Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 19 महाकवि कालिदास Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 19 महाकवि कालिदास
Std 9 GSEB Hindi Solutions महाकवि कालिदास Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
कालिदास के जन्मस्थान का नाम बताइये।
उत्तर :
कालिदास का जन्मस्थान उज्जयिनी (उज्जैन) माना जाता है।
प्रश्न 2.
मेघदूत का नायक कौन है?
उत्तर :
‘मेघदूत’ का नायक एक यक्ष है।
प्रश्न 3.
‘विक्रम संवत’ का प्रारंभ किसने करवाया था?
उत्तर :
विक्रमसंवत का आरंभ उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के तीन-चार वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कालिदास की अज्ञता किस बात से प्रकट होती है?
उत्तर :
निरक्षर कालिदास पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे, उसी को काट रहे थे। उनके इसी कार्य से उनकी अवता प्रकट होती है।
प्रश्न 2.
विद्योत्तमा का परिचय दीजिए।
उत्तर :
विद्योत्तमा राजा शारदानंद की पुत्री थी। वह गुणवती, विदुषी और बहुत सुंदर थी। उसके रूप, गुण और ज्ञान की प्रशंसा दूर-दूर तक फैली हुई थी। उसे अपने रूप, गुण और ज्ञान का बहुत धमंड था। उसने घोषणा की थी कि जो व्यक्ति उसे शास्त्रार्थ में पराजित करेगा, उसीके साथ वह विवाह करेगी।
प्रश्न 3.
महाकवि कालिदास की कृतियों के नाम दीजिए।
उत्तर :
महाकवि कालिदास की कृतियाँ :
- ऋतुसंहार
- मालविकाग्निमित्र
- विक्रमोर्वशीयम्
- कुमारसंभव
- मेघदूत
- रघुवंश और
- अभिज्ञानशाकुंतलम्।
3. निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
जिसमें सभी का हित समाया हुआ हो
उत्तर :
सर्वहितकारी
प्रश्न 2.
विद्वानों द्वारा की जानेवाली शास्त्रों की चर्चा
उत्तर :
शास्त्रार्थ
प्रश्न 3.
विद्या में जो उत्तम हो
उत्तर :
विद्योत्तमा
4. निम्नलिखित विधानों के रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- विद्योत्तमा के एक उँगली दिखाने में ………….. भाव था।
- सृष्टि का निर्माण …………. तत्त्वों के मेल से होता है।
- ऊँट की बोली सूनकर मूर्ख युवक …………….. बोल उठा।
उत्तर :
- ईश्वर के एक होने
- पांच
- उट्र – उट्र
GSEB Solutions Class 9 Hindi महाकवि कालिदास Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पांच-छ: वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
विक्रमादित्य कौन थे? उनके शासन में समाज और साहित्य की कैसी उन्नति हुई ?
उत्तर :
विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। उनके राज्य में प्रजा सब प्रकार से सुखी थी। देश वैभव-सम्पन्न था। साहित्य और कला का अभूतपूर्व उत्कर्ष हुआ था। इस युग में एक से बढ़कर एक कवि, साहित्यकार, संगीतकार और वैज्ञानिक उत्पन्न हुए। संस्कृत भाषा की खूब उन्नति हुई। राजा विक्रमादित्य ने समय-समय पर सोने के सिक्के चलाए। विक्रम संवत भी उन्होंने ही चलाया। इस प्रकार राजा विक्रमादित्य के शासन में देश की सभी क्षेत्रों में प्रगति हुई।
प्रश्न 2.
पंडितों और विद्वानों ने मूर्ख बुवक को शास्त्रार्थ के लिए कैसे तैयार किया?
उत्तर :
पंडितों और विद्वानों ने मूर्ख युवक को सुंदर राजकुमारी से विवाह करने के लिए तैयार किया। उन्होंने उसे समझाया कि वह कुछ बोलेगा नहीं, बस गूंगा बना रहेगा। यदि वह बोल देगा तो उसका विवाह नहीं होगा। वह मूर्ख बहुत खुश हुआ उसने पंडितों की बात मान ली। पंडितों ने उसे अच्छे कपड़े पहनाए और अपना गुरु और विद्वान बताकर शास्त्रार्थ के लिए उसे विद्योत्तमा के पास ले गए। इस प्रकार पंडितों और विद्वानों ने मूर्ख युवक को शास्वार्थ के लिए तैयार किया।
प्रश्न 3.
