Gujarat Board GSEB Solutions Class 7 Hindi Chapter 2 हम भी बनें महान Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 7 Hindi Chapter 2 हम भी बनें महान
GSEB Solutions Class 7 Hindi हम भी बनें महान Textbook Questions and Answers
हम भी बनें महान अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
बच्चे को बचाने में देरी होती तो क्या होता?
उत्तर :
बच्चे को बचाने में देरी होती तो वह सामने से आ रही मोटर के नीचे आ जाता।
प्रश्न 2.
‘दूसरों की जान बचाना’ हमारा कर्तव्य है। आप और किन बातों को अपना कर्तव्य समझते हैं?
उत्तर :
मैं निम्नलिखित बातों को अपना कर्तव्य समझता हूँ :
- किसी को दुःख न पहुँचाना।
- बड़ों का सम्मान करना।
- अन्याय को सहन न करना।
- कभी किसीको धोखा न देना।
- देश की सेवा करना।
- अनुशासन का पालन करना।
प्रश्न 3.
मुख्य अतिथि को द्वार पर ही रोक देना सही था? क्यों?
उत्तर :
समारोह में प्रवेश उन्हीं को दिया जाता था जिनके पास निमंत्रणपत्र हों। मुख्य अतिथि भले सम्माननीय व्यक्ति थे, परंतु उनके पास निमंत्रणपत्र नहीं था। इसलिए नियम के अनुसार उन्हें द्वार पर रोक देना सही था।
प्रश्न 4.
आपको कहाँ-कहाँ पर भेद-भाव की नीतियाँ दिखाई देती हैं ?
उत्तर :
हमारा समाज भेदभाव की नीति से अब भी मुक्त नहीं हो पाया है। परिवार में बेटा-बेटी का, समाज में गरीब-अमीर, ऊँच-नीच, जाति-पाँति का भेद देखा जाता है। सरकारी और निजी कार्यालयों में वरिष्ठ और कनिष्ठ के बीच भेदभाव की नीति दिखाई देती है।
प्रश्न 5.
सफल होने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
सफल होने के लिए हमें लक्ष्य के प्रति जरा भी लापरवाह नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को पाने के लिए लगातार अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास के समय दिखाई देनेवाली अपनी त्रुटियों को दूर करना चाहिए।
प्रश्न 6.
आप किसको प्रामाणिक इन्सान कहते हैं?
उत्तर :
जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई के सिवाय और किसी धन का उपयोग नहीं करता, उसे मैं प्रामाणिक इन्सान कहता हूँ। प्रामाणिक दुकानदार वस्तु का सही दाम लेता है। प्रामाणिक अधिकारी कभी किसी से रिश्वत नहीं लेता। प्रामाणिक टैक्सीवाला मीटर में दिखाए दाम से अधिक किराया नहीं लेता। ऐसे लोगों को मैं ‘प्रामाणिक इन्सान’ कहता हूँ।
2. आपने कोई घटना या प्रसंग सुना हो या पढ़ा हो, उसे कक्षा में कहिए। कक्षा में प्रस्तुत की गई घटना या प्रसंग में से किसी एक को अपनी भाषा में लिखिए।
उत्तर :
रायगढ़ शिवाजी की राजधानी था। शिवाजी भी रायगढ़ के किले में रहते थे। किले का यह नियम था कि फाटक सर्योदय होने पर खलता था और सर्यास्त होने पर बंद हो जाता था। बंद फाटक सूर्योदय होने के पहले कभी नहीं खोला जा सकता था। इस नियम का पूरी सख्ती से पालन किया जाता था।
एक बार एक अधिकारी रात को दो बजे आया और उसने द्वारपाल को फाटक खोलने का आदेश दिया। उसने कहा कि वह शिवाजी का खास आदमी है और बहुत जरूरी काम से उनसे मिलना चाहता है। यदि वह उसे किले में नहीं जाने देगा तो शिवाजी उसे कड़ा दंड देंगे।
वे उसे नौकरी से भी निकाल सकते हैं। द्वारपाल ने उससे साफ कह दिया, “आप कोई भी हों और कुछ भी कहें, मैं फाटक नहीं खोलूँगा। आपको अंदर जाना है, तो सुबह होने तक फाटक खुलने का इंतजार कीजिए।”
तब उस व्यक्ति ने द्वारपाल को फाटक खोलने के लिए एक बड़ी रकम देने का लालच दिया, लेकिन द्वारपाल ने किसी भी कीमत पर फाटक खोलने से इन्कार कर दिया।
आखिर फाटक अगले दिन सूर्योदय होने पर ही खुला।।
वास्तव में उस अधिकारी के रूप में शिवाजी ही अपने द्वारपाल की परीक्षा ले रहे थे। द्वारपाल की प्रामाणिकता और निष्ठा देखकर वे बहुत खुश हुए और उसे अच्छा पुरस्कार दिया।
3. चर्चा कीजिए :
प्रश्न 1.
यदि पक्षी बोल पाते तो पेड़ों की कटाई के विषय में वे आपसे क्या कहते?
