GSEB Solutions Class 7 Hindi Chapter 8 दोहा अष्टक

   

Gujarat Board GSEB Solutions Class 7 Hindi Chapter 8 दोहा अष्टक Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 7 Hindi Chapter 8 दोहा अष्टक

GSEB Solutions Class 7 Hindi दोहा अष्टक Textbook Questions and Answers

अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
बड़े लोगों की संकुचित मनःस्थिति व्यक्त करने के लिए खजूर के पेड़ का उदाहरण क्यों दिया गया है?
उत्तर :
खजूर का पेड़ बड़ा तो होता है, पर उससे पथिक को न छाया मिलती है, न उसके फल मिलते हैं। उसी तरह बड़े लोगों की मनोवृत्ति संकुचित होती है। उनसे दूसरों को कोई लाभ नहीं होता।

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प्रश्न 2.
साधु पुरुष कैसा होना चाहिए? क्यों?
उत्तर :
साधु पुरुष सूप के स्वभाववाला होना चाहिए, क्योंकि सूप सारयुक्त वस्तु (अच्छा अनाज) ग्रहण कर निस्सार वस्तु (कचरा) को बाहर फेंक देता है।

प्रश्न 3.
तुलसीदास सबसे हिल-मिलकर रहने को क्यों कहते हैं?
उत्तर :
तुलसीदास सबसे हिल-मिलकर रहने को कहते हैं, क्योंकि उससे हमें सुख, शांति और सुरक्षा मिलती है।

प्रश्न 4.
आप गरीब लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
हम गरीब लोगों के बच्चों को पढ़ाकर उनकी मदद कर सकते हैं। हम पढ़ाई में आनेवाली उनकी समस्याएँ दूर करें।

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प्रश्न 5.
सज्जन लोग अपनी संपत्ति का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर :
सज्जन लोग दूसरों का भला करने में अपनी संपत्ति का उपयोग करते हैं।

2. नीचे दिए गए शब्दों में विलोम शब्दों के सही जोड़े बनाइए और उदाहरण के अनुसार वाक्य में प्रयोग कीजिए :

आदर, स्वकाज, बुरा, परकाज, प्रेम, नजदीक, नफरत, मृत, अच्छा, अनादर, जीवित, छोटा, दूर, बड़ा, असत्य, सत्य।
उदाहरण :
(1) सत्य – गांधीजी सत्य बोलते थे।
(2) असत्य – हमें असत्य नहीं बोलना चाहिए।
उत्तर :
(1) आदर x अनादर
आदर – हमें बड़ों का आदर करना चाहिए।
अनादर – हमें किसीका अनादर नहीं करना चाहिए।

(2) स्वकाज x परकाज
स्वकाज – मैं यहाँ स्वकाज के लिए आया था।
परकाज – सज्जन लोग परकाज के लिए धन का संग्रह करते हैं।

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(3) बुरा x अच्छा
बुरा – उसे अपने कर्मों का बुरा फल भुगतना पड़ा।
अच्छा – उसने यहाँ अच्छा नाम कमाया।

(4) प्रेम x नफरत
प्रेम – हम सबसे प्रेम करें।
नफरत – संत पुरुष किसीसे नफरत नहीं करते।

(5) नजदीक x दूर
नजदीक – बाजार मेरे घर के नजदीक है।
दूर – पाठशाला मेरे घर से दूर है।

(6) मृत x जीवित
मृत – उस दुर्घटना में कई लोग मृत पाए गए।
जीवित – मलबे में से कई लोग जीवित निकले।

