Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 5 स्वराज्य की नींव Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 5 स्वराज्य की नींव
Std 9 GSEB Hindi Solutions स्वराज्य की नींव Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. एक-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
रानी लक्ष्मीबाई की चिंता का कारण क्या था?
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई की चिंता का यह कारण था कि बहुत प्रयत्न करने के बाद भी स्वराज्य उनके हाथ में नहीं आ रहा था।
प्रश्न 2.
बाबा गंगादास ने रानी लक्ष्मीबाई से क्या कहा था?
उत्तर :
बाबा गंगादास ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा था कि समाज में छूआछूत, ऊँच-नीच और विलास प्रियता के होते हुए हमें स्वराज्य नहीं मिल सकता। स्वराज्य केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से ही मिल सकता है।
प्रश्न 3.
रानी लक्ष्मीबाई ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी को फिर से जीत लेने की प्रतिज्ञा की थी।
प्रश्न 4.
जूही सेनापति तात्या का पक्ष क्यों लेती है?
उत्तर :
जूही सेनापति तात्या का पक्ष लेती है, क्योंकि वह उससे प्रेम करती है।
प्रश्न 5.
तात्या रानी लक्ष्मीबाई के सामने लज्जित क्यों हो उठे?
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई ने तात्या को ‘सरदार’ कहकर संबोधित किया। रानी के मुंह से अपने लिए यह संबोधन सुनकर तात्या लज्जित हो उठे।
2. पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
मार्ग में हिमालय अड़ने, डरावनी लहरों के थपेड़े मारने, नाविकों के सो जाने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई को अपनी प्यारी झाँसी शत्रुओं के हाथ में चले जाने का दुःख है। स्वराज्य की मंजिल हर बार पास आकर दूर चली जाती है। रानी स्वराज्य को पास आते हुए देखती हैं, पर तभी हिमालय जैसी बाधाएँ उनके मार्ग में आ जाती हैं। जब वे इन बाधाओं को पार करती हैं, तो मुसीबतों के महासागर सामने उमड जाते है। जब वे उन्हें पार करना चाहती हैं, तो देखती हैं कि नाविक सो रहे हैं। ये नाविक है विलास में डूबे हुए उनके साथी सेनापति तात्या, राव साहब, बाँदा के नवाब आदि।
प्रश्न 2.
रानी लक्ष्मीबाई देशभक्ति की एक अद्भुत मिसाल थीं- समजाइए।
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई हमारे इतिहास का एक अत्यंत तेजस्वी चरित्र हैं। स्वराज्य ही उनका अंतिम लक्ष्य है। इसके लिए वे बड़े से बड़ा बलिदान दे सकती हैं। स्वराज्य की नींव बनने में ही वे जीवन की सार्थकता मानती है। उन्हें राग-रंग से सख नफरत है। उन्हें यही चिता है कि स्वराज्य के लिए लड़ रहे उनके सैनिकों की वीरता कलंकित न होने पाए। सचमुच, रानी लक्ष्मीबाई देशभक्ति की एक अद्भुत मिसाल थीं।
प्रश्न 3.
‘स्वराज्य की नींव’ शीर्षक कहाँ तक सार्थक है? प्रस्तुत एकांकी के लिए कोई अन्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
सन् 1857 का सैनिक विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। उसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, जूही, मुंदर, तात्या टोपे, रामचन्द्र तथा रघुनाथराव आदि ने अपनी अनोखी देशभक्ति का परिचय दिया था। ये सब अपना बलिदान देकर स्वराज्य की नींव के पत्थर बन गए। बाद में इस एकांकी के पात्रों के न्याय, तपस्या और बलिदान की नींव पर ही भारत की आजादी की इमारत खड़ी हुई। इसलिए इस एकांकी का शीर्षक “स्वराज्य की नींव’ बिलकुल सार्थक है। इसके अन्य शीर्षक ये हो सकते हैं – ‘स्वराज्य की आधारशिला’ और ‘आजादी के वे परवाने’।
प्रश्न 4.
प्रस्तुत एकांकी में से उन कथनों को छाँटिए जिससे पता चलता है कि युद्ध की छाया में भी राव साहब वैभव विलास में डूबे थे?