उत्तर :
(कुछ पक्षी मुझे पेड़ काटते देखकर)
कौआ – अरे भाई, तुम यह पेड़ क्यों काट रहे हो? यह पेड़ तो हमारा आश्रय स्थान है।
कोयल – इसकी हरियाली देखकर प्रसन्नता के मारे मैं कूकने लगती हूँ।
तोता – इसी पेड़ की डालों पर मेरा बचपन बीता है। कृपा कर इसे मत काटो। अरे! ये पेड़ तो धरती के बेटे हैं। इन्हें काटने से धरती माँ रुष्ट हो जाती है। जहाँ घने पेड़ होते हैं, जंगल होते हैं, वहाँ अच्छी वर्षा होती है। केवल हम पक्षी ही नहीं, सभी प्राणी जल से ही जिंदा हैं।
आजकल जहाँ सूखा पड़ता हैं, उसके लिए वहाँ के पेड़ों की कटाई ही जिम्मेदार हैं। पेड़ काटने से बादल भी रुष्ट हो जाते हैं। लेकिन तुम मनुष्य इन पेड़ों का महत्त्व नहीं जानते। ये पेड़ केवल फल-फूल और छाया ही नहीं देते, ये वातावरण को शुद्ध बनाकर सबको स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।
कौआ – (मुझसे) मैं समझता हूँ कि तोताभाई ने तुम्हें पेड़ों का महत्त्व अच्छी तरह समझा दिया है। अब तुम पेड़ काटने की बात कभी नहीं सोचोगे।
कोयल – हाँ, तुम पेड़ काटोगे तो मैं कहाँ बैठकर मधुर गीत गाऊँगी। मेरी बोली की मिठास से ही तो आमों में मिठास आती है। पेड़ न होंगे तो वसंत कहाँ आएगा? इसलिए मेरे भाई, पेड़ों को जिंदा रहने दो। ये जिंदा हैं, तो सबकी जिंदगी सुरक्षित है।
प्रश्न 2.
यदि धरती बोल पाती तो मनुष्य के बारे में ईश्वर से क्या शिकायत करती?
उत्तर :
यदि धरती बोल पाती तो मनुष्य के बारे में ईश्वर से कहती, “हे प्रभु, तुम्हारा बनाया यह इन्सान बहुत बुद्धिमान है। इसकी बुद्धि के चमत्कार देखकर तो आप भी हैरान हो जाएंगे। बिजली, सिनेमा, टेलीविजन, मोबाइल, टेलीफोन, कम्प्यूटर, हवाईजहाज, रेलगाड़ी, मोटर – अरे! कहाँ तक गिनाऊँ इसके करतब? शहरों में इसने स्वर्ग ही खड़ा कर दिया है।
अपने इस बेटे की अक्लमंदी पर मुझे गर्व है। लेकिन इतना बुद्धिमान होने पर भी लोभ, ईर्ष्या, द्वेष, हिंसा, अनीति आदि से इसे छुटकारा नहीं मिला है। इसने बम और मिसाइल जैसे विनाश के भयानक साधन बनाए हैं।
जो पेड़ मनुष्य को फल, फूल, छाया, लकड़ी और न जाने क्या-क्या देते हैं, उन्हें यह बड़ी बेरहमी से काट डालता है। इसमें इतनी भी बुद्धि नहीं कि पेड़ काटकर यह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है। इसकी ऐसी ही नादानी से न जाने कितने जंगल बरबाद हो गए हैं।
सूखा, बाढ़ आदि के रूप में उसका परिणाम भी वह भुगत रहा है, फिर भी इसकी आँखें नहीं खुलतीं। हे प्रभु, अब आप ही इसे समझाइए और राह पर लाइए।”
4. निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और लिखिए :
किसी ने स्वामी विवेकानंद से पूछा, “सब कुछ खोने पर भी मनुष्य के पास क्या होना जरूरी है?” स्वामी विवेकानंद ने कहा, “उस उम्मीद का होना जरूरी है, जिसके बलबूते पर हम खोया
हुआ सब कुछ वापस पा सकते हैं।”
उत्तर :
परिच्छेद को ध्यान से पढ़िए और समझिए। फिर वर्तनी, विरामचिह्न आदि का ध्यान रखते हुए, सुंदर हस्ताक्षरों में अपनी कॉपी में लिखिए।
5. निम्नलिखित परिच्छेदों में उचित विरामचिह्न लगाकर लिखिए : [ ( I ) ( ? ) ( ! ) ( – ) ( ‘ ) ( “” ) ( , ) ( ; ) ]
(1) बात पुराने जमाने की है उन दिनों देवताओं और दानवों में युद्ध होता रहता था दोनों पक्ष मिलकर एक बार प्रजापति के पास गए वहाँ जाकर बोले मान्यवर हम दोनों ही आपकी संतानें हैं बताइए कि हम दोनों में बड़ा कौन है
(2) समय वह संपत्ति है जो प्रत्येक मनुष्य को प्रगति की ओर ले जाती है जो लोग इस धन का उचित विनियोग करते हैं उन्हें शारीरिक सुख तथा आत्मिक आनन्द प्राप्त होता है इसी के द्वारा मूर्ख चतुर निर्धन धनवान और अज्ञानी ज्ञानी बन सकता है संतोष या सुख मनुष्य को तब तक प्राप्त नहीं होते जब तक वह उचित रीति से समय का उपयोग नहीं करता क्या तुम मानते हो कि समय नि:संदेह एक रत्न राशि है
उत्तर :
(1) बात पुराने समय की है। उन दिनों देवताओं और दानवों में युद्ध होता रहता था। दोनों पक्ष मिलकर एक बार प्रजापति के पास गए। वहाँ जाकर बोले, “मान्यवर, हम दोनों ही आपकी संतानें हैं। बताइए कि हम दोनों में बड़ा कौन है?”
