GSEB Solutions Class 7 Hindi Chapter 6 डॉ. विक्रम साराभाई

Gujarat Board GSEB Solutions Class 7 Hindi Chapter 6 डॉ. विक्रम साराभाई Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 7 Hindi Chapter 6 डॉ. विक्रम साराभाई

GSEB Solutions Class 7 Hindi डॉ. विक्रम साराभाई Textbook Questions and Answers

अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों की मौखिक चर्चा कीजिए :

प्रश्न 1.
विक्रम साराभाई ने खुद अपने नाम चिट्ठियाँ क्यों लिखी होंगी?
उत्तर :
शिक्षक : (विद्यार्थी से) तुम कैसे कह सकते हो कि व्यक्ति में बड़ा बनने की इच्छा बचपन से ही होती है?
विद्यार्थी : गुरुजी, कहते हैं कि बच्चों के लक्षण पालने से ही दिखाई देते हैं। विक्रम साराभाई को ही लीजिए। उनमें प्रसिद्ध होने की इच्छा बचपन से ही जाग उठी थी।
शिक्षक : वह कैसे?
विद्यार्थी : पाँच-छः वर्ष की उम्र में उन्होंने देखा कि उनके पिता के नाम रोज बहुत सारे पत्र आते हैं। उन्होंने सोचा, कितना अच्छा हो अगर मेरे नाम भी अनेक पत्र आएँ!
शिक्षक : परंतु उनके नाम पत्र आते कैसे?
विद्यार्थी : यही तो बात थी। बालक विक्रम को भी पता था कि उनके नाम
पत्र आनेवाले नहीं हैं। तब उन्होंने खुद ही पिताजी के नाम आए कई लिफाफों पर अपना नाम लिखा और वे लिफाफे डाकघर में डाल आए। इस तरह उनके नाम पर भी अनेक चिट्ठियाँ आने लगीं।
शिक्षक : सचमुच, यह घटना भविष्य में उनके महान व्यक्ति बनने की सूचक थी।

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प्रश्न 2.
विक्रम साराभाई साइकिल पर विभिन्न कलाबाजियाँ करते थे। इस तरह आपको क्या करना पसंद है?
उत्तर :
मुझे छोटी-छोटी कविताएँ बनाकर उन्हें गाना पसंद है। चुनाव के समय अपनी मनपसंद पार्टी के पक्ष में ट्रक पर सवार होकर प्रचार करना मुझे अच्छा लगता है। मैं जोशीले नारे लगाता हूँ, कविता में उस पार्टी की विशेषताएँ और उपलब्धियाँ उजागर करता हूँ। मेरे इस शौक के पीछे मेरा कैसा भविष्य छिपा है, यह मैं नहीं जानता।

2. इस पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए विक्रम साराभाई के बचपन की घटना अपने शब्दों में लिखिए।

विक्रम साराभाई की उम्र उस समय पाँच-छः वर्ष की होगी। उनका परिवार घूमने-फिरने शिमला गया था। विक्रम के पिता अम्बालाल एक बड़े उद्योगपति थे। इसलिए उनके नाम प्रतिदिन ढेरों पत्र आते थे। बालक विक्रम के मन में इच्छा हुई कि उसके नाम भी रोज बहुत सारे पत्र आएँ। उसने बहुत से लिफाफों पर अपना नाम तथा पता लिखा और उन्हें पोस्टऑफिस में डाल आया। अब विक्रम के नाम भी खूब चिट्ठियाँ आने लगीं। . इस घटना से इस महान वैज्ञानिक के बुलंद इरादों की झलक बचपन में ही मिल जाती है।

3. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शिक्षक छात्र से पूछेगे और छात्र शब्दकोश से अर्थ ढूँढ़कर उत्तर देने के लिए अपना हाथ खड़ा करेंगे।

(गाथा, प्रतीक, विक्रम, तत्पश्चात्, कैंब्रिज, भौतिक, अंतरिक्ष, प्रयोगशाला, इंटरनेशनल, मृत्यु, ऊर्जा, युवा, उत्कृष्ट, स्मारक, पुरस्कार, हवाई)
उत्तर :
गाथा – कथा
प्रतीक – चिह्न
विक्रम – वीरता
तत्पश्चात् – उसके बाद
कैंब्रिज – इंग्लैंड का एक विश्वविद्यालय
भौतिक – सांसास्कि
अंतरिक्ष – आकाश
प्रयोगशाला – वह स्थान जहाँ विज्ञानसंबंधी प्रयोग किए जाते हैं
इंटरनेशनल – अन्तरराष्ट्रीय
मृत्यु – मरण
ऊर्जा – शक्ति
युवा – युवक
उत्कृष्ट – श्रेष्ठ
स्मारक – स्मृति-चिह्न
पुरस्कार – इनाम
हवाई – काल्पनिक, हवा से संबंधित

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4. ‘शब्दार्थ’ में निर्देशित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