पंडितों और विद्वानों ने विद्योत्तमा से किस प्रकार बदला लिया?
उत्तर :
पंडित और विद्वान विद्योत्तमा के घमंड को तोड़ना चाहते थे। उन्होंने उसका विवाह किसी मूर्ख से कराने का निश्चय किया। उन्हें ऐसा एक मूर्ख मिल गया। पंडित और विद्वान उसे समझा-बुझाकर विद्योत्तमा के पास ले गए। उन्होंने उसे अपना गुरु और बहुत बड़ा विद्वान बताया और कहा कि अपने मौन व्रत के कारण ये संकेत से ही शास्त्रार्थ करेंगे। राजकुमारी पंडितों का छल समझ न सकी। शास्त्रार्थ के समय मूर्ख युवक ने राजकुमारी के प्रश्नों के मूर्खतापूर्ण उत्तर दिए पर पंडितों ने चतुराई से उन्हें सही उत्तर बताकर विद्योत्तमा को संतुष्ट कर दिया। विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में अपनी हार मान ली और मूर्ख युवक के साथ उसका विवाह हो गया। इस प्रकार पंडितों और विद्वानों ने विद्योत्तमा से बदला लिया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
पंडितों और विद्वानों ने विद्योत्तमा से बदला लेने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर :
विद्योत्तमा ने घोषणा की थी वह शास्त्रार्थ में उसे हरानेवाले से ही विवाह करेगी। विद्वान और पंडित उससे शास्त्रार्थ करने में ग्लानि का अनुभव कर रहे थे। इसलिए उन्होंने विद्योत्तमा से बदला लेने का निश्चय किया।
प्रश्न 2.
मूर्ख युवक का नाम कालिदास क्यों पड़ा?
उत्तर :
मूर्ख युवक ने माँ काली की उपासना की। देवी ने प्रसन्न होकर उसे सभी विधाओं में प्रवीण होने का वरदान दिया। इस तरह माँ काली की कृपा के कारण मूर्ख युवक बाद में ‘महाकवि कालिदास’ के नाम से विख्यात हुआ।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
महाकवि कालिदास किस राजा के दरबार के रल थे?
उत्तर :
महाकवि कालिदास राजा विक्रमादित्य के दरबार के रत्न थे।
प्रश्न 2.
युवा कालिदास को मूर्ख क्यों माना जाता है?
उत्तर :
युवा कालिदास को मूर्ख माना जाता है, क्योंकि वे वृक्ष की जिस डाल पर बैठे थे, उसीको काट रहे थे।
प्रश्न 3.
मूर्ख युवक ने पंडितों की बात क्यों मान ली?
उत्तर :
मूर्ख युवक ने पंडितों की बात मान ली, क्योंकि उन्होंने उसे सुन्दर राजकुमारी से विवाह का लालच दिया था।
प्रश्न 4.
विद्योत्तमा किसकी पुत्री थी?
उत्तर :
विद्योत्तमा राजा शारदानंद की पुत्री थी।
प्रश्न 5.
विद्योत्तमा को किस बात का घमंड था?
उत्तर :
विद्योत्तमा को अपने रूप, गुण और ज्ञान का घमंड था। :
प्रश्न 6.
विद्योत्तमा ने अपने विवाह के बारे में क्या घोषणा : की थी?
उत्तर :
विद्योत्तमा ने अपने विवाह के बारे में यह घोषणा की थी : कि जो व्यक्ति उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, उसौके साथ वह विवाह करेगी।
प्रश्न 7.
पंडितों ने विद्योत्तमा से किस प्रकार बदला लिया?
उत्तर :
पंडितों ने एक मूर्ख युवक से उसका विवाह करवाकर विद्योत्तमा से बदला लिया।
प्रश्न 8.
पंडितों ने विद्योत्तमा की एक उंगली के इशारे का क्या अर्थ बताया?
उत्तर :
पंडितों ने विद्योत्तमा की एक उँगली के इशारे का यह अर्थ बताया कि ईश्वर एक है।
प्रश्न 9.
मूर्ख युवक ने विद्योत्तमा की उंगली के इशारे को क्या समझा?
उत्तर :
मूर्ख युवक ने विद्योत्तमा की उँगली के इशारे को यह समझा कि वह उसकी एक आँख फोड़ना चाहती है।
प्रश्न 10.
मूर्ख युवक ने विद्योत्तमा को दो उँगलियाँ क्यों दिखाई ?