(2) समय वह संपत्ति है, जो प्रत्येक मनुष्य को प्रगति की ओर ले जाती है। जो लोग इस धन का उचित विनियोग करते हैं, उन्हें शारीरिक सुख तथा आत्मिक आनंद प्राप्त होता है। इसी के द्वारा मूर्ख, चतुर, निर्धन, धनवान और अज्ञानी ज्ञानी बन सकता है। संतोष या सुख मनुष्य को तब तक प्राप्त नहीं होते, जब तक वह उचित रीति से समय का उपयोग नहीं करता। क्या तुम मानते हो कि समय नि:संदेह एक रत्नराशि है?
हम भी बनें महान स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
लड़के ने रोने का क्या कारण बताया?
उत्तर :
लड़के ने रोने का कारण बताते हुए कहा, “उसके पास एक चवन्नी थी, जो कहीं गिर गई। अगर वह नहीं मिली तो माँ उसे बहुत पीटेगी।”
प्रश्न 2.
नरेन्द्र बड़ा होकर किस नाम से प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर :
नरेन्द्र बड़ा होकर स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न 3.
इस प्रसंग में नरेन्द्र में कौन-कौन से गुण नजर आते हैं?
उत्तर :
इस प्रसंग से पता चलता है कि नरेन्द्र वस्तु की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व देता था। उसकी दृष्टि में मानवता का स्थान सबसे ऊँचा था।
प्रश्न 4.
द्वार पर रानडे को देखकर स्वागत-समिति के सदस्यों ने क्या किया?
उत्तर :
द्वार पर रानडे को देखकर स्वागत-समिति के सदस्यों ने उन्हें आदरपूर्वक मंच की ओर ले जाने का प्रयास किया।
प्रश्न 5.
अल्पाहार के समय कौन नहीं दिखाई दे रहा था?
उत्तर :
अल्पाहार के समय क्रिकेट टीम का कप्तान नहीं दिखाई दे रहा था।
प्रश्न 6.
सफलता के क्या-क्या आधार हैं?
उत्तर :
लक्ष्य के प्रति एकाग्रता, अविरत अभ्यास, कठोर परिश्रम और लगन ही सफलता के आधार हैं।
प्रश्न 7.
हजरत अली ने एक मोमबत्ती बुझाकर दूसरी मोमबत्ती क्यों जलाई?
उत्तर :
हजरत अली राज का काम कर रहे थे। इसलिए उन्होंने राज की मोमबत्ती जला रखी थी। जब उन्होंने निजी काम शुरू किया तो वह मोमबत्ती बुझाकर उन्होंने अपनी मोमबत्ती जलाई। इस प्रकार चोरी और हरामखोरी से बचने के लिए हजरत अली ने दूसरी मोमबत्ती जलाई।
प्रश्न 8.
हमारे पुरखों ने क्या कहा है?
उत्तर :
हमारे पुरखों ने कहा है- किसीके धन-माल की लालसा मत करो। “मा गृधः कस्यस्विद्धनम्।”
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
लोगों की बात सुनकर नरेन्द्र ने क्या कहा?
उत्तर :
लोगों की बात सुनकर नरेन्द्र ने कहा कि मेरा शिवलिंग तो साधारण मिट्टी का था। बालक की जान बचाने में वह टूट गया तो क्या हुआ? शिवलिंग को बचाने की अपेक्षा इस बालक की जान बचाना मेरा पहला कर्तव्य था।
प्रश्न 2.
रानडे को किसने रोका? क्यों?
उत्तर :
रानडे को द्वार पर नियुक्त स्वयंसेवक ने रोका।
पूना के न्यू इंग्लिश हाईस्कूल में समारोह हो रहा था। प्रमुख-द्वार पर नियुक्त स्वयंसेवक को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह उन्हीं अतिथियों को प्रवेश दे जिनके पास निमंत्रणपत्र हों। रानडे समारोह के मुख्य अतिथि थे, परंतु उनके पास निमंत्रणपत्र नहीं था। इसलिए स्वयंसेवक ने उन्हें रोका।
प्रश्न 3.
कोच, मैनेजर और साथी खिलाड़ी क्यों दंग रह गए?
उत्तर :
अल्पाहार के लिए सब हाजिर थे, परंतु टीम का कप्तान दिखाई नहीं दे रहा था। पूरी टीम उसे ढूँढ़ने में लग गई, पर वह कहीं नजर नहीं आया। आखिर किसीने उसे उसके कमरे की गैलरी में देखा।
वह एक हाथ से गेंद दीवार पर फेंक रहा था और जब उससे टकराकर वह वापस आती थी तो दूसरे हाथ से गेंद को बल्ले से खेलता था। क्रिकेट के प्रति टीम के कप्तान का ऐसा लगाव देखकर कोच, मैनेजर और साथी खिलाड़ी दंग रह गए।
प्रश्न 4.
राज-काज का काम कैसे अच्छी तरह से चल सकता है?
उत्तर :
हजरत अली राजकाज के लिए राज की मोमबत्ती जलाते थे। अपना काम करने के लिए वे राज की मोमबत्ती बुझाकर अपनी मोमबत्ती जलाते थे। निजी काम के लिए राज की मोमबत्ती जलाना उनकी नजर में चोरी और हरामखोरी थी।
राजकाज में हजरत अली जैसी प्रामाणिकता रखी जाए तो ही वह अच्छी तरह से चल सकता है।
3. उचित विकल्प के सामने गोला कीजिए :
प्रश्न 1.
नरेन्द्र ने लड़के को क्या दिया?
a. अठन्नी
b. चवन्नी
c. शिवलिंग
d. रुपया
उत्तर :
b. चवन्नी
प्रश्न 2.
