Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 13 साधूपदेश Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 13 साधूपदेश
GSEB Class 10 Hindi Solutions साधूपदेश Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कवि भक्तगण को कौन-से गुण ग्रहण करने की बात करते हुए व्यंग्य करते हैं ?
(अ) पोथी पढ़कर ज्ञानी बनना
(ब) हाथ में गोमुखी लेकर ईश्वर स्मरण करना
(क) मुख में राम बगल में छुरी चलाना
(ड) उपदेश सुनना
उत्तर :
(ब) हाथ में गोमुखी लेकर ईश्वर स्मरण करना
प्रश्न 2.
आजकल के साधु के सामने कोई तर्क करने आये तो वे क्या युक्ति करेंगे ?
(अ) अपने को ही ज्ञानि सिद्ध करेंगे
(ब) डर के मारे वाद-विवाद ही नहीं करेंगे
(क) अपनी झोंपड़ी में प्रवेश ही नहीं करने देंगे
(ड) अपनी पोल खुल न जाए इसके लिए मौन रहेंगे
उत्तर :
(ड) अपनी पोल खुल न जाए इसके लिए मौन रहेंगे
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
दिखावा करते हुए साधु कैसा व्यवहार करता है ?
उत्तर :
दिखावा करते हुए साधु हाथ में गोमुखी लेकर माला फेरता रहता है और ऊपर से विनम्र बना रहता है और अंदर से छल-कपट करने से नहीं चूकता।
प्रश्न 2.
साधु उपदेश देने के लिए झोंपड़ी कहाँ बनाते हैं ?
उत्तर :
साधु का शरीर दिव्य और चमकता हुआ है तथा उसका सिर घुटा हुआ और सीप की तरह चिकना है।
प्रश्न 3.
दंभी साधुओं को किस बात का भय सताता है ?
उत्तर :
दंभी साधुओं को इस बात का भय सताता है कि यदि कोई तर्क करने के लिए आ जाए और वे उसका उचित जवाब न दे पाएँ, तो उनकी पोल न खुल जाए।
प्रश्न 4.
साधु मौन धारण क्यों करते है ?
उत्तर :
साधु इसलिए मौन धारण करते हैं, ताकि यदि कोई उनसे कोई गूढ़ प्रश्न पूछे, तो उसका उत्तर देने से वे बच सकें। इस युक्ति से उनका धर्मसंकट कट जाता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
ढोंगी साधु भक्तजनों को क्या उपदेश देते हैं ?
उत्तर :
ढोंगी साधु अपने भक्तजनों को उपदेश देते हैं कि वे अपने हाथ में गोमुखी लेकर माला फिराने का ढोंग करते रहें। ऊपर से विनम्र और सज्जन दिखने का ढोंग करते रहें, पर अंदर से छल-कपट करने से न चूकें। शहर से दूर झोपड़ी बनाकर निवास करें और सिर मुंडा कर, चंदन आदि से श्रृंगार करते रहे। मौनव्रत धारण करें, फल की इच्छा न करें, नर्क की परवाह न करें और खूब पाप करें।
प्रश्न 2.
ढोंगी साधु मौनव्रत क्यों धारण करते है ?
उत्तर :
ढोंगी साधुओं के पास कभी-कभी कुछ लोग विभिन्न विषयों पर तर्क करने के लिए आते हैं। वे साधुओं से अपने प्रश्नों के उत्तर की अपेक्षा करते हैं। ढोंगी साधु इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर से अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे अवसर पर जोंगी साधुओं के समक्ष धर्मसंकट पैदा हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए डॉगी साधु मौनव्रत धारण करने का बहाना बना लेते हैं। यह युक्ति अपनाने से ढोंगी साधुओं से कोई भी व्यक्ति तर्क करने की हिम्मत नहीं करता।
प्रश्न 3.
‘साधूपदेश’ काव्य में काका हाथरसी ने किस पर व्यंग्य किया है ?
उत्तर :
‘साधूपदेश’ काव्य में कवि काका हाथरसी’ ने उन अनपढ़ और ढोंगी लोगों पर व्यंग्य किया है, जो अपने आपको साधु के रूप में पेश करते हैं और वास्तविक साधुओं की भाँडी नकल कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। इन लोगों को ज्ञानप्रद बातों से कुछ लेना-देना नहीं होता और वे ज्ञान की या परीक्षा की घड़ी आने पर मौनव्रत धारण करने का बहाना बना लेते हैं। ये बड़े-से-बड़ा पाप करने से भी नहीं डरते।
4. निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
प्रश्न 1.