उत्तर :
मूर्ख युवक ने विद्योत्तमा की दोनों आँखे फोड़ने के लिए उसे दो उंगलियां दिखाई।
प्रश्न 11.
विद्योत्तमा ने पंचतत्त्वों का संकेत किस प्रकार किया?
उत्तर :
विद्योत्तमा ने अपनी पांच उँगलियाँ दिखाकर पंचतत्त्वों की ओर संकेत किया।
प्रश्न 12.
मूर्ख युवक की मुट्ठी का पंडितों ने क्या अर्थ बताया?
उत्तर :
मूर्ख युवक की मुद्रा का पंडितों ने यह अर्थ बताया कि पांच तत्त्वों के मिलने से ही सृष्टि का निर्माण होता है।
प्रश्न 13.
मेघदूत’ में दूत कौन है?
उत्तर :
‘मेघदूत’ में दूत बादल है।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- उन दिनों ……….. में राजा विक्रमादित्य का राज्य था। (धारानगरौ, उज्जयिनी)
- महाकवि कालिदास शुरू से ………………. नहीं थे। (विद्वान, मूर्ख)
- कालिदास के ………………. प्रमुख ग्रंथ हैं। (सात, पाँच)
- विद्योत्तमा ने ………….. में उसे हरानेवाले से विवाह करने की घोषणा की थी। (शास्वार्थ, वाद-विवाद)
- विद्योत्तमा ने अपनी पाँच उँगलियाँ दिखाकर …………….. की ओर संकेत किया। (पंडित, पंचतत्त्वों)
उत्तर :
- उज्जयिनी
- विद्वान
- सात
- शास्त्रार्थ
- पंचतत्त्वों
निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
प्रश्न 1.
- कालिदास शुरू से ही विद्वान थे।
- एक उंगली उठाने का अर्थ – ‘ईश्वर एक है’ ऐसा बताया।
- शास्त्रार्थ में विद्योत्तमा जीत गई।
- कालिदास को मां जगदंबा का वरदान मिला।
- कालिदास ने संस्कृत के सात ग्रंथों की रचनाएं की।
- ‘मेघदूत’ में वर्षाकाल और विरह का वर्णन किया गया है।
- विक्रमादित्य के दरबार में सात रत्न थे।
- राजा विक्रमादित्य साहित्य और संगीत के अच्छे जानकार नहीं थे।
उत्तर :
- गलत
- सही
- गलत
- गलत
- सही
- सही
- गलत
- गलत
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- संस्कृत के महाकवि के रूप में हम किसे जानते हैं?
- कालिदास का जन्मस्थान कौन-सा है?
- कालिदास युवावस्था में कैसे थे?
- बाद में कालिदास को किसका वरदान मिला?
उत्तर :
- कालिदास को
- उज्जयिनी
- मूर्ख
- माँ काली का
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
महाकवि कालिदास …
(अ) बाण से पहले हुए थे।
(ब) बाण के बाद हुए थे।
(क) बाण के समकालीन थे।
उत्तर :
महाकवि कालिदास बाण से पहले हुए थे।
प्रश्न 2.
पंडितों ने मूर्ख युवक को …
(अ) बहुत बड़ा शास्त्रकार बताया।
(ब) वक्ता और उपदेशक बताया।
(क) अपना गुरु और बहुत बड़ा विद्वान बताया।
उत्तर :
पंडितों ने मूर्ख युवक को अपना गुरु और बहुत बड़ा विद्वान बताया।
प्रश्न 3.
कालिदास विश्वविख्यात हैं ….
(अ) अपने नाटकों के लिए।
(ब) अपने पात्रों के लिए।
(क) अपनी उपमाओं के लिए।
उत्तर :
कालिदास विश्वविख्यात है अपनी उपमाओं के लिए।
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
राजा विक्रमादित्य का राज्य कहाँ था?
A. धारानगरी में
B. उज्जयिनी में
C. पाटलीपुत्र में
D. श्रावस्ती में
उत्तर :
B. उज्जयिनी में
प्रश्न 2.
कालिदास किन में प्रवीण हो गए?
A. कलाओं में
B. विधाओं में
C. शास्त्रों में
D. तंत्रों में
उत्तर :
B. विधाओं में
प्रश्न 3.
‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ में …
A. राजा भोज और उसकी रानी की कथा है।
B. राजा भीमसेन और पद्मावती की कथा है।
C. राजा दुष्यंत और शकुंतला की कथा है।
D. राजा पुष्पसेन और वल्लरी की कथा है।
उत्तर :
C. राजा दुष्यंत और शकुंतला की कथा है।
प्रश्न 4.