समारोह के मुख्य अतिथि कौन थे?
a. हजरत अली
b. स्वामी विवेकानंद
c. गोपालकृष्ण गोखले
d. महादेव गोविन्द रानडे
उत्तर :
d. महादेव गोविन्द रानडे
प्रश्न 3.
स्वयं-सेवक क्या देखकर, लोगों को यथा-स्थान ले जा रहा था?
a. निमंत्रण-पत्र
b. पहचान-पत्र
c. राशनकार्ड
d. ड्राइविंग लाइसन्स
उत्तर :
a. निमंत्रण-पत्र
प्रश्न 4.
स्वागत-समिति के सदस्य रानडे को किस ओर ले जाने का प्रयास कर रहे थे?
a. विश्रामगृह
b. भोजनकक्ष
c. मंच
d. सभागृह
उत्तर :
c. मंच
प्रश्न 5.
किसे ढूँढ़ने के लिए पूरी टीम लग गई?
a. कोच
b. मैनेजर
c. कप्तान
d. डॉक्टर
उत्तर :
c. कप्तान
4. कोष्ठक में से शब्दों को चुनकर, समानार्थी शब्दों की जोड़ बनाइए और प्रत्येक शब्द का वाक्य में प्रयोग कीजिए : कामयाबी, खयाल, नुकसान, प्रसिद्ध, जाँच, अमीर, परीक्षण, हानि, सफलता, विख्यात, विचार, धनवान.
उत्तर :
(1) कामयाबी – सफलता वाक्य :
- इस बार परीक्षा में उसे अच्छी कामयाबी मिली।
- इस बार परीक्षा में उसे अच्छी सफलता मिली।
(2) खयाल – विचार वाक्य :
- आपका खयाल अच्छा है।
- आपका विचार अच्छा है।
(3) नुकसान – हानि वाक्य :
- राजू को धंधे में काफी नुकसान हुआ।
- राजू को धंधे में काफी हानि हुई।
(4) प्रसिद्ध – विख्यात वाक्य :
- पालिताणा गुजरात का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।
- पालिताणा गुजरात का विख्यात तीर्थस्थल है।
(5) जाँच – परीक्षण वाक्य :
- पिताजी हिसाब-किताब की जाँच कर रहे हैं।
- पिताजी हिसाब-किताब का परीक्षण कर रहे हैं।
(6) अमीर – धनवान वाक्य :
- वह गाँव का सबसे बड़ा अमीर है।
- वह गाँव का सबसे बड़ा धनवान है।
हम भी बनें महान भाषा-सज्जता
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए :
(1) राधा ने दो लीटर तेल मँगवाया है।
(2) किशन ने पचास ग्राम इलायची खरीदी।
(3) राहुल थोड़ी चीनी लेकर आया।
(4) पिताजी बाज़ार से कुछ सब्जियाँ लाए।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘दो लीटर’, ‘पचास ग्राम’, ‘थोड़ी’, ‘कुछ’ शब्दों को रेखांकित किया गया है। ये शब्द नाप-तौल को दर्शाते हैं।
जो शब्द किसी वस्तु के नाप-तौल को दर्शाते हैं, उसे ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं।
उत्तर:
(1) दो लीटर
(2) पचास ग्राम
(3) थोड़ी
(4) कुछ
निम्नलिखित वाक्यों में से ‘परिमाणवाचक विशेषण’ को छाँटकर [ ] में लिखिए :
(1) दो मीटर कपड़ा दीजिए।
(2) दिनेश ने बहुत मिठाई खाई।
(3) राधा ने चाय में थोड़ा दूध डाला।
(4) मीना ने एक किलो हल्दी ली।
उत्तर:
(1) दो मीटर कपड़ा दीजिए। – दो मीटर
(2) दिनेश ने बहुत मिठाई खाई। – बहुत
(3) राधा ने चाय में थोड़ा दूध डाला। – थोड़ा
(4) मीना ने एक किलो हल्दी ली। – एक किलो
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए :
(1) मेरा काम पूरा हो गया।
(2) वह आदमी जा रहा है।
(3) यह घोड़ा है।
(4) मुझे कोई किताब दे दीजिए।
(5) वे कौन लोग थे?
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द – ‘मेरा’, ‘वह’, ‘यह’, ‘कोई’, ‘कौन’ – सर्वनाम हैं। ये शब्द संज्ञा की विशेषता दर्शाते हैं।
जब सर्वनाम किसी संज्ञा की विशेषता बताता है, तब उसे ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहते हैं।
उत्तर:
(1) मेरा काम पूरा हो गया।
(2) वह आदमी जा रहा है।
(3) यह घोड़ा है।
(4) मुझे कोई किताब दे दीजिए।
(5) वे कौन लोग थे?
निम्नलिखित वाक्यों में से ‘सार्वनामिक विशेषण’ को अलग छाँटकर में लिखिए :
(1) वे लड़के खेल रहे हैं।
(2) तुम्हारा काम पूरा हो गया?
