GSEB Solutions Class 9 Hindi Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

Std 9 GSEB Hindi Solutions कैदी और कोकिला Textbook Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर :
आधी रात के समय जब ,कवि कोयल की कूक सुनता है तो उसे लगता है कि जैसे कोयल उसके लिए कोई संदेश लेकर आई है। जो सुबह होने का इंतजार नहीं कर पाई। कोयल या तो पागल हो गई है, या उसने कहीं दावानल अर्थात् क्रांति की लपटें तो नहीं देख ली, जिसके बारे में सबको बताना चाहती है।

प्रश्न 2.
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई ?
उत्तर :
कवि ने कोयल के बोलने की निम्नलिखित संभावनाएँ बताई हैं :

  1. कोयल पागल हो गई है।
  2. उसने दावानल की ज्वालाएँ देख्न ली हैं।
  3. अत्यंत गंभीर समस्या होने से वह सुबह का इंतजार नहीं कर सकती है।
  4. स्वतंत्रता सेनानियों के मन में देश-प्रेम को और दृढ़ करने आई है।

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प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?
उत्तर :
अंग्रेजों के शासन की तुलना तम से की गई है क्योंकि अंग्रेजों की कार्य प्रणाली अमानवीय थी। वे भारतीयों का शोषण करते थे। उनके अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानेवाले को जेल की काल-कोठरियों में कैद कर देते थे। जहाँ उन पर जुल्म किया जाता था।

प्रश्न 4.
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जानेवाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कविता के आधार पर हम कह सकते है कि पराधीन भारत की जेलों में स्वतंत्रता सेनानियों को बेड़ियों और हथकड़ियों में बांधकर चोर, लुटेरों और राहजनी करनेवाले बदमाशों को छोटी-छोटी कोटरियों में रखा जाता था। जहाँ उन्हें भर पेट खाना भी नहीं दिया जाता था। सुबह से शाम तक कोल्हू चलवाया जाता था, गिट्टी तोड़वाई जाती थी और पेट पर जुआ रखवाकर कुएँ से पुरवठ द्वारा पानी खिंचवाया जाता था।

इतना सब कुछ करने के बाद भी उन्हें तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती थीं। उन पर इतना तगड़ा पहरा रहता था कि वे आपस में मिलकर दुख-सुख की बातें भी नहीं कर सकते थे। उन्हें रोने पर भी गोलियाँ खानी पड़ती थीं।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए :
क. मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो !
ख. हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का फंआ।
उत्तर :
क. भाव – मृदुल वैभव की रखवाली से यहाँ कवि का तात्पर्य कोयल के अत्यंत मधुर और कोमल स्यर से है। जिसका गीत सुनकर लोग वाह-वाह ! करते हैं, लेकिन अचानक आधी रात में जब वह वेदनापूर्ण आवाज में चीख उठती है, तो – उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है।

ख. भाव – अंग्रेजी सरकार जेल में कवि से पशुओं के समान कार्य करवाते हैं। बैल के कंधे पर जुआ रखकर पुरवठ द्वारा कुएँ से पानी खिचवाया जाता है, परन्तु अत्याचारी अंग्रेज कवि के पेट पर जुआ बाँधकर कुएँ से पानी खिंचवाते हैं। इस अमानवीय काम को करते समय भी कवि दुःखी नहीं है। उसे लगता है कि अंग्रेज सरकार की अकड़ के कुएँ को खाली कर रहा है अर्थात् सरकार का घमंड चूर-चूर कर रहा है।

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प्रश्न 6.
अर्द्ध रात्रि में कोयल की चीन से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर :
अर्द्ध रात्रि में कोयल की चीख से कवि को निम्नलिखित अंदेशा है.