विक्रमादित्य कौन थे?
A. उज्जैन के मंत्री
B. उज्जैन के राजा
C. उज्जैन के कवि
D. उज्जैन के साहित्यकार
उत्तर :
B. उज्जैन के राजा
प्रश्न 5.
मूर्ख युवक का नाम कालिदास क्यों पड़ा?
A. उनके घरवालों ने यह नाम रखा था।
B. उनकी मां ने यह नाम रखा था।
C. माँ काली की कृपा के कारण।
D. माँ काली का पुत्र होने के कारण।
उत्तर :
C. माँ काली की कृपा के कारण।
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- अनुरोध
- निरक्षर
- रोचक
- ग्लानि
- यकायक
- उपासना
- विधा
- प्रवीण
- अनावृत्त
- शीघ्र
उत्तर :
- आग्रह
- अनपढ़
- दिलचस्प
- दुःख
- अचानक
- पूजा
- शाखा
- कुशल
- खुला हुआ
- जल्दी
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए:
प्रश्न 1.
- आवृस
- मंद
- पंडित
- निर्माण
- संस्कृत
- निरक्षर
उत्तर :
- अनावृत्त
- तीन
- मूर्ख
- विनाश
- असंस्कृत
- साक्षर
निम्नलिखित शब्दों की सही वर्तनी लिखिए :
- कालीदास
- वीक्रमादीत्य
- बीद्योतमा
- प्रविण
- इस्वर
उत्तर :
- कालिदास
- विक्रमादित्य
- विद्योत्तमा
- प्रवीण
- ईश्वर
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विग्रह करके लिखिए :
प्रश्न 1.
- उपेक्षा
- गुरुपदेश
- विद्योत्तमा
- उत्तराधिकारी
- शास्त्रार्थ
- निरक्षर
- व्याधि
उत्तर :
- उपेक्षा = उप + ईक्षा
- गुरुपदेश = गुरु + उपदेश
- विद्योत्तमा = विद्या + उत्तमा
- उत्तराधिकारी = उत्तर + अधिकारी
- शास्त्रार्थ = शास्त्र + अर्थ
- निरक्षर = निः + अक्षर
- व्याधि = वि + आधि
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- संस्कृत साहित्य में कालिदास की विद्वत्ता के अनेक प्रशंसक हैं।
- विद्योत्तमा अत्यंत ही सुंदर, जानी और गुणी थी, इसलिए लोग उसकी प्रशंसा करते थे।
- समाज में नारी को बड़े सम्मान के साथ देखा जाता था।
- कालिदास ने बाद में अनेक विषयों में प्रावीण्य प्राप्त कर लिया।
उत्तर :
- विद्वत्ता
- प्रशंसा
- सम्मान
- प्रावीण्य
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से कर्तृवाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए:
प्रश्न 1.
- कालिदास संस्कृत साहित्य के महान कवि के रूप में
- राजा विक्रमादित्य स्वयं साहित्य और संगीत के अच्छे जानकार थे।
- संस्कृत के महान साहित्यकारों में उनका नाम लिया
- विद्योत्तमा के अनेक प्रशंसक उसकी सुंदरता, गुण और ज्ञान की प्रशंसा करते थे।
उत्तर :
- कवि
- जानकार
- साहित्यकार
- प्रशंसक
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- बच्चों का पारिवारिक रक्षक
- साहित्य की रचना करनेवाला
- देखने लायक
उत्तर :
- अभिभावक
- साहित्यकार
- दर्शनीय
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- उपलब्ध
- प्रोत्साहन
- उन्नति
- अत्यंत
- अनपढ़
- अनावृत्त
- निरक्षर
- अक्षर
- उपासना
- अभूतपूर्व
- प्रगति
- संस्कृत
