Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Chapter 3 क्या निराश हुआ जाए? Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 3 क्या निराश हुआ जाए?
Std 9 GSEB Hindi Solutions क्या निराश हुआ जाए? Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नो के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
आज समाचारपत्र में कौन-कौन से समाचार भरे रहते हैं?
उत्तर :
आज समाचारपत्र में चोरी, डकैती, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचार भरे रहते हैं।
प्रश्न 2.
देश का वातावरण आज कैसा बन गया है?
उत्तर :
देश का वातावरण आज ऐसा बन गया है कि लगता है र देश में कोई ईमानदार आदमी ही नहीं बचा है।
प्रश्न 3.
भारतवर्ष ने किसको अधिक महत्त्व नहीं दिया है?
उत्तर :
भारतवर्ष ने भौतिक वस्तुओं के संग्रह को अधिक महत्त्व नहीं दिया है।
प्रश्न 4.
मनुष्य के मन में कौन-कौन से विचार है?
उत्तर :
मनुष्य के मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकार हैं।
प्रश्न 5.
भारतवर्ष किसको धर्म रूप में देखता आ रहा है?
उत्तर :
भारतवर्ष कानून को धर्म के रूप में देखता आ रहा है।
प्रश्न 6.
बस कंडक्टर क्या लेकर लौटा था?
उत्तर :
बस कंडक्टर खाली बस लेकर तथा लेखक के बच्चों के लिए पानी और दूध लेकर लौटा था।
2. निम्नलिखित प्रश्नो के दो-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
लोगों में महान मूल्यों के बारे में आस्था क्यों हिल गई है?
उत्तर :
आजकल ईमानदारी और परिश्रम करके जीविका कमानेवाले श्रमजीवी पिस रहे हैं और झूठ तथा फरेब का रोजगार करनेवाले फल-फूल रहे हैं। इसलिए लोगों में महान मूल्यों के बारे में आस्था हिल गई है।
प्रश्न 2.
लेखक क्या देखकर हताश हो जाना उचित नहीं मानते?
उत्तर :
लेखक कहते हैं कि आजकल ईमानदारी और परिश्रम के बदले झूठ और फरेब का बाजार गर्म है। ऊपरी दिखाई देनेवाली इस मनुष्यनिर्मित स्थिति से लेखक हताश हो जाना उचित नहीं मानते।
प्रश्न 3.
देश के दरिद्रजनों की हीन अवस्था दूर करने के लिए क्या किया गया है?
उत्तर :
देश के दरिद्र जनों की हीन अवस्था दूर करने के लिए शासन ने अनेक कायदे-कानून बनाए हैं। इनका यही लक्ष्य है कि कृषि उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में लोगों की स्थिति को अधिक उन्नत और सुचारु बनाया जाए।
प्रश्न 4.
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने प्रार्थना-गीत द्वारा भगवान से क्या याचना की है?
उत्तर :
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अपने प्रार्थना-गीत में भगवान से यह याचना की है कि संसार में केवल नुकसान उठाना पड़े, धोखा : खाना पड़े तो भी मैं विचलित न हो। ऐसे अवसरों पर भी हे प्रभो! : मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं तुम पर संदेह न करू।
3. निम्नलिखित प्रश्नो के पाँच-छ वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
लेखक का मन क्यों बैठ जाता है?
उत्तर :
हमारे देश के अखबार चोरी, डकैती, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचारों से भरे रहते हैं। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगाते रहते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे देश में कोई ईमानदार ही नहीं रह गया। लोग हर व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। जो जितने ऊंचे पद पर हैं, उनमें उतने ही अधिक दोष दिखाए जाते हैं। सब अपने-अपने स्वार्थों में लिप्त हैं। देश के हित की बातें बहुत कम हो रही हैं। देश और समाज की ऐसी दशा देखकर लेखक का मन बैठ जाता है।
प्रश्न 2.
भारतवर्ष को ‘महामानव’ समुद्र क्यों कहा गया है?