(इरादा, लिफाफा, ढेरों, लैस, अनुसंधान, उपाधि)
उत्तर :
(1) इरादा – हमारा इरादा हमेशा बुलंद होना चाहिए।
(2) लिफाफा – लिफाफे के ऊपर पिताजी का नाम है।
(3) ढेरों – दीपावली पर ढेरों मिठाइयाँ बिकती हैं।
(4) लैस- हमारी पाठशाला में वैज्ञानिक उपकरणों से लैस एक प्रयोगशाला है।
(5) अनुसंधान – वैज्ञानिक अनुसंधान में लगे रहते हैं।
(6) उपाधि – मैं ‘भारतरत्न’ की उपाधि पाना चाहता हूँ।

5. दूरदर्शन (टी.वी.) देखना लाभदायी है या हानिकारक? क्यों? कारण सहित तर्क दीजिए।

आज घर-घर में दूरदर्शन आ गया है। अपनी लोकप्रियता के कारण वह हर परिवार के लिए अनिवार्य बन गया है। प्रत्येक वस्तु से कुछ लाभ के साथ कुछ हानियाँ भी होती ही हैं। परंतु दूरदर्शन तो लाभों का खजाना है। यह हमें देश-विदेश में होनेवाली घटनाओं की जानकारी देता है। उन घटनाओं के जीवंत दृश्य भी दिखाता है। बाढ़, अकाल, भूकंप आदि से होनेवाले नुकसान दूरदर्शन पर देखकर हमारी मानवता जाग उठती है।

दूरदर्शन तरह-तरह से हमारा मनोरंजन करता है। फिल्में, धारावाहिक, नाटक आदि के द्वारा यह हमें आनंद देता है। देशभक्ति, समाज-सुधार आदि के कार्यक्रम दिखाकर दूरदर्शन समाज में जागृति पैदा करता है। दूरदर्शन पर क्रिकेट, फुटबाल और टेनिस के मैच देखकर हमारी खुशी का पार नहीं रहता। टी.वी. के ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे कार्यक्रमों ने सबका दिल जीत लिया है। परंतु टी.वी. देखने से बच्चों की पढ़ाई में बाधा पड़ती है।

खेल-कूद छोड़कर टी.वी. से चिपके रहने के कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। जो चश्मा पहले बुढ़ापे में आता था, वह अधिक टी.वी. देखने से बचपन में ही आ जाता है। टी.वी. के कारण हमारा आपसी मेल-जोल कम हो गया है और हमारे हरे-भरे रिश्ते सूखने लगे हैं। क्रिकेट मेच जैसे कार्यक्रमों में हमारा कितना समय बरबाद हो जाता है, इसका कोई हिसाब नहीं। वास्तव में हमें टी.वी. का उपयोग सीमित करना चाहिए ।

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स्वाध्याय

1. कोष्ठक में दिए शब्दों को उदाहरण के अनुसार बल्ले पर इस तरह रखो जिससे अर्थपूर्ण वाक्य बने :

(कलाबाजियाँ, बालक, है, लोकविज्ञान, होकर, यशस्वी, अनुसंधान, करते, किया, वो, दिया, योगदान, में, गठन, बड़ा, के, पर, विकास, अहमदाबाद, भारतीय, की, केन्द्र, का)
उदाहरण : भारतीय अनुसंधान केन्द्र का गठन किया।
उत्तर :
(1) विक्रम साइकिल पर कलाबाजियाँ करते थे।
(2) यह बालक बड़ा होकर यशस्वी बनेगा।
(3) उनके प्रयासों से अहमदाबाद में लोकविज्ञान केन्द्र की स्थापना
(4) डॉ. विक्रम ने भारत के विकास में उत्कृष्ट योगदान दिया।

2. निम्नलिखित एकवचन शब्दों का बहुवचन बनाकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

लड़का, किताब, नदी, नारी, माली उत्तर
वाक्य-प्रयोग
(1) लड़का – लड़के — लड़के मैदान में खेल रहे हैं।
( 2) किताब – किताबें — मैंने दो किताबें खरीदीं।
( 3) नदी – नदियाँ — नदियाँ हमें पानी देती हैं।
( 4 ) नारी- नारियाँ — नारियाँ मधुर गीत गा रही हैं।
( 5 ) माली – माली — माली पौधों से फूल तोड़ रहे हैं।

3. निम्नलिखित परिच्छेद का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए :

वह केवल उच्च कोटि के वैज्ञानिक ही नहीं थे, बल्कि व्यस्तताओं के बावजूद कला, शिक्षा व समाज के लिए पर्याप्त समय निकाल लेते थे। उनके ही प्रयासों से अहमदाबाद में लोकविज्ञान केन्द्र एवं नेहरु विकास संस्थान की स्थापना हुई, यहाँ वह जन सामान्य की विज्ञान के प्रति रुचि जागृत करने के लिए कार्य करते रहे।
उत्तर :
He was not only a high quality scientist, but though he remained busy in his work, he found enough time for art, education and society. Because of his efforts Public Science Centre and Nehru Foundation for development were established in Ahmedabad. Here, he would work to create interest of common people in Science.

