Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions Chapter 15 बेरंग बेनाम चिठ्ठिया Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 15 बेरंग बेनाम चिठ्ठिया
GSEB Std 12 Hindi Digest बेरंग बेनाम चिठ्ठिया Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उनके नीचे दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
डाकिया दर-दर क्या लेकर घूम रहा है?
(क) कागज़
(ख) बैरंग बेनाम चिट्ठी
(ग) कार्ड
(घ) तार
उत्तर :
(ख) बैरंग बेनाम चिट्ठी
प्रश्न 2.
बैरंग बेनाम चिट्ठियों का कौन नहीं है?
(क) वारिस
(ख) नौकर
(ग) मालिक
(घ) सद्भाव
उत्तर :
(क) वारिस
प्रश्न 3.
बंद लिफाफे में अनकहा दर्द किस तरह काँप रहा है?
(क) वृक्ष की तरह
(ख) पत्ते की तरह
(ग) कागज की तरह
(घ) शैवाल की तरह
उत्तर :
(ख) पत्ते की तरह
प्रश्न 4.
बैरंग बेनाम चिट्ठी में कैसा दर्द है?
(क) अनकहा
(ख) सच कहा
(ग) झूठ कहा
(घ) सुना गया
उत्तर :
(क) अनकहा
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
कवि ने कैसी चिट्ठी छोड़ी है?
उत्तर :
कबि ने बैरंग (बिना डाक-टिकट लगी) और बेनाम (जिस पर नाम-पता न लिखा हो) चिड़ी छोड़ी है।
प्रश्न 2.
बैरंग चिट्ठी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस चिट्ठी पर समुचित डाक-टिकट न लगाया गया हो, उसे बैरंग चिट्ठी कहते हैं।
प्रश्न 3.
कवि ने चिट्ठी की तुलना किससे की है?
उत्तर :
कवि ने चिट्ठी की तुलना परकटे पक्षी से की है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
डाकिया चिट्ठी लेकर कहाँ – कहाँ घूम रहा है?
उत्तर :
डाकिया बैरंग और बेनाम चिट्ठी पानेवाले को देने के लिए परेशान है। वह उस चिट्ठी को लेकर घर-घर घूम रहा है।
प्रश्न 2.
चिट्ठियों में क्या काँप रहा है?
उत्तर :
चिड़ियों के लिफाफों में किसी का किसी के नाम अनकहा दर्द बंद है। यह दर्द चिड़ियों में पत्ते की तरह काँप रहा है।
प्रश्न 3.
कवि को इन चिट्ठियों से किस तरह की उम्मीद है ?
उत्तर :
कवि को इन लावारिस चिड़ियों से यह उम्मीद है कि किसी दिन ये चिड़ियां लावारिस जगहों पर पड़ी-पड़ी फड़फड़ाएंगी और कभी किसी दिन कोई अजनबी इन्हें कुतूहलवश उठाकर पड़ेगा।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में लिखिए :
प्रश्न 1.
बैरंग चिट्ठी में लिखे दुख-दर्द का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
कवि ने बैरंग चिट्ठी में दुःख-दर्द का वर्णन किया है। बैरंग चिट्ठी का दुःख है कि उसे प्राप्त करनेवाला कोई व्यक्ति नहीं है। इस चिट्ठी में किसी व्यक्ति का अनकहा दर्द किसी आदमी के नाम लिफाफे में बंद है। वह दर्द उस पत्ते की तरह कांप रहा है, जो टहनी से टूटकर गिरता है और उसे यह पता नहीं होता कि उसका हश्र क्या होगा। लेखक द्वारा छोड़ी गई बैरंग चिट्ठी भी अपनी पंक्तियों में एक दर्द कसे हुए घूम रही है। इन बैरंग चिट्टियों का हश्र किसी लावारिस जगह पर पड़े-पड़े फड़फड़ाना भर रह गया है।
प्रश्न 2.
कवि बैरंग चिट्ठी को परकटा पंछी क्यों कहता है?