उत्तर :
भारतवर्ष एक प्राचीन और विशाल देश है। सदियों से यहाँ अनेक जातियाँ आई और यहीं बस गई। विदेशों से अनेक धर्मावलंबी यहाँ आए और यहीं के होकर रह गए। इस प्रकार भारत आर्य और द्रविड, हिन्दू और मुसलमान, यूरोपीय और भारतीय आदर्शों की मिलन- भूमि है। भारतीय सभ्यता में विदेश से आई सभ्यताओं का भी प्रभाव है। यहाँ की संस्कृति में विदेशी संस्कृतियाँ घुल-मिल गई हैं। भारतीय समाज में देशी-विदेशी तरह-तरह के लोग आए और समा गए हैं। इसलिए भारतवर्ष को ‘महामानव समुद्र’ कहा गया है।
प्रश्न 3.
धर्म को भारतवर्ष में श्रेष्ठ क्यों माना गया है?
उत्तर :
शासन और समाज की सुख-सुविधा के लिए सरकार तरह-तरह के कानून बनाती है। लेकिन भारतवासियों की दृष्टि में धर्म कानून से बड़ा है। धर्म के कारण ही अब भी सेवा, सच्चाई, ईमानदारी और आध्यात्मिकता आदि बने हुए हैं। धर्म के भय से मनुष्य झूठ और चोरी को गलत समझता है। धर्मबुद्धि के कारण ही लोग दूसरों को पीड़ा पहुंचाना पाप मानते हैं। धर्मबुद्धि ही लोभ, मोह, काम, क्रोध आदि विकारों पर संयम रख सकती है और निकृष्ट आचरण करने से रोकती है है। इसीलिए धर्म को भारतवर्ष में श्रेष्ठ माना गया है।
प्रश्न 4.
कंडक्टरने अपनी ईमानदारी कैसे बताई ?
उत्तर :
एक बार लेखक सपरिवार बस-यात्रा कर रहे थे। गंतव्य स्थान से लगभग पांच मील पहले एक सुनसान स्थान पर बस खराब हो गई। कंडक्टर समझ गया कि यह बस अब आगे नहीं जा सकती। वह एक साइकिल लेकर चला गया। उस समय रात के दस बजे थे। यात्री बस-ड्राइवर पर अपना क्रोध उतारने लगे। लेखक के बच्चे भोजन और पानी के लिए व्याकुल थे। यात्री ड्राइवर को मारने के लिए तैयार हो गए। ठीक उसी समय बस-कंडक्टर एक खाली बस लेकर आया। यात्री उसमें सवार हो गए। कंडक्टर लेखक के बच्चों के लिए पानी और दूध भी लाया था। इस तरह बस-कंडक्टर ने अपनी ईमानदारी और सज्जनता बताई।
4. मुहावरों का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
प्रश्न 1.
मन बैठ जाना, पर्दापत्रक करना, फलना-फूलना, हवाइयाँ उड़ना, पर्दाफाश, ढाँढस बँधाना, कातर ढंग से देखना
उत्तर :
मन बैठ जाना – उदास होना
वाक्य : बार-बार की असफलता से उसका मन बैठ गया है।
फलना-फूलना – विकसित होना, समृद्ध होना
वाक्य : महात्मा ने मुझे फलने-फूलने का आशीर्वाद दिया।
चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना – चेहरे का रंग फीका पड़ना
वाक्य : लोगों का क्रोध देखकर कंडक्टर के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
पर्दाफाश करना – भेद खोलना
वाक्य : चोर पकड़ा गया तो उसने अपने साथियों का पर्दाफाश कर दिया।
ढाढ़स बंधाना – सांत्वना देना, तसल्ली देना
वाक्य : गरीब मजदूर के घर में चोरी हो जाने पर पुलिस ने उसे डाढ़स बंधाया।
कातर ढंग से देखना – भयभीत होकर देखना
वाक्य : सुरेश नकल करते हुए पकड़ा गया तो बड़े कातर ढंग से निरीक्षक की ओर देखने लगा।
शब्द-समूह के लिए एक-एक शब्द दीजिए :
प्रश्न 1.