(7) छोटा x बड़ा
छोटा- हमारा घर छोटा है।
बड़ा – वह बड़ा आदमी है।

3.अंदाज अपना-अपना

कभी-कभी कुछ इलाकों में बारिश बिलकुल भी नहीं होती। नदी-नाले, तालाब सूख जाते हैं। फसलों के लिए पानी नहीं मिलता। खेत सूख जाते हैं। पशु-पक्षी, जानवर और लोग भूखे मरने लगते हैं। ऐसे समय में वहाँ रहनेवाले लोगों को मदद की जरूरत होती है। तुम भी लोगों को मदद कर सकते हो। सोचकर बताओ तुम अकाल में परेशान लोगों की मदद कैसे करोगे?
उत्तर :
हम अकालग्रस्त लोगों के लिए धन इकट्ठा करेंगे। उस धन से हम अनाज तथा दूसरी जरूरी चीजें खरीदकर उन्हें देंगे।
हम टैंकर मँगवाकर अकालग्रस्तों को पानी सुलभ कराएँगे। हम उनके जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था करेंगे।

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4. निम्नलिखित दोहों का भावार्थ स्पष्ट करने के लिए भिन्न-भिन्न उदाहरण दीजिए :

प्रश्न 1.
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय ।।
उत्तर :
कबीरजी कहते हैं कि साधु का वेश धारण करने से ही कोई साधु नहीं बन जाता। साधु वह है जिसकी बुद्धि शुद्ध हो, जिसमें विवेक हो। साधु का स्वभाव सूप के समान होना चाहिए। सूप अनाज को अपने पास रख लेता है और कचरे को बाहर फेंक देता है। सच्चा साधु भी ज्ञान की बातें ग्रहण करता है और व्यर्थ की बातों में वह दिलचस्पी नहीं लेता।

प्रश्न 2.
तुलसी हाय गरीब की, कबहूँ न खाली जाय।
मए ढोर के चाम से, लौह भस्म हो जाय॥
उत्तर :
तुलसीदासजी कहते हैं कि गरीब को कभी नहीं सताना चाहिए। गरीब की हाय (बदुआ) लेने से हमारा नुकसान होता है। जब मरे हुए पशु के चमड़े से बनी धौंकनी से लोहा जल जाता है तो जिंदा व्यक्ति की हाय क्या नहीं कर सकती? वह तो सतानेवाले का सर्वनाश ही कर देती है। इसलिए किसी गरीब को सताना नहीं चाहिए और उसकी हाय कभी नहीं लेनी चाहिए।

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प्रश्न 3.
रहिमन देखी बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ।।
उत्तर :
लोग बड़े लोगों के ठाट-बाट से प्रभावित होकर साधारण लोगों की उपेक्षा करने लगते हैं। रहीमजी कहते हैं कि बड़े लोगों से प्रभावित होकर सामान्य

भाषा-सज्जता

नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से पढ़िए :

(1) वह कौन जा रहा है?
(2) पहला इनाम किसे मिला?
(3) आप क्या लाए हैं?
(4) किसने कहा आज छुट्टी है?
इन वाक्यों में ‘कौन, किसे, क्या, किसने’ – इन शब्दों से प्रश्न पूछे गए हैं। ये शब्द किसी-न-किसी संज्ञा के स्थान पर आए हैं। इसलिए ये ‘प्रश्नवाचक सर्वनाम’ हैं।
प्रश्नवाचक सर्वनाम : संज्ञा के विषय में जिन शब्दों से प्रश्न किया जाए, वे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

अब इन वाक्यों को पढ़िए :

(1) जिसका काम सबसे अच्छा होगा, उसे इनाम मिलेगा।
(2) जो जन्म लेता है, वह मरता है।
इन वाक्यों में रेखांकित शब्द सर्वनाम है। प्रत्येक वाक्य के सर्वनाम परस्पर संबंध दर्शाते हैं। ये ‘संबंधवाचक सर्वनाम’ हैं।

संबंधवाचक सर्वनाम : वाक्य में एक वाक्यांश का दूसरे वाक्यांश से संबंध बतानेवाले सर्वनाम को संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।

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1. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों को प्रश्नवाचक और संबंधवाचक सर्वनाम में वर्गीकृत कीजिए :