(3) यह पेन्सिल हीरल की है।
(4) वह लड़की पढ़ रही है।
(5) सरला को कोई खिलौने दो।
उत्तर :
(1) वे लड़के खेल रहे हैं। – वे
(2) तुम्हारा काम पूरा हो गया? – तुम्हारा
(3) यह पेन्सिल हीरल की है। – यह
(4) वह लड़की पढ़ रही है। – वह
(5) सरला को कोई खिलौने दो। – कोई
योग्यता विस्तार
1. महापुरुषों के जीवन के प्रेरक-प्रसंग पढ़िए और प्रार्थना सभा में सुनाइए।
2. ‘आप में क्या-क्या खूबियाँ हैं और क्या-क्या कमियाँ?’ अपने साथियों के जरिए जानिए और सूची बनाइए।
उत्तर :
खूबियाँ | कमियाँ |
(1) नियमितता | (1) वाचलिता |
(2) वफादारी | (2) अपनी चीजों के प्रति लापरवाही |
(3) प्रामाणिकता | (3) खर्चीलापन |
(4) स्वच्छता के प्रति प्रेम | (4) किसी पर जल्दी विश्वास करना |
(5) सहकार भावना | (5) जल्दी क्रोधित हो जाना |
3. महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, रानी लक्ष्मीबाई आदि के जीवन पर आधारित फिल्म या धारावाहिक देखिए।
Hindi Digest Std 7 GSEB हम भी बनें महान Important Questions and Answers
हम भी बनें महान विशेष प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
नरेन्द्र ने शिवलिंग कितने रुपए में खरीदा था?
A. दो रुपए में
B. ढाई रुपए में
C. तीन रुपए में
D. साढ़े तीन रुपए में
उत्तर :
A. दो रुपए में
प्रश्न 2.
न्यू इंग्लिश हाईस्कूल कहाँ हैं?
A. बड़ौदा में
B. मुंबई में
C. पूना में
D. सतारा में
उत्तर :
C. पूना में
प्रश्न 3.
जिसके आने की कोई निश्चित तिथि नहीं होती उसे …………………………………………… कहते हैं।
A. वितिथि
B. प्रतिथि
C. सुतिथि
D. अतिथि
उत्तर :
D. अतिथि
प्रश्न 4.
सचिन तेंदुलकर के पिता का क्या नाम था? .
A. सुरेश
B. रमेश
C. गणेश
D. महेश
उत्तर :
A. सुरेश
प्रश्न 5.
हजरत अली को क्या कहलाना पसंद न था?
A. कामचोर
B. आदमखोर
C. नमकहराम
D. हरामखोर
उत्तर :
D. हरामखोर
2. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए: (विश्व-रिकार्ड, लालसा, अतिथि, खजाने, चवन्नी, अल्पाहार)
- अब उसके पास एक ……………………………. बची थी।
- समारोह के मुख्य ……………………………. थे मुख्य न्यायाधीश महादेव गोविंद रानडे।
- सुबह उठते ही पूरी टीम कोच-मैनेजर के साथ ……………………………. के लिए तैयार थी।
- कई ……………………………. उसके कदम चूमने लगे।
- हजरत अली राज के ……………………………. की जाँच करने गए।
- किसी के धन-माल की ……………………………. मत करो।
उत्तर :
- अब उसके पास एक चवन्नी बची थी।
- समारोह के मुख्य अतिथि थे मुख्य न्यायाधीश महादेव गोविंद रानडे।
- सुबह उठते ही पूरी टीम कोच-मैनेजर के साथ अल्पाहार के लिए तैयार थी।
- कई विश्व-रिकार्ड उसके कदम चूमने लगे।
- हजरत अली राज के खजाने की जाँच करने गए।
- किसी के धन-माल की लालसा मत करो।
3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
छोटा बच्चा सामने से आ रही मोटर से…
(अ) बहुत दूर था।
(ब) कूदनेवाला था।
(क) बिलकुल बेखबर था।
उत्तर :
छोटा बच्चा सामने से आ रही मोटर से बिलकुल बेखबर था।
प्रश्न 2.
वस्तु से व्यक्ति का …
(अ) धर्म अधिक महत्त्वपूर्ण है।
(ब) जीवन अधिक मा
(क) लगाव अधिक म
उत्तर :
वस्तु से व्यक्ति का जीवन अधिक महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 3.
हजरत अली राज के खजाने की …
(अ) जाँच करने गए।
(ब) पहरेदारी करने गए।
(क) निगरानी करने गए।
उत्तर :
हजरत अली राज के खजाने की जाँच करने गए।
4. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे हैं?
प्रश्न 1.
“अब मेरी माँ मुझे मारेगी।”
उत्तर :
बच्चे ने नरेन्द्र से कहा।
प्रश्न 2.
“कोई बात नहीं, यह लो चवन्नी।”
उत्तर :
नरेन्द्र ने बच्चे से कहा।
प्रश्न 3.
“इस बालक की जान बचाना मेरा कर्तव्य है।”
उत्तर :
नरेन्द्र ने लोगों से कहा।
प्रश्न 4.
“तब आप प्रवेश न कर सकेंगे।”
उत्तर :
स्वयंसेवक (गोपालकृष्ण गोखले) ने महादेव गोविंद रानडे से कहा।
प्रश्न 5.
“मेरे पास तो निमंत्रणपत्र नहीं है।”
उत्तर :
महादेव गोविंद रानडे ने स्वयंसेवक (गोपालकृष्ण गोखले) से कहा।
प्रश्न 6.
“मैं हर मैच तीन बार खेलता हूँ।”
उत्तर :
सचिन तेंदुलकर ने उसकी सफलता का रहस्य पूछनेवाले व्यक्ति से कहा।
प्रश्न 7.
“हर एक आदमी को चोरी और हरामखोरी से बचकर चलना चाहिए।”
उत्तर :
हजरत अली ने दो सरदारों से कहा।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
शिवलिंग खरीदने के बाद नरेन्द्र के पास कितने पैसे बचे थे?
उत्तर :
शिवलिंग खरीदने के बाद नरेन्द्र के पास एक चवन्नी बची थी।
प्रश्न 2.