- धर्म से डरनेवाले
- मिलन की भूमि
- सुख देनेवाला
उत्तर :
- धर्मभीरु
- मिलनभूमि
- सुखद
5. विशेषण बनाइए:
प्रश्न 1.
- भारत – ………..
- समाज – ………..
- क्रोध – ………..
- समय – ………..
- धर्म – ………..
उत्तर :
- भारतीय
- सामाजिक
- क्रोधी
- सामयिक
- धार्मिक
6. भाववाचक बनाइए :
प्रश्न 1.
- डाकू
- आदमी
- बहुत
- सभ्य
- मानव
उत्तर :
- डकैती
- आदमियत
- बहुतायत
- सभ्यता
- मानवता
7. विरोधी शब्द बनाइए:
प्रश्न 1.
- ईमानदार
- भ्रष्टाचार
- आंतरिक
- सबल
उत्तर :
- बेईमान
- सदाचार
- बाह्य
- निर्बल
GSEB Solutions Class 9 Hindi क्या निराश हुआ जाए? Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
लेखक ऐसा क्यों नहीं मानते कि मनुष्यता एकदम समाप्त हो गई है?
उत्तर :
लेखक कहते हैं कि आज अखबारों में अधिकतर चोरी, डकैती, तस्करी और भ्रष्टाचार के ही समाचार होते हैं। आज किसी को किसी पर विश्वास नहीं रहा। ईमानदार और परिश्रमी लोग दुःखी हैं एवं झूठे, फरेबी और बेईमान लोग फल-फूल रहे हैं। स्थिति सचमुच निराशाजनक है। लेकिन फिर भी अनेक घटनाएं ऐसी हो रही हैं जिनमें मनुष्यता के दर्शन होते हैं। लेखक स्वयं कई बार ठगा गया है और उसने धोखा खाया है, लेकिन कई बार लोगों ने बिना किसी स्वार्थ के उसकी सहायता भी की है। कई बार लोगों ने उसके निराश मन को दाइस और हिम्मत बंधाई है। लोगों के ऐसे मानवतापूर्ण व्यवहारों को देखकर लेखक को लगता है कि मनुष्यता अभी समाप्त नहीं हुई है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
भारत किसे निकृष्ट आचरण मानता है?
उत्तर :
भारत काम, क्रोध आदि विकारों को संयम से बांधकर रखने का समर्थक है। ऐसा न कर मन और बुद्धि को विकारों के इशारे पर छोड़ देना निकृष्ट आचरण है।
प्रश्न 2.
गए कानून सफल क्यों नहीं हो रहे हैं?
उत्तर :
देश के दरिद्र जनों की स्थिति सुधारने के लिए बनाए गए कानूनों को व्यवहार में लानेवाले अधिकारी लक्ष्य भूलकर अपनी सुखसुविधा पर ध्यान देने लगते हैं। यही कारण है कि दरिद्र जनों की स्थिति सुधारने के लिए बनाए गए कानून सफल नहीं हो रहे हैं।
प्रश्न 3.
किसी के दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा बन जाता है?
उत्तर :
दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है। लेकिन जब किसी के गलत पक्ष में रुचि रखकर उसे उदघाटित करना अपना कर्तव्य मान लिया जाता है, तब वह बुरा बन जाता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
प्रश्न 1.
धर्म और कानून में क्या अंतर है?
उत्तर :
धर्म और कानून में यह अंतर है कि धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, कानून को धोखा दिया जा सकता है।
प्रश्न 2.
धर्मभीरु लोग किस बात में संकोच करते हैं?
उत्तर :
धर्मभीरु लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच करते हैं।
प्रश्न 3.
किन घटनाओं को उजागर करना बुरा नहीं है?
उत्तर :
लोगों के मन में अच्छाई के प्रति भावना जगानेवाली घटनाओं को उजागर करना बुरा नहीं है।
प्रश्न 4.