(1) वह कौन आ रहा है?
(2) जैसी करनी वैसी भरनी।
(3) जो चलता रहेगा, वह मंजिल तक पहुँचेगा।
(4) आज का इनाम किसे मिलेगा?
(5) जिसकी मेहनत उसकी सफलता।
(6) आप क्या ढूँढ़ रहे हैं?
(7) किसने कहा आज मेहमान आएँगे?
उत्तर :
प्रश्नवाचक : कौन, किसे, क्या, किसने
संबंधवाचक : जैसी-वैसी, जो-वह, जिसकी-उसकी

2. निम्नलिखित शब्दों से प्रश्नवाचक वाक्य बनाइए :

(1) क्या (2) कौन (3) किसका (4) किसे
उत्तर :
(1) क्या – आप क्या लाए हैं?
(2) कौन – दरवाजे पर कौन खड़ा है?
(3) किसका – यह किसका घर है?
(4) किसे- पहला इनाम किसे मिला?

3. संबंधवाचक सर्वनामों को छाँटकर लिखिए :

(1) तू जो कहता है वह मैं समझ गया हूँ।
(2) जिसने मेहनत की, उसे फल मिला।
(3) जो ध्यान से पढ़ेगा, वह उत्तीर्ण होगा।
(4) जिसकी लाठी, उसकी भैंस।
उत्तर :
(1) जो …………. वह।
(2) जिसने …………. उसे ।
(3) जो …………. वह।
(4) जिसकी ………… उसंकी।

Hindi Digest Std 7 GSEB दोहा अष्टक Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
कबीर किसे बुरा बताते हैं?
A. नफरत
B. बैर
C. गरीबी
D. लालच
उत्तर :
D. लालच

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प्रश्न 2.
किसका स्वभाव सूप जैसा होना चाहिए?
A. किसान का
B. स्त्री का
C. साधु का
D. नौकर का
उत्तर :
C. साधु का

प्रश्न 3.
लुहार की धौंकनी से लोहा क्या हो जाता है?
A. सोना
B. भस्म
C. नरम
D. चमकीला
उत्तर :
B. भस्म

प्रश्न 4.
गरीब की क्या व्यर्थ नहीं जाती?
A. टोकरी
B. झोली
C. हाय
D. दुआ
उत्तर :
C. हाय

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प्रश्न 5.
प्रेम का धागा न तोड़ने की सीख किसने दी है?
A. तुलसीदास ने
B. कबीर ने
C. सूरदास ने
D. रहीम ने
उत्तर :
D. रहीम ने

2. कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(धागा, हाय, परकाज, सूप, भाँति-भाँति)

(1) साधु ऐसा चाहिए, जैसा ………. सुभाय ।
(2) तुलसी इस संसार में, …………….. के लोग।
(3) तुलसी ……. गरीब की, कबहूँ न खाली जाय।
(4) रहिमन ……………. प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
(5) कहि ‘रहीम’ …………… हित, संपत्ति संचहि सुजानि ।
उत्तर :
(1) साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय ।
(2) तुलसी इस संसार में, भाँति-भाँति के लोग।
(3) तुलसी हाय गरीब की, कबहूँ न खाली जाय।
(4) रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
(5) कहि ‘रहीम’ परकाज हित, संपत्ति संचहि सुजानि।

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3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :

(1) पथिक को खजूर के फल नहीं मिलते, क्योंकि …
(अ) उन्हें पक्षी ही खा जाते हैं।
(ब) रात में कुँजड़े उन्हें तोड़ ले जाते हैं।
(क) वे बहुत ऊँचाई पर लगते हैं।
उत्तर :
पथिक को खजूर के फल नहीं मिलते, क्योंकि वे बहुत ऊँचाई पर लगते हैं

(2) बड़ों से प्रभावित होकर …
(अ) उनकी नकल नहीं करनी चाहिए।
(ब) छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
(क) उनसे ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
उत्तर :
बड़ों से प्रभावित होकर छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :

प्रश्न 1.
बड़ा होने पर भी कबीर खजूर के पेड़ को महत्त्व क्यों नहीं देते?
उत्तर :
बड़ा होने पर भी कबीर खजूर के पेड़ को महत्त्व नहीं देते, क्योंकि उससे पथिक को छाया नहीं मिलती और उसके फल बहुत ऊँचाई पर लगते हैं।

