Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Chapter 4 चन्द्रशेखर आज़ाद Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Chapter 4 चन्द्रशेखर आज़ाद
GSEB Std 11 Hindi Digest चन्द्रशेखर आज़ाद Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
हृदय की चोट किससे ठीक होती है?
(क) दवाई से
(ख) स्मृति से
(ग) विस्मृति से
(घ) वरदान से
उत्तर :
(ग) विस्मृति से
प्रश्न 2.
चन्द्रशेखर आजाद लेखक को क्या कहकर बुलाते थे?
(क) भइया कहकर
(ख) भाई साहब कहकर
(ग) बड़ेभाई कहकर
(घ) दादा कहकर
उत्तर :
(क) भइया कहकर
प्रश्न 3.
लेखक ने चन्द्रशेखर आजाद के मन को किसके समान बताया है ?
(क) नारियल के समान कठोर
(ख) फूल की तरह कोमल
(ग) मक्खन सदृश कोमल
(घ) पत्थर के समान कठोर
उत्तर :
(ग) मक्खन सदृश कोमल
प्रश्न 4.
चन्द्रशेखर आजाद के लिए दया का दूसरा नाम क्या था ?
(क) सहानुभूति
(ख) कायरता
(ग) साहस
(घ) वीरता
उत्तर :
(ख) कायरता
प्रश्न 5.
लेखक के मतानुसार क्रांतिकारी लोग कैसे होते थे ?
(क) वचन के कृपण व मन्तव्य के बड़े गोप्य
(ख) वचन के पक्के व मन्तव्य के बड़े गोप्य
(ग) वचन के कृपण व मन्तव्य के स्पष्ट
(घ) वचन के कच्चे व मन्तव्य के बड़े स्पष्ट
उत्तर :
(क) वचन के कृपण व मन्तव्य के बड़े गोप्य
2. एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
स्मृति की तीव्रता कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तर :
स्मृति की तीव्रता शास्त्रों के अनुशीलन और पुस्तकों के स्वाध्याय से प्राप्त होती है।
प्रश्न 2.
विस्मृति का वरदान कैसे मिलता है?
उत्तर :
विस्मृति का वरदान संतों के सत्संग और विराग के अनुष्ठान से मिलता है।
प्रश्न 3.
चन्द्रशेखर आजाद किन गुणों के पोषक थे?
उत्तर :
चन्द्रशेखर आज़ाद जीवन की पवित्रता, सामाजिक निर्मलता, वैयक्तिक उज्ज्वलता तथा नैतिक उच्चता जैसे गुणों के पोषक थे।
प्रश्न 4.
लेखक ने किन व्यक्तियों, घटनाओं और परिस्थितियों को धन्य माना है?
उत्तर :
लेखक उन व्यक्तियों, घटनाओं और परिस्थितियों को धन्य मानता हैं जिनकी अमिट छाप क्षणों का शृंगार है।
प्रश्न 5.
चन्द्रशेखर आजाद को साहित्यकार कैसे अमर बना सकते हैं ?
उत्तर :
साहित्यकार चन्द्रशेखर आज़ाद पर उपन्यास, कहानियाँ और काव्य की रचना करके उन्हें अमर बना सकते हैं।
3. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
शरीर और मन पर लगी चोट में क्या फर्क है?
उत्तर :
शरीर पर लगी हुई चोट का प्रभाव उतना कष्टकारी नहीं होता जितना मन पर लगी हुई चोट का। शरीर की चोट इलाज करने पर कुछ समय बाद सूख और भर जाती है। मन पर लगी हुई चोट बहुत कष्टकारी होती है। वह जल्दी नहीं भरती। वह विस्मृति के सहारे जाती है और उसे भूलने में काफी समय लगता है।
प्रश्न 2.
लेखक कब अपने आप को गौरवांवित अनुभव करते थे?
उत्तर :
लेखक और चन्द्रशेखर आज़ाद के विचारों में कभी-कभी मतभेद होता था। पर उनके व्यक्तित्व में इतना बल था कि वे लेखक से उनकी इच्छा के प्रतिकूल काम ले लिया करते थे। उनकी यह बात पूरी करने में लेखक अपने आप को गौरवान्वित अनुभव करते हैं।
प्रश्न 3.