  1. कोयल पागल हो गई है।
  2. वह किसी कष्ट में है या कोई संदेश लेकर आई है।
  3. वह स्वतंत्रता सेनानियों के दुःख से दुःखी हो गई है।
  4. उसने स्वतंत्रता की ज्वालाएँ देख ली है।

प्रश्न 7.
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?
उत्तर :
कोयल की स्वतंत्रता से कवि को ईर्ष्या हो रही है। कोयल स्वच्छंद रूप से आसमान में उड़ सकती है जबकि कवि दस फुट की काल-कोठरी में कैद है। कोयल मधुर गीत गा सकती है, अपने गीतों पर लोगों की वाह-वाही लूट सकती है, जबकि कवि के लिए रोना भी एक बड़ा गुनाह है जिसके लिए उसे दंडित किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
कबि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर :
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी-भरी आम की डालियों पर बैठकर अपना मधुर गीत सुनाती है, उसके मधुर गीतों को सुनकर लोग वाह ! – वाह ! करते हैं। उसके गीतों पर किसी का अंकुश नहीं है, यह स्वतंत्रतापूर्वक अपना गीत गाती है। यह सुबह, दोपहर या दिन ढले अपना गीत सुनाती है परन्तु आज यह अर्द्धरात्रि में कूक रही है, उसके गीत में मधुरता नहीं, बल्कि वेदना-सी लग रही है। इस तरह असमय वेदनापूर्ण गीत सुनाकर वह अपनी मधुर स्मृतियों को नष्ट करने पर तुली है।

प्रश्न 9.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
कवि ने हथकड़ियाँ अपराध करके नहीं पहनी हैं। वह स्वतंत्रता सेनानी है। देश को आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश शासन से लड़ रहा है। कवि के मनोबल को तोड़ने के लिए उन्हें हथकड़ियाँ और बेड़ियों में जकड़ दिया गया है, कधि के लिए यह गौरव की बात है इसलिए हथकड़ियों को गहना कहा गया है।

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प्रश्न 10.
‘काली तू … ऐ आली !’ – इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर :
कविता में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति नौ बार हुई है, जो भिन्न-भिन्न अर्थ में है। कहीं पर कवि ने अंग्रेज सरकार के कुशासन की भयावहता की ओर संकेत किया है, तो कहीं वातावरण की भावहता और निराशा को उजागर किया है।

प्रश्न 11.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :
क. किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
ख. तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह !
देख्न विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रण भेरी !
उत्तर :
क. काव्य-सौंदर्य : कोयल असमय आधी रात को कूक उठती है। उसकी आवाज में कवि वेदना महसूस करता है। वह कोयल की वेदना का अनुमान लगाता है कि कहीं कोयल ने लोगों के अंदर भड़क उठी संघर्ष की आग की ज्वाला तो नहीं देख लिया है। पंक्ति की भाषा सरल एवं तत्सम युक्त है। ‘दायानल’ में रूपक अलंकार है और पंक्ति प्रश्न शैली में है।

ख. काव्य सौंदर्य : यहाँ कवि ने अपने और कोयल के जीवन का अंतर स्पष्ट किया है। कवि कहता है कि तेरे गीतों को लोग वाह-वाह कर सुनते हैं जबकि हमें रोने भी नहीं दिया जाता है। हमें चुपचाप पहरेदारों का अत्याचार सहना पड़ता है। इतना अंतर होने पर भी तू रणभेदी बजा रही है। काव्य-पंक्तियों में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है। ‘रणभेरी बजाना’ जैसे मुहावरे के द्वारा भाषा में सजीवता आ गई है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 12.
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?
उत्तर :
अन्य पक्षियों का चहकना सुनने के बावजूद कवि ने केवल कोयल की कूक की बात कही है क्योंकि जहाँ अन्य पक्षी सालभर चहकते हैं वहीं कोयल केवल वसंतऋतु में कूकती है। आधी रात में कूककर मानो वह कोई विशेष गुप्त संदेश देना चाहती है। क्रांतिकारी की छिप-छिपकर गुप्त संदेश भेजा करते थे। कवि को कोयल और क्रांतिकारियों की कार्य पद्धति में यह समानता दिखाई पड़ी होगी।