તેઓ ફક્ત ઉચ્ચકોટિના વૈજ્ઞાનિક જ નહોતા, પરંતુ કામમાં વ્યસ્ત રહેવા છતાં કલા, શિક્ષણ તથા સમાજને માટે પૂરતો સમય કાઢી લેતા હતા. તેમના જ પ્રયત્નોને લીધે અમદાવાદમાં લોકવિજ્ઞાન કેન્દ્ર અને નેહરુ વિકાસ સંસ્થાનની સ્થાપના થઈ. અહીં તેઓ સામાન્ય માણસની વિજ્ઞાન પ્રત્યે રુચિ જાગ્રત કરવા માટે કાર્ય કરતા રહ્યા.

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भाषा-सज्जता

निम्नलिखित वाक्य पढ़िए :

(1) यह पेन्सिल मीना की है।
(2) वह मेरा भाई है।
(3) वे अच्छे खिलाड़ी हैं।
ऊपर के वाक्यों में ‘यह’, ‘वह’, ‘वे’ ये रेखांकित शब्द सर्वनाम हैं। ये किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध कराते हैं। इसलिए ये ‘निश्चयवाचक सर्वनाम’ हैं।
जिस सर्वनाम द्वारा किसी दूर या पास की वस्तु या व्यक्ति का निश्चित रूप से बोध कराया जाए, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।

अब ये वाक्य पढ़िए :

(1) दरवाजे पर कोई है।
(2) यह मिठाई किसी को दे दो।
(3) प्रीति के पास कुछ तो है।
इन वाक्यों में रेखांकित शब्द सर्वनाम हैं। ये सर्वनाम किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध नहीं कराते। इसलिए ये अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

रेखांकित सर्वनाम का प्रकार बताइए :

(1) पेड़ के नीचे कोई खड़ा है।
(2) पता नहीं यह संदूक किसकी है।
(3) यह शिवाजी का किला है।
(4) वह श्याम का मित्र है।
(5) लड़का कुछ खाना चाहता था।
(6) ये विदेश से आए हुए पक्षी हैं।
उत्तर :
(1) कोई – अनिश्चयवाचक सर्वनाम
(2) किसकी – अनिश्चयवाचक सर्वनाम
(3) यह – निश्चयवाचक सर्वनाम
(4) वह – निश्चयवाचक सर्वनाम
(5) कुछ – अनिश्चयवाचक सर्वनाम
(6) ये- निश्चयवाचक सर्वनाम

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Hindi Digest Std 7 GSEB डॉ. विक्रम साराभाई Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :

(1) गुजरात कॉलेज कहाँ है?
A. गाँधीनगर में
B. बड़ौदा में
C. अहमदाबाद में
D. सूरत में
उत्तर :
C. अहमदाबाद में

(2) विक्रम साराभाई ने बी.एस.सी. की परीक्षा कहाँ पास की?
A. ऑक्सफोर्ड में
B. कैंब्रिज में
C. दिल्ली में
D. केलिफोर्निया में
उत्तर :
B. कैंब्रिज में

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(3) डॉ. विक्रम साराभाई की पत्नी का नाम क्या था?
A. नंदिनी
B. कमलिनी
C. शुभांगी
D. मृणालिनी
उत्तर :
D. मृणालिनी

(4) कैंब्रिज किस देश में है?
A. इंग्लैंड में
B. जर्मनी में
C. फ्रांस में
D. अमेरिका में
उत्तर :
A. इंग्लैंड में

2. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(साहसिक, गुलमर्ग, उद्योगपति, हृदय, जटिल)

(1) डॉ. विक्रम साराभाई का परिवार एक प्रतिष्ठित ……….. का परिवार था।
(2) डॉ. विक्रम साराभाई ने ब्रह्मांड तथा सौरमंडल के कई ……प्रश्नों का हल निकाला।
(3) भारत सरकार ने ……………. में एक प्रयोगशाला स्थापित की।
(4) विक्रम साराभाई को …………… कारनामे प्रिय थे।
(5) थुम्बा (त्रिवेंद्रम) में ………. की गति रुक जाने से डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु हुई।
उत्तर :
(1) डॉ. विक्रम साराभाई का परिवार एक प्रतिष्ठित उद्योगपति का परिवार था।
(2) डॉ. विक्रम साराभाई ने ब्रह्मांड तथा सौरमंडल के कई जटिल प्रश्नों का हल निकाला।
(3) भारत सरकार ने गुलमर्ग में एक प्रयोगशाला स्थापित की।
(4) विक्रम साराभाई को साहसिक कारनामे प्रिय थे।
(5) थुम्बा (त्रिवेंद्रम) में हृदय की गति रुक जाने से डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु हुई।

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3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :

(1) डॉ. विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में टेक्स्टाईल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसियेशन की आधारशिला रखी, क्योंकि …
(अ) वहाँ कपड़े की मिले खोलनी थीं।
(ब) वहाँ की मिलों में तरह-तरह के कपड़े बनाने थे।
(क) देश में वस्त्रोद्योग की तकनीकी समस्याओं का हल निकालना था।
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में टेक्स्टाईल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसियेशन की आधारशिला रखी, क्योंकि देश में वस्त्रोद्योग की तकनीकी समस्याओं का हल निकालना था