नरेन्द्र ने बालक की जान क्यों बचाई?
उत्तर :
नरेन्द्र ने बालक की जान बचाई, क्योंकि उसकी दृष्टि में यह उसका प्रथम कर्तव्य था।
प्रश्न 3.
स्वयंसेवक आगे चलकर किस नाम से प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर :
स्वयंसेवक आगे चलकर गोपालकृष्ण गोखले के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न 4.
सचिन तेंदुलकर किस टीम का कप्तान था?
उत्तर :
सचिन तेंदुलकर भारत की ‘अन्डर फोर्टीन क्रिकेट टीम’ का कप्तान था।
प्रश्न 5.
हजरत अली ने कौन-सी मोमबत्ती बुझाकर कौन-सी मोमबत्ती जलाई?
उत्तर :
हजरत अली ने राज्य की मोमबत्ती बुझाकर अपनी मोमबत्ती जलाई।
प्रश्न 6.
हजरत अली कैसे शासक थे?
उत्तर :
हजरत अली बहुत ही प्रामाणिक शासक थे।
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
स्वयंसेवक ने रानडेजी से क्या कहा?
उत्तर :
स्वयंसेवक ने रानडेजी से कहा कि जिसके पास निमंत्रणपत्र हो, उसीको प्रवेश देने के लिए मुझसे कहा गया था। आपसे निमंत्रणपत्र की माँग करके मैं अपना वही कर्तव्य निभा रहा था। अब स्वागत-समिति के लोग ही बिना निमंत्रणपत्र के आपको मंच पर ले जा रहे हैं।
ये लोग ही रोड़ा अटकाएँगे तो मैं अपना कर्तव्य कैसे निभा सकूँगा? भेदभाव की नीति मुझसे नहीं बरती जाएगी।
प्रश्न 2.
सचिन तेंदुलकर ने अपनी सफलता का क्या रहस्य बताया?
उत्तर :
सचिन तेंदुलकर ने अपनी सफलता का रहस्य बताते हुए कहा कि वह अपना हर मैच तीन बार खेलता है। पहली बार वह मैच अभ्यास के रूप में खेलता है। दूसरी बार मैदान में सचमुच खेलता है। तीसरी बार वह अपने खेले गए मैच के मूल्यांकन और उसमें आवश्यक सुधार के रूप में खेलता है।
प्रश्न 3.
सचिन तेंदुलकर क्रिकेट जगत में क्यों मशहूर हैं?
उत्तर :
एक क्रिकेट-खिलाड़ी के रूप में सचिन ने अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कई विश्व-रिकार्ड बनाए हैं। इतना ही नहीं, वे नित नए कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं। वे अच्छे बल्लेबाज के अलावा कुशल गेंदबाज और सजग क्षेत्ररक्षक भी हैं।
इतने महान खिलाड़ी होकर भी वे स्वभाव से बड़े सरल और विनम्र हैं। अपनी इन्हीं खूबियों और सफलताओं के कारण सचिन तेंदुलकर क्रिकेट जगत में मशहूर हैं।
प्रश्न 4.
हजरत अली ने सरदारों को मोमबत्तियों के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
हजरत अली ने दोनों सरदारों से मोमबत्तियों के बारे में कहा कि जब तक वे राजकाज करते थे तब तक उन्होंने राज की मोमबत्ती जलाई। जब उन्होंने निजी काम शुरू किया तब राज की मोमबत्ती बुझा दी और अपनी मोमबत्ती जलाई।
अगर अपना काम करते समय राज की मोमबत्ती जलाते तो वे चोर या हरामखोर कहलाते। हर एक आदमी को चोरी और हरामखोरी से बचकर चलना चाहिए, फिर चाहे वह अमीर हो या फकीर।
हम भी बनें महान Summary in Gujarati
हम भी बनें महान કર્તવ્ય
મેળામાં સૌ રમકડાં ખરીદી રહ્યાં હતાં, ત્યારે નરેન્દ્ર નામના એક બાળકે બે રૂપિયાનું એક શિવલિંગ ખરીદું. હજી પણ એની પાસે એક પાવલી (ચાર આના) બચી હતી. એક છોકરાને રડતો જોઈને નરેન્દ્રએ તેને પૂછ્યું, “શા માટે રડી રહ્યો છે?” છોકરાએ કહ્યું, “મારી પાસે એક પાવલી હતી, તે ક્યાંક પડી ગઈ. હવે મારી મા મને ખૂબ મારશે.”
“કશો વાંધો નહિ. આ લે પાવલી.” કહીને નરેન્દ્રએ પોતાની પાવલી તેને આપી દીધી અને આગળ ચાલ્યો.
હજી નરેન્દ્ર થોડે દૂર જ ગયો હતો કે સામેથી એક મોટર આવતી નજરે પડી. એક નાનકડો બાળક તે મોટરથી બિલકુલ અજાણ ચાલ્યો જતો હતો. નરેન્દ્રએ દોડીને તે બાળકને ખેંચી લીધો. જો એક પળની વાર થઈ હોત તો તે બાળક મોટર નીચે આવી જાત. આ રીતની દોડાદોડીમાં નરેન્દ્રના હાથમાંથી શિવલિંગ પડી ગયું અને તૂટી ગયું. આ દરમિયાન એકઠા થયેલા લોકોમાંથી કોઈકે કહ્યું.
“બિચારાનું નુકસાન થઈ ગયું. કેટલા ઉમંગથી શિવલિંગ ખરીધું હતું!” આ સાંભળીને નરેન્દ્રએ કહ્યું, “તેથી શું? આ બાળકનો જીવ બચાવવો મારું પહેલું કર્તવ્ય છે.”
