GSEB Solutions Class 12 Hindi Chapter 8 चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग

Gujarat Board GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 8 चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 8 चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग

GSEB Std 12 Hindi Digest चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए :

प्रश्न 1.
सिकरम किससे चलती थी?
(क) बैलों से
(ख) घोड़ों से
(ग) ऊँटों से
(घ) गुलामों से
उत्तर :
(ख) घोड़ों से

प्रश्न 2.
गांधीजी को सिकरम में कहाँ बैठाया गया?
(क) यात्रियों के पास
(ख) गोरे के पैरों में
(ग) कोचवान की बगल में
(घ) सबके पीछे
उत्तर :
(ग) कोचवान की बगल में

प्रश्न 3.
गोरा मुखिया बाहर निकल कर क्या करना चाहता था?
(क) पानी पीना चाहता था।
(ख) कोफी पीना चाहता।
(ग) गांधीजी से झगड़ना चाहता था।
(घ) सिगरेट पीना चाहता था।
उत्तर :
(घ) सिगरेट पीना चाहता था।

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प्रश्न 4.
गाँधीजी भगवान से क्या प्रार्थना करते रहे ?
(क) रक्षा के लिए
(ख) देशवासियों के हक के लिए
(ग) जोहनिसबर्ग पहुँचने के लिए
(घ) स्वतंत्रता के लिए
उत्तर :
(क) रक्षा के लिए

प्रश्न 5.
दूसरे दिन गांधीजी को सिकरम में कहाँ जगह मिली?
(क) गाड़ीवान के पास
(ख) यात्रियों के पास
(ग) गोरे मुखिया के पास
(घ) एजेण्ट के पास
उत्तर :
(ख) यात्रियों के पास

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
जोहनिसबर्ग पहुँचने के लिए एक रात कहाँ रुकना पड़ता था?
उत्तर :
जोहनिसबर्ग पहुँचने के लिए एक रात स्टैण्डरटन में रुकना पड़ता था।

प्रश्न 2.
अब्दुल्ला सेठ ने किसे तार किया था?
उत्तर :
अब्दुल्ला सेठ ने चार्ल्सटाउन के पते पर सिकरमवाले को तार किया था।

प्रश्न 3.
गांधीजी ने किसे अन्याय माना?
उत्तर :
सिकरम में गांधीजी की बैठक अंदर थी, पर जब सिकरम कंपनी का गोरा मुखिया उनकी बैठक पर अंदर बैठा और उसने गांधीजी को कोचवान की बगल में बैठा दिया, तो गांधीजी ने इसे अन्याय माना।

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प्रश्न 4.
गोरा अंगुली दिखाकर क्या बड़बड़ाता था?
उत्तर :
गोरा अंगली दिखाकर बड़बडाता था-“याद रख, स्टैण्डरटन पहुंचने दे, फिर तुझे मज़ा चखाऊँगा।”

प्रश्न 5.
गांधीजी को क्या देखकर तसल्ली हुई?
उत्तर :
गांधीजी सिकरम से रात को जब स्टैण्डरटन पहुंचे, तो वहाँ उन्हें कई हिन्दुस्तानी चेहरे दिखाई दिए। यह देखकर उन्हें तसल्ली हुई।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्यों में लिखिए :

प्रश्न 1.
चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग कैसे पहँचा जाता था?
उत्तर :
चाल्सटाउन से जोहनिसबर्ग जाने के लिए घोड़ों की सिकरम पकड़नी पड़ती थी। बीच में एक रात स्टैण्डरटन में रुकना पड़ता था। इस तरह सिकरम से चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग पहुंचा जाता था।

प्रश्न 2.
गोरा मुखिया कहाँ बैठता था?
उत्तर :
सिकरम से यात्रा करनेवाले लोग सिकरम में अंदर बैठते थे। सिकरम के बाहर कोचवान की बगल में दाएं-बाएं दो बैठकें थीं। गोरा मुखिया इन बैठकों में से एक बैठक पर बैठता था।

