर समाया हुआ
उत्तर :
- ज्वाला
- हिमगिरि
- असंभव
- अंतर्निहित
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- उपलब्धि
- असंभव
- प्रत्येक
- निवास
- प्रलय
- वरदान
- अमृत
- अभिनंदन
- अनोखी
- परमात्मा
- अशक्त
- निराशा
- अत्यंत
- असहाय
- महाकाल
- अमर
- निर्माण
- अंतर्निहित
- संयुक्त
- विजयी
- प्रत्यायन
उत्तर :
- उपलब्धि – उप + लब्धि
- असंभव – अ + सम् + भव
- प्रत्येक – प्रति + एक
- निवास – नि + वास
- प्रलय – प्र + लय ।
- वरदान – वर + दान
- अमृत – अ + मृत
- अभिनंदन – अभि + नंदन
- अनोखी – अ + नोखी
- परमात्मा – परम + आत्म ।
- अशक्त – अ + शक्त
- निराशा – निर + आशा
- अत्यंत – अति + अंत
- असहाय – अ + सहाय
- महाकाल – महा + काल
- अमर – अ + मर
- निर्माण – नि: + मान
- अंतर्निहित – अंतः + निहित
- संयुक्त – सम् + युक्त
- विजयी – वि + जयी
- प्रत्यायन – प्रति + अयन
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- पशुता
- दृष्टता
- प्राकृतिक
- केन्द्रीय
- अमरता
- प्रभुत्व
- अर्जित
- धैर्य
- विजयी
- व्यक्तित्व
- कंठस्थ
उत्तर :
- पशुता – पशु + ता
- दुष्टता – दुष्ट + ता
- प्राकृतिक – प्रकृत + इक
- केन्द्रीय – केन्द्र + ईय
- अमरता – अमर + ता
- प्रभुत्व – प्रभु + त्व
- अर्जित – अर्जन + इत
- धैर्य – धीर + य
- विजयी – विजय + ई
- व्यक्तित्व – व्यक्ति + त्व
- कंठस्थ – कंठ + स्थ
धरती की शान Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
હે ભારતમાતાના સંતાન, તું આ ધરતીનું ગૌરવ છે. તારામાં તોફાનને પણ તારી મુઠ્ઠીઓમાં જકડવાની શક્તિ છે. હે મનુષ્ય, ખરેખર તું બહુ મહાન છે, શક્તિશાળી છે.
હે મનુષ્ય, તું ઇચ્છે તો પર્વતને પણ તોડી શકે છે. નદીઓના પ્રવાહને વાળવાની તારામાં શક્તિ છે. તું ઇચ્છે તો મામૂલી માટીમાંથી પણ અમૃત કાઢી શકે છે. ધરતીને આકાશ સાથે જોડી શકે છે. હે મનુષ્ય, તારા પ્રાણોને અમર રહેવાનું વરદાન મળ્યું છે. તારા આત્મામાં સ્વયં ભગવાન રહે છે. એટલે તને મરવાનો ભય ન હોવો જોઈએ.
કવિ કહે છે કે હે મનુષ્ય, ક્રોધથી ભરેલાં તારાં નેત્રો અગ્નિની જ્વાળા સમાન બની શકે છે. તારી ગતિમાં ભૂકંપ લાવવાની શક્તિ છે. સ્વયં મહાકાળ તારા હૃદયમાં રહે છે. તે મનુષ્ય, તું પૃથ્વીનો પુત્ર છે. તારું મસ્તક હિમાલયની જેમ ઊંચું છે. તારી ભ્રમરોમાં ભગવાન શિવના તાંડવ નૃત્યનો લય (વિનાશ કરવાની શક્તિ) છે. તે મનુષ્ય, તું તારી જાતને ઓળખ, તારામાં અપાર શક્તિઓ રહેલી છે, એમને ઓળખવાનો પ્રયત્ન કર. તું ઇચ્છે તો તારી વાણી નવયુગને બોલાવી શકે છે.
તારામાં ધરતી સમાન ધીરજ રાખવાની શક્તિ છે. એવી જ રીતે તારામાં અગ્નિ સમાન ભસ્મ કરી દેવાની શક્તિ છે. હે મનુષ્ય, તું જો નિશ્ચય કરે તો કાળને આગળ વધતો રોકી શકે છે. આજે ધરતી પર પાપનાં જે પૂર આવ્યાં છે, તું ચાહે તો તેમને રોકી શકે છે.
જે પશુતા આજે પોતાનું મસ્તક ઊંચું કરી શકે છે, તેને તું હિમ્મતથી પરાસ્ત કરી શકે છે. તે મનુષ્ય, તારામાં બૃહસ્પતિ જેવી | ઉચ્ચ કોટિની બુદ્ધિ છે અને તે સમયના જેવી ગતિ રાખનારો છે. એટલે તું આકાશમાં જેમ ઇચ્છે તેમ ઊડી શકે છે.
धरती की शान Summary in English
O sons and daughters of the mother India, you are the dignity of the earth. You have strength enough to bind tightly a storm in your fist.
O man, you can break a mountain if you wish. You have strength enough to turn the flow of the rivers. You can bring out nectar from ordinary land if you wish. O man, you have got a boon to remain immortal. You have God himself in your soul. So you must not have fear of death.