ड्राइवर को मार-पीट से किसने बनाया?
उत्तर :
ड्राइवर को मार-पीट से लेखक हजारीप्रसाद द्विवेदी ने बचाया।
विभाग 1 : गद्यलक्षी
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- ड्राइवर को मार-पीट से ………. ने बचाया। (कंडक्टर, लेखक)
- भारतवर्ष सदा कानून को ……… रूप में देखता रहा है। (धर्म, त्याग)
- व्यक्ति जो कुछ भी करेगा लोग उसमें ……….. खोजने लगेंगे। (दोष, अवसर)
- मेरे मन! …………. होने की जरूरत नहीं है। (प्रसन्न, उदास)
- कैसे कहूं कि मनुष्यता एकदम …………. हो गई। (निरूपाय, समाप्त)
उत्तर :
- लेखक
- धर्म
- दोष
- उदास
- समाप्त
निम्नलिखित विधान ‘सही’ हैं या ‘गलत’ यह बताइए :
प्रश्न 1.
- उच्च पदों पर बैठे लोगों के चरित्र भी दोषपूर्ण दिखाई देते हैं।
- भारत ने भौतिक वस्तुओं के संग्रह को महत्त्व दिया है।
- बस कंडक्टर पुरानी बस लेकर आया।
- हमें निराश होने की जरूरत नहीं है।
उत्तर :
- सही
- गलत
- गलत
- सही
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :
प्रश्न 1.
- भारत के आदर्शों को कौन भूल गया है?
- टिकटबाबू में कौन-सा गुण था?
- हमारे देश में कानून से बड़ा किसे माना गया है?
उत्तर :
- जिम्मेदार लोग
- ईमानदारी का
- धर्म को
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
व्यक्ति जो कुछ भी करेगा …
(अ) लोग उसकी प्रशंसा करेंगे।
(ब) लोग उसमें दोष खोजने लगेंगे।
(क) लोग उसका विरोध करेंगे।
उत्तर :
व्यक्ति जो कुछ भी करेगा, लोग उसमें दोष खोजने लगेंगे।
प्रश्न 2.
क्या यही भारतवर्ष है, जिसका सपना …
(अ) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने देखा था?
(ब) आम लोगों ने देखा था?
(क) तिलक और गांधी ने देखा था?
उत्तर :
क्या यही भारतवर्ष है, जिसका सपना तिलक और गांधी ने देखा था?
प्रश्न 3.
केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है, तो …
(अ) जीवन सुखमय हो जाएगा।
(ब) जीवन सूना हो जाएगा।
(क) जीवन कष्टकर हो जाएगा।
उत्तर :
केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है, तो जीवन कष्टकर हो जाएगा।
निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
भारतवर्ष सदा कानून को किस रूप में देखता आ रहा है?
A. अन्याय
B. न्याय
C. धर्म
D. त्याग
उत्तर :
C. धर्म
प्रश्न 2.
बुराई में रस लेना ………. बात है।
A. अच्छी
B. उचित
C. बुरी
D. अयोग्य
उत्तर :
C. बुरी
प्रश्न 3.
टिकटबाबू ने लेखक के हाथ में ……….. रुपए रख दिए।
A. सौ
B. दस
C. पांच
D. नब्बे
उत्तर :
D. नब्बे
प्रश्न 4.
भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि ……
A. कानून का आधार होना चाहिए।
B. धर्म कानून से बड़ी चीज है।
C. धर्म कानून का ही रूप है।
D. कानून ही सच्चा धर्म है।
उत्तर :
B. धर्म कानून से बड़ी चीज है।
प्रश्न 5.
इस समय सुखी वही है ………
A. जिसके पास सबकुछ है।
B. जिसके पास कुछ नहीं है।
C. जो कुछ नहीं करता।
D. जो किसी पद पर है।
उत्तर :
C. जो कुछ नहीं करता।
प्रश्न 6.
किसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती?