प्रश्न 2.
मक्खी को सिर धुनने की नौबत क्यों आती है?
उत्तर :
मक्खी को सिर धुनने की नौबत आती है, क्योंकि वह गुड़ खाने के लालच में पड़ती है।

प्रश्न 3.
गरीब की हाय से क्या होता है?
उत्तर :
गरीब की हाय से उसे सतानेवाले का सर्वनाश हो जाता है।

प्रश्न 4.
तुलसीदासजी ने हिल-मिलकर रहने के लिए किसका उदाहरण दिया है?
उत्तर :
तुलसीदासजी ने हिल-मिलकर रहने के लिए नदी और नाव के संयोग का उदाहरण दिया है।

प्रश्न 5.
प्रेम के धागे में गाँठ कब पड़ जाती है?
उत्तर :
प्रेम के टूटे हुए धागे को फिर से जोड़ने पर उसमें गाँठ पड़ जाती है।

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प्रश्न 6.
बड़ों को देखकर क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर :
बड़ों को देखकर छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
तुलसीदासजी के अनुसार संसार में लोगों का संयोग किस प्रकार का होता है?
उत्तर :
इस संसार में तरह-तरह के लोग होते हैं। हमें सबके साथ हिल-मिलकर रहना चाहिए, क्योंकि लोगों का संयोग नदी और नाव के संयोग की तरह कुछ समय का ही होता है।

प्रश्न 2.
रहीमजी सज्जनों के परोपकारी स्वभाव के बारे में क्या कहते हैं?
उत्तर :
रहीमजी कहते हैं कि वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाता। तालाब भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता। सज्जनों का स्वभाव भी वृक्ष और तालाब की तरह परोपकारी होता है। वे दूसरों का भला करने के लिए ही संपत्ति का संग्रह करते हैं।

दोहा अष्टक Summary in Hindi

कबीरदास

(1) बड़ा हुआ ………… अति दूर।
बड़ा होने से ही किसीका महत्त्व नहीं बढ़ जाता। खजूर का पेड़ बहुत बड़ा है, पर उसके बड़े होने से क्या लाभ? उससे मुसाफिर को छाया नहीं मिलती और फल भी बहुत ऊँचाई पर लगते हैं।

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(2) साधु ऐसा ……….. उड़ाय।
साधु (सज्जन) पुरुष सूप जैसे स्वभाववाला होना चाहिए। सूप अच्छे (अनाज) को अपने अंदर रख लेता है और कचरे को बाहर फेंक देता है। उसी तरह साधु पुरुष को तत्त्व की बातें ग्रहण कर व्यर्थ की बातें छोड़ देनी चाहिए।

(3) माखी गुड़ में ……………. बलाई।
मक्खी गुड़ खाने के लिए गुड़ पर बैठती है और उस में फँस जाती है। उसके पंख गुड़ में चिपक जाते हैं। फिर वह कितना भी पछताती और हाथ मलती रहती है, उससे छुटकारा नहीं मिलता। सचमुच, लालच बहुत बुरी चीज है।

तुलसीदास

(4) तुलसी इस ……….. संजोग।
तुलसीदासजी कहते हैं कि इस संसार में तरह-तरह के लोग हैं। हमें सबके साथ हिल-मिलकर रहना चाहिए जैसे नदी और नाव का संयोग रहता है।

(5) तुलसी हाय ……….. हो जाय।
तुलसीदासजी कहते हैं कि गरीब की हाय (बद्दुआ) कभी निष्फल नहीं होती। मरे हुए जानवर के चमड़े से बनी धौंकनी से लोहा राख हो जाता है। (फिर गरीब तो जीवित व्यक्ति है। उसकी हाय कैसे निष्फल जा सकती हैं?)