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प्रश्न 13.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक जैसा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?
उत्तर :
प्रत्येक शासक की दृष्टि में स्वतंत्रता की माँग करना गंभीर अपराध है। इस दृष्टि से अंग्रेज शासकों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को अपराधी मानकर व्यवहार करना, कोई ताज्जुब की बात नहीं। इस कदम द्वारा ये स्वाधीनता आन्दोलन या विद्रोह को कुचल डालना चाहते होंगे।

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अतिरिक्त प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जीवन पर कड़ा पहरा है’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
अंग्रेज सरकार की जेलों में बंद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को तरह-तरह की यातनाएँ दी जाती थीं। उन्हें भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था। अर्थात् न ठीक से जीने दिया जाता था, न मरने दिया जाता था।

प्रश्न 2.
कवि कोयल से क्या पूछता है ?
उत्तर :
कवि कोयल से पूछता है कि क्या तुम्हारा कुछ लुट गया है या तुमने दावानल की ज्वालाएँ देख्न ली हैं। तुम आधी रात के समय पगली तरह क्यों चीख रही हो।

प्रश्न 3.
कवि ने हथकड़ियों को क्या कहा है ?
उत्तर :
कवि ने हथकड़ियों को गहना कहा है।

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प्रश्न 4.
‘शासन की करनी भी काली’ का आशय क्या है ?
उत्तर :
‘शासन की करनी भी काली’ का आशय है कि अंग्रेजों की शासन व्यवस्था अमानवीय थी। वे भारतीयों पर अत्याचार करते थे।

प्रश्न 5.
‘मृदुल वैभव की रसवाली-सी’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
‘मृदुल वैभव की रखवाली-सी’ में उपमा अलंकार है।

भावार्थ एवं अर्थबोधन संबंधी प्रश्न

1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो ?
कोकिल बोलो तो !
क्या लाती हो ?
संदेशा किसका है ?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू,
चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना !
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है ?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ?

भावार्थ : कैदी के रूप में कवि कोयल से पूछता है कि वह क्या गाती है और बीच-बीच में चुप क्यों हो जाती है। अपने गीतों के माध्यम से मेरे लिए क्या तुम किसी का संदेश लाई हो ? कवि जेल के अंदर का वर्णन करते हुए कहता है कि हे कोयल ! जेल डाकू, चोर और बदमाशों का घर है। उन सबके बीच हम जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया है। जेल में भरपेट भोजन भी नसीब नहीं होता है।

यहाँ न जीने दिया जाता है और न ही मरने दिया जाता है। यहाँ अमानवीय परिस्थितियों में नारकीय जीवन बिताना पड़ रहा है। जेल कर्मचारी हम पर कड़ा पहरा रखते हैं। हमारी हर गतिविधि पर बारीक नजर रखी जाती है। ऐसा लगता है जैसे शासन नहीं बल्कि घोर अन्याय हैं। रात इतनी बीत चुकी है कि अब चन्द्रमा भी हमें निराश कर चला है। अब दुख की इस काली अंधेरी रात में आशा की कोई किरण नहीं है। हे सखि ! इस घोर अंधकारमय वातावरण में तू क्यों जाग रही है और हमें भी जगा रही है ? क्या हमारे लिए कोई संदेश तो नहीं लाई है ?

प्रश्न 1.
ब्रिटिश शासन में जेल में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था ?
उत्तर :
ब्रिटिश शासन में जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को चोर, लुटेरों और बदमाशों के साथ रखा जाता था। न ठीक से जीने दिया जाता था, न मरने। उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में नारकीय जीवन बिताना पड़ता था।

प्रश्न 2.
कवि कोयल से क्या पूछता है ?
उत्तर :
कवि कोयल से पूछता है कि घोर अंधेरी रात में असमय क्यों बोल रही हो। क्या किसी का संदेश लेकर आई हो ?