उत्तर :
- जूही – जानती हूं महारानी! हम विलासिता में डूब गए हैं।
- मुंदर – विलासिता में डूबे हैं राव साहब, बाँदा के नवाब, सेनापति तात्या।
- लक्ष्मीबाई – जूही ने उन्हें रोका है मुंदर। मैं जानती हूँ। जब राव साहब के लिए बुलाने इसे आए थे तो इसने उनको बुरी तरह दुत्कार दिया था।
3. आशय स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
“स्वराज्य प्राप्ति से बढ़कर है स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना, स्वराज्य की नींव का पथ्थर बनना।”
उत्तर :
इमारत बनाने के पहले उसके लिए उचित भूमि का चयन है किया जाता है। फिर मजबूत नींव रखी जाती है। नींव जितनी मजबूत होगी, इमारत भी उतनी ही मजबूत होगी। इसी तरह स्वराज्य पाने के लिए है देश और समाज में उसके लिए वातावरण तैयार करना जरूरी है। यह वातावरण जनमानस को जगाकर ही तैयार किया जा सकता है। शहीदों के बलिदान जनमानस को आंदोलित करते हैं और लोगों में स्वराज्य पाने की भावना तीव्र बनती है।
प्रश्न 2.
“शंकाएँ अविश्वास पैदा करेंगी और उस अविश्वास से उत्पन्न निराशा को दूर करने के लिए पायल की झंकार और भी झनक उठेगी।”
उत्तर :
राव साहब, बाँदा के नवाब आदि रानी के सहयोगी संकुचित दृष्टि के व्यक्ति थे। वे अपने-अपने स्वार्थ के लिए रानी लक्ष्मीबाई से जुड़े थे। उनमें न देशप्रेम था और न एक-दूसरे के प्रति विश्वास था। वे एक-दूसरे को शंका की दृष्टि से देखते थे। ऐसे में स्वराज्य-स्थापना की बात उनमें परस्पर अविश्वास बढ़ा सकती थी। अविश्वास उनमें निराशा पैदा करता और फिर उससे उत्पन्न दुःख दूर करने के लिए वे राग-रंग में डूब जाते।
प्रश्न 3.
“दोस्त की ठोकर अविश्वास की खाई को और चौड़ा कर देती हैं.?”
उत्तर :
दोस्ती में एक-दूसरे पर विश्वास होता है। ऐसे में कोई धोखा दे तो दिल को गहरी चोट लगती है। गहरा विश्वास गहरे अविश्वास में बदल जाता है और फिर पहले जैसी दोस्ती नहीं रह सकती।
सही शब्द चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
- वह मिल सकता है, केवल सेवा, तपस्या और ……………. से। (बलिदान/युद्ध)
- महासागर की डरावनी ………… थपेड़े मारने लगती हैं। (लहरें/हवाएँ)
- कौन कहता है कि ……………. में डूब गए हैं? (विलासिता/तपस्या)
- मैं ………………. के लिए नाच सकती हूँ। (विजय/स्वराज्य)
- हमारी …………… कलंकित न होने पाए। (श्रेष्ठता/वीरता)
उत्तर :
- स्वराज्य मिल सकता है, केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।
- महासागर की डरावनी लहरे थपेड़े मारने लगती हैं।
- कौन कहता है कि हम विलासिता में डूब गए है?
- मैं स्वराज्य के लिए नाच सकती हूँ।
- हमारी वीरता कलंकित न होने पाए।
5. शब्दसमूह के लिए एक शब्द :
प्रश्न 1.
- धरती और आकाश के मिलने का स्थान
- निराशा या क्रोध में मुंह से निकलनेवाली श्वास
- दही से बननेवाला एक व्यंजन
- ब्राह्मणों को खिलाया जानेवाला भोज
- स्वामी के प्रति श्रद्धा रखनेवाला
उत्तर :
- क्षितिज
- निश्वास
- श्रीखंड
- ब्रह्मभोज
- स्वामिभक्त
6. उदाहरण के अनुसार शब्द बनाए :
राज्य – स्व+राज्य = स्वराज्य
प्रश्न 1.
- देश – ………….
- भाव – ………….
- तंत्र – ………….
- जन – ………….
उत्तर :
- देश – स्व + देश = स्वदेश
- भाव – स्व + भाव = स्वभाव
- तंत्र – स्व + तंत्र = स्वतंत्र
- जन – स्व + जन = स्वजन
7. उदाहरण के अनुसार शब्द बनाए :
सुन्दर – सुन्दरता – सौंदर्य
प्रश्न 1.
- शूर – शूरता
- धीर – धीरता
- उदार – उदारता
- स्थिर – स्थिरता
उत्तर :
- शुर – शुरता – शौर्य
- धीर – धीरता – धैर्य
- उदार – उदारता- औदार्य
- स्थिर – स्थिरता – स्थैर्य
GSEB Solutions Class 9 Hindi स्वराज्य की नींव Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पांच-छ: वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
रानी लक्ष्मीबाई निराश क्यों हो गई?