पोल खोलना
उत्तर :
पोल खोलना – रहस्य प्रकट करना वाक्य : ढोंगी बाबा की पोल खुल गई।
5. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द दीजिए :
प्रश्न 1.
- प्रिय × ………..
- नम्र × ………..
- भीतर × ………..
- भय × ………..
- मौन × ………..
उत्तर :
- प्रिय × अप्रिय
- नम्र × उइंड
- भीतर × बाहर
- भय × निर्भयता
- मौन × मुखर
6. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण बनाइए :
प्रश्न 1.
- स्वर्ग – ………..
- चमक – ………..
- तर्क – ………..
- धर्म – ………..
- देह – ………..
- नगर – ………..
उत्तर :
- स्वर्ग – स्वर्गीय
- चमक – चमकीला
- तर्क – तार्किक
- धर्म – धार्मिक
- देह – दैहिक
- नगर – नागरिक
7. निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा बनाइए :
प्रश्न 1.
- नम्र – ………..
- काँपना – ………..
- गुणी – ………..
- भयभीत – ………..
उत्तर :
- नम – नम्रता
- कोपना – कैपन
- गुणी – गुण
- भयभीत – भयभीति
8. निम्नलिखित शब्दों का कर्तृवाचक संज्ञा बनाइए :
प्रश्न 1.
- उपदेश – ………..
- धर्म – ………..
- झगड़ा – ………..
उत्तर :
- उपदेश – उपदेशक
- धर्म – धार्मिक
- झगड़ा – झगड़ालू
Hindi Digest Std 10 GSEB साधूपदेश Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पांच वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
आजकल के साधु अपने पर आए हुए धर्मसंकट को किस युक्ति से टालते हैं?
उत्तर :
कभी-कभी साधुओं के पास आनेवालों में से कुछ भक्त उनसे जीव, बा, तुम, मैं आदि विषयों को लेकर तर्क करते हैं। ऐसी स्थिति में उनके सामने धर्मसंकट खड़ा हो जाता है। इस तरह की समस्या आ जाने पर आजकल के साधु स्लेट पर तर्क करनेवालों को दिखा देते हैं कि आजकल उनका मौनव्रत चल रहा है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
साधु उपदेश देने के लिए झोपड़ी कहाँ बनाते हैं?
उत्तर :
साधु उपदेश देने के लिए झोंपड़ी शहर से दूर बगीचे में बनाते हैं।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
ढोंगी साधू के मतानुसार आप अपने हाथ में हमेशा माला लेकर गोमुखी में उसे फिराते रहिए, ताकि …
(अ) लोगों को यह लगे कि आप ज्ञानी है।
(ब) लोगों को यह लगे कि आप विश्वगुरु है।
(क) लोगों को यह लगे कि आप ईश्वर के नाम का जाप करते रहते हैं।
उत्तर :
डॉगी साधू के मतानुसार आप अपने हाथ में हमेशा माला लेकर गोमुखी में उसे फिराते रहिए, ताकि लोगों को यह लगे कि आप ईश्वर के नाम का जाप करते रहते हैं।
प्रश्न 2.
ढोंग करने के लिए …
(अ) ऊपरी दिखावा करना जरूरी है।
(ब) मन में पाप
रखना जरूरी है।
(क) मार-पीट करना जरूरी है।
उत्तर :
ढोंग करने के लिए ऊपरी दिखावा करना जरूरी है।
प्रश्न 3.
सच्चा साधु दिखाई देने के लिए मुंडन करा लीजिए …
(अ) जिससे आपका ज्ञान बढ़ता रहे।
(ब) जिससे आपका सिर सिप की तरह चमकता रहे।
(क) जिससे आपके सिर का भार उतरता रहे।
उत्तर :
सच्चा साधु दिखाई देने के लिए मुंडन करा लीजिए जिससे आपका सिर सिप की तरह चमकता रहे।
प्रश्न 4.
ढोंगी साधु भक्तों को उपदेश देते हुए कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति आपसे किसी विषय पर तर्क करे तो …..
