Gujarat Board GSEB Textbook Solutions Class 10 Social Science Chapter 3 भारत की साँस्कृतिक विरासत : शिल्प और स्थापत्य Textbook Exercise Important Questions and Answers.
भारत की साँस्कृतिक विरासत : शिल्प और स्थापत्य Class 10 GSEB Solutions Social Science Chapter 3
GSEB Class 10 Social Science भारत की साँस्कृतिक विरासत : शिल्प और स्थापत्य Textbook Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए:
પ્રશ્ન 1.
प्राचीन भारत की नगर आयोजना समझाइए ।
उत्तर:
भारत प्राचीन समय से नगर आयोजन में निपुणता रखता है ।
→ पुरातत्त्वीय उत्खनन से अनेक प्राचीन नगर प्राप्त हुए है ।
इन नगरों के मुख्य तीन विभाग है:
(1) शासक अधिकारियों का किला (सिटेडेल)
(2) अन्य अधिकारियों के आवासवाला उपनगर ।
(3) सामान्य नागरिकों के आवासवाला निचला नगर । (निम्ननगर)
* शासक अधिकारियों के किले ऊँचाई पर बनाए जाते थे ।
* ऊपर का नगर भी रक्षात्मक दिवारों से सुरक्षित होता था। यहाँ दो से पाँच कमरोंवाले मकान होते थे ।
* निम्न नगर के मकान सामान्यतः हाथों से बनी ईंटों के बनाए जाते थे ।
* सिंधु घाटी की संस्कृति की प्रजा स्थापत्य के क्षेत्र में उस समय की सभी संस्कृतियों से सुंदर और व्यवस्थित नगर विकसित हुए थे ।
नगर की व्यवस्था:
(1) नगर संरचना
(2) मार्ग (3) गटर योजना
(4) सार्वजनिक मकान
(5) सार्वजनिक स्नानागार ।
પ્રશ્ન 2.
मोहें-जो-दड़ो की नगर रचना में मार्ग और गटर योजना की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
ई.स. 1922 में सर जॉन मार्शल और कर्जन मेक के मार्गदर्शन के अधीन रखालदास बेनर्जी और दयाराम सहानी नामक भारतीय पुरातत्त्वविदों ने सिंध में खुदाई के आधार पर निम्नानुसार नगर के तत्त्व पाए जाते है ।
(1) मार्ग:
- इस नगर की रचना का विशिष्ट लक्षण यहाँ के मार्ग है ।
- यहाँ के मार्ग 9.75 मीटर चोड़े थे ।
- छोटे-बड़े मार्गों समकोण पर मिलते थे ।
- एक से अधिक वाहन गुजरे इतने चौड़े थे ।
- रास्ते के आसपास रात्रि प्रकाश के लिए खंभे होते है ।
- नगर के मार्ग सीधे और चौड़े होते थे, कहीं भी मोड़ नहीं थे ।
- दो राजमार्ग होते है । एक मार्ग उत्तर से दक्षिण और दूसरा पश्चिम की तरफ जाता है । दोनों मार्ग मध्य में समकोण पर मिलती है ।
(2) गटर योजना:
गटर योजना इस नगर की विशिष्टता रही है ।
- यह गटर योजना समकालीन सभ्यताओं में भूमध्य सागर के क्रीट नगर के अलावा कहीं नहीं थी ।
- नगर में से गंदा पानी के निकास के गटर बनाए जाते है ।
- प्रत्येक मकान में एक खार कुआ होता था ।
- ऐसी सुव्यवस्थित गटर योजना से लगता है कि उस समय सफाई की कार्यक्षम व्यवस्था होती थी ।
- इसको देखकर लगता है कि उस समय प्रजा के स्वास्थ्य और सफाई का कितना ध्यान रखा जाता था ।
પ્રશ્ન 3.