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई के स्वराज्य पाने के प्रयत्न विफल हो रहे : थे। झांसी उनके हाथ से निकल गई थी। उनके पास शक्ति थी, फिर भी वे दुर्बल थीं। तात्या जैसे कुशल सेनापति के होते हुए भी सेना में अनुशासन नहीं था। रानी के सहयोगी विलासिता में डूबे हुए थे। वे युद्ध में साहस और शौर्य दिखाने के बदले ब्रह्मभोज के आयोजन में पड़े थे। ग्वालियर जैसा किला हाथ में होकर भी वे कुछ नहीं कर पा रही थीं। शत्रु को अपना शिकार बनाने के बदले वे अविश्वासों के शिकार बन रही थीं। अपने पक्ष की ऐसी स्थिति देखकर रानी लक्ष्मीबाई निराश हो गई।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
झांसी के बारे में रानी लक्ष्मीबाई क्या निश्चय करती हैं?
उत्तर :
रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी झाँसी अंग्रेजों को नहीं देने की प्रतिज्ञा की थी, लेकिन वह उनके हाथ से निकल गई। परंतु वे हिम्मत नहीं हारती और झांसी को फिर से लेने का निश्चय करती हैं।
प्रश्न 2.
बाबा गंगादास ने किसे स्वराज्य-प्राप्ति से बढ़कर बताया था?
उत्तर :
बाबा गंगादास ने बताया था कि स्वराज्य-प्राप्ति से बढ़कर है स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना। उन्होंने कहा था कि स्वराज्य की नींव का पत्थर बनकर ही स्वराज्य पाया जा सकता है।
प्रश्न 3.
जूही ने किसे दुत्कार दिया था?
उत्तर :
तात्या राव साहब के सामने नाचने के लिए जूही को बुलाने आया था। तब खरी-खोटी सुनाकर जूही ने तात्या को दुत्कार दिया था।
प्रश्न 4.
जूही किसके लिए नाच सकती थी? किसके लिए नहीं?
उत्तर :
जूही स्वराज्य के लिए नाच सकती थी। जो लोग विलासिता में डूबे थे, उनके लिए नहीं।
प्रश्न 5.
लक्ष्मीबाई को कौन-सा दर्द कचोट रहा था?
उत्तर :
लक्ष्मीबाई के सहयोगी विलासिता में डूबे हुए थे, लेकिन लक्ष्मीबाई उन्हें ठुकरा नहीं सकती थीं। उन्हें यही दर्द कचोट रहा था।
प्रश्न 6.
पेशवा की हार का समाचार पाकर रानी ने क्या कहा?
उत्तर :
पेशवा की हार का समाचार पाकर रानी ने कहा, “यह अच्छा हुआ, अब पेशवा की आँखें खुलेंगी।”
प्रश्न 7.
तोपों की आवाज़ सुनकर रानी ने तात्या से क्या व्यंग्य किया?
उत्तर :
तोपों की आवाज सुनकर रानी ने तात्या को व्यंग्य किया कि शायद अहाभोज के उपलक्ष्य में ये तोपें चल रही है। श्रीखंड और लडु के लिए घी-शक्कर की कमी तो नहीं पड़ी।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
जूही देश के लिए किसे ठुकरा सकती है?
उत्तर :
जूही देश के लिए अपने प्रेमी तात्या साहब को भी ठुकरा सकती है।
प्रश्न 2.
जूही अपनी कला को किनके गले की फांसी नहीं : बना सकती? :
उत्तर :
जूही अपनी कला को विलासिता में डूबे हुए लोगों के : गले की फांसी नहीं बना सकती।
प्रश्न 3.
रोज कौन था?
उत्तर :
रोज अंग्रेज़ी सेना का सेनापति था।
प्रश्न 4.
युद्ध में जाते समय रानी को क्या लगता है?
उत्तर :
युद्ध में जाते समय रानी को लगता है कि यह उनके ३ जीवन का अंतिम युद्ध है।
प्रश्न 5.
युद्ध में जाते समय मुंदर ने रानी के सामने क्या इच्छा प्रकट की?
उत्तर :
युद्ध में जाते समय मुंदर ने रानी के साथ रहने की इच्छा प्रकट की।
विभाग 1: गद्यलक्षी
निम्नलिखित विधान ‘सही’ है या ‘गलत’ यह बताइए:
प्रश्न 1.