प्रश्न 3.
सिकरम पारडीकोप पहुँची तो गोरे मुखिया ने गांधीजी से क्या कहा?
उत्तर :
चाल्सटाउन से जोहनिसबर्ग की यात्रा में गोरे मुखिया ने गांधीजी को सिकरम में कोचवान की बगल की बैठक पर बिठा दिया था। सिकरम जब पारडीकोप पहुंची, तो उसने सिकरम में पैर रखने के पटिये पर मैला-सा बोरा बिछाकर गांधीजी से कहा, “सामी, तू यहाँ बैठ। मुझे कोचवान के पास बैठना है।”

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प्रश्न 4.
सहयात्रियों ने गांधीजी का पक्ष लेते हुए क्या कहा?
उत्तर :
गोरे मुखिया ने गांधीजी को अपने पैरों के पास बैठाना चाहा, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इस पर गोरा गांधीजी को मारने और गालियां देने लगा। यह देखकर सहयात्रियों ने गांधीजी का पक्ष लेते हुए कहा, “अरे भाई, उस बेचारे को वहाँ बैठा रहने दो। उसे नाहक मारो मत। वहाँ नहीं तो, उसे हमारे पास अंदर बैठने दो।”

प्रश्न 5.
हिन्दुस्तानी भाइयों ने गांधीजी से क्या कहा?
उत्तर :
गोरे मुखिया ने स्टैण्डरटन पहुंचने पर गांधीजी को मजा चखाने की धमकी दी थी। रात को गांधीजी स्टैण्डरटन पहुँचे, तो वहाँ कई हिन्दुस्तानियों को देखकर उन्हें तसल्ली हुई। हिन्दुस्तानी भाइयों ने गांधीजी से कहा, “हम आपको ईसा सेठ की दुकान पर ले जाने के लिए ही खड़े हैं। हमें दादा अब्दुल्ला का तार मिला है।”

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
सिकरम का टिकट रद्द होने का रहस्य क्या था?
उत्तर :
गांधीजी के पास सिकरम का टिकट था। इसके अलावा अब्दुल्ला सेठ ने सिकरमवाले के नाम तार भी कर दिया था। सिकरम में सिकरम कंपनी का गोरा मुखिया भी था। उसने गांधीजी से कहा कि उनका टिकट तो रह हो गया है। गांधीजी ने उसे बताया कि उनका टिकट सही है, पर गोरे मुखिया के मन में तो कुछ और ही था। उसकी दृष्टि में तो गांधीजी ‘कुली’ थे। वह नहीं चाहता था कि वे गोरे यात्रियों के साथ बैठें। इसलिए उसने जानबूझकर गांधीजी के टिकट को रद्द हो गया बताया। इस प्रकार गांधीजी का सिकरम का टिकट रद्द होने का रहस्य गोरों के बीच एक भारतीय के बैठने की असहनशीलता थी।

प्रश्न 2.
गोरे मुखिया और गांधीजी के बीच झगड़ा क्यों हुआ?
उत्तर :
दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को ‘कुली’ माना जाता था। गांधीजी भी भारतीय थे। वे सिकरम में गोरे यात्रियों के साथ बैठे थे। गोरा मुखिया इसे सहन न कर सका। वह गांधीजी की बैठक (सीट) पर बैठ गया और उसने गांधीजी की कोचवान की बगलवाली बैठक पर बिठा दिया, जहाँ वास्तव में उसे बैठना चाहिए था। गांधीजी ने उस अपमान को सहन कर लिया।

बाद में उसकी इच्छा वहाँ बैठने की हुई जहाँ उसने गांधीजी को बिठाया था। उसने एक मैला-सा बोरा पैर रखने के पटिए पर बिछा दिया और गांधीजी से कहा कि वे अपनी बैठक से उठ जाएं और उस बौरे पर बैठ जाएँ। गांधीजी इस अपमान को बरदाश्त न कर सके। इसी बात पर गोरे मुखिया से उनका झगड़ा हुआ।

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प्रश्न 3.
गांधीजी ने सिकरम कम्पनी के एजेन्ट को चिट्ठी क्यों लिखी? उसका क्या उत्तर प्राप्त हुआ?
उत्तर :
अपमान के चूंट पीते हुए गांधीजी स्टैण्डरटन से जोहनिसबर्ग पहुंच गए। उन्होंने सिकरम कंपनी के एजेंट के नाम पत्र लिखा। उसमें उन्होंने उस गोरे की शिकायत की जिसने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। कंपनीवालों से गांधीजी ने सुबह की अपनी यात्रा के लिए सिकरम में अंदर की जगह देने का आग्रह किया। उत्तर में एजेंट ने गांधीजी को आश्वस्त किया कि कल वह गोरा नहीं रहेगा। कल स्टैण्डरटन से बड़ी सिकरम आएगी। उसमें उन्हें यात्रियों के साथ सिकरम में अंदर जगह मिलेगी। इस प्रकार एजेंट से गांधीजी को अनुकूल उत्तर प्राप्त हुआ।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सविस्तार (पाँच-छ: वाक्यों में) लिखिए :

