GSEB Solutions Class 12 Hindi Chapter 5 भारत शिररत्न : भरत

Gujarat Board GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 5 भारत शिररत्न : भरत Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 5 भारत शिररत्न : भरत

GSEB Std 12 Hindi Digest भारत शिररत्न : भरत Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए :

प्रश्न 1.
शिशु सिंह के साथ कौन खेल रहा था?
(क) बालक भरत
(ख) बालक राम
(ग) बालक कृष्ण
(घ) बालक गणेश
उत्तर :
(क) बालक भरत

प्रश्न 2.
बालक किसके आश्रम में पढ़ रहा था?
(क) द्रोणाचार्य के
(ख) कश्यप के
(ग) गौतम के
(घ) दुर्वासा के
उत्तर :
(ख) कश्यप के

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प्रश्न 3.
बालक भरत का सहचर कौन था?
(क) शिशुसिंह
(ख) शेर
(ग) हाथी
(घ) बंदर
उत्तर :
(क) शिशुसिंह

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
शिशु सिंह के साथ बालक क्या कर रहा था?
उत्तर :
शिशु सिंह के साथ बालक ‘भरत’ खेल रहा था।

प्रश्न 2.
बालक का लालन-पालन कहाँ हुआ?
उत्तर :
बालक ‘भरत’ का लालन-पालन कश्यप ऋषि के आश्रम में हुआ था।

प्रश्न 3.
बालक भरत के माता-पिता कौन थे?
उत्तर :
बालक ‘भरत’ के माता-पिता शकुंतला और दुष्यंत थे।

प्रश्न 4.
भारत का प्रथम साम्राज्य किसने स्थापित किया?
उत्तर :
भारत का प्रथम साम्राज्य महाराज दुष्यंत के वीर पुत्र ‘भरत’ ने स्थापित किया था।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्य में दीजिए :

प्रश्न 1.
सिंहनी क्यों गर्जने लगी?
उत्तर :
बालक भरत सिंहनी के बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसका मुंह खोल-खोलकर उसके दाँत गिन रहा था और देख रहा था कि ये कितने कुटिल और कठोर हैं। यह देखकर सिंहनी को गुस्सा आ गया और वह गरजने लगी।

प्रश्न 2.
बालक ने क्रोधित सिंहनी से क्या कहा?
उत्तर :
जब सिंहनी क्रोध में आकर गरजने लगी, तो बालक ‘भरत’ ने छड़ी तानकर उससे कहा कि यदि मेरे खेल में तुम अड़चन डालोगी, तो कभी मार खा जाओगी और मैं तुम्हारे बच्चे को तुम्हें नहीं दूंगा। तू यहाँ से चली जा, भाग जा यहाँ से।

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प्रश्न 3.
शकुन्तला अपने पति से क्यों बिछुड़ गई थी?
उत्तर :
शकुंतला और दुष्यंत का गांधर्व विवाह हुआ था। इसके बाद दुष्यंत शकुंतला को वहीं छोड़कर अपनी राजधानी चला गया था। इस तरह दुर्भाग्य से शकुंतला अपने पति से बिछुड़ गई थी।

प्रश्न 4.
शिशु सिंह को गोद में लेकर बालक ने क्या कहा?
उत्तर :
शिशु सिंह को गोद में लेकर बालक भरत ने उससे कहा, “सिंह बालक अपना मुंह खोलो, मैं तुम्हारे दांतों को देखकर गिन लूंगा। देखू तो भला, ये कितने कुटिल और सख्त हैं।”

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच पंक्तियों में लिखिए :

प्रश्न 1.
बालक भरत की निर्भीकता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
बालक भरत जन्म से ही बड़ा निर्भय था। सिंहों के शावक उसके सहचर थे। सिंह शावक का मुंह खोलकर उसके दांत गिनने में वह जरा भी सहमता नहीं था। उसके दांतों की कुटिलता और सख्ती देखने में उसे आनंद आता था। इस बहादुर बालक की धृष्टता को देखकर गुस्से से भरी हुई सिंहनी दहाड़ती तो भरत उसे भी डॉटता और मारने की धमकी देकर वहाँ से भाग जाने के लिए कहता। इस प्रकार बालक भरत में आश्चर्यजनक निर्भीकता थी।

प्रश्न 2.
‘भारतरत्न : भरत’ कविता का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
भरत शकुंतला से उत्पन्न राजा दुष्यंत के पुत्र थे। बालक भरत में बचपन से ही निर्भयता कूट-कूटकर भरी थी। सिंहों के शावक उसके सहचर (साथी) थे। वह कश्यप ऋषि के आश्रम में पलकर बड़ा हुआ। वहीं के विद्यापीठ में उसे शिक्षा मिली। इस वीर बालक ने अपने भुजबल से सबसे पहले भारत में अपने साम्राज्य की स्थापना की। इसी के नाम से हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा।