रहीम

(6) रहिमन धागा …………… पड़ जाय।
रहीमजी कहते हैं कि प्रेम के धागे को खींचकर (झटके से) मत तोड़ डालो। यह एक बार टूट जाने पर फिर जुड़ता नहीं और जुड़ता भी है तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। (प्रेम में पहले जैसी मिठास नहीं रहती।)

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(7) तरुवर …………… सुजानि।
रहीमजी कहते हैं कि पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते। सरोवर अपना पानी खुद नहीं पीते। इसी तरह सज्जन दूसरों का भला करने के लिए ही संपत्ति का संग्रह करते हैं।

(8) रहिमन देखि …………… तलवारि।
रहीमजी कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर (बड़े लोगों से प्रभावित होकर) छोटे लोगों की उपेक्षा मत करो। जहाँ सुई काम आती है, वहाँ तलवार काम नहीं आती।

दोहा अष्टक Summary in English

Kabirdas
(1) Only being high is not important. Though the datepalm grows very high, it is useless; because its fruits (dates) are too high to get them easily and travellers cannot rest under it.

(2) A gentleman’s nature should be like a winnowing basket. A winnowing basket keeps cleaned grains and files away the waste. (In this way a gentleman should grasp the good and leave out useless talks.)

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(3) When a fly sits on jaggery to eat it, it is trapped in it and its wings are stuck to jaggery. Then it repents a lot but cannot be free from it. Really, greed is a great trouble.

Tulsidas

(4) Tulsidas says that there are different kinds of people in the world. So we should live with them together intimately like a meeting of a river and a boat.

(5) Tulsidas says that a poor person’s sigh is never fruitless. The dhaman made of a dead animal’s skin turns iron into ashes. (Then how can poor’s curse fail ?)

Rahim

(6) Rahimji says that please don’t cut the thread of love by pulling it because if once it is cut out, it cannot be joined. Suppose we join it its knot remains for ever. (We cannot feel the sweetness in love as before.)

(7) Rahimji says that a tree never eats its fruits, a lake never drinks its water itself, In this way gentlemen collect their wealth only for the welfare of others, not for themselves.

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(8) Rahimji says that please don’t neglect common men when you see reputed men because a sword can do nothing what a needle can do or A sword fails to do what a needle can do.

दोहा अष्टक Summary in Gujarati

દોહા અષ્ટક (ભાવાનુવાદ)

કબીરદાસ

(1) મોટું હોવાથી જ કોઈ મહત્ત્વપૂર્ણ બની જતું નથી. ખજૂરનું વૃક્ષ ખૂબ મોટું હોય છે, પરંતુ તેનાથી મુસાફરને છાંયડો મળતો નથી અને તેને ફળ પણ ખૂબ ઊંચે લાગે છે.

(2) સાધુ (સજ્જન) સૂપડાના જેવા સ્વભાવવાળો હોવો જોઈએ. સૂપડું સાર તત્ત્વ (અનાજ) રાખી લે છે અને થોથાં ઉડાડી મૂકે છે. એવી જ રીતે સાધુ (સજ્જન) પુરુષે તત્ત્વની વાતો ગ્રહણ કરવી જોઈએ અને નકામી વાત છોડી દેવી જોઈએ.]

(3) માખી ગોળ ખાવા માટે ગોળ પર બેસે છે અને તેમાં ફસાઈ જાય છે. તેની પાંખો ગોળ સાથે ચોંટી જાય છે. પછી તે પસ્તાય છે પણ તેમાંથી છૂટી શકતી નથી. ખરેખર, લાલચ એક મોટી આફત છે.

તુલસીદાસ

(4) તુલસીદાસજી કહે છે કે આ સંસારમાં અનેક પ્રકારના લોકો હોય છે. નદી અને નાવના સંયોગની જેમ આપણે સૌની સાથે હળીમળીને રહેવું જોઈએ.

(5) તુલસીદાસજી કહે છે કે ગરીબની હાય (નિસાસો) કદી નિષ્ફળ જતી નથી. મરેલા જાનવરના ચામડાની બનેલી ધમણથી લોખંડ પણ ભસ્મ થઈ જાય છે. (તો પછી ગરીબની બદદુઆ કેવી રીતે નિષ્ફળ જાય?)