વસ્તુ કરતાં વ્યક્તિનું જીવન વધારે મહત્ત્વપૂર્ણ છે. માનવતા સૌથી શ્રેષ્ઠ છે. બાળપણથી જ આવા વિચારો રાખનારો નરેન્દ્ર આગળ જતાં સ્વામી વિવેકાનંદના નામથી પ્રસિદ્ધ થયો.
નિયમ સૌને માટે છે
વાત ઈ. સ. ૧૮૮૫ની છે. પૂનાની ન્યૂ ઇંગ્લિશ હાઈસ્કૂલમાં સમારંભ થઈ રહ્યો હતો. મુખ્ય દ્વાર પર એક સ્વયંસેવકની નિમણૂક કરવામાં આવી હતી. તેને એ કામ સોંપવામાં આવ્યું હતું કે આવનારા અતિથિઓનું નિમંત્રણપત્ર જોઈને તેમને સભાગૃહમાં યોગ્ય સ્થાને બેસાડવા. તે સમારંભના મુખ્ય અતિથિ મુખ્ય ન્યાયાધીશ મહાદેવ ગોવિંદ રાનડે હતા. જેવા જ તેઓ વિદ્યાલયના દ્વાર પર પહોંચ્યા કે સ્વયંસેવકે તેમને અંદર પ્રવેશતાં વિનયપૂર્વક રોક્યા અને નિમંત્રણપત્ર માગ્યું.
“બેટા, મારી પાસે તો નિમંત્રણપત્ર નથી.” રાનડેએ કહ્યું.
ક્ષમા કરો, ત્યારે તો આપ અંદર પ્રવેશ નહિ કરી શકો.” સ્વયંસેવકનો નમ્રતાપૂર્ણ ઉત્તર હતો.
દ્વાર પર રાનડેને જોઈને સ્વાગત-સમિતિના કેટલાક સદસ્યો આવી ગયા અને તેમને મંચ તરફ લઈ જવાનો પ્રયાસ કરવા લાગ્યા. પરંતુ સ્વયંસેવકે આગળ આવીને કહ્યું, “શ્રીમાન, મારા કામમાં જો સ્વાગત-સમિતિના સદસ્યો જ વિઘ્ન નાખશે તો પછી હું પોતાનું કર્તવ્ય કેવી રીતે કરી શકીશ? કોઈ પણ અતિથિ હોય, તેની પાસે નિમંત્રણપત્ર હોવું જ જોઈએ. ભેદભાવની નીતિ મારાથી સહન નહિ થાય.”
આ સ્વયંસેવક આગળ જતાં ગોપાલકૃષ્ણ ગોખલેના નામથી પ્રસિદ્ધ થયો અને તેણે દેશની ખૂબ સેવા કરી.
સફળતાનું રહસ્ય
અન્ડર ફોર્ટીન (ચૌદ વર્ષની નીચેની) ક્રિકેટ ટીમના કપ્તાન તરીકે એક છોકરો પોતાની ટીમની સાથે ક્રિકેટ મેચ રમવા માટે અમદાવાદ આવ્યો હતો. તેની ટીમ પંચતારક હોટલમાં ઊતરી હતી. સવારે ઊઠતાં જ આખી ટીમ કોચ-મૅનેજરની સાથે અલ્પાહાર માટે તૈયાર હતી. એક માત્ર કપ્તાન દેખાતો ન હતો. આખી ટીમ તેને શોધવા લાગી, પરંતુ તે મળ્યો નહિ.
પછી કોઈએ જઈને તેની રૂમની મૅલેરીમાં જોયું, તો તે એક હાથે દડો ફેંકી રહ્યો હતો અને જેવો દડો દીવાલથી ટકરાઈને પાછો આવતો ત્યારે બીજે હાથે બૅટથી દડા સાથે રમી રહ્યો હતો. સાથી ખેલાડીઓ ટીમમાં સામેલ થવાથી જ સંતુષ્ટ હતા, પરંતુ તે કપ્તાન હોવા છતાં આખી રાત પોતે અભ્યાસ કરતો રહ્યો. તેનો અભ્યાસ અને ક્રિકેટ પ્રત્યે તેની રુચિ જોઈને કોચ-મૅનેજર અને બધા ખેલાડીઓ દંગ થઈ ગયા.
આગળ જઈને આ છોકરાએ ક્રિકેટ જગતમાં અદ્વિતીય સફળતા પ્રાપ્ત કરી. કેટલાય વિશ્વરેકૉર્ડ તેનાં ચરણ ચૂમવા લાગ્યા. કોઈએ તેની સફળતાનું રહસ્ય પૂછ્યું, તો ખૂબ વિનમ્રતાથી તેણે જવાબ આપ્યો કે “હું દરેક મૅચ ત્રણ વખત રમું છું. પહેલાં અભ્યાસ રૂપે, બીજી વાર ખરેખર મેદાનમાં, ત્રીજી વાર મૅચ બાદ મૂલ્યાંકન તથા સુધારણાની આવશ્યકતા રૂપે.”
આ છોકરો કોઈ બીજો નહિ, પરંતુ ક્રિકેટની દુનિયામાં સફળતાનાં નિત્ય નવાં શિખર સર કરનાર આપણા સચિન રમેશ તેંડુલકર. છે.
ખરેખર, એકાગ્રતા, અવિરત અભ્યાસ, કઠોર પરિશ્રમ અને રુચિ જ સફળતાનો આધાર છે.