गुजरात की गुफाओं की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
गुजरात में निम्नलिखित गुफाएँ प्राप्त हुई है:
(1) जूनागढ़ गुफाएँ : जूनागढ़ में तीन गुफाओं का समूह प्राप्त हुआ है ।
(i) बावाप्यारा का गुफासमूह : यह गुफा बावाप्यारा के मठ के पास आयी है । ये गुफाएँ तीन क्रम में और लगभग समकोण में जुड़ी है । पहले क्रम में चार, दूसरे क्रम में सात और तीसरे क्रम में पाँच गुफाएँ प्राप्त हुई है । कुल 16 गुफाएँ है । वे ई.सन् के आरंभ की दूसरी-पहली सदी के दरमियान बनाई गयी है ।
(ii) ऊपरकोट की गुफाएँ: ये गुफाएँ दो मंजीलें थी, नीचे-ऊपर जाने की सोपान श्रेणी है । ऊपरकोट की गुफाएँ ई.स. दूसरी सदी के उत्तरार्द्ध से चौथी सदी के पूर्वार्द्ध तक बनाई गयी है ।
(iii) खापरा कोडिया की गुफाएँ – कुंड उपर की गुफाएँ : ये गुफाएँ मंजीलोंवाली होती होगी ऐसा प्राप्त अवशेषों से पता चलता है । इन गुफाओं में कुल 20 स्तंभ है । इस गुफा का निर्माण ई.स. की तीसरी सदी में होने का अनुमान है ।
(2) खंभालीडा गुफा: राजकोट से 70 कि.मी. दूर भावनगर जिले में ई.स. 1959 में ये गुफाएँ प्राप्त हुई थी । इनमें तीन गुफाएँ विशेष है । बीच की गुफा स्तूपयुक्त, चैत्याग्रह, प्रवेश मार्ग के उभय तरफ वृक्ष के सहारे खड़ी बौद्धिसत्व और कुछ उपासकों की बड़ी आकृतियाँ दूसरी-तीसरी सदी की है ।
(3) तलाजा गुफा: शेāजी नदी के मुख के पास भावनगर जिले में तलाजा का पर्वत आया हुआ है । यह ‘ताल ध्वजगिरि’ तीर्थधाम के रूप में प्रसिद्ध है । पत्थरों को खोदकर 30 गुफाओं की रचना की गयी है । इन गुफाओं की स्थापत्य कला में विशाल दरवाजा है । सभाखंड और चैत्यगृह सुरक्षित और स्थापत्य की दृष्टि से उत्कृष्ट है । बौद्ध धर्म के स्थापत्यों से इन गुफाओं का निर्माण ईसवीसन की तीसरी सदी में हुआ था ।
(4) साणा गुफा – गिर सोमनाथ जिले के उना तालुके के बांकीया गाँव के पास रूपेण नदी पर साणाना पर्वतों पर ये गुफाएँ है । साणा पर्वत पर मधपुड़ा की तरह 62 गुफाएँ है ।
(5) ढांक गुफा: राजकोट जिले में उपलेटा तालुका के ढ़ाँक गाँव में ढंकगिरि आया हुआ है । ढाँक की गुफाएँ चौथी सदी के पूर्वार्द्ध की है ।
(6) झींझुरीझर: ढांक के पश्चिम में सात किमी के अंतर में सिदसर के पास झींझुरीझर की घाटी में कुछ बौद्ध गुफाएँ है । ई.स. की पहली और दूसरी सदी में ये बनी थी ।
(7) कच्छ की खापरा कोडिया की गुफाएँ: कच्छ के लखतर तालुका में जूना पाटगढ के पास पर्वत में ये गुफाएँ स्थित है । इसमें कुल दो गुफाएँ है । के. का. शास्त्री ने ई.स. 1967 में इन गुफाओं को खोजा था ।
(8) कंडिया पर्वत गुफा : भरूच जिले के चट्टान में से जघडीया तालुके में कडिया पर्वत की तीन गुफाएँ प्राप्त हुई है : ये गुफाएँ बौद्ध धर्म की है । एक ही पत्थर में तरासकर 11 फूट गहरा एक सिंह स्तंभ है । स्तंभ के सिरेवाले भाग में दो शरीरवाली और एक मुँहवाली सिंहवाली आकृति है ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्दासर दीजिए:
પ્રશ્ન 1.