- विख्यात
- अज्ञता
- विख्याति
- वरदान
- असंस्कृत
- उपेक्षा
- सुदृढ़
- व्याधि
उत्तर :
- उपलब्ध – उप + लब्ध
- प्रोत्साहन – प्र + उत्साहन
- उन्नति – उत् + नति
- अत्यंत – अति + अन्त
- अनपढ़ – अन् + पढ़
- अनावृत्त – अन् + आवृत्त
- निरक्षर – निर् + अक्षर
- अक्षर – अ + क्षर
- उपासना – उप + आसना
- अभूतपूर्व – अ + भूतपूर्व
- प्रगति – प्र + गति
- संस्कृत – सम् + स्कृत
- विख्यात – वि + ख्यात
- अज्ञता – अ + ज्ञता
- विख्याति – वि + ख्याति
- वरदान – वर + दान
- असंस्कृत – अ + संस्कृत
- उपेक्षा – उप + ईक्षा
- सुदृढ़ – सु + दृढ
- व्याधि – वि + आधि
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- ऐतिहासिक
- भौगोलिक
- प्रामाणित
- पंडिताइन
- मालविका
- प्रेमिका
- साहित्यिक
- पारिवारिक
- ऊंचाई
- दिलचस्प
- दर्शनीय
- वैज्ञानिक
- विद्वान
- चतुराई
- अज्ञता
- पद्मावत
- प्रशंसक
- जानकार
- साहित्यकार
- आवश्यकता
- हितकारी
उत्तर :
- ऐतिहासिक – इतिहास + इक
- भौगोलिक – भूगोल + इक
- प्रामाणित – प्रमाण + इत
- पंडिताइन – पंडित + आइन
- मालविका – मालव + इका
- प्रेमिका – प्रेम + इका
- साहित्यिक – साहित्य + इक
- पारिवारिक – परिवार + इक
- ऊंचाई – ऊँचा + ई
- दिलचस्प – दिल + चस्प
- दर्शनीय – दर्शन + ईय
- वैज्ञानिक – विज्ञान + इक
- विद्वान – विद् + वान
- चतुराई – चतुर + आई
- अज्ञता – अज्ञ + ता
- पद्यावत – पद्म + वत
- प्रशंसक – प्रशंसा + क
- जानकार – जान(ना) + कार
- साहित्यकार – साहित्य + कार
- आवश्यकता – आवश्यक + ता
- हितकारी – हित + कार(ई)
महाकवि कालिदास Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
જન્મ અને પરિચય : મહાકવિના જન્મસ્થાન વિશે નક્કર માહિતીનો અભાવ છે. કેટલાક વિદ્વાનો તેમનો જન્મ ઈ. સ. 395માં તથા મૃત્યુ ઈ. સ. 145માં માને છે. તેમનો જન્મ ઉજ્જૈનમાં થયેલો મનાય છે. (ઉજ્જૈનમાં રાજા વિક્રમાદિત્યનું શાસન હતું. તેમના રાજ્યમાં પ્રજા સર્વ રીતે સુખી હતી. સાહિત્ય અને ક્ષાનો ખૂબ વિકાસ થયો હતો. રાજા વિક્રમાદિત્યે સમયે સમયે સોનાના સિક્કા પ્રચલિત કર્યા હતા. તેમના પ્રોત્સાહનથી સંસ્કૃત ભાષાનો ખૂબ વિકાસ થયો હતો.
કાલિદાસની યુવાવસ્થા: એમ કહેવાય છે કે યુવાવસ્થા સુધી કાલિદાસ નિરક્ષર હતા, તેઓ વૃક્ષની જે ડાળી પર બેસતા હતા તેને જુ કાપતા તા.
વિદ્યોત્તમા : વિદ્યોત્તમા રાજા શારદાનંદની અત્યંત સુંદર અને ગુણવતી પુત્રી હતી. તેને પોતાનાં રૂપ, ગુણ અને જ્ઞાનનું ખૂબ અભિમાન હતું. મોટા મોટા વિદ્વાનો અને પંડિતો પણ તેની સાથે શાસ્ત્રાર્થ કરવાની હિંમત કરી શકતા નહોતા. કેટલાક ઈર્ષાળુ પંડિતોએ તેનો વિવાહ કોઈ મૂર્ખ સાથે કરાવવાનો નિશ્ચય કર્યો. તેમણે મૂર્ખ યુવક કાલિદાસને તેની સાથે વિવાહ કરવા માટે તૈયાર કર્યો. પંડિતોની સલાહ પ્રમાણે શાસ્ત્રાર્થ વખતે કાલિદાસ મૌન રહ્યા, ફક્ત ઇશારાથી તેમણે શાસ્ત્રાર્થ કર્યો.
