GSEB Solutions Class 9 Hindi Chapter 13 नीति के दोहे

   

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 13 नीति के दोहे Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 13 नीति के दोहे

Std 9 GSEB Hindi Solutions नीति के दोहे Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
रहीम के अनुसार संपत्ति का महत्त्व क्या है?
उत्तर :
रहीम के अनुसार संपत्ति का यह महत्त्व है कि उससे दूसरों का भला किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
छोटों का तिरस्कार क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर :
छोटों का तिरस्कार नहीं करना चाहिए, क्योंकि जो काम वे करते हैं, वह बड़े नहीं कर सकते।

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प्रश्न 3.
सुई का काम कौन नहीं कर सकता?
उत्तर :
सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।

प्रश्न 4.
उत्तम प्रवृत्ति का क्या लक्षण हैं?
उत्तर :
उत्तम प्रकृति का यह लक्षण है कि बुराई के बीच रहकर भी वह अपनी अच्छाई नहीं छोड़ती।

प्रश्न 5.
सीसे क्यों नहीं चाहिए?
उत्तर :
प्रश्न का कुछ अर्थ नहीं निकलता। अत: इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया।

प्रश्न 6.
माँगने के बारे में रहीम क्या कहते हैं.?
उत्तर :
रहीमजी कहते हैं कि मांगना मृत्यु के समान है।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :

प्रश्न 1.
वृक्ष और सरोवर के उदाहरण से रहीम हमें क्या समझाते हैं.?
उत्तर :
वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते। सरोवर अपना पानी स्वयं नहीं पीते। रहीमजी कहते हैं कि हमें भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। अपनी जमा की गई धन-संपत्ति का उपयोग हमें केवल अपने सुख के लिए नहीं करना चाहिए। हमें उसके द्वारा दूसरों की भलाई भी करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
रहीम कड़वे मुखवाली मनुष्य की प्रकृति को कैसे समझाते हैं?
उत्तर :
कड़वे मुखवाले मनुष्य की प्रकृति कड़वी ककड़ी के समान होती है। कुछ लोगों की जबान कड़वी होती है। वे हमेशा कड़वे बोल हो बोलते हैं। वे यह नहीं सोचते कि उनकी कड़वी वाणी सुननेवालों को कितनी चोट पहुंचाती है। ऐसे लोगों का मुंह ककड़ी के मुंह के समान होता है। कटुवाणी बोलकर दूसरे के दिल को चोट पहुंचाना अपराध है। इसलिए ककड़ी का मुंह काटकर उस पर नमक लगाने जैसी सजा ककड़ी को दी जाती है, वैसी ही सजा इन कड़वी जबानवालों को भी देनी चाहिए।

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प्रश्न 3.
‘लाख प्रयत्न करने पर बिगडी हुई बात नहीं बनती’ – ऐसा रहीम किस उदाहरण से समजाते हैं. ?
उत्तर :
किसी कारण से बात बिगड़ जाए तो उसे सुधारना बड़ा मुश्किल होता है। इसे समझाने के लिए रहीमजी फटे हुए दूध का उदाहरण देते हैं। फटे हुए दूध से जमाए गए दही में मक्खन बनाने की शक्ति समाप्त हो जाती है। फिर उसे कितना भी मथा जाए, उसमें से मक्खन नहीं निकलता। रहीमजी कहते हैं कि, बिगड़ी हुई बात फटे हुए दूध जैसी होती है। उसे सुधारने के लिए कितने भी प्रयत्न किए जाएं, वह नहीं सुधर पाती।

3. आशय स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 1.
‘रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।’
उत्तर :
लोग प्रायः बड़ों को महत्त्व देते हैं। समाज में धनीमानी लोगों को आदर-सम्मान दिया जाता है। गरीबों को लोग उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं। उपयोगिता की दृष्टि में देखें तो गरीब लोगों का काम भी कम महत्त्व का नहीं होता। किसान, मजदूर तथा छोटे काम करनेवाले जो देश की बहुमूल्य सेवा करते हैं, वह ऊंचे तबकेवाले नहीं कर सकते। इसलिए हमें बड़े लोगों को मान देते समय निम्नस्तर के लोगों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
चंदन विष व्याप्त नहीं, लपटे रहत भुजंग।
उत्तर :
चंदन के पेड़ पर सॉप लिपटे रहते हैं। इसके बावजूद चंदन का पेड़ साँपों के विष से प्रभावित नहीं होता। साँपों के संग से उसकी सुगंधि में कोई अंतर नहीं पड़ता। इसी प्रकार उत्तम स्वभाव के लोग बुरी संगति में रहकर भी उससे प्रभावित नहीं होते। वे अपने गुणों से अपराधियों को प्रभावित करके उनका जीवन बदल देते हैं।