चन्द्रशेखर आजाद के विषय में निर्विवाद रूप से क्या कहा जा सकता हैं ?
उत्तर :
चन्द्रशेखर आज़ाद के विषय में निर्विवाद रूप से यह कहा जा सकता है कि जिस मान्यता से मन में हिचक, शौथिल्य, कार्यभीरुता, बुद्धिवाद तथा पलायनवाद को अवसर मिले, उसके वे पूर्ण रूप से प्रतिकूल थे।
प्रश्न 4.
लेखक और आजाद के बीच पारस्परिक आदर क्यों बढ़ता गया ?
उत्तर :
लेखक और आज़ाद, जब किसी विषय पर एकदूसरे के विपरीत विचार व्यक्त करते थे, तो वे अपने-अपने विचारों में ईमानदार होते थे। इसलिए उन दोनों के बीच पारस्परिक आदर बढ़ता गया।
4. पाँच से छः वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
जीवन में क्षण की क्या विशेषता है ?
उत्तर :
समय के सतत बहते प्रवाह में क्षण आते और चले जाते हैं। इन क्षणों के साथ हमारी स्मृतियाँ जुड़ी रहती हैं। सुखद स्मृतियाँ क्षणों का श्रृंगार बन जाती हैं, जबकि दुःखद यादें क्षणों का अभिशाप। वे व्यक्ति, वे घटनाएं और वे परिस्थितियां धन्य हैं, जिनकी अमिट छाप क्षणों का श्रृंगार है। उनके लिए विस्मृति समय के प्रवाह को रोककर स्वयं घंटों प्रतीक्षा करती है।
प्रश्न 2.
चन्द्रशेखर आजाद की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
चन्द्रशेखर आज़ाद जीवन की पवित्रता, सामाजिक निर्मलता, वैयक्तिक उज्जवलता और नैतिक उच्चता के बड़े पोषक थे। उनमें भय बिलकुल न था। अपने को आश्रय देनेवाले को वे निश्चिन्त रखते थे। कठोर और हिंसापूर्ण कार्यों के बावजूद उनका मन मक्खन के समान कोमल था। वे जो करते थे, बेहिचक करते थे। कार्यभीरुता, कोरा बुद्धिवाद और पलायनवाद जैसे शब्द उनके शब्दकोष में नहीं थे।
प्रश्न 3.
चन्द्रशेखर आजाद किन वस्त्रों में खिल उठते थे ?
उत्तर :
चन्द्रशेखर आज़ाद सामान्य रूप से खुले गले का कोट और दोनों पैरों को कछौटे से ढकनेवाली धोती पहनते थे। परंतु हर पहनावा उन पर खूब फबता था। कलंगीदार पंजाबी पगड़ी में वे जितने अच्छे लगते थे, उतने ही अच्छे खद्दर के कुर्ते और बंगाली धोती में लगते थे। वे सूट और हैट में भी खूब जंचते थे। पूरे पंजाबी परिधान में भी वे आकर्षक लगते थे। इस प्रकार वे प्रत्येक प्रकार के वस्त्रों में खिलते थे।
प्रश्न 4.
चन्द्रशेखर आजाद की कार्यप्रणाली के विषय में लेखक क्या कहते हैं. ?
उत्तर :
चन्द्रशेखर आज़ाद क्रान्तिकारी थे। लेखक कहते हैं कि क्रान्तिकारियों की तरह चन्द्रशेखर की कमर में भी दो माउज़र पिस्तौल और कन्धे पर कारतूस की पेटी रहती थी। उन्हें विश्वास था कि जीतेजी उन्हें कोई पकड़ नहीं सकता था। अपने आश्रयदाता को वे हमेशा निश्चिन्त रखते थे। उन्होंने स्पष्ट कह रखा था कि चार घर दूर पहुंचकर ही वे तमंचा बजाएंगे ताकि उनके आश्रयदाता पर कोई आपत्ति न आ सके। उनके कार्यों की शोभा मुखरता और वाणी की. शोभा मौन थी। उनकी सार्वजनिक कार्यपद्धति में दया का दूसरा नाम कायरता और क्षमा का दूसरा नाम आपत्ति था।
5. आशय स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न क.
