GSEB Solutions Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

1. यह बात उस समय की है जब इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय मय अपने पति के हिंदुस्तान पधारने वाली थीं । अखबारों में उनकी चर्चा हो रही थी । रोज लंदन के अखबारों से खबरें आ रही थीं कि शाही दौरे के लिए कैसी-कैसी तैयारियों हो रही हैं – रानी एलिजाबेथ का दरजी परेशान था कि हिंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब क्या पहनेंगी ? उनका सेक्रेटरी और शायद जासूस भी उनके पहले ही इस महाद्वीप का तूफानी दौरा करनेवाला था ।

आखिर कोई मजाक तो था नहीं । जमाना चूँकि नया था, फौज-फाटे के साथ निकलने के दिन बीत चुके थे, इसलिए फोटोग्राफरों की फौज तैयार हो रही थी… इंग्लैंड के अखबारों की कतरनें हिंदुस्तानी अखबारों में दूसरे दिन चिपकी नजर आती थीं, कि रानी ने एक ऐसा हलके नीले रंग का सूट बनवाया है जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मँगाया गया है… कि करीब चार सौ पौंड खरचा उस सूट पर आया है।

रानी एलिजाबेथ की जन्मपत्री भी छपी । प्रिंस फिलिप के कारनामे छपे । और तो और, उनके नौकरों, बायरचियों, खानसामों, अंगरक्षकों की पूरी की पूरी जीवनियाँ देखने में आई । शाही महल में रहने और पलनेवाले कुत्तों तक की तसवीरें अनबारों में छप गई… ।

प्रश्न 1.
अखबारों में किसकी चर्चा हो रही थी ? क्यों ?
उत्तर :
अखबारों में रानी एलिजाबेथ द्वितीय की चर्चा हो रही थी क्योंकि ये हिन्दुस्तान आनेवाली थीं ।

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प्रश्न 2.
रानी एलिजाबेथ का दर्जी क्यों परेशान था ?
उत्तर :
रानी एलिजाबेथ का दर्जी इसलिए परेशान था क्योंकि उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि रानी हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर कब, क्या पहनेंगी ।

प्रश्न 3.
रानी एलिजाबेथ के सूट की क्या विशेषता थी ?
उत्तर :
रानी एलिजाबेथ का सूट हलके नीले रंग का था जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मंगवाया गया था । तथा उस सूट पर चार सौ पौंड खर्च हुआ है ।

प्रश्न 4.
अखबारों में किन-किन लोगों की खबरें छापी गई ?
उत्तर :
अखबारों में रानी एलिजाबेथ, प्रिंस फिलीप, उनके नौकरों, बावरचियों, खानसामों, अंगरक्षकों की खबरें छापी गई ।

2. मूर्तिकार यों तो कलाकार था पर जरा पैसे से लाचार था । आते ही, उसने हुक्कामों के चेहरे देख्ने, अजीब परेशानी थी उन चेहरों पर, कुछ लटके, कुछ उदास और कुछ बदहयास थे । उनकी हालत देखकर लाचार कलाकार की आँखों में आँसू आ गए तभी एक आवाज सुनाई दी, ‘मूर्तिकार ! जॉर्ज पंचम की नाक लगानी है !! मूर्तिकार ने सुना और जवाब दिया, ‘नाक लग जाएगी ।

पर मुझे यह मालूम होना चाहिए कि यह लाट कब और कहाँ बनी थी । इस लाट के लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था ?’ सब हुक्कामों ने एकदूसरे की तरफ ताका….. एक की नजर ने दूसरे से कहा कि यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है । खैर, मसला हल हुआ । एक क्लर्क को फोन किया गया और इस बात की पूरी छानबीन करने का काम सौंप दिया गया …… पुरातत्व विभाग की फाइलों के पेट चीरे गए पर कुछ भी पता नहीं चला ।

क्लर्क ने लौटकर कमेटी के सामने काँपते हुए बयान किया, ‘सर ! मेरी खता माफ़ हो, फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ हुक्कामों के चेहरों पर उदासी के बादल छा गए । एक खास कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया कि जैसे भी हो, यह काम होना है और इस नाक का दारोमदार आप पर है ।

प्रश्न 1.
जार्ज पंचम की नाक लगाने के विषय में मूर्तिकार ने क्या कहा ?
उत्तर :
जार्ज पंचम की नाक लगाने के विषय में मूर्तिकार ने कहा कि नाक लग जाएगी । पर मुझे यह मालूम होना चाहिए कि यह मूर्ति कब और कहाँ बनी थी । इस मूर्ति के लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था ।