પ્રામાણિકતા
એક દિવસ હજરત અલી રાજ્યના ખજાનાની તપાસ કરવા ગયા. કામ કરતાં-કરતાં અંધારું થઈ ગયું. આથી મીણબત્તી પેટાવવામાં આવી.
થોડી વાર પછી બે સરદાર પોતાના વ્યક્તિગત કામ માટે તેમની પાસે આવ્યા. હજરત અલીએ તેમને બેસવા માટે કહ્યું. હિસાબની તપાસ પૂરી થઈ. હજરતે મીણબત્તી બુઝાવી દીધી અને ટેબલના ખાનામાંથી બીજી મીણબત્તી કાઢીને પેટાવી.
સરદારોને આ જોઈને ખૂબ આશ્ચર્ય થયું. હજરત અલીએ એક મીણબત્તી બુઝાવીને બીજી શા માટે પેટાવી, એનું કારણ સરદાર સમજી શક્યા નહિ. એક સરદારે ખૂબ વિનયથી હજરત અલીને આ વિશે પૂછ્યું.
હજરત અલી બોલ્યા, “ભાઈ, અત્યાર સુધી હું રાજ્યનું કામ કરતો હતો, એટલા માટે રાજ્યની મીણબત્તી પેટાવી રાખી હતી. હવે વ્યક્તિગત કામ શરૂ થયું છે. એટલે મેં પોતાની મીણબત્તી પેટાવી, નહીં તો હું ચોર કે હરામખોર કહેવાત. દરેક માણસે ચોરી અને હરામખોરીથી બચવું જોઈએ. ભલે તે અમીર હોય કે ફકીર.”
સામાન્ય રીતે તો આ બાબત બહુ નાની લાગે છે, પરંતુ ખૂબ મહત્ત્વની છે. હવે આપણે આઝાદ થઈ ગયા છીએ. રાજ્યનું કામ ત્યારે જ સારી રીતે ચાલી શકે, જ્યારે લોકોમાં આ પ્રકારની પ્રામાણિકતા હોય.
આપણા પૂર્વજોએ કહ્યું છે : “मा गूध: कस्यस्वीदूधनम्र” – “કોઈના ધન-માલની લાલસા કરશો નહિ.” મનુષ્ય માટે આ સૌથી મોટી શિખામણ છે.
हम भी बनें महान विषय-प्रवेश
महान व्यक्तियों में कुछ विशेष गुण होते हैं। किसी में मानवता के प्रति गहरा प्रेम होता है। किसी में दुर्लभ प्रामाणिकता होती है। कोई अपने नियम का पक्का होता है। चरित्र और स्वभाव की ऐसी विशेषताएँ ही व्यक्ति को महान बनाती हैं। इस पाठ में कुछ ऐसे ही गुणी महान व्यक्तियों के बारे में बताया गया है।
हम भी बनें महान शब्दार्थ
- चवन्नी – चार आने का सिक्का
- बेखबर – अनजान
- दौरान – बीच, घटना के समय
- चाव – प्रेम, लगन
- मानवता – इन्सानियत
- खयाल – विचार
- प्रसिद्ध – विख्यात, मशहूर
नियम सबके लिए है –
- समारोह – उत्सव
- स्वयंसेवक – सेवा की भावना से काम करनेवाला
- नियुक्त – काम पर लगाया हुआ
- कर्तव्य-भार – उचित काम की जिम्मेदारी यथा
- स्थान – उचित जगह
- मुख्य – प्रमुख
- अतिथि – मेहमान
- शालीनतापूर्वक – शिष्टता के साथ
- प्रवेश करना – अंदर जाना
- नम्रतापूर्ण – विनय के साथ
- द्वार – दरवाजा, फाटक
- मंच – सभा में विशेष व्यक्तियों के लिए स्थान, स्टेज
- प्रयास – प्रयत्न
- निभाना – पूरा करना
- भेदभाव – व्यवहार में अंतर, एक-जैसा व्यवहार न होना।
सफलता का रहस्य
- अन्डर फोर्टीन – चौदह साल से कम उम्र का
- कोच – प्रशिक्षक
- मैनेजर – प्रबंधक
- अल्पाहार – नास्ता
- संतुष्ट – खुश
- लगाव – प्रेम, लगन
- जगत – दुनिया, संसार
- रिकार्ड – कीर्तिमान
- तथापि – फिर भी
- मूल्यांकन – कीमत लगाना
- नित – नित्य, हमेशा
- एकाग्रता – मन को एक विषय पर स्थिर करना
- अविरत – लगातार
- कठोर – कठिन
- परिश्रम – मेहनत
- सफलता – कामयाबी
- आधार – नींव
प्रामाणिकता
- खजाना – धन-भंडार
- जाँच – परीक्षण
- निजी – खुद का
- हरामखोर – हराम का माल खानेवाला
- अमीर – धनवान
- फकीर – साधु
- प्रामाणिकता – ईमानदारी
- पुरखा – पूर्वज
हम भी बनें महान मुहावरे-अर्थ और वाक्य-प्रयोग
- रोड़ा अटकाना – बाधा डालना, रुकावट बनना
वाक्य : अच्छे काम में रोड़ा अटकाना मूर्खता है। - दंग रह जाना – चकित रह जाना
वाक्य : जादूगर के अद्भुत करतब देखकर दर्शक दंग रह गए। - कदम चूमना-प्राप्त होना
वाक्य : सफलता मेहनत करनेवाले व्यक्ति के कदम चूमती है।