प्रश्न 1.
गोरे मुखिया ने गांधीजी की पिटाई क्यों की?
उत्तर :
गांधीजी कोचवान की बगल में बैठकर एक बार अपमान सह चुके थे। लेकिन जब गोरे मुखिया ने पटिए पर रखे मैले-से बोरे पर उन्हें बैठने के लिए कहा तो यह अपमान सहन करने के लिए वे राजी न हुए। उनके इनकार को गोरा मुखिया सह नहीं सका। क्रोधित होकर वह गांधीजी पर तमाचों की वर्षा करने लगा। गोरा मुखिया उनकी बांह पकड़कर उन्हें नीचे उतारने लगा, पर गांधीजी ने सिकरम के सींखचों को कसकर पकड़े रखा। इसलिए वह उन्हें न उतार सका, परंतु उन्हें मारता रहा और गालियाँ देता रहा। इस प्रकार अपना आदेश न मानने पर गोरे मुखिया ने गांधीजी की पिटाई की।

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प्रश्न 2.
स्टैण्डरटन पहुंचने पर गांधीजी ने कैसा अनुभव किया?
उत्तर :
चार्ल्सटाउन से स्टैण्डरटन तक की गांधीजी की यात्रा बड़ी कष्टदायक रही! गोरे मुखिया ने उन्हें बहुत परेशान किया। उसने उनका अपमान किया, पिटाई की और पहुंचने पर उन्हें मजा चखाने की धमकी देता रहा। बेचारे गांधीजी को उससे बहुत डर लगता रहा। उन्हें लगा कि वे मकाम पर जिंदा पहँच पाएंगे कि नहीं। रात हुई और सिकरम स्टैण्डरटन पहुंची। वहाँ गांधीजी ने कई भारतीयों को देखा, तब उन्हें तसल्ली हुई। उन्हें तब और तसल्ली हुई जब उन लोगों ने कहा कि वे उन्हें ईसा सेठ की दुकान पर ले जाएंगे। इस प्रकार स्टैण्डरटन पहुंचने पर गांधीजी ने राहत की सांस ली।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:

प्रश्न 1.
गोरे अफसर ने गांधीजी के साथ दुर्व्यवहार क्यों किया?
उत्तर :
गोरे अफसर ने सिकरम में बैठे गांधीजी को पैर रखने के पटिये पर मैला-सा कपड़ा बिछाकर बैठने को कहा। गांधीजी ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया, इसलिए गोरे अफसर ने गांधीजी के साथ दुर्व्यवहार किया।

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :

  • रह = अनुपयोगी, व्यर्थ
  • अजनबी = अपरिचित
  • नीयत = इरादा
  • अन्याय = नाइंसाफी, अनीति
  • अपमान = अनादर
  • तकरार = झगड़ा
  • असमर्थ = अशक्त
  • नाहक = व्यर्थ
  • शक = संदेह
  • तसल्ली = दिलासा

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निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :

  • उचित × अनुचित
  • दायाँ × बायाँ
  • अपमान × सम्मान
  • समझदारी × नासमझी
  • थोड़ी × बहुत
  • मैला × साफ-सुथरा
  • असमर्थ × समर्थ
  • अंदर × बाहर
  • इच्छा × अनिच्छा
  • बलवान × बलहीन
  • दया × निर्दयता
  • शर्मिंदा × बेशर्म
  • खुश × नाखुश
  • कड़वा × मीठा
  • आश्वस्त × अनाश्वस्त
  • आगे × पीछे

निम्नलिखित तद्भव शब्द का तत्सम रूप लिखिए :

जिन्दा – जीवित

निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए:

  • अन्याय = अ (उपसर्ग) + न्याय
  • प्रार्थना = प्र (उपसर्ग) + अर्थना
  • बेफिकरी = वे (उपसर्ग) + फिकरी

निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :

  • जो उपयोग के लायक न हो – रही
  • जिससे जान-पहचान न हो – अजनबी
  • गाड़ी हाँकनेवाला – कोचवान
  • जो उचित न हो – अनुचित
  • समझना’ क्रिया की संज्ञा – समझदारी
  • जो समर्थ न हो – असमर्थ
  • हथेली और पहुँचे के बीच का भाग – कलाई
  • जिसके पास कोई चारा न हो – बेचारा
  • अपने पर बीती हुई – आपबीती
  • जिसे आश्वासन दिया गया है – आश्वस्त
    जिसे कोई फिक़ न हो – बेफिक्र

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निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. आपकी टिकट रद्द हो चुकी है।
  2. मैंने यह अपमान को पी लिया।
  3. मेरा जगह अंदर था।
  4. मेरे ऊपर तमाचों की वर्षा होने लगी।
  5. मैं उन लोग को अपने पर बीती सुनाई।
  6. मैं बहोत खुश हुआ।
  7. मेरा घर तुमसे बड़ा है।
  8. मुंबई की सड़के नागपुर से अच्छी हैं।

उत्तर :

  1. आपका टिकट रद्द हो चुका है।
  2. मैंने इस अपमान को पी लिया।
  3. मेरी जगह अंदर थी।
  4. मुझ पर तमाचों की वर्षा होने लगी।
  5. मैंने उन लोगों को आपबीती सुनाई।
  6. मैं बहुत खुश हुआ।
  7. मेरा घर तुम्हारे घर से बड़ा है।
  8. मुंबई की सड़कें नागपुर की सड़कों से अच्छी हैं।

निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए :

हवा खाना – शुद्ध वायु का सेवन करना
वाक्य : मेरे दादाजी सुबह-शाम बगीचे में हवा खाते है।

छाती धड़कना – भय से हृदय काँपने लगना
वाक्य : रास्ते में फण निकाले हुए नाग को देखकर यात्री की छाती धड़कने लगी।

चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

गुलामी के दिनों में अंग्रेजों द्वारा भारतवासियों पर तरह-तरह के जुल्म ढाए जाते थे और उन्हें एक कुली से अधिक नहीं समझा जाता था। इसका शिकार महात्मा गांधी को भी होना पड़ा था। प्रस्तुत कृति में दक्षिण अफ्रीका में चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग की यात्रा में उन पर एक गोरे (अंग्रेज) द्वारा किए गए अमानुषिक व्यवहार का स्वयं गांधीजी के शब्दों में वर्णन है। यह कृति गांधीजी की आत्मकथा का अंश है।

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पाठ का सार :

चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग : गांधीजी चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग जा रहे थे। इस यात्रा के लिए ट्रेन सेवा नहीं थी। यहां घोड़ों की सिकरम से जाना पड़ता था और एक रात स्टैण्डरटन में रुकना होता था।

सिकरम से यात्रा : गांधीजी के पास सिकरम का टिकट था और सिकरमवाले के नाम अब्दुल्ला सेठ ने तार भी किया था। पर सिकरमवाले ने गांधीजी को परेशान करने के लिए उनसे कहा कि उनका यह टिकट तो रद्द हो चुका है। पर ऐसा था नहीं। सिकरम से जानेवाले सभी यात्री सिकरम के अंदर बैठते थे, पर सिकरम कंपनी का गोरा मुखिया गांधीजी की बैठक पर अंदर बैठ गया और उसने गांधीजी को कोचवान की बगलवाली बैठक पर बिठा दिया। जबकि वहाँ उस मुखिया को बैठना था।

और अपमानित करने का प्रयास : सिकरम पारडीकोप पहुंची, तो गोरे मुखिया ने गांधीजी को और तंग करने की सोची। मुखिया ने चाहा कि जहां उसने गांधीजी को बिठाया था, वहाँ वह आकर बैठे। इसलिए उसने एक मैला-सा बोरा पैर रखने के पटिये पर बिछा दिया और गांधीजी से कहा कि वे अपनी बैठक से उठ जाएं और उस बोरे पर बैठ जाएं।