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GSEB Solutions Class 9 Hindi नीति के दोहे Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: वाक्यों में लिखिए :

प्रश्न 1.
विपदा के बारे में रहीम क्या कहते हैं?
उत्तर :
रहीमजी कहते हैं कि थोड़े समय के लिए आई विपत्ति बुरी नहीं है। विपत्ति के उस समय में हमें मालूम हो जाता है कि कौन हमारा हितकारी है और कौन हमारा अहित चाहता है। इस तरह थोड़े समय की विपदा हमें थोड़ा कष्ट भले देती हो, पर वह हमें अपने सच्चे हितैषियों का ज्ञान करा देती है। इस प्रकार अल्पकाल की विपदा हमारी आँखें खोल जाती है। इसलिए उसे बुरी नहीं माननी चाहिए।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :

प्रश्न 1.
विपत्तिरूपी कसौटी कैसी है?
उत्तर :
कसौटी असली और नकली की पहचान करा देती है। इसी प्रकार विपत्ति के समय सच्चे और झूठे मित्र का पता चल जाता है।

प्रश्न 2.
सुई और तलवार का उदाहरण देकर कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
सुई और तलवार का उदाहरण देकर कवि कहना चाहता है कि छोटी और बड़ी सभी प्रकार की चीजों का अपना-अपना महत्त्व होता है। किसी चीज को छोटी या तुच्छ समझकर हमें उसको नहीं फेंक देना चाहिए।

प्रश्न 3.
दीनबंधु के समान किसे बताया गया है?
उत्तर :
दीनबंधु भगवान का एक नाम है। जो व्यक्ति गरीबों और अनाथों की मदद करता है, उसे दीनबंधु के समान बताया गया है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
बिगड़े दूध से क्या नहीं निकलेगा?
उत्तर :
बिगड़े दूध (के दही) से मक्खान नहीं निकलेगा।

प्रश्न 2.
रहीमजी किनको मरा हुआ मानते हैं?
उत्तर :
रहीमजी मांगनेवालों को और देने से इनकार करनेवालों को मरा हुआ मानते हैं।

प्रश्न 3.
थोड़े दिन की विपत्ति भली क्यों है?
उत्तर :
थोड़े दिन की विपत्ति भली है, क्योंकि यह हमारा हित और अहित चाहनेवालों की पहचान करा देती है।

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प्रश्न 4.
हितकारी और अहितकारी की पहचान कब होती है?
उत्तर :
हितकारी और अहितकारी की पहचान विपत्ति के समय होती है।

प्रश्न 5.
सच्चे मित्र अपने मित्र की विपत्ति के समय क्या करते हैं?
उत्तर :
सच्चे मित्र अपने मित्र की विपत्ति के समय उसका साथ देकर उसकी सहायता भी करते हैं।

प्रश्न 6.
ज्ञानी पुरुष धन-संपत्ति का संग्रह क्यों करते हैं?
उत्तर :
ज्ञानी पुरुष धन-संपत्ति का संग्रह परोपकार के लिए करते हैं।

प्रश्न 7.
वृक्ष और सरोवर हमें किसकी शिक्षा देते हैं?
उत्तर :
वृक्ष और सरोवर हमें परोपकार की शिक्षा देते हैं।

सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

प्रश्न 1.

  1. रहीम …….. के नवरत्नों में से एक थे। (बादशाह अकबर, राजा जयसिंह)
  2. रहीम ने अल्पकाल की विपदा हमारे लिए ………. बताई है। (भली, अधम)
  3. साधारण चीजों का भी अपना ……….. होता है। (असर, महत्त्व)
  4. दीन पर दया करनेवाला ……….. के समान होता है। (तपस्वी, ईश्वर)
  5. रहीम का पूरा नाम …………… था। (अब्दुर्रहीमखान खाना, शैयद रहीम)

उत्तर :

  1. बादशाह अकबर
  2. भली
  3. महत्त्व
  4. ईश्वर
  5. अब्दुर्रहीमखान खाना

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निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :

प्रश्न 1.

