Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions Chapter 17 नींव की ईंट ही तुम दीदी Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 17 नींव की ईंट ही तुम दीदी
GSEB Std 12 Hindi Digest नींव की ईंट ही तुम दीदी Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उनके नीचे दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
हारिल बनकर कवि कहाँ बसेरा करना चाहता है?
(क) वटवृक्ष पर
(ख) पीपल के वृक्ष पर
(ग) नीम के पेड़ पर
(घ) आम के पेड़ पर
उत्तर :
(ख) पीपल के वृक्ष पर
प्रश्न 2.
कवि पढ़ना-लिखना किसकी मदद से सीखता है?
(क) दीदी की
(ख) माता की
(ग) पिता की
(घ) भाई की
उत्तर :
(क) दीदी की
प्रश्न 3.
दीदी यदि नदी है, तो कवि क्या बनना चाहता है?
(क) लहर
(ख) उछाह
(ग) चट्टान
(घ) मछली
उत्तर :
(घ) मछली
प्रश्न 4.
दीदी भाई के लिए क्या सामान रखती है?
(क) गुड्डे
(ख) मालदह
(ग) अमरुद
(घ) केला
उत्तर :
(क) गुड्डे
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
हारिल कैसा पक्षी है?
उत्तर :
हारिल पक्षी घोसला नहीं बनाते और कहीं स्थायी रूप से नहीं रहते। वे दूर पहाड़ों से आते हैं और दूर जंगलों को उड़ जाते हैं।
प्रश्न 2.
दोपहर में ठण्डी छाँह का अनुभव कवि कहाँ करता है?
उत्तर :
दोपहर में ठंडी छाँह का अनुभव कवि पीपल के नीचे करते हैं।
प्रश्न 3.
दीदी के किस्सों से कवि क्या प्राप्त करता था?
उत्तर :
दीदी के किस्सों से कवि अक्षर प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 4.
सीपी बनकर कवि क्या करना चाहता था ?
उत्तर :
सीपी बनकर कवि अपने अंदर बँदें लाना चाहते हैं, ताकि ये बूंदें मोती बनकर नदी के किनारे चमकें।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
ढिबरी की तरह दीदी क्या कार्य करती हैं ?
उत्तर :
ढिबरी का काम है, बाती के माध्यम से तेल सोखकर जलना और प्रकाश फैलाना। दिबरी की तरह ही दीदी भी अध्ययन करके अपना ज्ञानरूपी प्रकाश फैलाती है। वह बच्चों को अक्षर और अनुभव से परिपूर्ण किस्से सुनाती है।
प्रश्न 2.
कवि दीदी को चट्टान की उपमा क्यों देता है ?
उत्तर :
दीदी अनुशासन का कड़ाई से पालन करती थीं। उनके हृदय में नरमी नहीं थी। दीदी का विश्वास चट्टान के समान था। इसलिए उनको चट्टान की उपमा दी गई है।
प्रश्न 3.
कवि को अपनी दीदी घर की नींव की ईंट के समान क्यों लगती हैं?
उत्तर :
दीदी की नई दुनिया बस गई है। अब दीदी अपनी नई दुनिया की नए सिरे से शुरुआत करेंगी और अपने परिवार को संस्कार देंगी। इसलिए कवि को अपनी दीदी घर की नींव की ईंट के समान लगती है।
प्रश्न 4.
जीवन की सार्थकता कवि को कहाँ लगती है?
उत्तर :
कवि को जीवन की सार्थकता हारिल के रूप में जीवन बिताने में लगती है। इसलिए उसने एक स्थान पर घर बनाकर रहना पसंद नहीं किया।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छह पंक्तियों में लिखिए :
प्रश्न 1.
दीदी को दिए गए एक-एक रूपक की क्या विशेषता है?