प्रश्न 2.
क्लर्क को कौन-सा काम सौंपा गया ?
उत्तर :
क्लर्क को पूरी छानबीन करके यह पता करने का काम सौंपा गया कि यह मूर्ति कब और कहाँ बनी थी तथा इस मूर्ति का बनाने के लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था ।

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प्रश्न 3.
लाट के विषय में क्लर्क ने क्या जानकारी दी ?
उत्तर :
छानबीन करने के बाद क्लर्क ने बताया कि, फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं इसलिए लाट के विषय में कुछ भी पता नहीं चला ।

प्रश्न 4.
खास कमेटी की रचना क्यों की गई?
उत्तर :
जार्ज पंचम की नाक को लगाने के लिए खास कमेटी की रचना की गई । हर हाल में काम पूरा करने का जिम्मा इस कमेटी को सौंपा गया ।

3. मूर्तिकार हिंदुस्तान के पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों की खानों के दौरे पर निकल पड़ा । कुछ दिन बाद वह हताश लौटा, उपक चेहरे पर लानत बरस रही थी, उसने सिर लटकाकर खबर दी, ‘हिंदुस्तान का चप्पा-चप्पा खोज डाला पर इस किस्म का पत्थर कहीं नहीं मिला । यह पत्थर विदेशी है ।’ सभापति ने तैश में आकर कहा, ‘लानत है आपकी अक्ल पर !

विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं – दिल-दिमाग, तौर-तरीके और रहन-सहन, जब हिंदुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता ?’ मूर्तिकार चुप खड़ा था । सहसा उसकी आँखों में चमक आ गई । उसने कहा, ‘एक बात मैं कहना चाहूँगा, लेकिन इस शर्त पर कि यह बात अखबारवालों तक न पहुँचे…’ सभापति की आँखों में भी चमक आई ।

चपरासी को हुक्म हुआ और कमरे के सब दरवाजे बंद कर दिए गए । तब मूर्तिकार ने कहा, ‘देश में अपने नेताओं की मूर्तियाँ भी हैं, अगर इजाजत हो और आप लोग ठीक समझें तो…मेरा मतलब है तो…जिसकी नाक इस लाट पर ठीक बैठे, उसे उतार लाया जाए…’ सबने सबकी तरफ देखा । सबकी आँखों में एक क्षण की बदहवासी के बाद खुशी तैरने लगी । सभापति ने धीमे से कहा, ‘लेकिन बड़ी होशियारी से ।’

प्रश्न 1.
मूर्तिकार हताश होकर क्यों लौट आया ?
उत्तर :
मूर्तिकार मूर्ति के जैसे पत्थर की तलाश में हिन्दुस्तान के पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों की खानों का दौरा किया किन्तु उसे वैसा पत्थर कहीं नहीं मिला । इसलिए वह हताश होकर लौट आया ।

प्रश्न 2.
सभापति ने तैश में आकर क्या कहा ?
उत्तर :
सभापति ने तैश में आकर कहा कि ‘लानत है आपकी अक्ल पर । विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं – दिल-दिमाग तौर तरीके और रहन-सहन, जब हिन्दुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता ?’

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प्रश्न 3.
कमरे के दरवाजे और खिड़कियाँ क्यों बंद कर दिए गए ?
उत्तर :
मूर्तिकार लाट की नाक के लिए जो बात बताने जा रहा था उसकी भनक अखबारवालों तक न पहुँचे, इसलिए कमरे के। दरवाजे और खिड़कियाँ बंद कर दिए गए ।

प्रश्न 4.
मतिकार ने नाक की समस्या का क्या उपाय बताया ?
उत्तर :
मूर्तिकार ने नाक की समस्या के लिए यह उपाय बताया कि हमारे देश में अपने नेताओं की मूर्तियाँ भी हैं । अगर इजाजत हो तो जिसकी नाक इस लाट पर ठीक बैठे, उसे उतार लाया जाये ।’

4. लेकिन एक बड़ी मुश्किल पेश थी – वह थी जॉर्ज पंचम की नाक !… नयी दिल्ली में सब कुछ था, सब कुछ होता जा रहा था, सब कुछ हो जाने की उम्मीद थी पर जॉर्ज पंचम की नाक बड़ी मुसीबत थी । नयी दिल्ली में सब था… सिर्फ नाक नहीं थी! इस नाक की भी एक लंबी दास्तान है । इस नाक के लिए बड़े तहलके मचे थे किसी वक्त ! आंदोलन हुए थे ।

राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पास किए थे । चंदा जमा किया था । कुछ नेताओं ने भाषण भी दिए थे । गरमागरम बहसें भी हुई. थीं । अखबारों के पन्ने रंग गए थे । बहस इस बात पर थी कि जॉर्ज पंचम की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए ! और जैसा की हर राजनीतिक आंदोलन में होता है, कुछ पक्ष में थे कुछ विपक्ष में और ज्यादातर लोग खामोश थे ।