  1. हमें साधारण चीज़ों की उपेक्षा करनी चाहिए।
  2. साधारण चीज़ों का भी अपना महत्त्व होता है।
  3. हमें कड़वे वचन बोलने चाहिए।
  4. बात बिगड़ जाने पर उसे सुधारना संभव नहीं होता है।
  5. मांगनेवाले को देने से इनकार करना सबसे बुरी बात है।

उत्तर :

  1. गलत
  2. सही
  3. गलत
  4. सही
  5. सही

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. गरीबों पर दयादृष्टि करनेवाले किसके समान हैं?
  2. अपने-पराये की पहचान किस समय होती है?
  3. माँगने को रहीम किसके समान बताते हैं?

उत्तर :

  1. दीनबन्धु या भगवान के समान
  2. विपत्ति के समय
  3. मृत्यु के समान

निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
सच्चे मित्र की कसौटी कब होती है?
A. बीमारी में
B. मुसाफिरी में
C. शिक्षण काल में
D. विपत्ति में
उत्तर :
D. विपत्ति में

प्रश्न 2.
लोग किसके सगे होते हैं?
A. अपनों के
B. परायों के
C. संपत्ति के
D. विपत्ति के
उत्तर :
C. संपत्ति के

प्रश्न 3.
दीनबन्धु कौन है?
A. धनवान
B. बलवान
C. मनुष्य
D. भगवान
उत्तर :
D. भगवान

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प्रश्न 4.
बिगड़ी हुई बात ऐसी है जैसे …
A. फुफकारता हुआ सांप
B. फटा हुआ दूध
C. सड़ा हुआ फल
D. टूटी हुई माला
उत्तर :
B. फटा हुआ दूध

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. तरुवर
  2. कसौटी
  3. मीत
  4. लघु
  5. दीनबन्धु
  6. प्रकृति
  7. हित
  8. खीरा
  9. सुजान
  10. उत्तम
  11. दीन
  12. भुजंग

उत्तर :

  1. वृक्ष
  2. परीक्षा
  3. मित्र
  4. छोटा
  5. भगवान
  6. स्वभाव
  7. भलाई
  8. ककड़ी
  9. सजन
  10. श्रेष्ठ
  11. गरीब
  12. साप

निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए

प्रश्न 1.

  1. सज्जन
  2. मित्र
  3. विपत्ति
  4. परोपकार
  5. संभव
  6. अंगार

उत्तर :

  1. दुर्जन
  2. शत्रु
  3. सुख
  4. अपरोपकार
  5. असंभव
  6. ओला

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निम्नलिखित शब्दों का संधि-विग्रह करके लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. सज्जन
  2. परोपकार
  3. सरोवर
  4. उपेक्षा
  5. महेश
  6. संगीत

उत्तर :

  1. सज्जन = सत् + जन
  2. परोपकार = पर + उपकार
  3. सरोवर = सरः + वर
  4. उपेक्षा = उप + ईक्षा
  5. महेश = महा + ईश
  6. संगीत = सम् + गीत

निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. साधारण चीज़ों का अपना महत्त्व होता है।
  2. मुख से कड़वे वचन बोलाना अपराध है।
  3. मांगने की वृत्ति बड़ी बुरी है।
  4. बड़ों को देखकर छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
  5. आपत्ति थोड़े समय के लिए हो तो अच्छी है।

उत्तर :

  1. महत्व
  2. अपराध
  3. पत्ति
  4. उपेक्षा
  5. आपत्ति

निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. क्लास में प्रत्येक लड़के उत्तीर्ण होंगे।
  2. मेरी आम सड़ी हुई है।
  3. यह घर में कौन रहता है?
  4. वह आदमी को दौलत का घमंड है।
  5. मैं मेरा काम करता हूँ।

उत्तर :

  1. क्लास में प्रत्येक लड़का उत्तीर्ण होगा।
  2. मेरा आम सड़ा हुआ है।
  3. इस घर में कौन रहता है?
  4. उस आदमी को दौलत का घमंड है।
  5. मैं अपना काम करता हूँ।

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निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. दूसरों पर की गई भलाई
  2. अपने परिवार के रिश्तेदार
  3. गरीबों के बन्धु
  4. जिसे किसी की सहायता नहीं है

उत्तर :