(2) कॉस्मिक किरणें रहस्यमयी होती हैं, क्योंकि …
(अ) उनकी गति अनिश्चित होती है।
(ब) वे अंतरिक्ष की गहराइयों से आती हैं।
(क) वे सीधे ग्रहों से आती हैं।
उत्तर:
कॉस्मिक किरणें रहस्यमयी होती हैं, क्योंकि वे अंतरिक्ष की गहराइयों से आती हैं

(3) डॉ. विक्रम साराभाई चाहते थे कि …
(अ) जनसामान्य की विज्ञान के प्रति रुचि जागृत हो।
(ब) भारत वैज्ञानिकों का देश बन जाए।
(क) विज्ञान संबंधी सबसे अधिक संस्थाएँ अहमदाबाद में हो।
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई चाहते थे कि जनसामान्य की विज्ञान के प्रति रुचि जागृत हो

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(4) डॉ. विक्रम साराभाई त्रिवेंद्रम गए, क्योंकि …
(अ) वहाँ उन्हें एक अस्पताल का उद्घाटन करना था।
(ब) वहाँ उन्हें एक प्रयोगशाला खोलनी थी।
(क) वहाँ उन्हें थुम्बा के लाँचिंग स्टेशन का निरीक्षण करना था।
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई त्रिवेंद्रम गए, क्योंकि वहाँ उन्हें थुम्बा के लाँचिंग स्टेशन का निरीक्षण करना था

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :

प्रश्न 1.
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बालक विक्रम के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?
उत्तर :
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बालक विक्रम के बारे में भविष्यवाणी की थी कि यह बालक बड़ा होकर बहुत यशस्वी बनेगा।

प्रश्न 2.
विक्रम साराभाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर :
विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त सन् 1912 को अहमदाबाद में हुआ था।

प्रश्न 3.
विक्रम साराभाई के माता-पिता के नाम क्या थे?
उत्तर :
विक्रम साराभाई की माता का नाम सरलादेवी और पिता का नाम अम्बालाल था।

प्रश्न 4.
पिता के नाम अनेक पत्र आते देखकर बालक विक्रम के मन में क्या इच्छा हुई?
उत्तर :
पिता के नाम अनेक पत्र आते देखकर बालक विक्रम के मन में यह इच्छा हुई कि उनके नाम भी खूब सारे पत्र आएँ।

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प्रश्न 5.
बालक विक्रम किस कार्य से लोगों को अचंभित कर देते थे?
उत्तर :
बालक विक्रम साइकिल पर तरह-तरह की कलाबाजियाँ कर लोगों को अचंभित कर देते थे।

प्रश्न 6.
विक्रम साराभाई को किन विषयों में दिलचस्पी थी?
उत्तर :
विक्रम साराभाई को गणित तथा भौमिति के विषयों में गहरी दिलचस्पी थी।

प्रश्न 7.
विक्रम साराभाई को भारत में किन वैज्ञानिकों का सान्निध्य मिला?
उत्तर :
विक्रम साराभाई को भारत में सर सी. वी. रामन तथा डॉ. होमी भाभा जैसे वैज्ञानिकों का सान्निध्य मिला।

प्रश्न 8.
कॉस्मिक किरणों पर प्रयोग के लिए डॉ. विक्रम साराभाई का क्या सुझाव था?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई का सुझाव था कि कॉस्मिक किरणों के प्रयोग के लिए हिमालय की ऊँची चोटियाँ बहुत उपयुक्त और अनुकूल होंगी।

प्रश्न 9.
डॉ. विक्रम साराभाई किन विषयों पर कार्य करते रहे?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई परमाणु शक्ति, अंतरिक्ष विकिरण, सूर्य, ग्रह, तारा, प्लाज्मा भौतिकी तथा खगोल आदि विषयों पर कार्य करते रहे।

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प्रश्न 10.
डॉ. विक्रम साराभाई विज्ञान के अतिरिक्त अन्य किन क्षेत्रों में रुचि रखते थे?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई विज्ञान के अतिरिक्त कला, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में रुचि रखते थे।

प्रश्न 11.
विज्ञान के प्रति सामान्य जन की रुचि जागृत करने के लिए डॉ. विक्रम साराभाई ने क्या किया?
उत्तर :
विज्ञान के प्रति सामान्य जन की रुचि जागृत करने के लिए डॉ. विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में लोकविज्ञान केन्द्र और नेहरू विकास संस्थान की स्थापना की।

प्रश्न 12.
डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु कब और कहाँ हुई?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु 21 दिसंबर सन् 1971 को त्रिवेन्द्रम के निकट थुम्बा नामक स्थान पर हुई।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
डॉ. विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में किन-किन संस्थानों की स्थापना की?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई ने सन् 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। अहमदाबाद में ही उन्होंने टेक्स्टाइल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसियेशन की आधारशिला रखी। डॉ. विक्रम साराभाई के ही प्रयासों से अहमदाबाद में लोकविज्ञान केन्द्र एवं नेहरू विकास संस्थान की स्थापना हुई।