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प्रश्न 3.
बालक भरत का लालन-पालन कैसे हुआ?
उत्तर :
बालक भरत शकुंतला का पुत्र था। उसकी माँ दुर्भाग्यवश अपने पति से बिछुड़ गई थी। इसलिए उसका पालन कश्यप ऋषि के आश्रम में ही हुआ। जंगल के सिंहों के सभी बच्चे चालक भरत के साथी रहे। वह निडर होकर वन में घूमता था। उसकी मां भी उसी आश्रम में रहती थी। इस प्रकार भरत का लालन-पालन कश्यप ऋषि की छत्र-छाया में वन के वातावरण में हुआ।

GSEB Solutions Class 12 Hindi भारत शिररत्न : भरत Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सविस्तार (चार-पांच वाक्यों में) लिखिए :

प्रश्न 1.
बालक भरत सिंह शिशु से क्या कहता है? सिंहनी के प्रति भी उसका व्यवहार कैसा होता है?
उत्तर :
बालक भरत सिंह के बच्चे को अपनी गोद में लेता और मुंह खोलने के लिए कहता। वह उससे कहता है कि मैं तेरे दाँत गिनूंगा और देखेगा कि वे कितने कुटिल और कठोर हैं। अपने बच्चे के प्रति बालक भरत की यह धृष्टता देखकर सिंहनी क्रोधित होकर दहाड़ती है। तब बालक उससे कहता यदि तू मेरे खेल में दखल देगी तो तू भी मार खाएगी और मैं तुझे यह बच्चा नहीं दूंगा। इस प्रकार बालक भरत सिंह शिशु और उसकी माँ के साथ बड़ा निडर व्यवहार करता था।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
बालक भरत के सहचर कौन थे?
उत्तर :
बालक भरत के सहचर जंगल के सभी शिशु सिंह थे।

टिप्पणी

प्रश्न 1.
भरत के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
भरत शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र थे। कण्व ऋषि के आश्रम में शकुंतला और दुष्यंत का गांधर्व विवाह हुआ था। बाद में दुष्यंत शकुंतला को वहीं छोड़कर अपनी राजधानी वापस चले गए। कण्व ऋषि के आश्रम में पाजता श्री टोन मे नालन ‘भान’ का नाम रचा। इसके बाद शकुंतला बालक ‘भरत’ को लेकर दुष्यंत के पास गई। लेकिन दुष्यंत ने उसे नहीं पहचाना। तभी आकाशवाणी हुई – ‘शकुंतला तुम्हारी पत्नी है। भरत तुम्हारा पुत्र है। उन्हें स्वीकार करो।’ आकाशवाणी के आदेश के अनुसार दुष्यंत ने उन दोनों को स्वीकार किया और भरत का यौवराज्यभिषेक किया। उस समय दष्यंत की राजधानी प्रतिष्ठान अर्थात प्रयाग में थी।

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व्याकरण

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :

  • सिंह = शेर
  • आर्य = श्रेष्ठ
  • वृन्द = समूह
  • कुटिल = टेढ़ा
  • कठोर = सख्त
  • औधन्य = धृष्ठता
  • क्रोध = रोष
  • बाधा = विघ्न
  • क्रीड़ा = खेल
  • वर = श्रेष्ठ
  • निर्भीक = निडर
  • संज्ञा = नाम
  • कानन = जंगल
  • गोद = अंक
  • मोद = आनंद
  • दुर्दैव = दुर्भाग्य, अभिशाप
  • सहचर = सखा, साथी
  • प्रवीर = पराक्रमी
  • बलशाली = बलवान
  • भुजा = बाहु

निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :

  • आर्य × अनार्य
  • सुंदर × असुंदर
  • सुखमय × दुःखमय
  • भाग्य × दुर्भाग्य
  • कुटिल × सरल, सीधा
  • कठोर × कोमल
  • वीर × कायर
  • बालक × वृद्ध
  • क्रोध × अक्रोध
  • बाधा × निर्विघ्नता
  • निर्भीक × भयभीत
  • बलशाली × बलहीन
  • प्रथम × अंतिम
  • स्थापित × विस्थापित
  • शुभ × अशुभ

निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए :

  • बच्चा – बालक
  • कभी – कदाचित
  • आँख – अक्ष

निम्नलिखित शब्द में से प्रत्यय अलग कीजिए :

शिक्षित = शिक्षा + इत (प्रत्यय)

निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :

  • दुर्दैव = दुस (उपसर्ग) + दैव
  • प्रवीर = प्र (उपसर्ग) + वीर

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निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए:

  • वन का राजा – सिंह, वनराज
  • सुख से पूर्ण – सुखमय
  • जो सीधा नहीं है – टेढ़ा, कुटिल
  • जिसमें भय नहीं है – निर्भीक, निर्भय
  • भारत में रहनेवाला – भारतवासी
  • प्राचीन पद्धति पर स्थापित विद्यापीठ – गुरुकुल
  • बुरा भाग्य – दुर्भाग्य, दुर्दैव
  • साथ रहनेवाला – सहचर

निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. भरत अत्यंत निरभय बालक था।
  2. भरत को सिंह शिशु का दाँत गिनना था।
  3. सिंहनी क्रोध से गरजने लगा।
  4. पहले गुरुकूल में शीक्षा दी जाती थी।
  5. भरत की माता पती से बिछुड़ गई थी।
  6. सिंह शीशू भरत का साहचर था।

उत्तर :

  1. भरत अत्यंत निर्भय बालक था।
  2. भरत को सिंह शिशु के दाँत गिनने थे।
  3. सिंहनी क्रोध से गरजने लगी।
  4. पहले गुरुकुल में शिक्षा दी जाती थी।
  5. भरत की माता पति से बिछुड़ गई थी।
  6. सिंह शिशु भरत का सहचर था।

भारत शिररत्न : भरत Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

भरत शकुंतला से उत्पन्न दुष्यंत के पुत्र थे। वे महान वीर थे। उनके नाम पर ही हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा था। प्रस्तुत कविता में बालक भरत की निर्भीकता का वर्णन किया गया है। वे बचपन में सिंह के बच्चे के साथ खेलते और खेल-खेल में उसका मुंह खोलकर उसके दांत गिनते थे।

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कविता का सरल अर्थ :

अहा खेलता कौन. ………. कुटिल कठोर है।

अहा! यहाँ सिंह के बच्चे के साथ खेल रहा यह बालक कौन है? यह आर्य समूह के सुंदर और सुखी भाग्य-सा प्रतीत होता है। यह बालक उस सिंह के बच्चे को अपनी गोद में लेकर कह रहा है, हे सिंह के बच्चे, तू अपना मुंह खोल। मैं तुम्हारे मुंह में देखकर तुम्हारे दांतों को गिन लूंगा। जरा देखू तो तुम्हारे दाँत कितने कुटिल और सख्त है।

देख वीर बालक …………. जा अरी भाग जा।

इस बहादुर बालक की धृष्टता को देखकर गुस्से से भरी हुई सिंहनी दहाड़ने लगी। यह देखकर बालक भरत ने गुस्से से कहा, “यदि तू मेरे इस खेल में खलल डालेगी, तो तू कभी मार खाएगी। फिर मैं तुम्हारे इस बच्चे को तुम्हें दूंगा नहीं।” बालक ने उसे डांटते हुए कहा कि जा, भाग जा जल्दी से यहाँ से।

अहा, कौन यह …….. वरभूमि की।

कवि लोगों से पूछते हैं कि हे भारतवासियों, बताओ यह निर्भीक बहादुर बालक कौन है? कवि स्वयं जवाब देते हैं – तुम सब जानते हो, यह बालक वहीं ‘भरत’ है, जिसके नाम पर इस उत्तम देश का नाम ‘भारत’ पड़ा।

कश्यप के गुरुकुल ……… दुर्दैववश।

यह बालक कश्यप ऋषि के विद्यापीठ में शिक्षा पा रहा है। यह इसी आश्रम में पलकर और वन में घूमकर अपनी मां को खुशियाँ प्रदान करता रहा है। वह माँ, जो दुर्भाग्यवश अपने पति से बिछुड़ गई थी।

जंगल के शिशु …….. ‘भरत’ शुभ नाम है।

जंगल के सिंहों के सभी बच्चे इस बालक के साथी रहे। यह महान वीर बालक यहाँ निडर होकर घूमता रहा। इस वीर बालक ने अपने भुजबल से सबसे पहले ‘भारत’ के साम्राज्य की स्थापना की। यह महाराज दुष्यंत का वही वीर बालक है, जो हमारे देश भारत के माथे का मुकुट है और उसका नाम ‘भरत’ है।

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भारत शिररत्न : भरत शब्दार्थ :

  • शिशु – छोटा बच्चा।
  • सिंह – शेर।
  • आर्य – उत्तम कुल में उत्पन्न व्यक्ति।
  • वृन्द – दल, समूह।
  • सुखमय – सुखी।
  • निज – अपनी।
  • कुटिल – दुष्ट, चालबाज।
  • कठोर – कड़े, सख्त, निष्ठुर ।
  • औद्धत्य – धृष्टता।
  • रोष – क्रोध, गुस्सा।
  • बाधा – अड़चन, रुकावट।
  • कीड़ा – खेल।
  • निर्भीक – निडर, जिसे भय न हो।
  • वर – उत्तम, श्रेष्ठ।
  • कश्यप – कश्यप ऋषि।
  • गुरुकुल – प्राचीन पद्धति पर स्थापित विद्यापीठ।
  • शिक्षित – शिक्षा प्राप्त किए हुए।
  • कानन – जंगल।
  • मोद – हर्ष, आनंद।
  • दुर्दैववश – दुर्भाग्यवश।
  • सहचर – साथ रहने या चलनेवाला।
  • प्रवीर – बलवान, महान वीर।
  • भुजदंड – भुजा।
  • साम्राज्य – सार्वभौम सत्ता।
  • शिररल – मस्तक पर धारण करने का रत्न।

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