- झांसी की रानी ने निश्चय किया मैं ग्वालियर का किला नहीं दूंगी।
- रानी की सेना के पास शक्ति है, फिर भी वह दुर्बल है।
- तात्या ब्रह्मभोज में लगे हुए थे।
- जूही अच्छी नर्तकी थी।
- लक्ष्मीबाई स्वराज की नींव का पत्थर बनना चाहती थीं।
उत्तर :
- गलत
- सही
- सही
- सही
- सही
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- झाँसी अपना कौन-सा राज्य अंग्रेजों से वापस लेने का निश्चय करती हैं?
- रानी लक्ष्मीबाई की दो सखियों के नाम बताइए।
- जूही युद्ध के समय कौन-सी जिम्मेदारी संभालती थी?
- रानी लक्ष्मीबाई किस बात से तात्या पर नाराज़ थी?
उत्तर :
- कालपी और ग्वालियर
- जूही और मुंदर
- तोपखाने की
- अनुशासनहीनता से
निम्नलिखित वाक्य कौन-किससे कहता है? यह लिखिए :
प्रश्न 1.
- “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।”
- “महारानी, आप तो गीता पढ़ती हैं।”
- “ओह, समझी! तुम तो उनका पक्ष लोगी ही?”
- “बाईसाहब, आप यूँ कब तक फटकारती रहेंगी?”
- “सरकार, आज में बराबर आपके साथ रहूंगी।”
- “और मैं तोपखाना संभालूंगी।”
उत्तर :
- रानी लक्ष्मीबाई ने जूही से कहा।
- जूही ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा।
- मुंदर ने जूही से कहा।
- तात्या ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा।
- मुंदर ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा।
- जूही ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए:
प्रश्न 1.
जूही के अनुसार रानी को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि …
(अ) वे बहादुर थीं।
(ब) उनके साथ कई वीर थे।
(क) वे गीता पड़ती थीं।
उत्तर :
जूही के अनुसार रानी को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे गीता पढ़ती थी।
प्रश्न 2.
जूही बातों-बातों में सेनापति तात्या का पक्ष लेती थी, क्योंकि …
(अ) तात्या के प्रति उसके मन में प्रेम था।
(ब) तात्या के पास बड़ी सेना थी।
(क) तात्या रानी लक्ष्मीबाई के कृपापात्र थे।
उत्तर :
जूही बातों-बातों में सेनापति तात्या का पक्ष लेती थी, क्योंकि तात्या के प्रति उसके मन में प्रेम था।
प्रश्न 3.
पेशवा की हार से लक्ष्मीबाई को खुशी हुई, क्योंकि ….
(अ) वे मन ही मन उनसे ईर्ष्या करती थीं।
(ब) वे उसे अपने रास्ते का काटा मानती थीं।
(क) पेशवा की आँखें खुलने के लिए यह जरूरी था।
उत्तर :
पेशवा की हार से लक्ष्मीबाई को खुशी हुई, क्योंकि पेशवा की आंखें खुलने के लिए यह जरूरी था।
प्रश्न 4.
रानी का मन कहता था कि …
(अ) उनकी विजय अवश्य होगी।
(ब) वह उनके जीवन का अंतिम युद्ध था।
(क) उनके सिपाही वीरता को कलंकित नहीं होने देंगे।
उत्तर :
रानी का मन कहता था कि वह उनके जीवन का अंतिम युद्ध था।
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
जिस …….. तुम जैसी नारियां रखने जा रही हैं, वह निश्चय ही महान होगा।
A. भवन की आधारशिला
B. क्रांति का नाम
C. अग्नि-पथ का नाम
D. स्वराज्य की नींव
उत्तर :
D. स्वराज्य की नींव
प्रश्न 2.
में ……..के लिए नाच सकती हूँ।
A. विजय
B. स्वराज्य
C. दुश्मन
D. प्रेमी
उत्तर :
B. स्वराज्य
प्रश्न 3.
वे ठोकर मारकर क्या दूर नहीं कर सकती ?
A. देश के लोगों की अज्ञानता
B. अपने सैनिकों की काहिली
C. अपने सरदारों की मदहोशी
D. अपने नायकों की बेहोशी
उत्तर :
C. अपने सरदारों की मदहोशी
प्रश्न 4.
जूही तात्या को कहाँ से खींचकर ला सकती है?
A. पाताल से
B. स्वर्ग से
C. नरक से
D. कहीं से भी
उत्तर :
A. पाताल से
प्रश्न 5.
लक्ष्मीबाई क्या पढ़ती है?
A. रामायण
B. गीता
C. गुरुचरित्र
D. ज्ञानेश्वरी
उत्तर :
B. गीता
प्रश्न 6.
जूही देश के लिए किसे ठुकरा सकती है?
A. माता को
B. पिता को
C. सभी को
D. सरदार को
उत्तर :
D. सरदार को
प्रश्न 7.