उत्तर :
पंखोंवाला पंछी खुले आकाश में स्वच्छंद रूप से उड़ सकता है। उसे जहाँ भी जाना होता है, जा सकता है। वह अपना चारा-पानी ढूंढकर खा-पी सकता है। लेकिन पंख कटने पर वह असहाय हो जाता है और किसी निर्जन स्थान पर पड़ा-पड़ा उड़ने की कल्पना भर कर पाता है, पर उड़ नहीं सकता। यही हाल बैरंग चिट्ठी का भी होता है। उसको लेनेवाला कोई नहीं होता। इसलिए उसकी जगह भी कोई निर्जन स्थान होता है, जहाँ वह केवल फडफड़ाती रहती है। इसीलिए कवि ने बैरंग चिट्ठी को परकटा पंछी कहा है।
5. आशय स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
हमारी तुम्हारी ये बैरंग लावारिस चिट्ठियाँ, किसी दिन लावारिस जगहों पर परकटे पंछी की तरह, पड़ी-पड़ी फड़फड़ाएँगी।
उत्तर :
बैरंग, बेनाम चिड़ियों को डाकिया लाख कोशिश करने के बाद भी किसी व्यक्ति को नहीं दे पाता है, न इन चिहियों के बारे में किसी को जानने की कोई गरज होती है। पर कूड़ों में पड़ी ये अनखुली चिट्टियाँ जब फड़फड़ाएंगी, तो ये लोगों को अपनी ओर बुलाती हुई लगेंगी। तब बिना कहे किसी को भी इन्हें उठाकर और खोलकर पढ़ने की उत्कंठा होगी। तब ये चिट्टियाँ अपने आप ही प्राप्तकर्ता तक पहुंच सकेंगी।
GSEB Solutions Class 12 Hindi बेरंग बेनाम चिठ्ठिया Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
बैरंग बेनाम चिट्ठी किसे कहते है?
उत्तर :
बेनाम चिट्ठियों पर पाने और भेजनेवाले दोनों का कोई अतापता नहीं होता। जिस चिठ्ठी पर समुचित डाक-टिकट न लगाया गया हो उसे बैरंग चिठ्ठी कहते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
लावारिस चिड्डियों को कभी कौन पढ़ेगा?
उत्तर :
लावारिस चिड़ियों को कभी कोई अजनबी व्यक्ति पड़ेगा।
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :
- वारिस = उत्तराधिकारी
- पंक्ति = लकीर
- चिट्ठी = पत्र
- दर्द = पीड़ा
- अजनबी = अपरिचित
- ओठ = होठ
- लावारिस = अनाथ
- कुतूहल = जिज्ञासा
- पीड़ित = दुःखी
निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :
- रंगीन × बेरंग
- नामी × बेनाम
- परिचित × अपरिचित
- वारिस × लावारिस
निम्नलिखित तदभव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए :
- पीर – पीड़ा
- ओठ – ओष्ठ
- घडा – घट
- मोक्ष – मुक्ति
- भोग – भुक्ति
- कुंआ- कूप
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- डाकिया = डाक + इया (प्रत्यय)
- कुतूहलवश = कुतूहल + वश (प्रत्यय)
- तङपन = तडप् + अन (प्रत्यय)
- अपनापन = अपना + पन (प्रत्यय)
- राष्ट्रीय = राष्ट्र + ईय (प्रत्यय)
- अकेलापन = अकेला + पन (प्रत्यय)
- साहित्यकार = साहित्य + कार (प्रत्यय)
- पीड़ित = पीड़ा + इत (प्रत्यय)
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- बेरंग = बे (उपसर्ग) + रंग
- बेनाम = बे (उपसर्ग) + नाम
- अनकहा = अन (उपसर्ग) + कहा
- सहानुभूति = सह (उपसर्ग) + अनुभूति
निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानिए :
प्रश्न 1.