શાસ્ત્રાર્થ : શાસ્ત્રાર્થ સમયે વિદ્યોત્તમાએ એક આંગળી બતાવી. એનો અર્થ હતો કે ઈશ્વર એક છે, કાલિદાસ સમજ્યા કે ઓ મારી એક આંખ ફોડવા ઇચ્છે છે. તેમણે બે આંગળી બતાવીને ઇશારો કર્યો કે હું તારી બંને આંખો ફોડી નાખીશ. પંડિતોએ આનો અર્થ કર્યો કે ઈશ્વર અને જીવ બે છે. એ પછી વિદ્યોત્તમાએ પાંચ આંગળીઓ બતાવીને પંચતત્ત્વનો સંકેત કર્યો. કાલિદાસ આને તમાચો મારવાનો સંકેત સમજ્યા અને મુઠ્ઠી બતાવીને મુક્કો મારવાનો સંકેત ક્યોં. પંડિતોએ આનો અર્થ કર્યો કે પાંચ તત્ત્વો મળવાથી સૃષ્ટિનું નિર્માણ થાય છે, – વિવાહ : શાસ્ત્રાર્થમાં વિદ્યોત્તમાએ પોતાની હાર માની લીધી. આ પ્રકારે પડિતોના છળને કારણે તેનો વિવાહ મુખ કાલિદાસ સાથે થઈ ગયો.
ભેદ ભૂલી ગયો : વિદ્યોત્તમા જલદી સમજી ગઈ કે પંડિતોએ છળ કરીને તેનો વિવાહ એક મૂર્ખ યુવક સાથે કરાવી દીધો છે. તેને | ખૂબ દુ:ખ થયું. તેણે પોતાના મહેલમાં કાલિદાસના પ્રવેશ પર રોક લગાવી દીધી.
મહાકાળીનું વરદાન : કહે છે કે આ પછી કાલિદાસે મહાકાળીની ઉપાસના કરીને તેમને પ્રસન્ન કર્યા. માના વરદાનથી તેમને બધી વિધાઓ (સાહિત્ય પ્રકારો)નું જ્ઞાન પ્રાપ્ત થઈ ગયું. આથી જ તેમનું નામ ‘કાલિદાસ” પડી ગયું.
મહાકવિ કાલિદાસ : મહાકવિ કાલિદાસે સંસ્કૃતમાં સાત ગ્રંથોની રચના કરી છે :
- ઋતુસંહાર – આમાં ઋતુઓ તથા પ્રકૃતિનું સુંદર ચિત્રણ થયું છે.
- માલવિકાગ્નિમિત્ર – આમાં વિદિશાના રાજા અગ્નિમિત્ર અને વિદર્ભની રાજકુમારી માલવિકાની પ્રેમકથા છે.
- વિક્રમોર્વશીયમ્ – આ મહારાજ પુરુરવા અને અપ્સરા ઉર્વશીની પ્રેમકથા છે.
- કુમારસંભવ – આમાં શિવ-પાર્વતીના વિવાહથી માંડીને કુમાર કાતિકિયના જન્મ અને તેના દ્વારા તારકાસુરના વધનું વર્ણન છે. ‘
- મેઘદૂત – આમાં એક યક્ષના વિરહનું ચિત્રણ છે, યક્ષ મેઘને દૂત બનાવીને પોતાનો સંદેશ પોતાની પ્રેમિકાને પહોંચાડે છે.
- રઘુવંશ – આમાં રામના વંશનો પરિચય છે.
- અભિજ્ઞાનશાકુંતલમ્ – આ કાલિદાસની સર્વશ્રેષ્ઠ કૃતિ છે. આમાં રાજા દુષ્યન્ત અને શકુંતલાનો પ્રેમ નાટક સ્વરૂપે ખૂબ સુંદર રીતે પ્રસ્તુત કરવામાં આવ્યો છે.
કાલિદાસનું મહત્વ: મહાકવિ કાલિદાસ મહારાજ વિક્રમાદિત્યનાં નવ રત્નોમાં એક હતા. તેઓ આપડ્યા સંસ્કૃત સાહિત્યમાં સદા અમર રહેશે, તેમની રચનાઓમાં તેમના સમયના ઇતિહાસ, સાહિત્ય, શાસન, રાજનીતિ અને સમાજ વિશેની માહિતી પ્રાપ્ત થાય છે.
महाकवि कालिदास Summary in English
Birth and introduction: There is no authentic Information about the birthplace of the great poet Kalidas. Some learned persons believe that he was born in 365 and died in 445. It is believed that he was born in Uljain. King Vikramaditya was ruled over Ujjain.
People in his state were happy. Literature and art were developed too much. King Vikramaditya prevalented gold coins many times. Sanskrit language was developed too much because of the king’s encouragement.