तोपें किसके उपलक्ष्य में चल रही थी?
A. विजय के
B. यज्ञ के
C. ब्रह्मभोज के
D. उत्सव के
उत्तर :
C. ब्रह्मभोज के
प्रश्न 8.
रानी लक्ष्मीबाई ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
A. युद्ध करने की
B. झाँसी को फिर से जीत लेने की
C. फिर से लड़ने की
D. अंतिम सांस तक लड़ने की
उत्तर :
B. झाँसी को फिर से जीत लेने की
प्रश्न 9.
जूही अच्छी ………. थी।
A. गायिका
B. नतंकी
C. वारांगना
D. विरहिणी
उत्तर :
B. नतंकी
विभाग 2 : व्याकरणलक्षी
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- प्रतिज्ञा
- नाविक
- सहसा
- प्रलय
- देव
- दुत्कार
- लज्जा
- नपुर
- अवरोध
- नेत्र
उत्तर :
- प्रण
- मल्लाह
- अचानक
- सर्वनाश
- भाग्य
- तिरस्कार
- शर्म
- पायल
- रुकावट
- नयन
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- स्वतंत्र × ………….
- सेवक × ………….
- दुर्बल × ………….
- नाराज × ………….
- गहरा × ………….
- कलंकित × ………….
- तीव्र × ………….
उत्तर :
- परतंत्र
- स्वामी
- सबल
- राजी
- उथला
- निष्कलंक
- मंद
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विग्रह करके लिखिए :
प्रश्न 1.
- स्वजन – ………….
- स्वराज्य – ………….
- स्वतंत्र – ………….
- वातावरण – ………….
- हिमालय – ………….
- आशीर्वाद – ………….
उत्तर :
- स्वजन = स्व + जन
- स्वराज्य = स्व + राज्य
- स्वतंत्र = स्व + तंत्र
- वातावरण = वात + आवरण
- हिमालय = हिम + आलय
- आशीर्वाद = आशीः + वाद
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- कौन कहता है कि हम विलासिता में डूब गए हैं?
- काश। हम उनकी मदहोशी दूर कर सकते तो बात ही क्या थी?
- लेकिन आज हमें देशभक्तों की आवश्यकता है।
- ब्राह्मणों के आशीर्वाद का स्वर और भी तेज़ हो जाएगा।
- कलंकित होने पर चोर का सिर लज्जा से झुक गया।
उत्तर :
- विलासिता
- मदहोशी
- आवश्यकता
- आशीर्वाद
- लज्जा
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- महासागर की डरावनी लहरें थपेड़े मारने लगती हैं।
- हमारे पास शक्ति है, फिर भी हम दुर्बल हैं।
- दोस्त की ठोकर अविश्वास की खाई को और भी चौड़ा कर देती है।
- मेरा मन कहता है कि यह मेरे जीवन का अंतिम युद्ध है।
- आपको हमें लज्जित करने का पूरा अधिकार है।
उत्तर :
- डरावनी
- दुर्बल
- चौड़ा
- अंतिम
- लज्जित
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :
प्रश्न 1.
- वह बुद्धिमान स्त्री है।
- सविता ने चंद्रिका को बुलायी।
- आप यहाँ बैठो।
- लताजी का आवाज़ मधुर है।
- आज मौसम अच्छी है।
- मैंने बस की टिकिट ली।
उत्तर :
- वह बुद्धिमती स्त्री है।
- सविता ने चंद्रिका को बुलाया।
- आप यहाँ बैठिए।
- लताजी की आवाज़ मधुर है।
- आज मौसम अच्छा है।
- मैंने बस का टिकट लिया।
निम्नलिखित महावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
अड़ जाना – रुकावट बनना, किसी बात को मनवाने की जिद करना
वाक्य : मैंने बहुत समझाया पर लड़का अपनी जिद पर अड़ गया।
थपेड़े मारना – लहरों का किनारे से टकराना, समस्याओं का तेजी से उभरना
वाक्य : तेज हवा के कारण सागर की लहरें किनारे पर थपेड़े मार रही थीं।
हाथ से निकल जाना – अपने बस में न रहना
वाक्य : मेरी लापरवाही से एक अच्छा मौका हाथ से निकल गया।
भूमि तैयार करना – आधार बनाना, भूमिका तैयार करना
वाक्य : दोनों पक्षों ने मिलकर सुलह की भूमि तैयार की।
नींद हराम करना – गहरी चिंता में डालना
वाक्य : आतंकवादियों ने सरकार की नींद हराम कर दी है।
पाताल से खींच लाना – किसी इच्छित वस्तु को कहीं से भी ढूँढ़ लाना
वाक्य : चौधरीजी चाहें तो ऐसी अंगूठी पाताल से भी खींच ला सकते हैं।
आंखें खुलना – सत्य समझ में आना
वाक्य : बिना ठोकर लगे किसी की आँखें नाहीं खुलतीं।
मौत से जूझना – साहस से मौत का सामना करना
वाक्य : तूफ़ानी सागर में वह देर तक मौत से जूझता रहा।
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहबानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- दुर्बल
- अनुशासन
- प्रलय
- उपलक्ष्य
- सार्थक
- विद्रोह
- निराश
- अविश्वास
- आछूत
उत्तर :
- दुर्बल – दुः (दुस) + बल
- अनुशासन – अनु + शासन
- प्रलय-प्र+ लय
- उपलक्ष्य – उप + लक्ष्य
- सार्थक – स + अर्थक
- विद्रोह-वि + द्रोह
- निराश – नि: (निस) + आश
- अविश्वास – अ + विश्वास
- अछूत – अ + छूत
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- कलंकित – ………….