धोलावीरा की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
भुज से लगभग 140 कि.मी. दूर भचाऊ तालुके के बड़े रेगिस्तान में खरीदभेट के धोलावीरा गाम से दो किमी दूर आया हड़प्पा
का समकालीन बड़ा व्यवस्थित और प्राचीन नगर प्राप्त हुआ है ।
- गुजरात के राज्य पुरातत्त्व विभाग ने, आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के अधिकारियों ने संशोधन किया ।
- ई.स. 1990 में रविन्द्रसिंह विस्त के मार्गदर्शन के अधीन विशेष उत्खनन हुआ है ।
- धोलावीरा के किले, मेहल तथा नगर की मुख्य दिवारों को सफेद रंग किया गया होगा उसके अवशेष प्राप्त हुए है ।
- नगर की किलेबंधी की मजबूत सुरक्षा व्यवस्था है । यह दीवार मिट्टी, पत्थर और ईंटों से बनी है ।
- यहाँ पीने का पानी शुद्ध साफ होकर आये ऐसी व्यवस्था की गयी थी जो व्यवस्था आज आधुनिक युग में भी हम नहीं कर सकते ।
- पानी की शुद्धीकरण की यह व्यवस्था अद्भूत हैं ।
પ્રશ્ન 2.
लोथल भारत का महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था ।
उत्तर:
लोथल अहमदाबाद के धोलका तहशील में भोगावो और साबरमती दो नदियों के बीच के प्रदेश में है ।
- यह खंभात की खाड़ी से 18 कि.मी. दूरी पर है ।
- इसमें मानव वसवाट के तीन स्तर मिले है ।
- नगर के पूर्व छोर में नीचे भाग में ज्वार के समय रोकने के लिए बड़ा डोकयार्ड बनाया गया था । यह लोथल की विशेषता है ।
- यह डोकयार्ड गोदी, दुकाने, आयात-निर्यात के सबूत आदि दर्शाता है ।
- लोथल उस समय भारत का समृद्ध बन्दरगाह होगा । गुजरात के लिए यह गौरव की बात है ।
પ્રશ્ન 3.
स्तंभलेखों पर की कला की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
स्तंभलेख एक ही शिला पर बने होते थे ।
- सम्राट अशोक की धर्माज्ञाओं के खोदकर स्तंभलेख, शिलाकला के उत्तम नमूने है ।
- एक ही पत्थर को खोदकर, घिसकर चमक दी जाती थी ।
- ऐसे स्तंभ अंबाला, मेरठ, इलाहाबाद, बिहार में लोरिया के पास नंदनगढ़, साँची, काशी, पटना और बुद्धगया में बोद्धिवृक्ष के खड़े किये गये थे ।
- इनकी लिपी ब्राह्मी लिपी थी ।
- सारनाथ का स्तंभ भारत की शिल्पकला का श्रेष्ठ नमूना है ।
- सारनाथ भगवान बुद्ध के उपदेशों का स्थान होने से सिंह के नीचे चारों तरफ चार धर्मचक्र अंकित किये गये है ।
- इस पर हाथी, घोड़ा और बैल की आकृति अंकित है ।
પ્રશ્ન 4.
मोढ़ेरा के सूर्यमंदिर की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
गुजरात के मोढ़ेरा में आया हुआ सूर्यमंदिर (ई.स. 1026 में) सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम के शासनकाल में बना था ।
- इस मंदिर का पूर्व दिशा में प्रवेशद्वार इस तरह से रचा हैं कि सूर्य की प्रथम किरण ठेठ मंदिर के अंदर गर्भगृह में सूर्यप्रतिमा के मुकुट की मणि पर पड़ती थी ।
- इससे समग्र मंदिर प्रकाश से चमक उठता था और समग्र वातावरण में जैसे दिव्यता प्रगट होती थी ।
- इस मंदिर में सूर्य की विविध 12 मूर्तियाँ अंकित हुई आज भी देखी जा सकती है ।
- इस मंदिर का नक्काशी कार्य ईरानी शैली का है ।
- मंदिर के बाहर जलकुण्ड जिसके चारों तरफ छोटे-बड़े कुल 108 मंदिर है ।
- ऊषा और संध्याकाल प्रगट होती दीपमाला के कारण एक नयनरम्य दृश्य उत्पन्न होता है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए:
પ્રશ્ન 1.