उत्तर :
कवि ने दीदी के लिए पीपल, दिबरी, नदी, चट्टान तथा घर की नींव की हैट की उपमाएं दी हैं। यदि दीदी पीपल होती, तो भाई उसकी घनी हरी टहनियों में हारिल के रूप में बसेरा लेता। दीदी ढिबरी थी, जिसके उजाले में भाई ने पहले-पहल अक्षर सीखे। यदि दीदी नदी होती, तो भाई नदी की सीप बनकर मोती उत्पन्न करता। दीदी चट्टान-सी दृढ निश्चयवाली थीं, जिसने लोगों का जीवन संवारा था। दीदी अपने दूसरे घर की नींव की ईट हुई हैं और वह अपनी नई दुनिया बसाएगी।
प्रश्न 2.
कविता का केन्द्रीयभाव समझकर लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में दीदी के अद्भुत प्रदेय का वर्णन किया गया है। दीदी ने बच्चों के जीवन को संस्कारित किया है और उन्हें ज्ञान-दान दिया है। उन्हें दीदी का व्यक्तित्व महान आदर्श लगता है, जिसमें उन्हें पीपल की छाँव, डिबरी के प्रकाश, चट्टान जैसे विश्वास तथा नींव की ईट की झलक दिखाई देती है।
प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए –
घोंसले नहीं बनाये हमने, बसे नहीं आज तक, कठिन है, हमारा जीवन भी, तुम्हारी तरह ही।
उत्तर :
अपने दूसरे घर की दुनिया बसानेवाली दीदी को पुराने दिनों की याद दिलाते हुए बच्चे कहते हैं कि कहीं एक जगह टिककर वे रहे नहीं। उनका जीवन भी दीदी की तरह ही बहुत कष्टमय है। पर उन्हें इसी तरह अपना जीवन जीना मंजूर है।
GSEB Solutions Class 12 Hindi नींव की ईंट ही तुम दीदी Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए:
प्रश्न 1.
कवि उदय प्रकाश के जीवन को किसने संस्कारित किया?
उत्तर :
कवि उदय प्रकाश के जीवन को दीदी ने संस्कारित किया।
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :
- ढिबरी = दीपक
- किनारा = तट
- घोंसला = नौड़
- सन्नाटा = शांति
- पक्षी = पंछी
- नींव = आधारशिला
- मेहमान = अतिथि
- अनुभव = अभ्यास
निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :
- कठिन × आसान
- सन्नाटा × शोर
- रोशनी × अंधेरा
- छोह × धूप
- ठोस × नरम
- विश्वास × अविश्वास
- जीवन × मृत्यु
- शीतल × उष्ण
निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए :
- काम – कार्य
- हाथ – हस्त
- धीरज – धैर्य
- आग – अग्नि
- स्तंभ – स्थाणु
- दूध – दुग्ध
- काला – कृष्ण
- मोती – मौक्तिक
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- समकालीन = समकाल + ईन (प्रत्यय)
- प्रतिबद्धता = प्रतिबद्ध + ता (प्रत्यय)
- पत्रिका = पत्र + इका (प्रत्यय)
- दरियाई = दरिया + आई (प्रत्यय)
- व्यक्तित्व = व्यक्ति + त्व (प्रत्यय)
- तरलता = तरल + ता (प्रत्यय)
- सार्थकता = सार्थक + ता (प्रत्यय)
- रोशनी = रोशन + ई (प्रत्यय)
- प्रतीति = प्रति + इत + इ (प्रत्यय)
- उजली = उजला + ई (प्रत्यय)
- चमकदार = चमक + दार (प्रत्यय)
- उत्साहित = उत्साह + इत (प्रत्यय)
- निर्दोषता = निर्दोष + ता (प्रत्यय)
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए:
- विज्ञान = वि (उपसर्ग) + ज्ञान
- प्रतिबद्ध = प्रति (उपसर्ग) + बद्ध
- अनुशासन = अनु (उपसर्ग) + शासन
- विदेश = वि (उपसर्ग) + देश
- अनुभव = अनु (उपसर्ग) + भव
- अनुकरण = अनु (उपसर्ग) + करण
निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानिए :
प्रश्न 1.