खामोश रहनेवालों की ताकत दोनों तरफ थी…. यह आंदोलन चल रहा था । जॉर्ज पंचम की नाक के लिए हथियार बंद पहरेदार तैनात कर दिए गए थे. यया मजाल कि कोई उनकी नाक तक पहुँच जाए । हिन्दुस्तान में जगह-जगह ऐसी नाकें खड़ी थीं । और जिन तक लोगों के हाथ पहुंच गए उन्हें शानो-शौकत के साथ उतारकर अजायबघरों में पहुंचा दिया गया ।

कहीं-कहीं तो शाही लाटों की नाकों के लिए गुरिल्ला युद्ध होता रहा… उसी जमाने में यह हादसा हुआ, इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट की नाक एकाएक गायब हो गई ! हथियारबंद पहरेदार अपनी जगह तैनात रहे । गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई ।

प्रश्न 1.
दिल्ली की सबसे बड़ी मुश्किल क्या थी ?
उत्तर :
दिल्ली के पास सब कुछ था, सब कुछ हो जाने की उम्मीद थी पर जॉर्ज पंचम की नाक नहीं थी । यही दिल्ली की सबसे बड़ी मुश्किल थी ।

प्रश्न 2.
राजनैतिक आन्दोलन में क्या होता है ?
उत्तर :
राजनैतिक आन्दोलन में जिस विषय पर आन्दोलन होता है कुछ लोग उस विषय के पक्ष में होते हैं और कुछ विपक्ष में होते हैं । कुछ लोग खामोश होते हैं ।

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प्रश्न 3.
जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए ?
उत्तर :
जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात किए गए थे, सुरक्षा के लिए इतना पुख्ता कदम उटाए: गए थे कि क्या मजाल उनकी नाक तक कोई पहुँच जाए ।

प्रश्न 4.
इंडिया गेट के सामने कौन-सा हादसा हुआ था ?
उत्तर :
इंडिया गेट के सामने जॉर्ज पंचम की लाट की नाक एकाएक गायब हो गई । हथियारबंद पहरेदार अपनी जगह तैनात थे फिर भी इंडिया गेट के सामने यह हादसा हुआ था ।

5. अखबारों में सिर्फ इतना छपा कि नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास याली जॉर्ज पंचम को लाट के नाक लग रही है । नाक लगने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों की तैनाती हुई । मूर्ति के आस-पास का तालाब सुखाकर साफ किया गया । उसकी रवाब निकाली गई और ताजा पानी डाला गया ताकि जो जिंदा नाक लगाई जाने वाली थी, वह सूखने न पाए । इस बात की खबर जनता को नहीं थी । यह सब तैयारियाँ भीतर-भीतर चल रही थीं ।

रानी के आने का दिन नजदीक आता जा रहा था मूर्तिकार खुद अपने बताए हल से परेशान था । जिंदा नाक लाने के लिए उसने कमेटीवालों से कुछ और मदद माँगी । वह उसे दी गई । लेकिन इस हिदायत के साथ कि एक खास दिन हर हालत में नाक लग जानी चाहिए । और वह दिन आया । जॉर्ज पंचम को नाक लग गई । सब अखबारों ने खबरें छापी कि जॉर्ज पंचम को जिंदा नाक लगाई गई है… यानी ऐसी नाक जो कतई पत्थर की नहीं लगती ।

प्रश्न 1.
अखबारों में कौन-सी खबर छपी थी ?
उत्तर :
अखबारों में जॉर्ज पंचम की नाक के विषय में खबर छपी थी कि नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट को नाक लग रही है ।

प्रश्न 2.
नाक लगाने से पूर्व क्या-क्या तैयारियाँ की गई ?
उत्तर :
नाक लगाने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों की तैनाती हुई । मूर्ति के आस-पास का तालाब सुखाकर साफ किया गया । उसकी कीचड़ निकाली गई और ताजा पानी डाला गया ।

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प्रश्न 3.
जनता को किस बात की खबर नहीं थी ?
उत्तर :
जनता को इस बात की खबर नहीं थीं कि जॉर्ज पंचम की लाट को जिंदा नाक लगाई जानेवाली थी । सारी तैयारियाँ भीतर भीतर चल रही थीं।

प्रश्न 4.
मूर्तिकार क्यों परेशान था ?
उत्तर :
मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की नाक लगाने के लिए जो हल बताया था कि उनकी लाट पर जिंदा नाक लगाई जाय, वह अपने बताये हल से खुद परेशान था । क्योंकि उसके सामने प्रश्न था कि जिंदा नाक लाएँ कहाँ से ?

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