विस्मृति के न रहने पर जीवन कोढ़ की खाज़ हो जाएगा।
उत्तर :
विस्मृति मनुष्य को ईश्वर की ओर से प्राप्त अमूल्य वरदान है। मनुष्य के जीवन में तरह-तरह की कष्टकारी घटनाएं घटती रहती हैं। ये घटनाएं कुछ समय तक मनुष्य के मन-मस्तिष्क पर छाई रहती हैं। पर ज्यों-ज्यों समय बीतता जाता है, त्यों-त्यों उनका प्रभाव कम होता जाता है। एक समय ऐसा आता है, जब ये उसके मन-मस्तिष्क से उतर जाती हैं और मनुष्य हल्का महसूस करने लगता हैं।
यह प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से प्रत्येक मनुष्य के जीवन में होती है। मनुष्य को प्रकृति का यह अनुपम वरदान है। यदि ऐसा न होता, तो मनुष्य इन घटनाओं को हमेशा याद करते हुए कुढ़ता रहता और उसका जीवन नर्क बन जाता। उसे कभी कुछ करने के बारे में सूझता ही नहीं।
प्रश्न ख.
भूलना एक महान गुण है।
उत्तर :
प्रकृति ने मनुष्य को ‘याद रखने’ और ‘भूलने’ जैसी दो विलक्षण शक्तियाँ प्रदान की हैं। कई सुखदायक और आनंददायक क्षण ऐसे होते हैं, जिन्हें मनुष्य आजन्म याद रखता है। पर कुछ ऐसी दुःखदायी घटनाएं होती हैं, जिन्हें वह याद रखना नहीं चाहता, पर वे उसका पीछा नहीं छोड़तीं। लेकिन समय के साथं धीरे-धीरे ये भी विस्मृत हो जाती हैं। मनुष्य का मन-मस्तिष्क इन कष्टकारी घटनाओं को भूलने के बाद हलका हो जाता है। जिस तरह प्रकृति ने मनुष्य को याद रखने का वरदान दिया है उसी तरह उसने उसे भूल जाने का गुण भी दिया है। भूलना मनुष्य का सचमुच महान गुण कहा जाएगा।
6.
प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए :
- स्वर्ग
- विराग
- स्मृति
- कृपण
- प्रतिकूल
- उऋण
उत्तर :
- स्वर्ग × नरक
- विराग × चिराग
- स्मृति × विस्मृति
- कृपण × उदास
- प्रतिकूल × अनुकूल
- उऋण × ऋणी
प्रश्न 2.
समानार्थी शब्द लिखिए
- अभिशाप
- कटि
- ध्वंस
- अपराध
- निरीह
उत्तर :
- अभिशाप = बुराई, बददुआ
- कटि = कमर
- ध्वंस = विनाश
- अपराध = गुनाह
- निरीह = निर्दोष, विरक्त
7.
प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग कीजिए :
- विस्मृति
- अभिशाप
- आघात
- अमिट
उत्तर :
- विस्मृति – वि
- अभिशाप – अभि
- आघात – आ
- अमिट – अ
प्रश्न 2.
प्रत्यय अलग कीजिए:
- राजनीतिक
- कायरता
- व्यक्तित्व
- साहित्यिक
- स्वर्गीय
उत्तर :
- राजनीतिक – इक
- कायरता – ता
- व्यक्तित्व – त्व
- साहित्यिक – इक
- स्वर्गीय – ईय
GSEB Solutions Class 11 Hindi चन्द्रशेखर आज़ाद Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
लेखक किसे मन का पुण्य मानता है?
उत्तर :
लेखक चन्द्रशेखर आज़ाद की स्मृति को मन का पुण्य मानता है।
प्रश्न 2.
चन्द्रशेखर आज़ाद को किन पर पूरा भरोसा था?