- प्राप्ति – ………….
- क्षितिज – ………….
- नाविक – ………….
- रुकावट – ………….
- सच्चाई – ………….
- तूफानी – ………….
- सार्थकता – ………….
- वीरता – ………….
- अंतिम – ………….
- लज्जित – ………….
- प्रेमी – ………….
- सहयोगी – ………….
- विलासिता – ………….
- अंग्रेज़ी – ………….
- श्रेष्ठता – ………….
- औदार्य – ………….
- धैर्य – ………….
- स्थैर्य – ………….
- शौर्य – ………….
- सौंदर्य – ………….
- हीनता – ………….
उत्तर :
- कलंकित – कलंक + इत
- प्राप्ति – प्राप्त + इ
- क्षितिज – क्षिति + ज
- नाविक – नाव + इक
- रुकावट – रुक(ना) + वट
- सच्चाई – सच्चा + ई
- तूफानी – तूफ़ान + ई
- सार्थकता – सार्थक + ता
- वीरता – वीर + ता
- अंतिम – अंत + इम
- लज्जित – लज्जा + इत
- प्रेमी – प्रेम + ई
- सहयोगी – सहयोग + ई
- विलासिता – बिलस + इत (इता)
- अंग्रेज़ी – अंग्रेज़ + ई
- श्रेष्ठता – श्रेष्ठ + ता
- औदार्य – उदार + व
- धैर्य – धीर + व
- स्थैर्य – स्थिर + य
- शौर्य – शूर + य
- सौंदर्य – सुंदर + य
- हीनता – हीन + ता
स्वराज्य की नींव Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ લક્ષ્મીબાઈની નિરાશા : રાણી લક્ષ્મીબાઈ એ જોઈને નિરાશ થઈ ગઈ છે કે ઝાંસી, કાલપી અને ગ્વાલિયર સ્વતંત્રસેનાનીઓના થમાંથી જતાં રહ્યાં છે. ફક્ત ગ્વાલિયરનો કિલ્લો એમના અધિકારમાં રહ્યો છે. ઝાંસી પાછી મેળવવાનો નિશ્ચયઃ રાત્રી લક્ષ્મીબાઈ કોઈ પણ ભોગે અંગ્રેજોના હાથમાંથી ઝાંસી પાછી મેળવવાનો નિશ્ચય કરે છે.
રાણીની નિરાશાનાં કારણોઃ રાણીને એ વાતનું દુ:ખ છે કે તેમની સેનાના મોટા યોદ્ધાઓ રાવસાહેબ, બાંદાના નવાબ, રધુનાથરાવ વગેરે વિલાસમાં ડૂબેલા છે. તેમની પાસે શક્તિ છે, તોપણ તેઓ નિર્બળ છે. તાત્યા જેવો સેનાપતિ હોવા છતાં પણ સેનામાં શિસ્ત નથી. યુદ્ધની સઘન તૈયારી કરવાને બદલે બ્રહ્મભોજ કરવામાં આવી રહ્યો છે, તેને માટે શ્રીખંડ અને લાડુ તૈયાર કરાઈ રહ્યા છે. ગ્વાલિયર જેવો મજબૂત કિલ્લો તેમના હાથમાં છે, છતાં પણ તેઓ કશું કરી શક્યાં નથી.