A. ज्ञान की
B. बल की
C. बुद्धि की
D. भूख की
उत्तर :
D. भूख की
प्रश्न 7.
मेरे मन! ………… होने की जरूरत नहीं है।
A. प्रसन
B. उदास
C. खुश
D. निराश
उत्तर :
D. निराश
विभाग 2 : व्याकरणलक्षी
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- तस्कर
- हताश
- मनीषी
- फरेब
- संहार
- निरीह
- निकृष्ट
- माहौल
- त्रुटि
- कातर
उत्तर :
- चोर
- निराश
- पंडित
- धोखा
- विनाश
- निराधार
- अधम
- परिस्थिति
- कमी
- भयभीत
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए
प्रश्न 1.
- क्रोध
- उचित
- अकारण
- निकृष्ट
- सच्चाई
- कायर
- मनीषी
उत्तर :
- अक्रोध
- अनुचित
- सकारण
- उत्कृष्ट
- झूठ
- वीर
- मूर्ख
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से भाववाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- आदमी में से आदमियत चली जाए तो ममतापूर्ण व्यवहार कौन करेगा?
- आजकल ईमानदारी से अपनी जीविका कमानेवाले श्रमजीवी बड़े दुःखी हैं।
- देश के दौन-दुखियों के प्रति सभ्यतापूर्ण व्यवहार कौन करता है?
- आज किसी को किसी पर विश्वास नहीं रह गया।
- तश्कर की तश्करी से सभी लोग त्रस्त थे।
- सभा में मैनेजर ने रमेश की उपेक्षा की।
उत्तर :
- आदमियत
- ईमानदारी
- व्यवहार
- विश्वास
- तश्करी
- उपेक्षा
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- शिक्षा से ही सामाजिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।
- क्रोधी व्यक्ति अपना ही नुकसान करता है।
- हर युग में समाज की अपनी सामयिक समस्याएं होती हैं।
- परीक्षा के बाद ही परीक्षित कार्य की जांच होती है।
- परीक्षा के समय भयभीत छात्र अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते।
- आज ऐसा लगता है कोई ईमानदार आदमी ही नहीं बचा है।
उत्तर :
- सामाजिक
- क्रोधी
- सामयिक
- परीक्षित
- भयभीत
- ईमानदार
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- पुराने खयालवाला
- कसौटी पर खरे उतरे हुए
- रास्ता भुला हुआ
उत्तर :
- दकियानूसी
- परीक्षित
- गुमराह
मुहावरों का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
ज्योति बुझना – मरना वाक्य : दुश्मनों से लड़ते-लड़ते महारानी की ज्योति बुझ गई।
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- बेईमान
- परिवर्तन
- परिश्रम
- निरीक्षक
- प्रत्यारोप
- विदेश
- सपरिवार
- व्याकुल
- उपेक्षा
- निराधार
उत्तर :
- बेईमान – बे + ईमान
- परिवर्तन – परि + वर्तन
- परिश्रम – परि + श्रम
- निरीक्षक – नि: + इक्षक
- प्रत्यारोप – प्रति + आरोप
- विदेश – वि + देश
- सपरिवार – स + परिवार
- व्याकुल – वि + आकुल
- उपेक्षा – उप + ईक्षा
- निराधार – नि: (निस) + आधार
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :
प्रश्न 1.