शिल्प अर्थात् क्या ?
उत्तर:
कलाकार (शिल्पी) द्वारा अपने कौशल्य और योग्यता से छेनी-हथोड़े के द्वारा विविध प्रकार के मन के भाव पत्थर, लकड़ी या धातु पर तराशने की कला अर्थात् शिल्पकला ।
પ્રશ્ન 2.
स्थापत्य अर्थात् क्या ?
उत्तर:
स्थापत्य का सरल अर्थ निर्माण कार्य होता है । संस्कृत भाषा में स्थापत्य के लिए ‘वास्तु’ शब्द का उपयोग होता है । इस अर्थ में मकान, नगर, कुए, किलों, मिनारों, मंदिरों, मस्जिदों, मकबरों आदि का निर्माण कार्य स्थापत्य कहलाता है ।
પ્રશ્ન 3.
मोहें-जो-दड़ो का अर्थ समझाकर उसके मार्ग की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
मोहें-जो-दड़ो का अर्थ ‘मरे हुओ के ढेर’ है ।
मार्ग – ‘मोहें-जो-दड़ो’ के मार्ग 9.75 मीटर चौड़े थे । छोटे मार्ग मुख्य मार्ग को समकोण पर मिलते थे । ये इतने चौड़े थे कि एक साथ एक से अधिक वाहन गुजर सकते थे । रास्तों के पास रात्रि प्रकाश के लिए खंभे होते थे । मार्ग सीधे होते थे, कहीं भी मोड़ नहीं थी । राजमार्ग भी थे जिसे अन्य मार्ग समकोण पर मिलते थे ।
પ્રશ્ન 4.
स्तूप की जानकारी दीजिए ।
उत्तर:
स्तूप अर्थात् भगवान बुद्ध की देहावशेषों को एक पात्र में रखकर उस पर अर्द्धगोलाकार इमारतें बनाई जाती थी । स्तूप के चार भाग होते थे ।
- हार्मिक – स्तूप के अंडाकार हिस्से के चारों ओर लगी रेलिंग को हार्मिका कहते हैं ।
- मेघि – स्तूप के चारों ओर घुमावदार रास्ते को मेघि कहते हैं ।
- परिक्रमा पथ – मंदिर को चोतरफा समतल ऊँचाई पर बने पथ को परिक्रमा कहते हैं ।
- प्रवेशद्वार – प्रवेशद्वार अर्थात् दो ऊँचे स्तंभ । उसके ऊपर के हिस्से पर एक तिरछा कलात्मक बिंब होता है । उसके अंदर से होकर श्रद्धालु जनसमुदाय प्रवेश करता है ।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए:
પ્રશ્ન 1.
संस्कृत भाषा में स्थापत्य के लिए दूसरे किस शब्द का उपयोग होता है ?
(A) वास्तु
(B) नक्कासी
(C) मंदिर
(D) खंडहर
उत्तर:
(B) नक्कासी
પ્રશ્ન 2.
लोथल में वाहन गुजारने के लिए क्या बांधा जाता था ?
(A) खीला
(B) खंभा
(C) धकका
(D) जाली
उत्तर:
(C) धकका
પ્રશ્ન 3.
स्तंभलेख किस लिपी में खुदे हुए है ?
(A) हिन्दी
(B) ब्राह्मी
(C) उर्दू
(D) उड़ीया
उत्तर:
(B) ब्राह्मी
પ્રશ્ન 4.
गुजरात के ………………………… में सूर्यमंदिर है ।
(A) मोढ़ेरा
(B) वड़नगर
(C) खेरालु
(D) विजापुर
उत्तर:
(A) मोढ़ेरा
પ્રશ્ન 5.
अहमदाबाद में तीन दरवाजा के पास कौन-सी मस्जिद है ?
(A) जामा मस्जिद
(B) जुम्मा मस्जिद
(C) सिप्री की मस्जिद
(D) मस्जिदे नगीना
उत्तर:
(A) जामा मस्जिद