  1. परोपकार
  2. सगे
  3. दीनबन्धु
  4. असहाय

निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. व्यवहार
  2. अनेक
  3. परोपकार
  4. अनहित
  5. परकाज
  6. अहित
  7. उपयोग
  8. उपेक्षा
  9. अपरोपकार
  10. सुजान
  11. सज्जन
  12. असंभव
  13. दुर्जन
  14. सरोवर
  15. महेश
  16. संगीत
  17. सुवाक्य
  18. व्याख्यात
  19. असहाय

उत्तर :

  1. व्यवहार – वि + अवहार
  2. अनेक – अन् + एक
  3. परोपकार – पर + उप + कार
  4. अनाहित – अन् + हित
  5. परकाज – पर + काज
  6. अहित – अ + हित
  7. उपयोग – उप + योग
  8. उपेक्षा – उप + इक्षा
  9. अपरोपकार – अ + परोपकार
  10. सुजान – सु + जान
  11. सज्जन – सत् + जन
  12. असंभव – अ + संभव
  13. दुर्जन – दुः + जन
  14. सरोवर – सरः + वर
  15. महेश – महा + ईश
  16. संगीत – सम् + गौत
  17. सुवाक्य – सु + वाक्य
  18. व्याख्यान – वि + आख्यान
  19. असहाय – अ+ सहाय

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निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. मित्रता
  2. महत्त्व
  3. विपत्ति
  4. मांगनेवाला
  5. हितकारी
  6. जबानवाला
  7. ऊपरी
  8. बुराई
  9. उपयोगिता
  10. प्रभावित
  11. अपराधी
  12. बीमारी
  13. मुसाफिरी
  14. रिश्तेदार
  15. बुद्धिमान
  16. व्यक्तित्व
  17. सहायता

उत्तर :

  1. मित्रता – मित्र + ता
  2. महत्त्व – महत् + त्व
  3. विपत्ति – विपत्त +
  4. मांगनेवाला – मांगना + वाला
  5. हितकारी – हित + कारी
  6. जबानवाला – जबान + वाला
  7. ऊपरी – ऊपर + ई
  8. बुराई – बुरा + ई
  9. उपयोगिता – उपयोग + इता
  10. प्रभावित – प्रभाव + इत
  11. अपराधी – अपराध + ई
  12. बीमारी – बीमार + ई
  13. मुसाफिरी – मुसाफिर + ई
  14. रिश्तेदार – रिश्ता + दार
  15. बुद्धिमान – बुद्धि + मान
  16. व्यक्तित्व – व्यक्ति + त्व
  17. सहायता – सहाय + ता

नीति के दोहे Summary in Gujarati

ગુજરાતી ભાવાર્થ :

  • રહીમજી કહે છે કે, વૃક્ષ પોતાનાં ફળ ખાતાં નથી અને સરોવર પોતાનું પાણી પીતું નથી, એવી જ રીતે જ્ઞાની મનુષ્ય પરોપકારને માટે જ ધન-સંપત્તિનો સંગ્રહ કરે છે.
  • રહીમજી કહે છે કે, જ્યારે મનુષ્ય પાસે સંપત્તિ હોય છે ત્યારે લોકો વિવિધ રીતે તેનાં સગાં બની જાય છે, તેની સાથે સંબંધ જોડે છે. પરંતુ વિપત્તિરૂપી કસોટીમાં જે પાર પડે તે જ સાચા મિત્ર છે.
  • રહીમજી કહે છે કે, મોટાને જોઈને નાનાને ફેંકી ન દેવો જોઈએ, જે કામ સોય કરે છે, શું તે તલવાર કરી શકે?
  • રહીમજી કહે છે કે, ગરીબ લોકો સૌને (આશાભરી) નજરે જુએ છે, પણ તેમના તરફ કોઈ જોતું નથી – તેમના પર કોઈ દયા કરતું નથી, જે ગરીબ પર દયા કરે છે તે ખરેખર ભગવાન સમાન હોય છે.
  • કાકડી ખાતાં પહેલાં તેનો ટોચનો ભાગ કાપીને અલગ કરવો જોઈએ. પછી કાપેલા ભાગ પર મીઠું લગાડવું જોઈએ. રહીમજી કહે છે કે, કડવા મોઢાવાળાને આ જ સજા મળવી જોઈએ.
  • રહીમજી કહે છે કે, ઉત્તમ સ્વભાવના લોકો ખરાબ સોબતમાં રહે તોપણ તેમના પર કશી અસર થતી નથી. જેવી રીતે ભયંકર ઝેરી સાપ ચંદનના વૃક્ષ પર વીંટળાયેલા રહે છે, પરંતુ ચંદનમાં ઝેર ફેલાતું નથી.
  • રહીમજી કહે છે કે બગડેલી વાત લાખ પ્રયત્ન કરવા છતાં સુધરી શકતી નથી. જેવી રીતે ફાટેલા દૂધમાંથી જમાવેલા દહીંને ગમે તેટલું વલોવવામાં આવે, તોપણ માખણ નીકળતું નથી.
  • રહીમજી કહે છે કે, આપત્તિ થોડા સમય માટે હોય એ સારી, કારણ કે થોડા સમયમાં જ આપણે સમજી જઈએ છીએ કે કોણ આપણું હિતેચ્છુ છે અને કોણ હિતેચ્છુ નથી.
  • રહીમજી કહે છે કે, તે મનુષ્યો (જીવતા હોવા છતાં) મરેલા જ છે, જેઓ બીજાને દરવાજે માગવા જાય છે. પરંતુ તેમના કરતાં પણ પહેલાં તેઓ મૃત્યુ પામેલા છે, જેમના મુખેથી નકાર નીકળે છે અર્થાત્ માગનારાઓને આપવાની ના પાડે છે.