- निबंधकार
- बेईमानी
- धोखेबाज
- सामाजिक
- भौतिक
- महत्त्व
- स्वाभाविक
- आध्यात्मिकता
- तस्करी
- परीक्षित
- आंतरिक
- निरीक्षक
- राजनीतिक
- ईमानदार
- यूरोपीय
- मानवतापूर्ण
- समर्थक
- लेखक
- अच्छाई
उत्तर :
- निबंधकार – निबंध + कार
- बेईमानी – बेईमान + ई
- धोखेबाज – धोखा + बाज
- सामाजिक – समाज + इक
- भौतिक – भूत + इक
- महत्व – महत् + त्व
- स्वाभाविक – स्वभाव + इक
- आध्यात्मिकता – अध्यात्म + इक + ता
- तस्करी – तस्कर + ई
- परीक्षित – परीक्षा + इत
- आंतरिक – अंतर + इक
- निरीक्षक – निरीक्षण + क
- राजनीतिक – राजनीति + क
- ईमानदार – ईमान + दार
- यूरोपीय – यूरोप + ईय
- मानवतापूर्ण – मानव + ता + पूर्ण
- समर्थक – समर्थ + क
- लेखक – लेख + क
- अच्छाई – अच्छा + ई
क्या निराश हुआ जाए? Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी हिन्दी के श्रेष्ठ निबंधकार थे। इस निबंध में वे कहते हैं कि आज हमारे समाज में अनेक बुराइयाँ आ गई है। झूठ, बेईमानी, धोखेबाजी, भ्रष्टाचार आदि की घटनाओं से अखबार भरे रहते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि समाज में अच्छी बातें नहीं हो रहीं। समाज में अच्छे तत्त्व आज भी बचे हुए हैं। इसलिए हमें निराश नहीं होना चाहिए।
पाठ का सार :
आज का वातावरण : आज चारों तरफ चोरी, ठगी, डकैती, तस्करी और भ्रष्टाचार की घटनाओं का बोलबाला है। अखबार झूठी घटनाओं से भरे रहते हैं। ऊँचे पदों पर बैठे लोगों के चरित्र भी दोषपूर्ण दिखाई देते हैं। कोई कुछ भी करता है तो लोग उसमें दोष खोजने लगते हैं। परिश्रम करनेवालों की हालत बुरी है और परिश्रम न करनेवाले फल-फूल रहे हैं।
पुराने और नए का टकराव : युग बदलता है तो आदर्श भी बदलते हैं। पुराने कायदे-कानूनों की जगह नए कायदे-कानून आते हैं। उनमें अंतर तो होता ही है। आज की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। इसमें कुछ नया नहीं है। हर परिवर्तन के बाद ऐसा ही होता है।
भारत का आदर्श : भारत ने कभी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को महत्त्व नहीं दिया। हमारे यहाँ अध्यात्म को ही महत्त्व दिया गया है। मनुष्य में लोभ, मोह, काम, क्रोध आदि विकारों का होना स्वाभाविक है, पर भारत ने इन पर संयम रखने पर जोर दिया है।
लक्ष्य की उपेक्षा का परिणाम : आज देश में कृषि, उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों में विकास होना चाहिए। परंतु जिन लोगों पर इनके विकास की जिम्मेदारी है, वे लक्ष्य को भूल गए हैं। वे देशहित को भूलकर अपनी सुख-सुविधा जुटाने में लगे हुए हैं। वे भारत के पुराने आदर्श को भूल गए हैं।
पुराने आदर्श नष्ट नहीं हुए : देश में आज भी धर्म को कानून से बड़ा माना जाता है। सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य आज भी बने हुए हैं।
टिकटबाबू की ईमानदारी : लेखक ने एक बार रेलवे टिकट खरीदते समय टिकटबाबू को दस रुपए की जगह सौ रुपए का नोट दे दिया। लेकिन टिकटबाबू ईमानदार था। उसने रेल के डिब्बे में लेखक को खोजकर उन्हें नब्बे रुपए लौटाकर अपनी ईमानदारी का परिचय दिया।
बस-कंडक्टर की सज्जनता : एक बार लेखक अपने परिवार के साथ बस द्वारा यात्रा कर रहे थे। रात को जंगल से गुजरते समय बस खराब हो गई। बस-कंडक्टर साइकिल लेकर चला गया। बस-यात्री ड्राइवर पर अपना गुस्सा निकालने लगे। वे उसे मारने के लिए तैयार हो गए। लेखक ने किसी तरह समझा-बुझाकर उन्हें रोका। इतने में बस-कंडक्टर नई बस लेकर आया। वह लेखक के भूखे बच्चों के लिए पानी और दूध भी ले आया था।
ऐसी अनेक घटनाएं हैं जिनसे लगता है कि हमें निराश होने की जरूरत नहीं है।
क्या निराश हुआ जाए? Summary in English
Today’s circumstances : We see theft, fraud, robbery, smuggling and corruption events all around us today. The newspapers are filled with such events. We see such people even on high position. People find fault from any work done. The position (condition) of hard-working people is bad and the lazy persons enjoy happiness.