Youth of Kalidas: It is said that Kalidas was illiterate till his youth. He would cut the branch of a tree on which he sat.
Vidyottama : Vidyottama was a very beautiful and virtuous daughter of the king Sharadanand. She was very proud of her beauty, virtuous and knowledge. Even great learned persons did not dare to compete with her in philosophy. Some jealous learned persons decided her to get marry a foolish person. They prepared foolish Kalidas to marry her. According to the advice of the learned persons Kalidas kept quiet at the time on discussion on philosophy. He discussed only by hint.
Discussion on philosophy : At the time of discussion on philosophy Vidyottama showed him her one finger. It means there is only one God. Kalidas understood that she wanted to split his one eye. He showed her his two fingers and gave a hint that he would split her two eyes. The learned persons meant it that there are two – God and soul.
Then Vidyottama showed him her five fingers and gave a hint that there were five elements. Kalidas understood that she wanted him to slap. He showed his fist and gave a hint that he would beat her a fist. The learned persons meant it that the creation of universe is done by meeting five elements.
Marriage : In the discussion of philosophy Vidyottama accepted her defeat. In this way because of intrigue of the learned persons she married with foolish Kalidas.
Intrigue was opened : Vidyottama soon came to know that the learned persons had got her to marry with a foolish young man by intrigue.
She became sad. She prohibited Kalidas to enter her palace.
Mahakall’s boon: It is said that then Kalidas prayed Mahakali to please her. She appeared and gave a boon and Kalidas got the knowledge of all learnings. So he was named ‘Kalidas’.
The great poet Kalldas : The great poet Kalidas wrote seven volums in Sanskrit:
- Rutusanhar : There is a beautiful description of seasons and nature in it.
- Malvaikagnimitra : There is a love story of the king Agnimitra of Vidisha and the princess Malvika of Vidarbha in it.
- Vikramorvashiyam : It is a love story of Maharaja Pururava and Apsara Urvashi,
- Kumarsambhav: There is a description from Shiva – Parvati marriage to Kartikey’s birth and killing of Tarakasur by him in it.
- Meghdoot : There is a sketch of Yaksha’s separation. Yaksha made the cloud his messanger and conveyed his message to his lover.
- Raghuvansh : There is an introduction of Ram’s family.
- Abhignanshakuntalam : This is the best creation of Kalidas. In this volume love of Dushyant and Shakuntala is introduced beautifully in the form of drama.
Importance of Kalidas : The great poet Kalidas was one of the nine diamonds of Maharaja Vikramaditya. He will always be immortal in the literature of Sanskrit. We get information of history, literature, rule, politics and society of his time from his volumes.
महाकवि कालिदास Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
कालिदास संस्कृत भाषा के महाकवि हैं। उनके बारे में ऐतिहासिक और भौगोलिक जानकारी प्रमाणित रूप से नहीं मिलती। प्रस्तुत लेख में लेखक ने कालिदास के बारे में उपलब्ध जानकारी देने का प्रयास किया है।
पाठ का सार :