- घनी-हरी टहनियों में हम बसेरा लेते हैं।
- पीपल की छांह दोपहर में ठंडी होती है।
- घर की गूंगी दीवारें धुंआ सोखती हैं।
- तुम नये आंगन की ढिबरी हो।
उत्तर :
- घनी-हरी
- ठंडी
- गूंगी
- नये
निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
- घर के पीछे की खुली जगह-पिछवाडा
- दिन का मध्य भाग-मध्याहून
- जो खोखला न हो-ठोस
- चिडियों का घास-फूल का घर-घोंसला
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
- वह बुद्धिमान बालिका है।
- सड़क में भारी भीड़ जमा है।
- में कल गया हूँ।
- मुझे यह कमी दूर करनी है।
उत्तर :
- वह बुद्धिमती बालिका है।
- सडक पर भारी भीड़ जमा है।
- मैं कल गया था।
- मुझे यह कमी पूरी करनी है।
निम्नलिखित कहावत का अर्थ लिखिए :
जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ
अर्थ : जिसने अधिक मेहनत की उसे जरूर फल मिलता है।
नींव की ईंट ही तुम दीदी Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
जीवन में अच्छे संस्कार देनेवालों तथा ज्ञान प्रदान करनेवालों के प्रति लोगों के मन में बहुत श्रद्धा होती है। प्रस्तुत कविता में बच्चों के जीवननिर्माण की चर्चा है। दीदी ने बच्चों को संस्कारशील बनाकर उन्हें ज्ञान प्रदान किया है। बच्चों को दीदी के व्यक्तित्व में तरह-तरह की संभावनाएं दिखाई देती हैं। बच्चों को दीदी कभी पीपल की शीतल छाह, कभी डिबरी का प्रकाश, कभी नदी-सी और कभी चट्टान के विश्वास-सी प्रतीत होती है।
कविता का सरल अर्थ :
पीपल होती तुम …… ठंडी होती है दोपहर।
कवि कहते हैं कि दीदी! यदि तुम घर के पिछवाड़े का छायादार पीपल का वृक्ष होतीं, तो हम तुम्हारी खूब हरी-हरी घनी टहनियों के बीच हारिल पक्षी बनकर अपना घर बसाते।
दीदी, हारिल भी हमारी तरह ही होते हैं, जिनका कोई घर नहीं होता अर्थात वे घोंसला बनाकर किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से कभी नहीं रहते। वे कहीं दूर पहाड़ों से उड़कर आते हैं और दूर जंगलों में उड़ जाते हैं। दीदी, पीपल की छांह दोपहर में तुम्हारी तरह ही ठंडी होती है।
ढिबरी थीं दीदी ……. हम बड़े होते गए।
दीदी, तुम तो उस ढिबरी की तरह थौं, जो हमारे जीवन के अभावों रूपी तेल में अपनी कपास की बाती डुबोकर जलती रही थीं। इसके प्रकाश में हमने पहले पहल सीखा था अक्षर लिखना और सुना था आपसे अनुभवों से भरे किस्से आपके मुंह से। आप अपना प्रकाश फैलाती रहीं और आपके ज्ञान के प्रकाश से घर की दीवारें और छप्पर के तिनके आलोकित हो गए। अर्थात् आपका ज्ञान सर्वत्र व्याप्त हो गया और आपके ज्ञान की रोशनी में हम बड़े होते रहे।
नदी होती तो …. किनारों पर चमकते।
दीदी, यदि आप नदी होती, तो हम मछलियाँ बनकर किसी चमकदार लहर में उत्साह से छुपते। कभी-कभी सीपी बनकर अपने अंदर बूंदें लेते और मोती बन जाने पर हम किनारों पर चमकते।