विरोध के एवज में पिटाई : गांधीजी कोचवान की बगल में बैठकर एक बार अपमान सह चुके थे। अब वे पैर रखने की जगह बैठने का अपमान सहने के लिए राजी नहीं हुए। इसका परिणाम यह हुआ कि उन पर उस गोरे के तमाचे बरसने लगे। इसके बाद वह गोरा गांधीजी की बांह पकड़कर उन्हें नीचे उतारने लगा। पर गांधीजी ने सींखचों को कसकर पकड़ रखा था। इसलिए वह उन्हें उतार नहीं सका। वह उन्हें मारता रहा और गालियां देता रहा।

सहयात्रियों की दया भावना : सिकरम में बैठे साथवाले यात्रियों में से कुछ को यह देखकर दया आई। उन्होंने कहा कि वह उसे न मारे। उस बेचारे को अपनी बैठक पर बैठा रहने दे। इससे उस गोरे का मारना तो रुक गया, पर वह गांधीजी को गालियां देता रहा। अब सिकरम चलने लगी थी।

गोरे की धमकी : वह गोरा बार-बार गांधीजी को घूरता रहा। उन्हें धमकी देता रहा – “याद रख। स्टैण्डरटन पहुंचने पर फिर तुझे मजा चखाऊँगा।’ बेचारे गांधीजी को डर लग रहा था कि वे जिंदा मुकाम पर पहुंच पाएंगे या नहीं।

जान में जान आई : रात हुई और सिकरम स्टैण्डरटन पहुंच गई। उन्होंने वहाँ कई हिंदुस्तानियों को देखा तो उनकी जान में जान आई। उन्हें तब और तसल्ली हुई जब उन लोगों ने बताया कि वे लोग उन्हें ही लेने आए हैं। उन्होंने कहा कि वे उन्हें ईसा सेठ की दुकान पर ले जाएंगे।

ईसा सेठ की दुकान पर : गांधीजी उन हिंदुस्तानियों के साथ ईसा सेठ की दुकान पर पहुंचे तो उन्हें लगा कि अब वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने उन्हें रास्ते में घटी अपनी आपबीती बताई। उन्होंने गांधीजी को आश्वस्त किया।

सिकरम कंपनी के एजेंट से शिकायत : गांधीजी ने सिकरम कंपनी के एजेंट के नाम पत्र लिखकर उस गोरे की शिकायत की, जिसने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। कंपनीवालों से गांधीजी ने सुबह की अपनी यात्रा के लिए सिकरम में अंदर की जगह देने का आग्रह किया।

एजेंट का आश्वासन : एजेंट ने गांधीजी को आश्वस्त किया, कि कल वह गोरा नहीं रहेगा। कल स्टैण्डरटन से बड़ी सिकरम आएगी और उन्हें अन्य यात्रियों के साथ सिकरम में अंदर जगह मिलेगी। इसके बाद वापसी के समय गांधीजी बिना किसी हैरानी जोहनिसबर्ग आ गए।

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चार्ल्सटाउन से जोहनिसबर्ग शब्दार्थ :

  • सिकरम – घोड़ों से खींची जानेवाली गाड़ी।
  • बहाना – नाम मात्र का कारण।
  • निरा – बिलकुल।
  • अजनबी – अपरिचित।
  • नीयत – मंशा।
  • बैठकें – बैठने के स्थान।
  • कोचवान – घोडागाड़ी होकनेवाला।
  • जोर-जबरदस्ती – बलप्रयोग, अत्याचार।
  • तकरार – विवाद।
  • देव – ईश्वर।
  • झुंझलाना – खीझना, बिगड़ना।
  • मुखिया – प्रधान व्यक्ति।
  • अपमान – अनादर, बेइज्जती।
  • असमर्थ – अशक्त, कमजोर।
  • सींखचे – लोहे का छोटा छड़।
  • बलहीन – एकदम कमजोर।
  • नाहक – अनायास।
  • हरगिज़ – किसी भी हालत में नहीं।
  • शर्मिंदा – लज्जित।
  • घूरना – आँखें गड़ाकर देखना।
  • बड़बड़ाना – बड़बड़ करना।
  • तसल्ली – बाढ़स, दिलासा।
  • बीती – घटित घटना।
  • आश्वस्त – जिसे बाढ़स बंधाया गया हो।
  • आश्वासन – दिलासा।
  • बेफिकरी – निश्चिंतता।
  • मुनासिब – उचित, ठीक।

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