प्रश्न 2.
डॉ. भाभा की मृत्यु के बाद डॉ. विक्रम साराभाई को कौन-सी जिम्मेदारी सौंपी गई?
उत्तर :
डॉ. भाभा की मृत्यु के बाद परमाणु ऊर्जा संस्थान का उत्तरदायित्व डॉ. विक्रम साराभाई को सौंपा गया। उन्होंने भारतीय अनुसंधान केन्द्र का गठन किया। उन्होंने इस केन्द्र की गतिविधियाँ आगे बढ़ाई। आज हमारे देश में दूरसंचार, दूरदर्शन और मौसम विज्ञान से संबंधित अनेक उपग्रह डॉ. विक्रम साराभाई के सफल प्रयत्नों के परिणाम हैं। इस दृष्टि से उन्होंने देश की बड़ी सेवा की।

प्रश्न 3.
डॉ. विक्रम साराभाई को किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई ने अपना संपूर्ण जीवन भारत तथा विज्ञान के विकास के लिए समर्पित कर दिया। भारत के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए। सन् 1962 में उन्हें डॉ. शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किया गया। भारत सरकार ने सन् 1966 में पद्मभूषण और सन् 1972 में मरणोत्तर पद्मविभूषण अलंकरण से उन्हें सम्मानित किया गया।

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प्रश्न 4.
डॉ. विक्रम साराभाई ने अपने जीवन में कौन-कौन-से पद सुशोभित किए?
उत्तर :
डॉ. विक्रम साराभाई सन् 1961 में परमाणु ऊर्जा आयोग के सदस्य बने। भारतीय अनुसंधान केन्द्र के पहले अध्यक्ष विक्रम साराभाई ही थे। सन् 1968 में वे संयुक्त राष्ट्र संघ में युनेस्को के विज्ञान विभाग के अध्यक्ष बने। सन् 1970 में वे वियेना शांति अंतरराष्ट्रीय अणुमंच के 14 वीं परिषद के प्रमुख बनाए गए। सन् 1971 में वे संयुक्त राष्ट्र परिषद के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। बाद में उन्हें इसी परिषद के विज्ञान विभाग का अध्यक्ष बनाया गया।

डॉ. विक्रम साराभाई Summary in Hindi

(1) कॉस्मिक किरणें : कॉस्मिक किरणें आकाशगंगा से आनेवाली ब्रह्मांडीय किरणें हैं। इन किरणों के बारे में अभी पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हुई। इन किरणों के अध्ययन द्वारा सौरमंडल के जटिल रहस्यों को सुलझाया जा सकता है। हिमालय पर्वत की ऊँची चोटियाँ कॉस्मिक किरणों के अध्ययन के लिए उपयुक्त स्थान हैं।

(2) पद्म विभूषण : यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाएँ भी शामिल हैं।

(3) पद्म भूषण : यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में उच्च स्तर की उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाएँ भी शामिल हैं।

(4) पद्मश्री : यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाएँ भी शामिल हैं।

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(5) भारतरत्न : भारतरत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान या सार्वजनिक सेवा शामिल है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारतरत्न दिया जा सकता है।

(6) अर्जुन पुरस्कार : अर्जुन पुरस्कार भारत सरकार के द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार का प्रारंभ सन् 1961 में हुआ था।

डॉ. विक्रम साराभाई Summary in English

Dr. Vikram. Sarabhai

Vikram Sarabhai was a great scientist. When he was just two years old, Rabindranath Tagore had foretold : “This child will become a very renowned person.” And that child with his deeds made his prophecy true.

Dr Vikram Sarabhai was born on 12th August, 1912 in Ahmedabad. His family was a welknown industrialist family. His father’s name was Ambalal and his mother’s name was Sarladevi. They were eight brothers and sisters. Born intelligent, Vikram Sarabhai’s incident of his childhood shows his determination to get success. When he was 5-6 years old, he went to Shimla with his family.

In Shimla many letters would come on his father’s name. The child Vikram thought that he also must get letters on his name. So he wrote his name and address on many covers and posted them. He received the letters on his name. His father was curious to know who wrote him the letters. When he came to know the purpose of his son behind writing letters on his name he laughed.

When he was eight years old he would perform many tricks on his bicycle and amaze people. He loved adventurous tasks. He had deep interest in mathematics and geometry. He passed his matriculation examination in 1934. He studied inter from Gujarat College, Ahmedabad from 1934-37. In 1937 he went to England. In 1940, he got degree of BSc with mathematics and physics from Cambridge University. Then he returned to India as the second world war had begun. In India he got chance to work with Sir C. V. Raman and Dr Homi Bhabha. He was impressed by the freedom movement of India. In 1942, he got married with Mrunalini Swaminathan.