जन्म और परिचय : महाकवि के जन्मस्थान के बारे में ठोस जानकारी का अभाव है। कुछ विद्वान उनका जन्म 365 1. मैं तथा निधन 445 ई. मैं मानते हैं। उनका जन्मस्थान उज्जयिनी (उज्जैन) बताया जाता है। उज्जैन में राजा विक्रमादित्य का शासन था। उनके राज्य में प्रजा सब प्रकार से सुखी थी। साहित्य और कला का भी खूब विकास हुआ। राजा विक्रमादित्य ने समय-समय पर सोने के सिक्के चलाए थे। उनके प्रोत्साहन से संस्कृत भाषा की खूब उन्नति हुई थी।
कालिदास की युवावस्था : ऐसा कहा जाता है कि युवावस्था तक कालिदास निरक्षर थे। वे पेड़ की जिस डाल पर बैठते, उसी को काटते थे।
विद्योत्तमा : विद्योत्तमा राजा शारदानंद की अत्यन्त सुंदर और गुणवती पुत्री थी। उसे अपने रूप, गुण और ज्ञान का बहुत घमंड था। बड़े-बड़े विद्वान और पंडित भी उससे शास्त्रार्थ करने का साहस नहीं करते थे। कुछ ईष्यालु पंडितों ने उसका विवाह किसी मूर्ख से कराने का निश्चय किया। उन्होंने मूर्ख युवक कालिदास को उससे विवाह करने के लिए तैयार किया। पंडितों की सलाह के अनुसार शास्त्रार्थ के समय कालिदास मौन रहे। बस, इशारों से शास्त्रार्थ हुआ।
शास्त्रार्थ : शास्त्रार्थ के समय विद्योत्तमा ने एक डैगली उठाई। इसका अर्थ था- ईश्वर एक है। कालिदास समझे कि यह मेरी एक
आँख फोड़ना चाहती है। उन्होंने दो उँगलियाँ उठाकर इशारा किया कि मैं तेरी दोनों आँखें फोड़ दूंगा। पंडितों ने इसका यह अर्थ लगाया कि ईश्वर और जीव दो हैं। इसके बाद विद्योत्तमा ने पांच उंगलियाँ दिखाकर पाँच तत्वों का संकेत किया। कालिदास ने इसे तमाचा मारने का संकेत समझा और मुट्ठी दिखाकर धूंसा मारने का संकेत किया। पंडितों ने इसका यह अर्थ बताया कि पाँच तत्त्वों के मिलने से ही सृष्टि का निर्माण होता है।
विवाह : शास्त्रार्थ में विद्योत्तमा ने अपनी हार मान ली। इस प्रकार पंडितों के छल के कारण मूर्ख युवक से उसका विवाह हो गया।
भेद खुल गया : परंतु विद्योत्तमा जल्दी ही समझ गई कि पंडितों ने धोखे से उसका विवाह एक मूर्ख युवक से करा दिया है। उसे बहुत दुःख हुआ। उसने अपने महल में कालिदास के प्रवेश पर रोक लगा दी।
माँ काली का वरदान : कहते हैं कि इसके बाद कालिदास ने माँ काली की उपासना कर उन्हें प्रसन्न किया। माँ के वरदान से उन्हें सारी विधाओं का ज्ञान प्राप्त हो गया। इसी से उनका नाम कालिदास पड़ा।
महाकवि कालिदास : महाकवि कालिदास ने संस्कृत में इन सात ग्रंथों की रचना की :
- ऋतुसंहार – इसमें ऋतुओं का तथा प्रकृति का सुंदर चित्रण है।
- मालविकाग्निमित्र – इसमें विदिशा के राजा अग्निमित्र और विदर्भ की राजकुमारी मालविका की प्रणयकथा है।
- विक्रमोर्वशीयम् – यह महाराज पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी की प्रणवकथा है।
- कुमारसंभव – इसमें शिव-पार्वती के विवाह से लेकर कुमार कार्तिकेय के जन्म तथा उसके द्वारा तारकासुर के वध का वर्णन है।
- मेघदूत – इसमें एक यक्ष के विरह का चित्रण है। यक्ष मेघ को दूत बनाकर अपना संदेश मेघ द्वारा अपनी प्रेमिका को पहुंचाता है।
- रघुवंश – इसमें राम के वंश का परिचय है।
- अभिज्ञानशाकुंतलम् – यह कालिदास की सर्वोत्कृष्ट कृति है। इसमें राजा दुष्यन्त और शकुंतला के प्रेम को नाटक के रूप में बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया गया है।
कालिदास का महत्त्व : महाकवि कालिदास महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। वे हमारे संस्कृत साहित्य में सदा अमर रहेंगे। उनकी रचनाओं में उनके समय के इतिहास, साहित्य, शासन, राजनीति तथा समाज के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
महाकवि कालिदास शब्दार्थ :
- अभिभावक – बच्चों के पारिवारिक रक्षक।
- दर्शनीय – देखने लायक।
- अनुरोध – आग्रह।
- चरम सीमा – पूरी ऊँचाई।
- निरक्षर – अनपढ़।
- रोचक – दिलचस्प।
- शास्त्रार्थ – शास्त्र संबंधी अर्थ।
- ग्लानि – दु:ख।
- मौन – न बोलना।
- उपरोक्त – ऊपर कहा हुआ।
- यकायक (एकाएक) – अचानक।
- उपासना – पूजा।
- शीघ्र – जल्दी।
- विधा – शाखा।
- प्रवीण – कुशल।
- अनावृत्त – खुला हुआ।
- देहि – दो।
कठिन पंक्तियों का अर्थ :
- अनावृत्त कपाट द्वार देहि – बंध द्वार खोलो।
- अस्ति कश्चित् वाग्विशेषः – वाणी में कुछ विशेष है?