(अ) उसके पैर पकड़ लीजिए।
(ब) उससे क्षमा मांग लोजिए।
(क) उससे डरकर भयभीत न हों।
उत्तर :
ढोंगी साधु भक्तों को उपदेश देते हुए कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति आपसे किसी विषय पर तर्क करे तो उससे डरकर भयभीत न हों।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- साधु के हाथ में ………….. होनी चाहिए। (गोधूलि, गोमुखी)
- साधु बाहर से ………. होना चाहिए। (नम्र, कठोर)
- साधु की देह ……….. की तरह चमकनी चाहिए। (दीप, अग्नि)
- साधु को अपनी ………… खुलने का भय नहीं लगना चाहिए। (कुटिया, पोल)
- साधु का ………. देखकर विद्वान तर्क नहीं करेंगे। (वाक्-व्रत, मौन-व्रत)
- साधु अपना पापभरा घड़ा ……… आकर फोडेगा। (मधुरा, काशी)
- कवि ने ………….. गुण पर करारा व्यंग्य किया है। (मुख में राम बगल में छुरी, राम-नाम जपना पराया माल अपना)
- साधु अपने उपदेश को बढावा देने के लिए शहर से दूर किसी ……. में झोपड़ी बनाते हैं। (वन, बगीचे)
- ‘साधूपदेश’ काव्य में …….. लोगों पर व्यंग्य किया है। (पढ़ेलिखे, अनपढ़)
- तर्क का भय ………. साधु को रहता है। (दंभी, विधर्मा)
उत्तर :
- गोमुखी
- नम्र
- दीप
- पोल
- मौनवत
- काशी
- मुख में राम बगल में छूरी
- बगीचे
- अनपढ़
- दंभी
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
साधु का शरीर कैसा है?
A. दिव्य और चमकता
B. अग्नि जैसा
C. कठोर
D. निर्भय
उत्तर :
A. दिव्य और चमकता
प्रश्न 2.
साधु बाहर से ……. है।
A. चालाक
B. हृदय से विनम्र
C. नम
D. अनपढ़ दिखते
उत्तर :
C. नम
प्रश्न 3.
नाम जपने का साधन ………… है।
A. धोती
B. माला
C. जापयंत्र
D. नामयंत्र
उत्तर :
B. माला
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- पोथी – ……….
- झोपड़ी – ……….
- बगीचा – ……….
- शीघ्र – ……….
- झगड़ा – ……….
- सदा – ……….
- छुरी – ……….
- मौन – ……….
- युक्ति – ……….
- तर्क – ……….
उत्तर :
- पोथी – पुस्तक
- झोंपड़ी – कुटिया
- बगीचा – उद्यान
- शीघ्र – जल्दी
- झगड़ा – लड़ाई
- सदा – हमेशा
- छुरी – चाकू
- मौन – चुप
- युक्ति – तरकीब
- तर्क – दलील
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- सदा × …….
- ऊपर × …….
- झोंपड़ी × …….
- शीघ × …….
- विद्वान × …….
- निष्काम × …….
- स्वर्ग × …….
- पाप × …….
- दोष × …….
उत्तर :
- सदा × क्वचित्
- ऊपर × नीचे
- झोंपड़ी × महल
- शीघ्र × विलंब
- विद्वान × मूर्ख
- निष्काम × सकाम
- स्वर्ग × नरक
- पाप × पुण्य
- दोष × गुण
निम्नलिखित संधि को छोडिए :
प्रश्न 1.
- निष्काम = ……….
- फलेच्छा = ……….
- साधूपदेश = ……….
- महोदय = ……….
- सदैव = ……….
- सर्वोत्तम = ……….
उत्तर :
- निष्काम = निः + काम
- फलेच्छा = फल + इच्छा
- साधूपदेश = साधु + उपदेश
- महोदय = मह + उदय
- सदैव = सदा + एव
- सर्वोत्तम = सर्व + उत्तम
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- सच्चिदानंद जगत का मूलतत्त्व
- न बोलने का व्रत
- धर्मरक्षा के बारे में उलझन
- जिसमें कोई इच्छा न हो
- गाय के मुख जैसी
- नाम जपने का साधन
उत्तर :
- ब्रह्म
- मौनव्रत
- धर्मसंकट
- निष्काम
- गोमुखी
- माला
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर बाक्य में प्रयोग कीजिए।
पाप का घड़ा भरना-किए गए दुष्कर्मों के फल भोगने का समय आना वाक्य : पापी के पाप का घड़ा भरने पर वह पकड़ा गया।
निम्नलिखित कहावत का अर्थ स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
मुख में राम बगल में छुरी
उत्तर :
कथनी और करनी में अंतर होना
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- पढ़ना – ……….
- बहुत – ……….
- चमकना – ……….
- शीघ्र – ……….
- विद्वान – ……….
- काम – ……….
उत्तर :
- पढ़ना – पढ़ाई
- बहुत – बहुतायत
- चमकना – चमक
- शीघ्र – शीघ्रता
- विद्वान – विद्वत्ता
- काम – कामना
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- सुनना – ……….