- बेनाम चिट्टियाँ लेकर डाकिया दर-दर घूमता है।
- लिफाफे में अनकहा दर्द किसी के नाम है।
- चिड्डियाँ परकटे पंछी की तरह फडफडाती हैं।
उत्तर :
- बेनाम
- अनकहा
- परकटे
निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
- जिसका कोई मालिक न हो – लावारिस
- जिसका कोई परिचय न हो – अपरिचित
- जो कहा न गया हो – अनकहा
- देखने की प्रबल इच्छा – कुतूहल
- जिसके पंख कट गए हो – पंखकटा
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
- सभा में अनेकों लोग उपस्थित थे।
- आज संजय का जन्मोस्तव है।
- यह सब लोग कहाँ चले गये?
उत्तर :
- सभा में अनेक लोग उपस्थित थे।
- आज संजय का जन्मोत्सव है।
- ये सब कहाँ चले गये?
निम्नलिखित कहावत का अर्थ लिखिए :
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
अर्थ : कोई भी बड़ा कार्य किसी एक व्यक्ति के प्रयास से नहीं हो सकता।
बेरंग बेनाम चिठ्ठिया Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
बैरंग बेनाम चिड़ियों के पाने और भेजनेवाले दोनों का कोई अतापता नहीं होता। प्रस्तुत कविता द्वारा कवि ने यह कहना चाहा है कि ये चिनियाँ यो तो किसी भी व्यक्ति के नाम नहीं होती और इन्हें कोई भी लेना नहीं चाहता, पर ये समाज के हर उस व्यक्ति के लिए होती हैं, जो इन्हें पढ़ता है।
कविता का सरल अर्थ :
कब से …………. चिट्ठी का।
डाकिया बिना नाम-पते की बैरंग चिट्ठी लेकर उसे देने के लिए घर-घर भटकता फिर रहा है। पर इस चिड़ी को पानेवाला अर्थात् इसका वारिस कोई नहीं है।
कौन जाने ……….. घूम रही होगी।
कवि कहते हैं कि इस बेनाम चिट्ठी के लिफाफे में जाने किस व्यक्ति के लिए जाने किस व्यक्ति का दर्द पत्ते की तरह कांप रहा है। कवि कहते हैं कि उन्होंने भी तो एक बैरंग चिट्ठी जाने किसके नाम भेजी है। शायद वह चिट्ठी भी इसी तरह पत्र में लिखे गए शब्दों को लिए हुए इधर-उधर घूम रही होगी।
मित्रो ………….. नाम लिखी थी।
कवि कहते हैं, मित्रो, हमारी और आपकी ये बैरंग और लावारिस चिहिया भविष्य में किसी दिन किन्हीं लावारिस स्थानों पर उस तरह पड़ी होंगी, जैसे किसी चिड़िया के पंख काट दिए गए हो और वह असहाय पड़ी हो। ये चिनियाँ पड़ी-पड़ी फड़फड़ाएंगी, तो कभी किसी अजनबी की नज़र इन पर पड़ेगी। वह अजनबी कुतूहलवश इन्हें उठाकर पढ़ेगा, तो वह छटपटाएगा और उसके मुंह से निकलेगा ‘ओह! बहुत दिन पहले किसी व्यक्ति ने ये चिनियाँ शायद मेरे ही नाम लिखी थीं।’ (क्योंकि इनमें लिखी गई बातें मेरे ही काम की हैं।)
बेरंग बेनाम चिठ्ठिया शब्दार्थ :
- बैरंग बेनाम चिट्ठी – जिस चिट्ठी पर डाक-टिकट न – लगा हो और पानेवाले का नाम-पता न लिखा हो।
- दर-दर – जगह जगह, घर-घर।
- वारिस – उत्तराधिकारी, मालिक।
- अनकहा – जो कहा न गया हो।
- चिट्ठी छोड़ना – पत्र-पेटी में चिहीं डालना।
- सतर – पंक्ति, लकीर, रेखा।
- कसे – बंद किए हुए।
- लावारिस – जिसका कोई मालिक या दावेदार न हो।
- परकटे – (वह पंछी) जिसके पंख कट गए हो।
- अजनबी – अपरिचित।
- कौतूहलवश – किसी चीज को देखने की प्रबल इच्छा के वशीभूत।
- तड़पना – अधिक पीड़ा के कारण छटपटाना।