જૂહી અને મુંદરઃ જૂહી અને મુંદર રાણી લક્ષ્મીબાઈની સખીઓ છે, જૂહી સેનાપતિ તાત્યાને અને સુંદર રઘુનાથરાવને ચાહે છે. જૂહી સારી નર્તકી છે પણ વિલાસીઓના મનોરંજન માટે નૃત્ય કરવા ઇચકતી નથી, સ્વરાજ્યને માટે તે પોતાના પ્રેમને પણ ઠોકર મારી શકે છે, મુંદર પણ યુદ્ધમાં રાણી લમીબાઈની સાથે જ રહેવા ઇચ્છે છે. તેને પણ પ્રેમ કરતાં સ્વરાજ્ય વધુ પ્રિય છે. યુદ્ધમાં જૂઠી તોપખાનાની જવાબદારી સ્વીકારે છે,
પેશવાની હારથી દુઃખ નહીં: રઘુનાથરાવ રાણીને મુરારમાં જનરલ રોઝની સેના દ્વારા પેશવાની ઘરના સમાચાર આપે છે. તે સાંભળીને રાણી કહે છે, “એ સારું જ થયું, હવે પેશવાની આંખો ઊપડશે.”
યુદ્ધને માટે તૈયાર થવાનો આદેશ : રાણી સેનાપતિ તાત્યાને યુદ્ધ માટે તૈયાર થવાનો આદેશ આપે છે. તેઓ કહે છે, “જાઓ તલવાર સંભાળો. ઝાંઝરના ક્ષકારની જગ્યાએ તોપોનું ગર્જન થવા દો.” રાણીની ચિંતા રાણીને લાગે છે કે આ તેમના જીવનનું છેલ્લું યુદ્ધ છે. તેમને કેવળ એ વાતની ચિંતા છે કે યુદ્ધમાં ક્યાંય એમની વીરતા કલંકિત ન થઈ જાય.
બાબા ગંગાદાસની વાણી : બાબા ગંગાદાસે રાણી લક્ષ્મીબાઈને કહ્યું હતું કે ફક્ત સેવા, તપસ્યા અને બલિદાનથી સ્વરાજ્ય મળી શકે છે, સ્વરાજ્યપ્રાપ્તિ કરતાં વધારે મહત્ત્વ સ્વરાજ્યની સ્થાપના માટે ભૂમિ તૈયાર કરવાનું અને સ્વરાજ્યના પાયાનો પથ્થર બનવાનું છે. લક્ષ્મીબાઈ, જૂહી, મુંદર વગેરે સ્વરાજ્યના પાયાના પથ્થરો બનવા ઇચ્છતાં હતાં.
स्वराज्य की नींव Summary in English
Disappointment of Laxmibai : The queen Laxmibal was disappointed when she saw that Zansi, Kalapt and Gwalior have been lost from the hands of Freedom fighters. Only the Fort of Gwalior has been in their authority.
Determination to get Zansi back: The queen Laxmibal determined to get Zansi back at any cost from the Britishers.
The reasons of the queen’s disappointment: The queen is sad because the great warriors of her army like Raosaheb, the navab of Banda, Raghunathrao, etc. have been living luxurious life. Though they have strength, they are weak.
Tatya is a captain but there is no disciple in his army. Instead of preparing for the battle, they are engrossed in Brahmbhojan. Shrikhand and laddus are being prepared. The strong fort of Gwalior is in their hands, but they can’t do anything.
Juhi and Mundar: Juht and Mundar are Laxmibai’s friends. Juhi loves the captain Tatya and Mundar loves Raghunathrao. Juhi is a good dancer but she does not like to dance to entertain the sensual. Mundar also wants to live with the queen Laxmibai in battle. She likes freedom rather than love. Juhi takes responsibility of the artillery in the battle.
No unhappiness by the defeat of Peshava : Raghunathrao gives news of Peshava’s defeat by the army of general Rose to the queen. Hearing the news the queen says. “It is good. Now Peshava’s eyes will open.”
Command to be ready for the battle : The queen commands to the captain Tatya to be ready for the battle. They say. “Go and take swords. Let the cannons roar in the place of Jingling anklets.”
The queen’s worry : The queen feels that it is the last battle of her life. She worries that their bravery may not be stigmatized in the battle.
The speech of Baba Gangadas: Baba Gangadas had once told the queen Laxmibai that freedom could be gained only by service, salvation and sacrifice. It was more important to prepare background for the freedom and be the pioneer stone of the freedom than to get freedom.