प्रश्न 3.
‘इस समय कालिमामयी रात’ का क्या आशय है ?
उत्तर :
‘इस समय कालिमामयी’ के माध्यम से कवि ने काली अंधेरी रात के साथ-साथ अंग्रेजों के अमानवीय शासन की ओर संकेत किया है।

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प्रश्न 4.
कवि कहाँ रहकर कोयल से बातें कर रहा है ? क्यों ?
उत्तर :
कवि जेल की चार दीवारी के बीच रहकर कोयल से बातें कर रहा है। वह कवि होने के साथ एक स्वतंत्रता सेनानी है। उसकी कविताएँ राष्ट्रीय भावना जगा रही थीं, जिससे अंग्रेजों के प्रति लोगों के मन में विद्रोह जन्म ले रहा था। जिसके कारण अंग्रेजों ने उसे जेल में कैद कर दिया है।

प्रश्न 5.
‘दिन-रात’ में कौन-सा समास है ?
उत्तर :
“दिन-रात’ में द्वन्द्व समास है।

2. क्यों हूक पड़ी ?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो !
क्या लूटा ?
मृदुल वैभव की रनवासी-सी,
कोकिल बोलो तो !
क्या हुई बावली ?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो !
किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
कोकिल बोलो तो !

भावार्थ : कवि ने कोयल की वेदनापूर्ण आवाज सुनकर पूछा कि हे कोयल ! तुम इस तरह क्यों चीख रही हो ? तुम्हारी वेदना भरी आवाज से लगता है, जैसे तुम्हारा संसार ही लुट गया हो। तुम्हारे पास तो मीठी आवाज़ का खजाना है। फिर इस तरह आधी रात को तुम पागलों की तरह क्यों चीख रही हो ? हे कोयल ! मुझे कुछ बताओ तो सही। कहीं तुमने जंगल में उत्पन्न होनेवाली आग की ज्वालाएँ तो नहीं देख ली, जिसके कारण तुम्हारे मुख से चीख निकल पड़ीं।

प्रश्न 1.
कवि को कोयल की हूक कैसी लग रही है ?
उत्तर :
कवि को कोयल की हूक दर्दभरी लग रही है।

प्रश्न 2.
कवि ने कोयल की आवाज कब सुनी ?
उत्तर :
कवि ने कोयल की आवाज आधी रात को सुनी।

प्रश्न 3.
कवि को कोयल की बोली दर्दभरी क्यों लग रही है ?
उत्तर :
कोयल के पास मीठी बोली का खजाना है। वह पूरे दिन अपनी मीठी आवाज से लोगों के दिलों पर राज करती है, परन्तु
वही कोयल असमय आधी रात को क्रंदन कर रही है, इसलिए उसकी बोली दर्दभरी लग रही है।

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प्रश्न 4.
कवि ने कोयल को बावली क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि ने कोयल को बावली इसलिए कहा है कि वह असमय आधी रात में कूक रही है। इस समय उसकी कूक सुननेवाला कौन है, सारा संसार तो सोया है। यदि उसे अपना संदेश लोगों तक पहुँचाना है तो दिन के समय बोलना चाहिए।

प्रश्न 5.
‘वेदना बोझवाली-सी’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
‘वेदना बोझवाली-सी’ में उपमा अलंकार है।

3. क्या ? – देख्न न सकती जंजीरों का गहना ?
हथकड़ियाँ क्यों ? यह ब्रिटिश-राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ ? – जीवन की तान,
गिट्टी पर अंगुलियों ने लिख्ने गान !
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली ?

इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो !

भावार्थ : कवि कोयल से पूछता है कि हे कोयल ! क्या तुम हम स्वतंत्रता सेनानियों के हाथों की हथकड़ियाँ और पैरों की जंजीरों को देख नहीं पा रही हो ? यह ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा पहनाया गया गहना है। सुबह से शाम तक हमें कोल्हू खींचना पड़ता हैं, उससे उत्पन्न चर्रक चूँ की ध्वनि ही हमारे जीवन का गीत बन गया है। यहाँ हम गिट्टियाँ तोड़ते हैं और हमें पेट पर जुआ रखकर पुरवठ खींचना पड़ता है। जिससे हमें लगता है कि हम ब्रिटिश सरकार के अकड़ के कुएँ को खाली कर रहे हैं।