The poet says, “O man. the eyes filled with anger can be like flames of fire. You have strength in your motion to bring earthquake. Mahakal himself lives in your heart. O man, you are a son of the earth. You have strength of Lord Shiva’s Tandav dance in your eyebrows (strength of destroying). O man, know yourself, you have agreat strength, try to know it. Your speech can call the new age if you wish.
You have strength to keep patience as the carth. In you have strength to burn to ashes like fire. O man, if you decide you can stop calamity coming. The floods of sins have come on the earth. If you wish you can stop them. You can destroy the brutality which has raised its head if you have courage. O man, you have high quality of intelligency like Bruhspati. You can fly in the sky as you wish because you keep speed like time.
धरती की शान Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
मनुष्य धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। अपनी बुद्धि-बल से उसने असंभव को भी संभव कर दिखाया है। जल-थल और नम तीनों में उसने अनोखी उपलब्धियां प्राप्त की हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रत्येक भारतवासी को धरती की शान बताकर उसका अभिनंदन किया है।
कविता का सार :
मनुष्य में ईश्वर का निवास : पर्वत और नदियाँ सब मनुष्य के वश में हैं। मनुष्य मिट्टी से भी अमृत निकाल सकता है। यह धरतीआकाश को एक कर सकता है।
पृथ्वी के लाल में अद्भुत शक्तियाँ हैं : मनुष्य पृथ्वी का लाल है। उसकी छाती में महाकाल बैठा हुआ है। साक्षात् हिमालय जैसा उसका मस्तक है। उसकी वाणी में युग की पुकार है। उसकी भृकुटी में शिव का तांडव निवास करता है।
काल को भी थामने की शक्ति : मनुष्य की शक्ति की कोई सीमा नहीं है। उसमें धरती के समान धीरज रखने की शक्ति है, तो अग्नि जैसा बल भी है। वह पापों को बढ़ने से रोक सकता है और पशुता को जीत सकता है। वह आकाश से भी ऊंचा उड़कर दिखा सकता है। यह काल को भी रोक सकता है।
कविता का अर्थ :
धरती की शान ……. महान है।
हे भारतमाता की संतान, तू इस धरती का गौरव है। तू तूफान को भी अपनी मुनियों में बंद करने की शक्ति रखता है। हे मनुष्य, सचमुच तू बहुत महान है, शक्तिशाली है।
तू जो चाहे ……. भगवान है।
हे मनुष्य, तू चाहे तो पर्वत को फोड़ सकता है। तू नदियों के प्रवाह को मोड़ने की शक्ति रखता है। तू चाहे तो मामूली समझी जानेवाली मिट्टी से भी अमृत निकाल सकता है। तू धरती को आकाश से जोड़ भी सकता है। हे मनुष्य, तेरे प्राणों को अमर रहने का वरदान मिला है। तेरी आत्मा में स्वयं भगवान रहते हैं। इसलिए तुझे मरने का भय नहीं होना चाहिए।
नयनों में खाल …….. आहवान है रे।
कवि कहते हैं कि हे मनुष्य, क्रोध से भरे तेरे नेत्र अग्नि की ज्वाला के समान बन सकते हैं। तेरी गति में भूकंप लाने की शक्ति है। स्वयं महाकाल तेरे सीने (हृदय) में रहता है। हे मनुष्य, तू पृथ्वी का पुत्र है। तेरा मस्तक हिमालय की तरह ऊँचा है। तेरी भौंहों में भगवान शिव के तांडव नृत्य की लय (विनाश करने की शक्ति) है। हे मनुष्य, तू खुद को पहचान, तुझमें अपार शक्तियाँ छिपी हैं, उन्हें जानने का प्रयत्न कर। तू चाहे तो तेरी वाणी नए युग को बुला सकती है।
धरती-सा धीर …… उड़ान है रे।
हे मनुष्य, तुझमें धरती के समान धीरज रखने की शक्ति है। इसी तरह तुझमें अग्नि के समान जला देने की शक्ति भी है। अरे मनुष्य, तू अगर ठान ले तो काल को आगे बढ़ने से रोक सकता है। आज धरती पर जो पाप की आह आई है, तू चाहे तो उसे भी रोक सकता है। जो पशुता आज अपना सिर उठा रही है, हिम्मत से तू उसे परास्त कर सकता है। हे मनुष्य, तुझमें बृहस्पति जैसी उच्च कोटि की बुद्धि है और तू वक्त के समान गति रखनेवाला है। इसलिए तू आकाश में जैसी चाहे, वैसी उड़ान भर सकता है।
धरती की शान शब्दार्थ :
- शान – गौरव।
- निचोड़ना – निकालना।
- अम्बर – आकाश।
- अमर – न मरनेवाला।
- ज्वाल – अग्नि की लपट।
- भूचाल – भूकंप।
- महाकाल – शिव।
- लाल – पुत्र।
- हिमगिरि – हिमालय पर्वत।
- भाल – मस्तक, माथा, ललाट।
- भकुटी – भौंह।
- ताल – लय।
- निज की – खुद की।
- आह्वान – पुकार, बुलावा।
- काल – समय।
- प्रलय – बाढ़।
- पशुता – दुष्टता।
- शीश – सिर, मस्तक।
- गुरु – बृहस्पति।
- मतिमान – बुद्धिशाली।
- गतिमान – रफ्तारवाला।
- नभ – आकाश।