उत्तर :
चन्द्रशेखर आज़ाद को अपने माउज़र पिस्तौल और कन्धे पर पड़ी हुई कारतूस की पेटी पर पूरा भरोसा था।
समानार्थी शब्द लिखिए :
- स्मृति = याद
- सम्मान = आदर
- प्रतिकूल = विरुद्ध
- आकांक्षा = इच्छा
- निर्मलता = स्वच्छता
- प्रतिमा = मूर्ति
- प्रवाह = धारा
- मनुहार = मनौती
- समीचीन = उपयुक्त
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
- महान × लघु
- अभिशाप × वरदान
- पुण्य × पाप
- भय × निर्भयता
- मौन × मुखर
- अमर × मर्त्य
- कोमल × कठोर
- कायरता × वीरता
- निश्चित × चितित
- सत्संग × कुसंग
शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- प्रतिकूल – प्रति
- निर्विवाद – निर्
- विदेशी – वि
- अपरिचित – अ
- महादेश – महा
- प्रोत्साहन – प्र
- प्रतिद्वंद्वी – प्रति
- उज्ज्वल – उत्
- प्रतीक्षा – प्रति
- परिस्थिति – परि
- सत्संग – सत्
शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- पंजाबी – ई.
- ईमानदार – दार
- पोषक – अक
- क्रांतिकारी – कारी
- नैतिक – इक
- गौरवान्वित – अन्वित
- प्राकृतिक – इक
- लेखक – क
- वैयक्तिक – इक
चन्द्रशेखर आज़ाद Summary in Gujarati
ભાવાત્મક અનુવાદ :
ચંદ્રશેખર સાથે નિકટતા : ચંદ્રશેખર આઝાદ લેખકના નાના ભાઈના મિત્ર હતા. લેખક તેમને અનેક વાર મળી ચૂક્યા હતા અને મિત્રના મોટા ભાઈ હોવાને કારણે તેમને ખૂબ માન આપતા હતા. તેઓ લેખકથી કંઈ પણ છુપાવતા નહોતા.
નીડર વ્યક્તિ : લેખકે જાણી ચૂક્યા હતા કે ચંદ્રશેખર આઝાદ એક આકર્ષક વ્યક્તિત્વ ધરાવતા નીડર વ્યક્તિ હતા. તેમને પોતાનામાં પૂરેપૂરો વિશ્વાસ હતો કે તેઓ જીવતે જીવ કોઈના હાથમાં પકડાશે નહિ. તેમની કમરે લટકતી બે પિસ્તોલો અને ખભા પર કારતૂસનો પટ્ટો હંમેશાં તેમની સાથે રહેતા.
આકર્ષક વ્યક્તિત્વઃ ચંદ્રશેખર આઝાદ શક્તિશાળી પુરુષ હતા. તેઓ દરેક પ્રકારનાં વસ્ત્રોમાં શોભતા. પંજાબી પાઘડી અને પાયજામો હોય, ખાદીનું પહેરણ અને બંગાળી ધોતિયું હોય, ખુલ્લા ગળાનો કોટ હોય કે કમર પર વીંટાળેલું ધોતિયું અથવા સૂટ અને હેટ હોય, સર્વ પ્રકારનાં વસ્ત્રોમાં તેઓ ખૂબ શોભતા હતા.
ઉપરથી કઠોર પણ અંદરથી કોમળ : લેખકને સમજાઈ ગયું હતું કે ચંદ્રશેખર આઝાદ બહારથી કઠોર લાગતા હતા, પરંતુ અંદરથી કોમળ સ્વભાવના હતા, તેમની કઠોરતા દેશને સ્વતંત્ર કરવાની પ્રબળ ઇચ્છાને કારણે હતી. સાર્વજનિક કાર્યપદ્ધતિમાં તેમને મતે દયાનું બીજું નામ કાયરતા અને ક્ષમાનું બીજું નામ આપત્તિ હતું. ક્રાંતિના માર્ગે જઈને નાશ પામનારા પ્રાણીઓ પ્રત્યે તેમના મનમાં અપાર સહાનુભૂતિ હતી.
ચંદ્રશેખર આઝાદની માન્યતાઓ તેઓ મહાત્મા ગાંધીની અહિંસાની નીતિને નિરર્થક માનતા હતા. ઈશ્વર, ધર્મ તથા પાપ-પુણ્યસંબંધી વિવાદમાં તેઓ કદી પડતા નહિ. પરંતુ જીવનની પવિત્રતા, સમાજની નિર્મળતા, વ્યક્તિગત ઉજ્વળતા તથા નૈતિક ઉચ્ચતાના તેઓ સમર્થક હતા.