Struggle between the old and the new : With the change of the age, the ideal is also changed. New laws come in the place of old laws. There Is some difference in it. The condition of the new age is also the same. There is nothing new In it. It happens after every change.
The Ideal of India : India has never given importance to the collection of physical things. Here importance is given to spirituality. It is common to have greed, fascination, lust, anger, etc. in a man, but Bharat (India) has given importance to have control on all these.
The result of negligence the aim : There should be development in the field of agriculture, Industry, trade, education, etc. But the people whom the responsibility of the development is given. have forgotten the aim. They have engrossed in increasing their own comforts and have forgotten welfare of the country.
The ancient ideals have not been destroyed : Even today the religion is believed superior to the law. The value of service, honesty, truth and spirituality are existing even today.
Honesty of the ticket-master: Once the writer purchased the railway ticket. He gave a hundred rupee note instead of ten rupees to the ticketmaster. But the ticket-master was honest. He found out the writer from the compartment of the train and returned him ninety rupees. In this way he set the example of honesty.
The nobility of a bus-conductor : Once the writer was travelling with his family by bus. It was night and while the bus was passing through the forest, it got brakedown. The conductor went out riding a bleycle. The passengers were angry with the driver. They became ready to beat him. The writer stopped them doing so. Meanwhile the bus. conductor arrived with a new bus. He had brought milk and water for the writer’s hungry children.
There are so many such incidents. We can say that we should not be disappointed.
क्या निराश हुआ जाए? Summary in Gujarati
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
આજનું વાતાવરણ : આજે ચારે તરફ ચોરી, ઠગાઈ, લૂંટફાટ, દાણચોરી અને ભ્રષ્ટાચારની ઘટનાઓ જ જોવા મળે છે. વર્તમાનપત્રો ખોટી ઘટનાઓથી ભરેલાં હોય છે. ઊંચાં પદો પર બેઠેલા લોકોનાં ચરિત્ર પણ દોષપૂર્ણ દેખાય છે. કોઈ કંઈ પણ કામ કરે તો લોકો એમાં દોષ શોધવા માંડે છે. મહેનત કરનારા લોકોની સ્થિતિ ખરાબ છે અને મહેનત ન કરનારા સુખ ભોગવે છે.
જૂના અને નવા વચ્ચેનો સંઘર્ષઃ યુગ બદલાય છે ત્યારે આદર્શ પણ બદલાય છે, જૂના કાયદા-કાનૂનોની જગ્યાએ નવા કાયદા-કાનૂન આવે છે. એમાં અંતર તો હોય જ છે. નવા જમાનાની સ્થિતિ પણ કંઈક એવી જ છે. એમાં કશું નવું હોતું નથી. દરેક પરિવર્તન પછી આવું જ થાય છે.
ભારતનો આદર્શ : ભારતે કદી પણ ભૌતિક વસ્તુઓના સંગ્રહને મહત્ત્વ નથી આપ્યું. આપણે ત્યાં અધ્યાત્મને જ મહત્ત્વ અપાયું છે. મનુષ્યમાં લોભ, મોહ, કામ, ક્રોધ વગેરે વિકારો હોવા સામાન્ય છે, પરંતુ ભારતે આ બધાં પર સંયમને મહત્ત્વ આપ્યું છે.