- लिखना – ……….
- तर्क – ……….
- सेवा – ……….
- इच्छा – ……….
- पाप – ……….
- ढोंग – ……….
उत्तर :
- सुनना – श्रोता
- लिखना – लेखक
- तर्क – तार्किक
- सेवा – सेवक
- इच्छा – इच्छुक
- पाप – पापी
- ढोंग – डोंगी
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- भक्तगण
- गोमुखी
- धर्मसंकट
- निष्काम
- महोदय
उत्तर :
- तत्पुरुष
- बहुव्रीहि
- कर्मधारय
- बहुव्रीहि
- बहुव्रीहि
साधूपदेश Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
‘साधूपदेश’ एक व्यंग्य काव्य-रचना है। कवि ने इस कविता के माध्यम से आजकल के उन ढोंगी और अज्ञानी साधुओं की लीलाओं का चित्रण किया है, जो ऊपर से तो विनम्र और भले दिखाई देते हैं, पर अंदर से कुटिल और पूर्त होते हैं।
कविता का सरल अर्थ :
आइए प्रिय भक्तगण ………. छुरी चलती रहे।
ढोंगी साधु अपने भक्तों को उपदेश देते हुए कहते हैं कि आप लोगों ने यों तो अनेक ग्रंथ और अनेक पुस्तकें पढ़ी होंगी, आज आप मेरे भी कुछ गुण ले लीजिए। आप अपने हाथ में हमेशा माला लेकर गोमुखी में उसे फिराते रहिए, ताकि लोगों को यह लगे कि आप ईश्वर के नाम का जाप करते रहते हैं। इसके अलावा ऊपर से आप ऐसा दिखावा करते रहिए कि आप बहुत विनम्र हैं। लेकिन अंदर से आप छल-कपट करने से मत चूकिए।
नगर से बाहर ……….. भय से लगें मत कापने।
ढोंग करने के लिए ऊपरी दिखावा करना जरूरी है। इसलिए साधु का सच्चा वेश बनाने के लिए कुछ चीजों का सहारा ले लीजिए। इसके लिए आप अपने शहर से दूर किसी बगीचे में एक झोंपड़ी (कुटी) बनाकर उसमें रहिए। सच्चा साधु दिखाई देने के लिए मुंडन करा लीजिए, जिससे आपका सिर सीप की तरह चमकता रहे। शरीर का भी (चंदन आदि से) शृंगार करते रहें, ताकि आपका शरीर चमकता हुआ दिखाई दे। यदि कोई व्यक्ति आपसे किसी विषय पर तर्क करे, तो उससे डर कर भयभीत न हो। डरें नहीं कि आपकी पोल खुल जाएगी, बल्कि हिम्मत से काम लें और निडर बने रहें।
जीव क्या है ……. सब हट जाएंगे।
यदि कोई व्यक्ति आपसे इस विषय पर तर्क करने लगे कि जीव, जगत और माया क्या होती है? परमात्मा क्या है? आप कौन हैं? मैं कौन हूँ? तो आप बिलकुल मत घबराइए। कुछ मत बोलिए। केवल एक स्लेट पर यह लिखकर उसे दिखा दीजिए कि आजकल आपका मौनवत चल रहा है, इसलिए आप तर्क-वितर्क नहीं कर सकते। इस उपाय से आप एकदम मुक्त हो जाएंगे। तर्क करनेवाले अपने आप वहाँ से चले जाएंगे।
किए जा निष्काम …… पहुँचकर फोड़ दे।
आप बिना किसी कामना या इच्छा से लोगों की सेवा करते रहिए। फल की परवाह बिलकुल मत कीजिए। यदि फल की कभी याद आ जाए, तो इधर-उधर हाथ मारकर जो हाथ में आ जाए, उसे झपट लीजिए। स्वर्गप्राप्ति से कोई वास्ता मत रखिए। नर्क में जाने का डर भी मन से निकाल दीजिए। यदि आपके पापों का घड़ा भर जाए, यानी पाप ज्यादा हो जाएं, तो चिंता मत कीजिए। सीधे पाप-मोचनी काशी चले जाइए। वहाँ आपके सारे पाप बिना साबुन के चुटकी बजाते धुल जाएंगे।