दिन में शायद करुणा को जगाने का समय नहीं मिल पाया होगा इसलिए रात में तुम अपना मधुर स्वर सुनाकर हमें ढाँढस बँधाने आई हो। रात के इस सन्नाटे में तुम अंधकार को चीरती हुई आवाज क्यों कर रही हो। क्या तुम अंग्रेजों के प्रति चुपचाप विद्रोह के बीज बो रही हो। कवि को कोयल के गीत में उम्मीद की किरण नजर आ रही है।

प्रश्न 1.
‘जंजीरों का गहना’ किसे कहा गया है ?
उत्तर :
‘जंजीरों का गहना’ स्वतंत्रता सेनानियों को पहनाई गई हथकड़ियों को कहा गया है।

प्रश्न 2.
जेल में स्वतंत्रता सेनानियों से क्या-क्या काम कराया जाता था ?
उत्तर :
जेल में स्वतंत्रता सेनानियों से कोल्हू चलयाया जाता था, गिट्टी तुड़वाई जाती थी और पेट पर जुआ रखकर पुरवट द्वारा कुएँ से पानी खिंचवाया जाता था।

प्रश्न 3.
‘खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआँ’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
‘खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआँ’ से यह तात्पर्य है कि जेल में स्वतंत्रता सेनानियों का मनोबल तोड़ने के लिए पेट पर जुआ रखकर उनसे कुएँ से पानी खिंचवाया जाता था। परन्तु यह काम करते समय कवि को लगता है कि जुआ खींचकर वह अंग्रेजों की अकड़ का कुआँ खाली कर रहा है, अर्थात् उनकी अकड़ को चोट पहुँचा रहा है।

प्रश्न 4.
कोयल रात में क्यों गजब ढा रही है ?
उत्तर :
कोयल को दिन में शायद करुणा जगाने का समय नहीं मिल पाया होगा। इसलिए रात में गजब ढा रही है।

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प्रश्न 5.
कोयल मधुर विद्रोह-बीज क्यों बो रही है ?
उत्तर :
कोयल स्वतंत्रता सेनानियों में देश-प्रेम और देशभक्ति की भावना को मजबूत बनाना चाहती है, इसीलिए वह मधुर विद्रोह-बीज
बो रही है।

प्रश्न 6.
‘मधुर विद्रोह-बीज’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
‘मधुर विद्रोह-बीज’ में ‘विद्रोह-बीज’ अर्थात् विद्रोहरुपी बीज। इसलिए विद्रोह और बीज में एकरूपता के कारण सपक अलंकार है।

4. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-शृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की व्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली !
इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती !
कोकिल बोलो तो !
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती !
कोकिल बोलो तो !

भावार्थ : कवि ने यहाँ जेल की हर चीज को काला रंगवाला बताया है। काला रंग दुख और अशुभ का प्रतीक है। वह कोयल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे कोयल ! तेरा रंग काला है और रात भी काली है। ब्रिटिश सरकार का कामकाज भी काला अर्थात् अन्यायपूर्ण है। देश में अंग्रेजों के प्रति जो लहर उठ रही है, वह भी काली है।

जिस कोठरी में उसे रखा गया है, उसने जो टोपी पहनी है, वह जिस कंबल पर सोता है, सब काला है। उसकी बेड़ियाँ भी काली हैं। बीच-बीच में सुनाई देने वाली पहरेदारों की तेज आवाज साँपिन की तरह लगती है। इतने दुःखमय वातावरण रहनेवाले कैदियों ऊपर से गाली भी मिलती है। हे कोयल ! इस संकट के काले सागर में तुम मरने के लिए क्यों आई हो ? तुम इतनी उतावली क्यों हो रही हो, कुछ तो बोलो। तुम इन विपरीत परिस्थितियों में अपने चमकीले गीतों को कैसे गा लेती हो, कुछ तो बोलो।

प्रश्न 1.
काव्यांश में ‘काली’ शब्द की पुनरावृत्ति से कैसा वातावरण उपस्थित हुआ ?
उत्तर :
काव्यांश में ‘काली’ शब्द की पुनरावृत्ति से भय और डर का वातावरण उपस्थित हुआ है।