રહીમ

(6) રહીમજી કહે છે કે પ્રેમના દોરા(તંતુ)ને ખેંચીને તોડી નાખશો નહિ. એ એક વાર તૂટી ગયા પછી પાછો જોડી શકાતો નથી અને જોડીએ તોપણ એમાં , ગાંઠ પડી જાય છે. (પ્રેમમાં પહેલાં જેવી મીઠાશ રહેતી નથી.)

(7) રહીમજી કહે છે વૃક્ષ પોતાનાં ફળ પોતે ખાતાં નથી. સરોવર પોતાનું પાણી સ્વયં પીતું નથી. એ જ રીતે સજ્જનો બીજાનું ભલું કરવા માટે જ સંપત્તિનો સંગ્રહ કરે છે.

(8) રહીમજી કહે છે કે મોટા લોકોને જોઈને નાના માણસોની ઉપેક્ષા કરશો નહિ. જ્યાં સોય કામ લાગે છે ત્યાં તલવાર શું કામ કરી શકવાની હતી?

विषय-प्रवेश
दोहा एक छोटा-सा छंद है। हिन्दी के कई पुराने कवियों ने इस छंद में कविताएँ लिखी हैं। ‘दोहा अष्टक’ में आठ दोहे दिए गए हैं। इन में तीन कबीर के, दो तुलसीदास के और तीन रहीम के दोहे हैं। इन दोहों से हमें तरह-तरह की व्यावहारिक शिक्षा मिलती है।

शब्दार्थ (Meanings)

कबीरदास; Kabirdas
[1] पंथी- यात्री, राही, मुसाफिर; a traveller अति – बहुत; very
[2] सूप – अनाज साफ करने का एक साधन; a winnowing basket सुभाय – स्वभाव; nature सार – तत्त्व, असली वस्तु, निष्कर्ष; moral थोथा-निकम्मी चीज, कचरा; a useless thing
[3] माखी – मक्खी; a fly लालच – लोभ; greed बलाई – आपत्ति, आफत; trouble

तुलसीदास; Tulsidas
[4] भाँति-भाँति के – तरह-तरह के, भिन्न-भिन्न प्रकार के; different kinds of हिल-मिल – मिलजुल कर, प्रेम से और शांतिपूर्वक; together, intimately, harmoniously संजोग – संयोग, मिलन, मेल; meeting “
[5] हाय – बद्दुआ; a curse, a sigh कबहूँ – कभी; never खाली – व्यर्थ, निष्फल; to fail मुए – मरे हुए; dead ढोर – पशु, जानवर; animals चाम – चमड़ा; skin भस्म – राख; ashes

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रहीम; Rahim
[6] चटकाय – खींचकर, झटके से; by pulling
[7] तरुवर – वृक्ष; a tree सरवर – सरोवर, जलाशय, तालाब; a lake पानि – पानी; water परकाज – परोपकार, दूसरों की भलाई; for welfare of others संचहिं – संग्रह करते हैं; collect सुजानि- सज्जन; a gentleman
[8] बड़ेन – बड़े लोगों को, बड़ी चीज को; reputed persons लघु – छोटा; common person डारि – छोड़ना, उपेक्षा करना, त्यागना; to neglect, to leave कहा- क्या; what तलवारि – तलवार; a sword

मुहावरे-अर्थ और वाक्य-प्रयोग

(1) हाथ मलना- पछताना
वाक्य : निशाना चूक जाने से हिरन भाग गया और शिकारी हाथ मलता रह गया।

(2) सिर धुनना – पछताना
वाक्य : सिर धुनने से बिगड़ा काम नहीं बनता।

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(3) हिल-मिलकर चलना – सहयोग करना
वाक्य : सबसे हिल-मिलकर चलने में ही समझदारी है।

(4) लौह भस्म हो जाना – कठिन चीज का नाश हो जाना
वाक्य : जब आग में लौह भी भस्म हो जाता है, तो यह लकड़ी क्यों नहीं हो सकती?

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