चन्द्रशेखर आज़ाद Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद लेखक सदगुरुशरण अवस्थी के छोटे भाई के मित्र थे। उनकी चन्द्रशेखर से अनेक बार भेट हो चुकी थी और उन्होंने नजदीक से उन्हें जाना-पहचाना था। आकर्षक व्यक्तित्व के धनी चन्द्रशेखर आज़ाद एक निडर, अपने आप पर भरोसा करनेवाले, मृदुभाषी तथा संस्कारी वीर पुरुष थे। इस संस्मरण में लेखक ने चन्द्रशेखर आज़ाद के जीवन, व्यक्तित्व, स्वभाव तथा उनकी मान्यताओं आदि का वर्णन किया है।
मुहावरे-अर्थ और वाक्य-प्रयोग
कोढ़ की खाज होना-संकट पर संकट आना
वाक्य : एक तो राज्य में अलगाववादियों का आंदोलन था, दूसरे आतंकवादियों की घुसपैठ कोढ़ की खाज हो गई है।
पाठ का सार :
चन्द्रशेखर से नजदीकिया : चन्द्रशेखर आज़ाद लेखक के छोटे भाई के मित्र थे। लेखक उनसे अनेक बार मिल चुके थे और वे अपने मित्र का बड़ा भाई होने के कारण उनका बहत सम्मान करते थे। वे लेखक से कोई भी बात छिपाते नहीं थे।
निडर व्यक्ति : लेखक ने पाया था कि चन्द्रशेखर आज़ाद एक आकर्षक व्यक्तित्ववाले निडर व्यक्ति थे। उन्हें अपने आप पर पूरा विश्वास था कि वे जीते जी किसी के हाथों नहीं आ सकते। उनकी कमर से लटकती हुई दो पिस्तौलें और कंधे पर कारतूस की पेटी सदा उनके साथ होती थी।
आकर्षक व्यक्तित्व : चन्द्रशेखर आज़ाद शक्तिशाली पुरुष थे। वे हर प्रकार के वस्त्र के भीतर खिलते थे। चाहे पंजाबी पगड़ी और सलवार हो, खद्दर का कुर्ता और बंगाली धोती हो, खुले गले का कोट और कछौटे से ढकनेवाली धोती अथवा सूट और हैट हो, सब में वे खिलते थे।
ऊपर से कठोर, अंदर से कोमल : लेखक ने पाया कि चन्द्रशेखर आजाद ऊपर से कठोर थे, पर भीतर से कोमल स्वभाव के थे। उनका कठोरपन देश को स्वतंत्र कराने की बलवती इच्छा के कारण था। सार्वजनिक कार्यपद्धति में उनके लिए दया का दूसरा नाम कायरता और क्षमा का दूसरा नाम आपत्ति था। पर क्रान्ति के मार्ग में आकर नष्ट हो जानेवाले प्राणियों के प्रति उनके मन में अपार सहानुभूति थी।
चन्द्रशेखर आज़ाद की मान्यताएँ : वे महात्मा गांधी की अहिंसा नीति को निस्सार मानते थे। ईश्वर, धर्म तथा पाप-पुण्य संबंधी विवाद में वे कभी नहीं फंसते थे। पर जीवन की पवित्रता, सामाजिक निर्मलता, व्यक्तिगत उज्ज्वलता तथा नैतिक उच्चता के वे पोषक थे।
चन्द्रशेखर आज़ाद शब्दार्थ :
- विस्मृति – भूल जाना, याद न रहना।
- स्मृति – याद।
- विश्राम – विराम, श्रम के बाद आराम।
- आवर्तन – चक्कर खाना, मंथन।
- पाटव – पटुता।
- सन्तत्व – साधुता।
- अग्रज – पहले जन्मा हुआ, बड़ा भाई।
- दुराव – भेदभाव, छिपाव।
- स्फीत – घनी, बढ़ी हुई।
- कछौटे – धोती के सिरे जो पांवों को छूते हैं।
- ध्वंस – विनाश।
- समीचीन – समुचित।
- वाविलास – बातचीत का आनंद।
- शैथिल्य – ढीलापन, शिथिलता।
- कार्यभीरुता – कार्य करने से डरना।
- उन्मूलित – जड़ से उखड़ने के बाद।
- कोस – अंतर का माप (2 मील, 32 किमी)।
- उकसाना – भड़काना।