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नीति के दोहे Summary in English

Rahimji says. “Trees do not eat their own fruits and a lake does not drink its water. In this way learned man collects wealth for benevolence.”

Rahimji says, “When a man possesses wealth, people become his relatives in various ways. They keep relation with him. But he is the true friend who passes the test in adverse condition.”

Rahimji says. “We should not throw the small thing seeing the big thing. Can a sword do what a needle can do?”

Rahimji says. “The poor people look at everyone with some hope, but nobody looks at them – nobody takes pity to them. The man who takes pity to the poor is certainly like God.”

Before eating cucumber we should cut the top part of it and separate it. Then we should throw some salt on the cutting part. Rahimji says that the person who has bitter mouth should have the same punishment.

Rahimji says. “The person who has the best nature has no any bad effect even though he lives in bad company. The poisonous snake lives on the sandal tree wrapped round it, but poison is not spread in sandal.”

Rahimji says. “Once spoiled relation cannot be improved even though we try much. As the curd formed from the broken milk, is churned too much. but we cannot get butter from it.”

Rahimji says, “It is better to have trouble for sometime because in a short while we realise that who is our well-wisher and who is not our well-wisher.”

Rahimji says. “The men are dead (even though they are alive), who go for begging to another’s door. But the men are dead before them from whose mouth the word ‘negative’ comes out. means who refuse to give to the beggars.”

नीति के दोहे Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

कवि रहीम बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उन्होंने नीति-व्यवहार सम्बन्धी अनेक दोहे लिखे हैं। यहाँ उनके नौ दोहे दिए गए हैं। इनमें परोपकार, सच्ची मित्रता, तुच्छ वस्त का महत्व आदि के बारे में बताया गया है।

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कविता का सार :

सज्जन परोपकार के लिए ही धन का संग्रह करते हैं। विपत्ति में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। साधारण चीजों का भी अपना महत्त्व होता है। इसलिए उनकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। दीनों पर दया करनेवाला दीनबंधु (ईश्वर) के समान होता है। मुख से कड़वे वचन बोलना अपराध है। इसकी सजा मिलनी चाहिए।

उत्तम स्वभाववाले बुरों के साथ रहकर भी उनसे प्रभावित नहीं होते। बात बिगड़ जाने पर उसे सुधारना संभव नहीं है। विपत्ति में ही अपने-पराए की पहचान होती है। मांगने की वृत्ति तो बुरी है हो, पर उससे बुरी बात किसीको देने से इनकार करना है।

कविता का अर्थ :

तरुवर ……… सुजान।

रहीमजी कहते हैं कि पेड़ अपने फल नहीं खाते हैं और सरोवर अपना पानी नहीं पीते। इसी प्रकार ज्ञानी पुरुष परोपकार के लिए ही धन-संपत्ति का संग्रह करते हैं।

कहि रहीम ……. मीत।

रहीमजी कहते हैं कि जब मनुष्य के पास संपत्ति होती है तब लोग तरह-तरह से उसके सगे बन जाते हैं – उससे रिश्ते जोड़ लेते हैं। लेकिन सच्चे मित्र तो वे हैं जो विपत्ति के समय साथे देते हैं।

रहीमन देखि …….. तरवारि।

रहीमजी कहते है कि बड़ों को देखकर छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। जो काम सुई करती है, क्या वह तलवार कर सकती है?

