Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions पूरक वाचन Chapter 2 कट गए पेड़ पर देसिन भई छाँव रे Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 2 कट गए पेड़ पर देसिन भई छाँव रे
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
पेड़ों के कटने का गाँवों और शहरों पर क्या असर हुआ है?
उत्तर :
गाँवों के हरे-भरे पेड़ कट जाने से पेड़ों की छाया सपना हो गई है। वह किसी परदेसिन की तरह दूर देश चली गई है। पेड़ों के कटने से शहर अब गाँव तक फैल गए हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि गाँव छोटे होते जा रहे हैं। इस तरह पेड़ों के कटने से गाँवों और शहरों पर बुरा असर हुआ है।
प्रश्न 2.
मनुष्य ने मौसम के प्रति किस तरह निर्दयता दिखाई है?
उत्तर :
मनुष्य बड़ी बेरहमी से पेड़ों की कटाई कर रहा है। उसे मालूम है कि हरे-भरे पेड़ों के कारण ही अच्छी वर्षा होती है। पेड़ कट जाएंगे तो सूखे का सामना करना पड़ेगा। फिर भी उसे मौसम पर तरस नहीं आ रहा है। इस तरह मौसम की पीड़ा की उपेक्षा करके मनुष्य ने मौसम के प्रति निर्दयता दिखाई है।
प्रश्न 3.
पेड़ों की कटाई का पंछियों पर क्या प्रभाव हुआ है?
उत्तर :
पंछी पेड़ों पर ही घोंसले बनाकर रहते हैं। पेड़ों के कट जाने से उनके आशियाने उजड़ गए हैं। अब वे अपने घोंसले बनाएं तो कहाँ बनाएँ? कौआ बेहाल होकर इधर-उधर छाया ढूंढ़ता फिरता है। इस तरह पेड़ों की कटाई का पंछियों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।
प्रश्न 4.
सावन के बारे में कवि क्या सोचकर दुःखी हैं?
उत्तर :
कवि कहता है कि वर्षा के होने पर ही सावन का आनंद आता है। वनस्पतियों पर बहार आती है। पेड़ों के कटने से वर्षा रूठ गई है। अब चंपा की सुगंध सपना हो गई है और बेला के पौधों पर फूल ही नहीं आते। अब पेड़ों पर झूले भी नहीं पड़ते। इस प्रकार वर्षा के अभाव में सावन के बारे में सोचकर कवि दुःखी है।
प्रश्न 5.
आखिरी एक दाँव कौन-सा बचा है?
उत्तर :
कवि कहते हैं कि शहर गाँवों की ओर फैलते जा रहे हैं। पेड़ों का बुरी तरह विनाश हो गया है। गांवों को बचाव और उन्हें हरा-भरा रखने का अब केवल एक उपाय बचा है। वह यह है कि सब लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। इस उपाय से गांव का वातावरण पहले जैसा ही सुखमय और सुहावना हो जाएगा।
कट गए पेड़ पर देसिन भई छाँव रे Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
इस कविता में अंधाधुंध रूप से वृक्षों के काटे जाने के परिणाम स्वरूप होनेवाले दुष्परिणामों पर मार्मिक और दिल को छू लेनेवाली व्यथा का वर्णन किया गया है। कविता में आहवान किया गया है कि अब केवल एक ही उपाय बचा है कि सब लोग पेड़ लगाएं।
कविता का सरल अर्थ :
कवि कहता है कि गांवों के हरे-भरे सारे पेड़ कट गए हैं। इसके कारण पेड़ों की छाया सपना हो गई है। वह किसी परदेसिन की तरह दूर देश चली गई है। पेड़ों के कटने से शहर अब गांवों तक पसर गए हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि गाँव छोटे होते जा रहे हैं।
कवि कहता है कि मनुष्य इतना निर्दय हो गया है कि वह बेरहमी से पेड़ों की कटाई कर रहा है। उसे मौसम की पीड़ा की भी चिंता नहीं है। अर्थात् उसे मालूम है कि पड़ों के कारण ही अच्छी बरसात होती है। पेड़ कट जाएँगे, तो सूखे का सामना करना पड़ेगा। फिर भी उसे मौसम पर तरस नहीं आ रहा है। पेड़ों के कट जाने से पंछियों के आशियाने उजड़ गए हैं। बेचारे पंछी अपने घोंसले भला कहाँ बनाएं? कौआ बेहाल होकर इधर-उधर छाया ढूंढ़ता फिरता है।
पेड़ों के कट जाने से वर्षा न होने से वनस्पतियों पर बुरा असर हुआ है। अब चंपा की सुगंध सपना हो गई है। बेला के पौधों में फूल ही नहीं आते। हम तो यह भी भूल गए हैं कि कभी सावन में झूले भी पड़ते थे, क्योंकि झूले तो बड़े-बड़े पेड़ों पर ही पड़ते थे। अब गाँवों में पेड़ ही नहीं रहे, तो झूले पड़े किस पर!
कवि कहते हैं कि शहर गाँवों की ओर फैलते जा रहे हैं। पेड़ों का विनाश हो गया है। अब तो केवल एक ही आखिरी उपाय बच गया है गाँवों को बचाने और परिसर को हराभरा रखने का – सब लोग पेड़ लगाएं, पेड़ लगाएं। इससे सब कुछ फिर पहले जैसा सुखमय हो जाएगा, सुहाना हो जाएगा।
कट गए पेड़ पर देसिन भई छाँव रे शब्दार्थ :
- परदेसिन – जो (स्त्री) परदेस में चली गई हो।
- भई – हुई।
- फैलना – प्रसार होना।
- सिमटना – सिकुड़ते जाना।
- मनुख – मनुष्य।
- पीड़- पीड़ा।
- पंछी – चिड़िया।
- नीड़ – घोंसला।
- कागा – कौआ।
- चंपा – सुगंधित सुनहले रंग का फूल।
- बेला – सुगंधित सफेद रंग का फूल।
- भूले – भूल गए।
- दीव – तरीका।