स्वराज्य की नींव Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हमारे देश के इतिहास का एक अमरपात्र है। उनका नाम आते ही हम श्रद्धा से नतमस्तक हो जाते है। प्रस्तुत एकांकी में लक्ष्मीबाई के साथ उनकी अन्य वीरांगनाओं के चरित्र की झलक भी देखने को मिलती है। लेखक का उद्देश्य स्वराज्य की नींव रखने में स्त्रियों की भूमिका को दिखाना है। सचमुच, इस एकांकी के पात्र स्वराज्य की नींव के पत्थर है। भारतवासियों में स्वराज्य के प्रति चेतना जगाने में उनके योगदान को हम भूल नहीं सकते।
पाठ का सार :
लक्ष्मीबाई की निराशा : रानी लक्ष्मीबाई यह देखकर निराश है कि झांसी, कालपी और ग्वालियर स्वतंत्रता सेनानियों के हाथ से निकल गए हैं, केवल ग्वालियर का किला उनके अधिकार में रहा है।
झाँसी लेने का निश्चय : रानी लक्ष्मीबाई किसी भी कीमत पर झाँसी अंग्रेज़ों के हाथ से वापस लेने का निश्चय करती हैं।
रानी की निराशा के कारण : रानी को दुःख इस बात का है कि उनकी सेना के बड़े योद्धा राव साहब, बौदा के नवाब, रघुनाथराव आदि विलास में डूबे हुए हैं। उनके पास शक्ति है, फिर भी वे दुर्बल हैं। तात्या जैसा सेनापति होते हुए भी सेना में अनुशासन नहीं है। युद्ध की ठोस तैयारी न कर वे ब्रह्मभोज में लगे हुए हैं। उसके लिए श्रीखंड और लङ्क तैयार किए जा रहे हैं। ग्वालियर जैसा दृढ़ किला उनके हाथ में है, फिर भी वे कुछ नहीं कर रहे हैं।
जूही और मुंदर : जूही और मुंदर रानी लक्ष्मीबाई की सखियाँ हैं। जूही सेनापति तात्या को चाहती है और मुंदर रघुनाथराव को। जूही अच्छी नर्तकी है, पर वह विलासियों के मनोरंजन के लिए नाचना नहीं चाहती। स्वराज्य के लिए वह अपने प्रेम को भी ठोकर मार सकती है। मुंदर भी युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई के साथ ही रहना चाहती है। उसे भी प्रेम से अधिक स्वराज्य प्यारा है। युद्ध में जूही तोपखाना संभालने की जिम्मेदारी लेती है।
पेशवा की हार पर दुःख नहीं : रघुनाथराव रानी को मुरार में जनरल रोज की सेना द्वारा पेशवा की हार का समाचार देता है। सुनकर रानी कहती है, “यह अच्छा ही हुआ। अब पेशवा की आँखें खुलेंगी।”
बुद्ध के लिए तैयार होने का आदेश : रानी सेनापति तात्या को युद्ध के लिए तैयार होने का आदेश देती है। वह कहती है, “जाओ, तलवार संभालो। नपुरों की झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन होने दो।”
रानी को चिंता : रानी को लगता है कि यह उसके जीवन का अंतिम युद्ध है। उसे केवल इसी बात की चिंता है कि युद्ध में उनकी वीरता कलंकित न हो जाए।
बाबा गंगादास की वाणी : बाबा गंगादास ने लक्ष्मीबाई से कहा था कि केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से ही स्वराज्य मिल सकता है। स्वराज्य-प्राप्ति से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है- स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना और स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना। लक्ष्मीबाई, जूही, मुंदर आदि स्वराज्य की नींव के पत्थर ही बनना चाहती थीं।
स्वराज्य की नींव शब्दार्थ :
- मंजिल – लक्ष्य।
- जूझना – संघर्ष करना, लड़ना।
- नाविक – मांझी, मल्लाह।
- क्षितिज – वह स्थान जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए-से दिखाई देते हैं।
- लपट – ज्वाला।
- प्रलय – सृष्टि का विनाश, सर्वनाश।
- ऐशो-आराम – भोग-विलास।
- सहसा – अचानक।
- तीन – तेज।
- दैव – ईश्वर, भाग्य।
- पक्ष लेना – तरफदारी करना।
- तथ्य – सच्चाई, सत्य।
- दुत्कारना – तिरस्कार करना, धिक्कारना।
- मदहोशी – नशे में होना।
- कचोटना – कष्ट देना।
- खाई – किले की रक्षा के लिए उसके चारों ओर खोदकर बनाई गई नहर ।
- लज्जा – शर्म।
- उपलक्ष्य – निमित्त, उद्देश्य।
- नूपुर – पायल।
- राग-रंग – भोग-विलास।
- रणभूमि – युद्ध का मैदान।
- कलंकित – बदनाम।
- कलंक – बदनामी।
- पृष्ठभूमि – पीछे का भाग, भूमिका।