प्रश्न 2.
पहरेदार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कैसा व्यवहार करते है ?
उत्तर :
पहरेदार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बड़ा ही अमानवीय व्यवहार करते हैं। ये स्वतंत्रता सेनानियों पर अत्याचार तो कर ही रहे हैं, और बात-बात पर गालियाँ भी दे रहे हैं।

प्रश्न 3.
किन-किन वस्तुओं को काली बताया गया है ?
उत्तर :
कोयल, रात्रि, शासन की करनी, कवि की हथकड़ी, काल कोठरी, टोपी, कंबल, निराशा की लहर और मन में उठनेवाली कल्पनाओं को काली बताया गया है।

प्रश्न 4.
कोयल के गीत को कवि ने ‘चमकीले गीत’ क्यों कहा है ?।
उत्तर :
कोयल के गीत को कवि ने ‘चमकीले गीत’ इसलिए कहा है कि ये गीत जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को उत्साहित कर रहे हैं। अन्य भारतीयों में भी देश-प्रेम और देशभक्ति की भावना को बल दे रहा है।।

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प्रश्न 5.
‘मेरी काल कोठरी काली’ और ‘इस काले संकट-सागर पर’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
i. ‘मेरी काल कोठरी काली’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।
ii. ‘इस काले संकट-सागर पर’ में संकट और सागर के बीच एकरूपता बताई गई है, इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।

5. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली !
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार !
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह !
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी !
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ ?
कोकिल बोलो तो !
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर हूँ !
कोकिल बोलो तो !

भावार्थ : कवि अपनी और कोयल की तुलना करते हुए कहता है कि तुझे रहने के लिए हरे-भरे पेड़ों की डालियों मिली हैं जबकि मेरे नसीब में हरियाली नहीं है बल्कि जेल की काल कोठरी है। जहाँ नाना प्रकार की यातनाएँ हैं। तुम खुले आसमान में उड़ सकती हो जबकि मेरा संसार दस फुट की कोठरी में सिमटकर रह गया है।

तुम्हारे मीठे-मीठे गीतों को सुनकर लोग बाह-वाह करते नहीं थकते हैं और मेरा रोना भी अपराध समझा जाता है। हे कोयल ! तुम्हारी और मेरी स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर है। मैं गुलाम हूँ और तुम आजाद। इसके बाद भी तू रणभेरी बजाकर लोगों को आजादी के लिए प्रेरित कर रही है। कोयल तुम्हारी इस हुंकार पर ओजस्वी रचनाएँ लिखने के अतिरिक्त भला और मैं क्या कर सकता हूँ। आज गाँधीजी का संकल्प पूरा हो, उसके लिए अपनी ऊर्जा किसमें भर दूं, कुछ तो बोलो कोयल।

प्रश्न 1.
कवि और कोयल के जीवन में क्या विषमता है ?
उत्तर :
कोयल हरे-भरे पेड़ों की डालियों पर स्वच्छंदता से उड़ती फिर रही है, वहीं कवि दस फुट की कोठरी मे जीवन बिता रहा है। कोयल गाती है तो लोग वाह-वाह करते हैं जबकि कवि के लिए रोना भी अपराध है। वह अपनी बात किसी से नहीं कह सकता है।

प्रश्न 2.
कवि काली कोठरी में क्यों रह रहा है ?
उत्तर :
कवि स्वतंत्रता सेनानी है। वह अपनी रचनाओं से देशवासियों को आजादी के लिए प्रेरित कर रहा था इसलिए अंग्रेजों ने उसे काली कोठरी में कैद कर दिया है।

प्रश्न 3.
कोयल किस प्रकार रणभेरी बजा रही है ?
उत्तर :
कोयल अपने गीतों के माध्यम से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष के लिए एक तरफ जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों का मनोबल दृढ़ कर रही है तो दूसरी तरफ पूरे देश में विचरण करके स्वतंत्रता के लिए लोगों को बलिदान देने के लिए प्रेरित। कर रही है।

