Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Vyakaran कहावतें Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Vyakaran कहावतें
किसी घटना या प्रसंग का वर्णन करते समय जिस रूढ़ और मार्मिक कथन का प्रयोग किया जाता है, उसे ‘कहावत’ कहते हैं। कहावत सोधी हृदय में प्रवेश करके विशेष प्रभाव उत्पन्न करती है। कभी उसमें व्यंग्य की पैनी धार होती है, तो कभी उसमें हृदय को छु लेनेवाला भाव होता है। कहावतें कभी-कभी नीति या बोधपूर्ण उक्तियों का काम भी करती हैं।
कभी-कभी कवियों की मार्मिक सूक्तियाँ भी कहावत का रूप ले लेती हैं।
कहावत का संबंध किसी-न-किसी घटना से हुआ करता है। लोग उस घटना से संबंधित कोई पंक्ति गढ़ लिया करते हैं और जब कभी वैसा प्रसंग आता है, तब वे उस पंक्ति को दुहराकर घटनाजनित बातों की पुष्टि करते हैं। जैसे – यदि कोई किसी कार्य को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने की बात करे और प्रस्तुतिकरण का मौका देने पर कोई बहाना बनाए तो उसके बारे में कहा जाएगा – ‘नाच न जाने आँगन टेढा’। अर्थात् जब कोई विशेष अनुभव सामान्य जन-जीवन में सबके मन और बुद्धि पर अपना प्रभाव डालने में समर्थ हो जाता है तब उस अनुभव का कथन कहावत का रूप धारण कर लेता है।
कहावत लोक से संबंधित है, इसलिए इसका नाम ‘लोकोक्ति’ भी है। लोकोक्ति’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है – लोक + उक्ति। जिसका अर्थ है- ‘लोक’ में प्रचलित उक्ति या कथन। ऐसा कथन जो व्यापक लोक अनुभव पर आधारित हो, ‘लोकोक्ति’ या ‘कहावत’ कहलाता है।
लोकोक्ति या कहावत मानव के अनुभवों की सुंदर अभिव्यक्ति है। यह वर्तमान पीढ़ी को पूर्वजों से उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त होती है। उसमें गागर में सागर अथवा बिदु में सिंधु भरने का अद्भुत गुण होता है। इनके प्रयोग से भाषा का सौंदर्य पूर्ण, स्पष्ट तथा प्रभावशाली हो जाता है।
प्रमुख कहावतें (लोकोक्तियाँ), उनके अर्थ एवं वाक्य-प्रयोग
1. अंत भले का भला- अच्छे काम का परिणाम अच्छा होता है
वाक्य : शैलेश कष्ट सहकर भी ईमानदारी से परिश्रम करता है, इसी कारण वह आज ऊँचे पद पर पहुंच गया। इसलिए कहा गया है- अंत भले का भला।
2. अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा – अयोग्य शासक के कारण कुप्रशासन
वाक्य : उस कार्यालय का कोई कर्मचारी काम नहीं करता, क्योंकि वहाँ का अधिकारी ही भ्रष्ट है। चारों तरफ ‘अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा’वाली बात है।
3. अंधी पीसे कुत्ता खाय – काम करे कोई, फल कोई खाए
वाक्य : पिता ने दिन-रात कमाई करके धन इकट्ठा किया और उसका बेटा मौज उड़ाते-उड़ाते नहीं थकता। इसोको कहते हैं- अंधी पोसे कुत्ता खाय।
4. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत हानि हो जाने पर पछताने से क्या लाभ
वाक्य : पहले तो बहुत समझाने पर भी तुमने परिश्रम नहीं किया अब असफल हो गये तो आँसू बहाने लगे। क्या तुम नहीं जानते – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
5. मार के पीछे भूत भागे-किसी भी तरह से समस्या का हल करना
वाक्य : जब समस्या हद से बन जाती है, तब सरल उपाय के बजाय कठिन या शिक्षात्मक रवैया अपनाना। इसे कहते हैं – मार के पीछे भूत भागे।
6. आँख का अंधा नाम नयनसुख- गुणों के विरुद्ध नाम होना
वाक्य : उसका नाम तो है बीरसिंह, मगर वह रात में चूहे से डर गया। उसे देखकर तो यही कहावत याद आती है- आँख का अंधा नाम नयनसुख।
7. आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास-अच्छा काम छोड़कर महत्त्वहीन काम में लग जाना
वाक्य : तुम्हें छात्रावास में इसलिए भेजा था कि तुम परीक्षा में अव्वल आ सको, पर तुमने तो यहां रहकर भी बेकार की बातों में समय बरबाद करना शुरू कर दिया। इसे कहते हैं – आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास।
8. एक पंथ दो काज- एक साधन से दो काम होना
वाक्य : मैं दिल्ली नौकरी का साक्षात्कार देने के लिए गया था। वहाँ लाल किला आदि भी देख आया। इसे कहते हैं – एक पंथ दो काज।
9. कंगाली में आटा गीला – मुसीबत में और मुसीबत आना
वाक्य : व्यापार हेतु कल बैंक से रुपया उधार लाया था वह भी चोरी हो गया। सच है, कंगाली में आटा गीला।
10. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली – दो व्यक्तियों की स्थितियों में अंतर
वाक्य : उस साधारण गायिका की तुलना लता मंगेशकर से करना उचित नहीं – कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
11. ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया- भाग्य की विचित्रता
वाक्य : कुछ लोग दूसरों के लिए मंदिर तथा धर्मशालाएं बनवाते हैं तथा कुछ अपने लिए एक समय का भोजन नहीं जुटा पाते। इसे कहते हैं ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया।
12. एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा – एक दोष के साथसाथ दूसरा दोष भी लग जाना
वाक्य : वह शराबी तो था ही, जुआ भी खेलने लगा। इसे कहते हैं- एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा।
13. काठ की हांडी बार-बार नहीं बढ़ती- छल, कपट तथा चालाकी से एक ही बार काम निकलता है
वाक्य : एक बार तो तुम मुझे धोखा देकर रुपए ले जा चुके हो, अब मैं तुम्हारी चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आ सकता क्योंकि काठ की हांडो बार-बार नहीं चढ़ती।
14. खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे- लज्जित या अपमानित होकर इधर-उधर रोष प्रकट करना
वाक्य : जब पुलिस तुम्हारी पिटाई कर रही थी तब तो तुम कुछ भी न बोले, अब मुझ पर बरस रहे हो। किसी ने ठीक ही कहा है – खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
15. घर की मुर्गी दाल बराबर – आसानी से प्राप्त हुई वस्तु को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता
वाक्य : उसका बड़ा भाई डॉक्टर है मगर वह बीमार हुआ तो शहर से दूसरा डॉक्टर बुलाया गया। इसे कहते हैं – घर की मुर्गी दाल बराबर।
16. चार दिनों की चाँदनी फिर अंधेरी रात – थोड़े समय का सुख
वाक्य : धन-दौलत, ऐश्वर्य तथा जवानी पर गर्व नहीं करना चाहिए। जानते नहीं संसार की रीति – चार दिनों की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
17. छडूंदर के सिर में चमेली का तेल – अयोग्य व्यक्ति को अच्छी चीज मिल जाना
वाक्य : मनोज को न पढ़ाने का काम आता है न वह बी.एड. है, पर आज वह शिक्षक है। ऐसे लोगों के लिए यह कहावत प्रयोग की जाती है – छछूदर के सिर में चमेली का तेल।
18. जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय – जिसका रक्षक भगवान है उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता
वाक्य : कार गहरी खाई में गिर गई किंतु सभी यात्री सकुशल है। सच है- जाको राखे साइयां मार सके ना कोय।
19. डूबते को तिनके का सहारा – विपत्ति में जरा-सी भी मदद किसीको उबार सकती है
वाक्य : वह जीवन से निराश हो चुका है। तुम थोड़ा-सा उत्साह दे दो शायद उबर जाए, डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है।
20. नाम बड़े दर्शन छोटे – प्रसिद्धि अधिक किंतु तत्त्व कुछ भी नहीं
वाक्य : तुम्हारे विद्यालय की बहुत ही प्रशंसा सुन रखी थी, पर आकर देखा तो पढ़ाई का स्तर कुछ भी नहीं। इसीको कहते हैं – नाम बड़े दर्शन छोटे।
21. नाच न जाने आँगन टेढ़ा-गुण न होने पर बहाना बनाना या दूसरों को दोष देना
वाक्य : अरे भाई, तुम्हें गाना तो ठीक से आता नहीं और कमी तुम बता रहे हो हारमोनियम में। इसीको कहते हैं- नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
22. पर उपदेश कुशल बहुतेरे – दूसरों को उपदेश देने में सब चतुर होते हैं
वाक्य : मंदिर में बैठकर उपदेश देते हो कि मदिरापान पाप कर्म है और घर में बैठकर स्वयं मदिरापान कर रहे हो। इसीको कहते हैं – पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
23. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी-आनेवाला दुःख आकर ही रहता है
वाक्य : तुम अपने अपराधों को कब तक छपाते रहोगे? आखिर बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी।
24. मन चंगा तो कठौती में गंगा – हृदय की पवित्रता हो तो घर में ही तीर्थयात्रा का लाभ मिल सकता है
वाक्य : जिसका मन पवित्र है, उसे तीर्थयात्रा करने की आवश्यकता नहीं रह जाती क्योंकि किसी ने सच ही कहा है- मन चंगा तो कठौती में गंगा।
25. होनहार बिरवान के होत चिकने पात – योग्य व्यक्ति के लक्षण बचपन से ही प्रकट होने लगते हैं।
वाक्य : गोपालदास नीरज ने पहली कविता दस वर्ष की उम्र में ही लिख दी थी। सच है- होनहार बिरवान के होत चिकने पात।
26. हाथ कंगन को आरसी क्या? – प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं
वाक्य : तुम कहते हो कक्षा में पच्चीस छात्र हैं, मैं कहता हूँ तीस छात्र हैं। चलकर कक्षा में गिन लेते हैं- हाथ कंगन को आरसी क्या?