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
મૅગી સાધુઓ પોતાના ભક્તોને ઉપદેશ આપતાં કહે છે. આમ તો આપે અનેક ગ્રંથ અને પુસ્તકો વાંચ્યાં હશે. આપ અમારા થકી થોડાક ગુણ ગ્રહણ કરો. આપ પોતાના હાથમાં હંમેશાં માળા લઈને ગૌમુખીમાં એને ફેરવતા રહો, જેથી લોકોને એમ લાગે કે આપ ઈશ્વરના નામનો જાપ કરી રહ્યા છો, આ ઉપરાંત આપ ઉપર ઉપરથી એવો દેખાવ કરતા રહો કે આપ ખૂબ વિનમ્ર છો, પરંતુ અંદરથી છળ-કપટ કરવાનું ચૂકશો નહિ,
ઢોંગ કરવા માટે ઉપરનો દેખાવ કરવો જરૂરી છે. એટલે સાધુનો સાચો વૈશ બતાવવા માટે કેટલીક ચીજોની મદદ લો. એના માટે આપ પોતાના શહેરથી દૂર કોઈ બગીચામાં એક ઝૂંપડી બનાવીને તેમાં રહો. સાચા સાધુ દેખાવા માટે મુંડન કરાવી લો, જેથી આપનું મસ્તક છીપલાની જેમ ચમકતું રહે, દેહ ઉપર પણ ચંદન વગેરેથી શણગાર કરતા રહો, જેથી આપનું શરીર ચમકતું દેખાય. જો કોઈ વ્યક્તિ આપની સાથે કોઈ વિષય પર તર્ક કરે તેનાથી ડરીને ભયભીત થશો નહિ, ખાપની પોલ ખૂલી જશે એમ સમજીને ગભરાશો નહિ; પરંતુ હિમતથી કામ લો અને નીડર બનીને રહો.
જો કોઈ વ્યક્તિ આપની સાથે એ બાબતે તર્ક કરે કે જીવ, જગત અને માયા શું છે? પરમાત્મા શું છે? આપ કોણ છો? હું કોલ છું? તો આપ જરા પણ ગભરાશો નહિ, કશું બોલશો નહિ. ફક્ત એક સ્લેટ પર લખીને એને જાણ કરો કે આજ કાલ આપનું મૌનવ્રત ચાલે છે; એટલે આપ તર્ક-વિતર્ક નહિ કરી શકો. આ ઉપાયથી આપ તદન મુક્ત થઈ જશો અને તર્ક કરનાર પોતાની મેળે ત્યાંથી ચાલ્યા જશે.
કોઈ પણ કામના વા ઈછા વિના લોકોની સેવા કરતા રહો. ફળની પરવા બિલકુલ કરશો નહિ. જો ફળની ક્યારેક યાદ આવે, તો આમતેમ હાથ ફેરવીને જે હાથમાં આવી જાય એ ઝપટી લેશો. સ્વર્ગપ્રાપ્તિથી કશો સંબંધ રાખશો નહિ, નર્કમાં જવાનો ડર પણ મનમાંથી કાઢી નાખજો. જો આપના પાપનો ઘડો ભરાઈ જાય અર્થાત્ પાપ વધી જાય, તો ચિંતા કરશો નહિ. પાપમાંથી મોશ મેળવવા કાશી ચાલ્યા જાઓ. ત્યાં આપનાં બધાં પાપ ચપટી વગાડતાં ધોવાઈ જશે.
साधूपदेश शब्दार्थ :
- भक्तगण – भक्त लोग।
- उपदेश – हित की बात, सीख।
- पोथी – ग्रंथ, पुस्तक।
- गुन – गुण।
- गोमुखी – जिसमें माला रखकर नाम स्मरण किया जाता है।
- माला – गोलाकार पिरोए हुए तुलसी के मनके।
- नम्र – विनम्र।
- छुरी चलना – कपट करना।
- नगर – शहर।
- झोपड़ी – कुटिया।
- दीप – दैदीप्यमान, दिव्य।
- देह – शरीर।
- सीप – सीपी।
- खोपड़ी – सिर।
- तर्क – दलील।
- पोल – रहस्य।
- भव – डर।
- जीव – आत्मा।
- ब्रह्म – परमात्मा, ईश्वर।
- मौन – चुप रहना, मुनियों का व्रत।
- धर्मसंकट – ऐसी स्थिति जिसमें धर्म का पालन करना कठिन हो।
- युक्ति – तरकीब।
- तार्किक – तर्कशास्त्र का जानकार।
- निष्काम – निरपेक्ष।
- फलेच्छा – फल की इच्छा।
- झगड़ा गया – चिंता नहीं।
- पाप-घट – पाप का घड़ा।
- काशी – (यहाँ) पाप मोचनी काशी।