दीन सबन को ………. दीनबन्धु सम होय।

रहीमजी कहते हैं कि असहाय और गरीब लोग सबको (आशाभरौ) नजरों से देखते हैं, पर उनकी ओर कोई नहीं देखता – उन पर कोई दयादृष्टि नहीं करता। जो असहाय और गरीबों पर दयादृष्टि करता है, वह सचमुच भगवान के समान होता है।

खीरा को ….. यही सजाय।

खीरा को खाने से पहले उसका सिर (ऊपरी भाग) काटकर अलग कर देना चाहिए। फिर उसके कटे भाग पर नमक मलना चाहिए। रहीमजी कहते है कि कड़वे मुखवालों को यही सजा मिलनी चाहिए। इस अपराध का यही दंड है।

जो रहीम …… भुजंग।

रहीमजी कहते हैं कि उत्तम स्वभाववाले लोग बुरी संगति में रहें तो भी उसका उन पर प्रभाव नहीं पड़ता। ठीक उसी प्रकार जैसे भयंकर विषवाले साँप चंदन के पेड़ से लिपटे रहते हैं, परंतु चंदन में उनका विष फैलता नहीं।

बिगरी बात …….. होय।

कवि रहीम कहते हैं कि बिगड़ी बात लाख प्रयत्न करने पर भी सुधर नहीं पाती। ठीक उसी तरह जैसे फटे दूध से जमाए गए दही को कितना ही प्रथा जाए, उसमें से मक्खन नहीं निकलता।

रहेमन विपदा ….. सब कोय।

रहीमजी कहते हैं कि यदि आपत्ति थोड़े समय के लिए हो तो अच्छी है, क्योंकि उस थोड़े-से समय में हम समझ जाते हैं कि कौन हमारा हितकारी है और कौन अहितकारी है।

रहीमन वे नर ……. निकसत नाहि।

रहीमजी कहते हैं कि वे मनुष्य तो (जिंदा होते हुए भी) मरे हुए हैं जो दूसरों के दरवाजे मांगने जाते हैं, परंतु उनसे भी पहले वे मर गए जिनके मुखसे ‘नहीं’ शब्द निकलता है- जो मांगनेवालों को देने से इनकार कर देते हैं।

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नीति के दोहे शब्दार्थ :

  1. तरुवर – वृक्ष, पेड़।
  2. सरवर – सरोवर, तालाब।
  3. पान – पानी।
  4. परकाज – परोपकार, दूसरों की भलाई।
  5. सुचहि – संग्रह करते हैं।
  6. सुजान – सज्जन, बुद्धिमान, ज्ञानी पुरुष।
  7. सगे – अपने रिश्तेदार।
  8. बहु – बहुत।
  9. रीत – प्रकार।
  10. विपत्ति – बुरा समय।
  11. कसौटी – सच्चे-झूठे की पहचान करानेवाली परीक्षा।
  12. तेई – वेही।
  13. मीत – मित्र।
  14. बड़ेन – बड़ों को।
  15. लघु – छोटे।
  16. डारि – छोड़ना।
  17. कहा – क्या।
  18. तरवारि – तलवार।
  19. दीन – गरीब, असहाय।
  20. लखत हैं – देखते हैं।
  21. कोय – कोई।
  22. दीनबन्धु – भगवान।
  23. खीरा – एक तरह की ककड़ी।
  24. मलियत – मलत है।
  25. नोन – नमक।
  26. कए – कड़वे।
  27. सजाय – सजा।
  28. उत्तम – श्रेष्ठ।
  29. का करि सकत – कुछ न कर सकता है।
  30. कुसंग – बुरे लोगों का साथ।
  31. भुजंग – साप।
  32. बिगरी – बिगडी।
  33. किन – चाहे।
  34. थोरे – थोड़े।
  35. हित – भलाई।
  36. अनहित – बुराई।
  37. नर – मनुष्य।
  38. मांगन – मांगने।
  39. मुएं – मर गए।
  40. निकसत – निकलते हैं।

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