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In 1947, he got PhD degree from Cambridge University on research of mysterious cosmic rays coming from deep space. He got fame to solve complex practical problems of universe and solar system. It was his suggestion that the peak of Himalaya would be the most useful and favourable for practical work on cosmic rays. So the Government of India established a laboratory with scientific equipments in Gulmarg.

Due to personal efforts of Vikram Sarabhai, Physical Research Laboratory (PRL) was established in Ahmedabad in 1947 and he remained with it the whole life. To solve technical problems of textile industries, he founded ‘Textile Industries Research Association’ in Ahmedabad (ATIRA). He continued to work in Physical Research Laboratory, Dr Vikram Sarabhai worked on atomic energy, on cosmic rays, the sun, the planet, the stars, plasma physics and astronomy.
In 1961, he was made a member of Atomic Energy Commission.

After the death of Dr Bhabha, the responsibility of Nuclear Energy Organization came to the young scientist Dr Vikram Sarabhai. He constructed Indian Research Centre and he became the first chairman of it. Because of his leadership and constant hard work Indian Satellites, sent in space for telephone, television and weather science are running successfully.

Dr Vikram Sarabhai devoted his whole life for the development of India and science. He has received many national and international honours for his greatest contribution in the development of India.

In 1962, he was honoured with Dr Shantiswarup Bhatnagar Award and in 1966 with ‘Padmabhushan’ and posthumas ‘Padmavibhushan’ awards. He was the representative of India in many international organizations related to disarmament.
In 1966 Dr Vikram Sarabhai became a member of ‘International Council of Scientific Union.’ In 1968, he became the chairman of science faculty of UNESCO in UNO. He was appointed president of Indian Geological Union.’

In 1970, Dr Vikram Sarabhai became the president of 14th conference of Viena Peace International Atomic Energy Agency. In 1971 he was appointed vice president of United Nations Conference and after that chairman of the science faculty.

He was not only a high quality scientist, but inspite of remaining busy in his work, he found enough time for art, education and society. Because of his efforts, Public Science Centre and Nehru Foundation for Development were established in Ahmedabad. Here he would work to create interest of common people in science.

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Dr Vikram Sarabhai was sent to Thumba Launching station at Trivendram to inspect work there. He stayed there in a hotel. Here he died of heart attack. It was the black day of 21st December, 1971. Because of his death, one life cycle connecting new fields of science stopped for ever. Great salute to this great scientist!.

डॉ. विक्रम साराभाई Summary in Gujarati

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ
વિક્રમ સારાભાઈ એક મહાન વૈજ્ઞાનિક હતા. જ્યારે તેઓ ફક્ત બે વર્ષના હતા, ત્યારે ગુરુદેવ રવીન્દ્રનાથ ઠાકુરે આ ભવિષ્યવાણી કરી હતી : ‘આ બાળક મોટો થઈને ખૂબ યશસ્વી બનશે” અને તે બાળકે તેમની આ ભવિષ્યવાણી પોતાનાં કમથી સાચી સિદ્ધ કરી.

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈનો જન્મ 12મી ઑગસ્ટ, સન્ 1912ના રોજ અમદાવાદમાં થયો હતો. તેમનો પરિવાર એક પ્રતિષ્ઠિત ઉદ્યોગપતિ પરિવાર હતો. તેમના પિતાનું નામ અંબાલાલ અને માતાનું નામ સરલાદેવી હતું. વિક્રમ સારાભાઈ આઠ ભાઈ-બહેન હતાં.

બાલ્યકાળથી પ્રતિભાસંપન્ન વિક્રમ સારાભાઈના બાળપણનો આ પ્રસંગ સફળતા પ્રાપ્ત કરવાનો તેમનો ઉત્કટ ઇરાદો દર્શાવે છે. જ્યારે તેઓ પાંચ-છ વર્ષના હતા, ત્યારે પોતાના પરિવાર સાથે શિમલા ગયા હતા. શિમલામાં તેમના પિતાશ્રી અંબાલાલના નામે ઘણા પત્રો આવતા હતા. આ જોઈને બાળક વિક્રમના મનમાં પણ એવી ઇચ્છા થઈ કે મારા નામે પણ ખૂબ પત્રો આવે.

આથી તેમણે અનેક કવર ઉપર પોતાનું નામ તથા સરનામું લખીને તે ટપાલપેટીમાં નાખી દીધાં. પછી તો તેમના નામે થોકબંધ પત્રો આવવા લાગ્યાં:

પિતાએ આ જોયું તો વિક્રમના આ કાર્યની પાછળ રહેલો ઉદ્દેશ્ય જાણવાની તેમના મનમાં ઇચ્છા થઈ. હકીકતની ખબર પડતાં તેમને હસવું આવ્યું, પરંતુ સફળતા પ્રાપ્ત કરવાની ઇચ્છા જાણીને સારું પણ લાગ્યું. જ્યારે તેઓ આઠ વર્ષના હતા ત્યારે સાઇકલ પર જુદા જુદા ખેલ કરતા અને લોકોને ચકિત કરી દેતા. તેમને સાહસિક કામો પ્રિય હતાં. ગણિત અને ભૌતિક વિજ્ઞાન(ભૌતિક)માં તેમને ઊંડો રસ હતો.