લક્ષ્યની ઉપેક્ષાનું પરિણામ: આજે દેશમાં કૃષિ, ઉદ્યોગ, વાણિજ્ય, શિક્ષણ વગેરે ક્ષેત્રોમાં વિકાસ થવો જોઈએ. પરંતુ જે લોકોને વિકાસની જવાબદારી સોંપવામાં આવી છે, તેઓ લક્ષ્ય ભૂલી ગયા છે. તેઓ દેશહિતને ભૂલીને પોતાની સુખ-સુવિધા વધારવામાં લાગી ગયા છે. તેઓ ભારતના પ્રાચીન આદર્શો ભૂલી ગયા છે.
પ્રાચીન આદર્શો નષ્ટ થયા નથી: દેશમાં આજે પણ ધર્મને કાયદા કરતાં ચડિયાતો માનવામાં આવે છે. સેવા, પ્રામાણિકતા, સત્ય અને આધ્યાત્મિકતાનાં મૂલ્ય આજે પણ વિદ્યમાન છે.
ટિકિટ-માસ્તરની પ્રામાણિકતાઃ લેખકે એક વખત રેલવેની ટિકિટ ખરીદતી વખતે ટિકિટ-માસ્તરને દસ રૂપિયાની જગ્યાએ સો રૂપિયાની નોટ આપી દીધી, પરંતુ ટિકિટ-માસ્તર પ્રામાણિક હતા. તેમણે રેલવેના ડબ્બામાં લેખકને શોધીને નેવું રૂપિયા પાછા આપીને પ્રામાણિકતાનો પરિચય આપ્યો.
બસ-કંડક્ટરની સજ્જનતાઃ એક વખત લેખક પોતાના કુટુંબ સાથે બસ દ્વારા મુસાફરી કરી રહ્યા હતા. રાતના સમયે જંગલમાંથી પસાર થતી વખતે બસ બગડી ગઈ. બસ-કંડક્ટર સાઇકલ લઈને ચાલ્યો ગયો.
બસના યાત્રીઓ ડ્રાઇવર પર પોતાનો ક્રોધ ઠાલવવા લાગ્યા. તેઓ તેને મારવા તૈયાર થઈ ગયા. લેખકે કોઈક રીતે સમજાવીને તેમને રોક્યા. એટલામાં બસ-કંડક્ટર નવી બસ લઈને આવી ગયો. તે લેખકનાં ભૂખ્યાં બાળકો માટે દૂધ અને પાણી પણ લેતો આવ્યો હતો. આવી અનેક ઘટનાઓ છે, જેનાથી એમ લાગે છે કે આપણે નિરાશ થવાની જરૂર નથી.
क्या निराश हुआ जाए? शब्दार्थ :
- तस्करी – चोरी।
- प्रत्यारोप – आरोप के जवाब में प्रतिआरोप लगाना।
- संदेह – शंका।
- दोष – बुराई, अपराध।
- अतीत – भूतकाल, बीता हुआ समय।
- गहवर – गडा।
- मनीषी – ज्ञानी, पंडित।
- माहौल – वातावरण।
- जीविका – रोजी।
- निरीह – निर्दोष, भोलाभाला।
- फरेब – धोखा।
- भीरु – डरपोक, कायर।
- आस्था – विश्वास, श्रद्धा।
- मनुष्यनिर्मित – मनुष्यों द्वारा बनाई गई।
- त्रुटि – भूल, गलती।
- विधिनिषेध – कोई काम करने या न करने का निर्देश।
- परीक्षित – कसौटी पर खरे उतरे हुए।
- आलोडन – मथना।
- हताश – निराश, दुःखी।
- आंतरिक – भीतरी।
- स्थिर – अचल, अटल।
- विद्यमान – उपस्थित, हाजिर।
- संयम – मन को काबू में रखना।
- उपेक्षा – अवहेलना, उदासीनता।
- गुमराह – रास्ता भूला हुआ।
- वाणिज्य – व्यापार।
- सुचारु – अच्छी तरह।
- पैमाना – मापदंड।
- दकियानूसी – पुराने ख्यालवाला।
- प्रतिष्ठा – सम्मान, इज्जत।
- आचरण – चाल-चलन।
- संहार – विनाश।
- वंचना – धोखेबाजी।