प्रश्न 4.
कवि के लिए रोना क्यों गुनाह है ?
उत्तर :
कवि को ऊँची-ऊँची दीवारों के बीच कैद करके रखा गया है। जहाँ अमानवीय परिस्थितियों में रहते हुए उसे नाटकीय जीवन बिताना पड़ रहा है। उन पर इतना कड़ा पहरा है कि वे आपस में एकदूसरे से बात करके मन भी नहीं हलका कर सकते हैं इसीलिए कवि ने कहा है कि यहाँ रोना भी गुनाह है।

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प्रश्न 5.
कवि किसके व्रत पर क्या करने को तैयार है ?
उत्तर :
कवि महात्मा गाँधी के व्रत पर देश की आजादी के खातिर अपने प्राणों का उत्सर्ग करने को तैयार है।

प्रश्न 6.
काव्यांश से अनुप्रास अलंकार का उदाहरण ढूँढकर लिजिए।
उत्तर :
‘कृति से और कहो क्या कर दूँ’ पंक्ति में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।

कैदी और कोकिला Summary in Hindi

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था। इन्होंने हिन्दी एवं संस्कृत का अध्ययनअध्यापन किया। वे मात्र 16 वर्ष की उम्र में शिक्षक बन गए थे। इन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं का संपादन किया। वे देशभक्त कवि और प्रखर पत्रकार थे। इनकी कविताओं में आपबीती और देश पर बीती घटनाओं का वर्णन है। मात्र उन्नीस साल के थे तभी इनकी पत्नी का देहांत हो गया था। इनकी कविताओं में पीड़ा का स्वर फूट पड़ा।

हिमकिरीटनी, साहित्यदेवता, हिम तरंगिनी, वेणु लों गूंजे धरा, युग चरण और समर्पण उनकी प्रमुख्न रचनाएँ हैं। ‘कृष्णार्जुन’। इनका प्रसिद्ध नाटक है। उन्हें पद्मभूषण एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

कविता परिचय :

‘कैदी और कोकिला’ कविता कवि ने उस समय लिखी जब देश ब्रिटिश शासन के गुलाम था। अंग्रेज सरकार भारतीयों का शोषण करती थी और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जेल में अमानवीय व्यवहार करती थी। उन स्वतंत्रता सेनानियों में कवि स्वयं भी था। जेल में वह उदास और एकाकी जीवन जी रहा था। कोयल से अपने मन का दुःख, असंतोष और अंग्रेज सरकार के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए वह कहता है कि यह समय मधुर गीत गाने का नहीं बल्कि दासता से मुक्ति का गीत सुनाने का है। जब कोयल आधी रात को चीख उठी तो कवि को लगा कि जैसे कोयल भी पूरे देश को एक कारागार समझने लगी है।

GSEB Solutions Class 9 Hindi Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

शब्दार्थ-टिप्पण :

  • रह-रह जाती हो – बोलते-बोलते रूक जाना
  • बटमार – रास्ते में यात्रियों को लूट लेनेवाला
  • डेरे में – निवास में
  • तम – अंधकार
  • हिमकर – चंद्रमा
  • आली – सखी
  • हुक पड़ी – चीख पड़ी
  • वेदना – पीड़ा
  • मृदुल – कोमल, मधुर
  • वैभव – धन-दौलत
  • बावली – पगली
  • दावानल – जंगल में उत्पन्न होनेवाली आग
  • चर्रक चूँ – कोल्हू चलने से उत्पन्न ध्वनि
  • गिट्टी – पत्थर के छोटे टुकड़े
  • मोट – पुर, चरसा
  • चमड़े का बड़ा-सा पात्र जिससे कुएँ आदि से पानी निकाला जाता है
  • जूआ – जुआठा, बैलों के कंधे पर रखी जानेवाली लकड़ी
  • बेधना – चीरना
  • रजनी – रात
  • कमली – कंबल
  • लौह-शृंखला – बेड़ियाँ
  • हुंकृति – हुंकार
  • ब्यानी – सर्पिणी
  • तिस पर – उस पर
  • संचार – आवागमन
  • विषमता – अंतर
  • मोहन – मोहनदास करमचंद गाँधी
  • आसव – रस, उत्तेजना

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