તેમણે મેટ્રિકની પરીક્ષા સન્ 1934માં પાસ કરી. સન્ 1934 -17માં ગુજરાત કૉલેજ, અમદાવાદમાં ઇંટરનો અભ્યાસ કર્યો. સન્ 1937માં તેઓ ઇંગ્લેન્ડ ગયા. સન્ 1940માં કૅબ્રિજમાં ગણિત અને ભૌતિકશાસ્ત્ર સાથે બી.એસ.સી.ની પરીક્ષામાં સફળતા પ્રાપ્ત કરી. તે પછી બીજું વિશ્વયુદ્ધ શરૂ થતાં જ વિક્રમ સારાભાઈ *ભારત પાછા ફર્યા. ભારતમાં તેમને સર સી. વી. રામન તથા ડૉ. હોમી ભાભાનું સાંનિધ્ય પ્રાપ્ત થયું. રાષ્ટ્રીય સ્વતંત્રતા આંદોલનથી તેઓ ખૂબ પ્રભાવિત થયા. સન્ 1942માં તેમણે મૃણાલિની સ્વામીનાથન સાથે લગ્ન કર્યા.

તેમણે અંતરિક્ષનાં ઊંડાણોમાંથી આવતાં રહસ્યમય બ્રહ્માંડ કિરણો વિષે અનુસંધાન (શોધખોળ) કરીને સન્ 1947માં કેમ્બ્રિજ વિશ્વવિદ્યાલયમાંથી પી.એચ.ડી.ની ઉપાધિ પ્રાપ્ત કરી. બ્રહ્માંડ તથા સૌરમંડળના અનેક જટિલ પ્રશ્નોનો પ્રાયોગિક ઉકેલ શોધવાનું શ્રેય ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈને પ્રાપ્ત થયું છે. બ્રહ્માંડ કિરણો પર પ્રયોગ કરવા માટે હિમાલયનાં ઊંચાં શિખરો સૌથી વધુ ઉપયોગી અને અનુકૂળ રહેશે, એ તેમનું જ સૂચન હતું. એટલા માટે જ ભારત સરકારે ગુલમર્ગમાં વૈજ્ઞાનિક ઉપકરણોથી સજ્જ એક પ્રયોગશાળાની સ્થાપના કરી.

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈના વ્યક્તિગત પ્રયાસોને લીધે સન્ 1947માં ભૌતિક અનુસંધાન પ્રયોગશાળાની અમદાવાદમાં સ્થાપના થઈ. તેઓ એ પ્રયોગશાળા સાથે જીવનભર જોડાયેલા રહ્યા. તેમણે દેશમાં વસ્ત્ર-ઉદ્યોગની ટેક્નિકલ સમસ્યાઓનું નિરાકરણ કરવાના ઉદ્દેશ્યથી અમદાવાદમાં જ ‘ટેસ્ટાઇલ ઇન્ડસ્ટ્રીઝ રિસર્ચ એસોસિએસન’નો પાયો નાખ્યો. ભૌતિક અનુસંધાન પ્રયોગશાળા, ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ પરમાણુશક્તિ, અંતરિક્ષ વિકિરણ, સૂર્ય, ગ્રહ, તારા, પ્લાજમાં ભૌતિકી અને ખગોળ પર તેઓ કાર્ય કરતા રહ્યા.

સન્ 1961માં તેમને પરમાણુ ઊર્જા આયોગના સભ્ય બનાવવામાં આવ્યા. ડૉ. ભાભાના મૃત્યુ પછી પરમાણુ ઊર્જા સંસ્થાનોની જવાબદારી યુવાન વૈજ્ઞાનિક ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ પર આવી પડી. તેમણે ભારતીય અનુસંધાન કેન્દ્રનું ગઠન ક્યું. ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ તેના પ્રથમ અધ્યક્ષ બન્યા. તેમની આગેવાની અને સતત પરિશ્રમને લીધે જ ભારતમાં દૂરસંચાર, દૂરદર્શન અને મૌસમ વિજ્ઞાન માટે મોકલેલા અનેક ઉપગ્રહો અંતરિક્ષમાં સફળતાપૂર્વક કાર્ય કરી રહ્યાં છે.

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈએ પોતાનું સંપૂર્ણ જીવન ભારત તથા વિજ્ઞાનના સમગ્ર વિકાસ માટે સમર્પિત કરી દીધું. ભારતના વિકાસમાં ઉત્કૃષ્ટ યોગદાન આપવા માટે તેમને કેટલાંય રાષ્ટ્રીય અને આંતરરાષ્ટ્રીય સમ્માન પ્રાપ્ત થયાં.

સન્ 1962માં તેમને ડૉ. શાંતિસ્વરૂપ ભટનાગર પુરસ્કાર, સન્ 1966માં ‘પદ્મભૂષણ’ તથા મરણોત્તર ‘પદ્મવિભૂષણ’થી સમ્માનિત કરવામાં આવ્યા.