चट्टान थीं दीदी …… उड़ते तुम्हारे भीतर।
दीदी, तुम दृढ़ चट्टान की भाँति हुआ करती थीं। अनुशासन के कठोर नियमों में तनिक भी कहीं किसी नरमी का आभास नहीं होता था। हम लोग ही थे, जो कभी पतंग उड़ाकर हलचल, पैदा कर देते थे।
दीदी, आप चट्टान की भाँति थीं और आपके भीतर किसी के लिए कोई स्थान था, तो वह छोटे-छोटे परिदों के लिए था, जो आपके अंदर उड़ते और फड़फड़ाते थे।
वहाँ झूले पड़े ……. गुम हो गई थीं।
दीदी, (आपके कड़े अनुशासन के बीच) वहाँ हमारे लिए झूले डाले गए थे। हमारे खेलने के लिए गद्रे रखे गए थे। इतना ही नहीं मालदह आम हमारे लिए पकाया जाता था। पर हमारी गेंदें वहाँ गुम हो गई थीं। गेंद खेलने की अनुमति हमें नहीं थी।
दीदी, अब …….. पतंग और खिलौने।
दौदी, अब तो आप अपने दूसरे घर की नीव की ईट हो चुकी हैं। दीदी, आपकी इस नई दुनिया में कहीं हमारी खोई हुई गेंदें और खोए हुए खिलौने होंगे।
अब तो ढिबरी ….. समझता होगा।
दीदी, अब तो आप अपने नए ऑगन की ढिबरी बनकर वहाँ ज्ञान का प्रकाश फैला रही हैं। अब आपके घर का कोई और बचपन पहले-पहल अक्षर पहचानता होगा, आपके मुंह से आपके अनुभवों के चक किस्से सुनता होगा और वह इस तरह दुनिया के बारे में जानतासमझता होगा।
हमारा क्या है ……. तुम्हारी तरह।
दीदी, हमारी चिंता मत करो। हमारा क्या है? हम तो हारिल की तरह हैं। वर्ष दो वर्ष में कभी आएंगे और मेहमान की तरह दो-चार दिन ठहरकर फिर निकल जाएंगे कहीं और! दीदी, हमने अपना कोई स्थायी ठिकाना बनाया ही नहीं। कहीं स्थायी रूप से निवास नहीं किया आज तक। दीदी, आपकी तरह हमारा जीवन भी बहुत कठिन है।
नींव की ईंट ही तुम दीदी शब्दार्थ :
- पीपल – पीपल का छायादार वृक्ष।
- पिछवाड़े – घर के पीछे की खुली जगह।
- टहनियाँ – पेड़ों की पतली-पतली डालियाँ।
- हारिल – हरे रंग की एक चिड़िया, जो प्रायः अपने चंगुल में तिनका लिए रहती है।
- बसना – निवास करना।
- छाँह – छाया।
- दोपहर – दिन का वह समय जब सूर्य सिर पर आता है, मध्याहन।
- ढिबरी – मिट्टी का दिया।
- अचार – कच्चे आम आदि में मसाला-तेल डालकर बनाया गया चटपटा खाद्य।
- तलछट – अचार के बरतन में नीचे इकट्ठा हुआ तेल।
- कपास – रुई।
- बाती – रुई या सूत का बटा हुआ लम्बा लच्छा जो दीपक में रखकर जलाते हैं।
- सोखना – जल या नमी चूसना।
- छप्पर – घास-फूस का बना छप्पर।
- लहर – पानी में उठनेवाली लहर।
- उछाह – उत्साह।
- चट्टान – बड़ी शिला, बड़ा पत्थर।
- ठोस – जो खोखला न हो, दुक ।
- निझरता – जमीन से अच्छी तरह झरना।
- सन्नाटा – नीरवता, जिसमें कहीं कुछ शब्द न हो।
- मालदह – आम की एक अच्छी किस्म।
- चीन्हता – पहचानता।
- घोंसला – चिड़ियों का घासफूस का घर।