નિઃશસ્ત્રીકરણ સંબંધિત અનેક મહત્ત્વપૂર્ણ આંતરરાષ્ટ્રીય સંસ્થાઓમાં પણ તેઓ ભારતના પ્રતિનિધિ તરીકે રહ્યા.

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ સન્ 1966માં ઇન્ટરનેશનલ કાઉન્સિલ ઑફ સાયન્ટિફીક યુનિયન’ના સભ્ય બન્યા. સન્ 1968માં સંયુક્ત રાષ્ટ્રસંઘમાં યુનેસ્કોના વિજ્ઞાનવિભાગના અધ્યક્ષ બન્યા. તેમને ‘ઇન્ડિયન જિયોલૉજિકલ યુનિયન’ના પ્રમુખ બનાવવામાં આવ્યા.

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ સન્ 1970માં વિયેના શાંતિ આંતરરાષ્ટ્રીય અણુમંચની 14મી પરિષદના પ્રમુખ બન્યા. સન્ 1971માં તેમને સંયુક્ત રાષ્ટ્રસંઘ પરિષદના ઉપાધ્યક્ષ તથા પછીથી વિજ્ઞાન-વિભાગના અધ્યક્ષ બનાવવામાં આવ્યા.

તેઓ ફક્ત ઉચ્ચકોટિના વૈજ્ઞાનિક જ નહોતા, પરંતુ કામમાં વ્યસ્ત રહેવા છતાં કલા, શિક્ષણ તથા સમાજને માટે પૂરતો સમય કાઢી લેતા હતા. તેમના જ પ્રયત્નોથી અમદાવાદમાં લોકવિજ્ઞાન કેન્દ્ર અને નેહરુ વિકાસ સંસ્થાનની સ્થાપના થઈ. અહીં તેઓ સામાન્ય માણસની વિજ્ઞાન પ્રત્યે રુચિ જાગ્રત કરવા માટે કાર્ય કરતા રહ્યા.

ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈને ત્રિવેન્દ્રમના લોંચિંગ સ્ટેશન થુમ્બામાં કાર્યનું નિરીક્ષણ કરવા માટે મોકલવામાં આવ્યા હતા. ત્યાં તેઓ એક હૉટલમાં રોકાયા હતા. અહીં જ હૃદયની ગતિ થંભી જતાં તેમનું મૃત્યુ થયું. તે 21 ડિસેમ્બર, સન્ 1971નો કાળો દિવસ હતો. તેમના અવસાનથી વિજ્ઞાનમાં નિત્ય નવાં ક્ષેત્રોને જોડનારું એક જીવનચક્ર હંમેશને માટે અટકી ગયું. આવી મહાન પ્રતિભાને શત શત નમન !

विषय-प्रवेश

भारत स्वतंत्र होने के बाद विज्ञान के क्षेत्र में कई वैज्ञानिकों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं। इनमें से एक डॉ. विक्रम साराभाई थे। प्रस्तुत पाठ में डॉ. विक्रम साराभाई के जीवन तथा कार्यों का परिचय दिया गया है।

शब्दार्थ (Meanings)
यशस्वी – नामी, कीर्तिवान; famous, popular, renowned साबित करना – सिद्ध करना; to prove प्रतिष्ठित – इज्जतदार, प्रसिद्ध; famous, reputed परिवार – कुटुंब; a family प्रतिभावान – तेजस्वी बुद्धिवाला; intelligent, genius बुलंद – ऊँचा; high इरादा – इच्छा, संकल्प; aim ढेरों- बहुत, ज्यादा; very much असलियत – वास्तविकता; reality कलाबाजी – करतब; somersault अचंभित – विस्मित, आश्चर्यचकित; surprised कारनामा – (साहसपूर्ण) कार्य; adventure भौमितकी – भूमिति, रेखागणित; geometry भौतिकी- भौतिकशास्त्र; physics सान्निध्य-निकटता; proximity, closeness अंतरिक्ष – आकाश; space कॉस्मिक – ब्रह्मांडीय किरणे; cosmic rays अनुसंधान – खोज, आविष्कार, संशोधन; research उपाधि- पदवी, खिताब; degree, award जटिल – उलझे हुए, कठिन; complex, hard श्रेय – यश; honour उपयुक्त – ठीक, उपयोगी; useful अनुकूल – मुआफिक; suitable, favourable उपकरण – साधन; equipment लैस – युक्त; equipped ऊर्जा – शक्ति; energy आयोग- संस्थान; an institute अगवाई – नेतृत्व; leadership, captainship प्रक्षेपित – (अवकाश में) स्थापित; projected उत्कृष्ट – श्रेष्ठ; best नवाजना – सम्मानित करना; to honour, to award व्यस्तता – अनेक कामों में लगे होना; to be busy रुचि – दिलचस्पी; interest निरीक्षण-देखरेख, निगरानी; observation, supervision निधन – मृत्यु; death.

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