Gujarat Board GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन
GSEB Class 11 Hindi Solutions मियाँ नसीरुद्दीन Textbook Questions and Answers
अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.
मियौं नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं । उन्हें ‘बाकरखानी – शीरमाल – ताफ़तान – बेसनी – खमीरी – रूमाली – गाव – दीदा – गाजेबान – तुनकी’ आदि प्रकार की रोटियाँ बनाने की कला आती है । यह उनका खानदानी पेशा है । यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी । उनकी रोटियाँ तुनकी पापड़ से भी ज्यादा महीन होती हैं ।
मियाँ नसीरुद्दीन अपने शागिर्दो का भी खूब ध्यान रखते हैं । वे उन्हें समय पर उचित वेतन भी देते हैं । इसी प्रकार, मियाँ नसीरुद्दीन के रोटियाँ बनाने की कला तथा उनके पेशे के प्रति समर्पण देखकर लेखिका बहुत प्रसन्न होती है । इसलिए उन्हें नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है ।
प्रश्न 2.
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं ?
उत्तर :
लेखिका एक दिन दुपहर के समय जामा मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गढ़ेया मुहल्ले की ओर निकल गई । उन्होंने एक निहायत मामूली अँधेरी-सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनते देख्न रुक गईं । उन्होंने सोचा, सेवइयों की तैयारी हो रही होगी, पर पूछने पर मालूम हुआ कि वह तो खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान है । लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास उनके हुनर को जानने के लिए गई थीं । उन्होंने मियाँ के बारे में बहुत कुछ सुना था । एक पत्रकार होने के नाते वह उनकी कला के बारे में जानकारी प्राप्त करके उन्हें प्रकाशित करना चाहती थीं ।
प्रश्न 3.
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियों नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन ने जब लेखिका को अपने बुजर्गों के किस्सों को सुनाया कि किस तरह मियाँ नसीरुद्दीन के बुजुर्ग बादशाह के यहाँ नानबाई का काम करते थे और बादशाह सलामत उनके हुनर को सराहते थे तब लेखिका ने बादशाह का नाम पूछा । मियाँ नसीरुद्दीन ने सारे किस्से बुजुर्गों के मुँह से सुने थे ।
सच्चाई यह थी कि उन्होंने कभी किसी बादशाह के यहाँ काम किया ही नहीं था । तभी तो वो लेखिका के पूछने पर बता नहीं सके कि उन्होंने बादशाह के यहाँ कौन-सा पकवान बनाया था । इसलिए बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी कम होने लगी।
प्रश्न 4.
‘मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देखकर यह मज़मून न छेड़ने का फैसला किया’ – इसके पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के खानदान और उनसे संबंधित सभी जानकारी प्राप्त करना चाहती थी । लेकिन मियाँ लेखिका के सवालों से ऊब चुके थे । उन्हें लगता था कि पत्रकार लोग निठल्ले होते हैं । बादशाहवाले प्रसंग में लेखिका के यह पूछने पर कि उन्होंने बादशाह को कौन-सा पकवान बना कर खिलाया था ? मियाँ ने बातचीत को टाल दिया । उनकी आवाज में रुखाई आ गई ।
लेखिका ने जब यह पूछा कि कौन से बादशाह के यहाँ काम करते थे ? तो मियाँ खीझ उठे । उन्होंने अपने कारीगर को आवाज़ लगाई और बोले – ‘अरे ओ बब्बन मियाँ, भट्टी सुलगा लो तो काम से निबटें ।’ लेखिका उनके बेटे-बेटियों के बारे में पूछना चाहती थीं लेकिन मियाँ के चेहरे में आये भाव से उन्हें समझ में आ गया कि अगर वो इससे ज्यादा कुछ ओर पूडेंगी तो शायद वो उन्हें जाने के लिए कह देंगे । इसीलिए उन्होंने इस मज़मून को न छेड़ना ही उचित समझा ।
प्रश्न 5.
पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है ?
उत्तर :
लेखिका जब मटियामहल के गढ़ेया मुहल्ले की ओर से निकली तब वे खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर पहुँची । मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं । लेखिका जब अंधेरी-सी दुकान के अंदर झाँकती हैं तब वह देखती हैं कि मियाँ नसीरुद्दीन चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा ले रहे हैं । मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर । इस प्रकार लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र पाठ में किया है ।
प्रश्न 6.
‘उतर गए वे ज़माने । और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे । मियाँ अब क्या रखा है…. निकाली तंदूर से – निगली और हज़म ।’ वाक्य में निहित मर्म को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
उपरोक्त पंक्तियों में मियाँ नसीरुद्दीन आज की पीढ़ी पर व्यंग्य कर रहे हैं । पहले के समय में जब मियाँ नसीरुद्दीन के पूर्वज बादशाह के दरबार में नानबाई का काम करते थे तब बादशाह उनके हुनर की कद्र भी करते थे और तारीफ़ भी किया करते थे । आज के समय में ऐसा कुछ भी नहीं रह गया है ।
मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं पर उसका क्या मतलब जब लोगों के पास समय ही नहीं रह गया कि ये उस हुनर की सराहना करें । सभी बस, खाने में ही व्यस्त रहते हैं । इसलिए मियाँ नसीरुद्दीन गहरी सोच में डूब जाते हैं और उनके मुँह से यह वाक्य निकलता है कि ‘उतर गए वो जमाने । और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे । मियाँ अब क्या रखा है…… निकाली तंदूर से : निगली और हज़म ।’
प्रश्न 7.
मियाँ नसीरुद्दीन के मन में कौन-सा दर्द छिपा है ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन को लोगों की बदलती रुचि से दुख है । पहले लोग कला की कद्र करते थे । वे पकानेवाले का सम्मान भी करते थे । अब जमाना बहुत तेजी से बदल रहा है । कमाने के साथ चलने की होड़ मची है । ऐसे में खानेवाले और पकानेवाले दोनों ही जल्दी में हैं । इस दृष्टिकोण के कारण देश की पुरानी कलाएँ दम तोड़ रही हैं ।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1.
मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगी ?
उत्तर :
इस पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन की जो बातें अच्छी लगी, वो निम्नांकित हैं :
अपने पेशे के प्रति समर्पण । मियाँ नसीरुद्दीन नान बनाने के लिए मशहूर हैं । वे अपने इस पेशे को कला समझाकर मन लगाकर सीखते हैं । लेखिका से भी बातें करते हुए भी वे अपने काम पर से ध्यान नहीं हटाते हैं । उनमें आत्मविश्वास का गुण गजब का था । ये छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने में कुशल थे ।
अपने यहाँ काम करनेवाले सिखाऊ शागिर्दो का शोषण नहीं करते थे । काम भी सिखाते थे और उन्हें पैसे भी देते थे । वे तालीम की तालीम को महत्त्व देते थे अर्थात् हुनर सीखने के बाद उसे अच्छी तरह से विकसित भी करना । वे अपने साथ काम करनेवालों का सम्मान करते हैं ।
प्रश्न 2.
‘तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है’ – यहाँ लेखिका ने ‘तालीम’ शब्द का दो बार प्रयोग किया है ? क्या आप दूसरी बार आए ‘तालीम’ शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं ? लिखिए ।
उत्तर :
‘तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है’ इस वाक्य में पहली बार आए ‘तालीम’ शब्द का अर्थ है शिक्षा (प्रशिक्षण) तथा दूसरी बार आए ‘तालीम’ शब्द का अर्थ है आचरण करना, तद्नुसार व्यवहार में लाना । उपरोक्त वाक्य को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है – ‘तालीम का अनुकरण ही बड़ी चीज़ होती है ।’
प्रश्न 3.
मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया । वर्तमान समय में प्राय: लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं । ऐसा क्यों ?
उत्तर :
वर्तमान समय में लोगों की मानसिकता थोड़ी अलग होती जा रही है । वे अपने पारंपरिक व्यवसाय को न अपनाकर नौकरी करना पसंद करते हैं । तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण ने लोगों की सोच को भी बदल दिया है । लोग व्यक्तिगत रूप से अपनी पसंद का व्यवसाय या काम करना चाहते हैं । नए जमाने के अनुसार नई तकनीक और नए व्यवसायों की बाढ़ आ गई है ।
वैश्वीकरण के जमाने में लोग गाँव छोड़ देश-विदेश में भी व्यवसाय हेतु जा रहे हैं । अपने पारंपरिक व्यवसाय में लोगों को आवश्यकता एवं अपेक्षानुसार आमदनी नहीं होती । शिक्षा के प्रचार-प्रसार के कारण कई लोग पारंपरिक व्यवसाय में शर्म महसूस करते हैं । इसलिए प्राया लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं ।
प्रश्न 4.
“मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो ? यह तो खोडियों की खुराफ़ात है’ – अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें ।
उत्तर :
पत्रकारिता के बारे में मियाँ नसीरुद्दीन के विचार दो प्रकार से समझे जा सकते हैं । पहला पक्ष सकारात्मक अर्थ में समझा जा सकता है, जिसमें अखबार की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इसमें आविष्कारों और सूचनाओं से जनता को अवगत कराया जाता है और इससे प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है । नये तथ्य और सत्य सामने आते हैं ।
लोगों में जागरूकता बढ़ती है । दूसरे पक्ष को नकारात्मक अर्थ में समझा जा सकता है, जिसमें खबरों में बढ़ा-चढ़ाकर लोगों तक पहुँचाया जाता है । सनसनी तथा खलबली फैलानेवाले समाचारों को छापा जाता है । जिसमें उनकी लोकप्रियता बढ़े तथा अच्छी बिक्री हो । मगर कई बार सनसनीखेज समाचारों से समाज में अंधाधुंधी और अराजकता फैल जाती है ।
प्रश्न 5.
पकवानों को जानें
पाठ में आए रोटियों के अलग-अलग नामों की सूची बनाएँ और इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें ।
उत्तर :
- रूमाली रोटी : यह एक पतली फ्लैट ब्रेड है । इसकी शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप से हुई । मुख्य रूप से इसको तंदूरी व्यंजनों के साथ खाया जाता है ।
- बाकरखानी : यह एक मोटी, मसालेदार फ्लैट रोटी है । यह बिस्कुट के जैसी होती है जिसकी ऊपरी सतह कड़क होती
- शीरमाल : यह रोटी मीठी होती है जिसे मैदे, दूध और शक्कर से बनाया जाता है । इसे ज्यादातर नॉनवेज के साथ खाया जाता है ।
- ताफ़तान : यह रोटी खमीरवाली आटा रोटी है, जिसे तंदूर में पकाया जाता है । यह रोटी दूध, दहीं और अंडे से बनती है और इसमें स्वाद और खुशबू के लिए केसर और इलायची के पाउडर का भी इस्तेमाल किया जाता है ।
इसे ऊपर से सजाने के लिए खसखस का उपयोग करते हैं । इनके अलावा अन्य रोटियाँ हैं – बेसनी, खमीरी, गाव, दीदा, गाजेबान, तुनकी ।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
तीन चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें ।
(क) पंचहजारी अंदाज से सिर हिलाया ।
(ख) आँखों के कैंचे हम पर फेर दिए ।
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर ।
उत्तर :
एक बार मैंने एक शेठ से इधर-उधर की बातें कर प्रश्न पूछा तो उसने पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाया और बार-बार प्रश्न पूछे जाने पर आँखों के कंचे मुझ पर फेर दिए । बाद में उसने बताया कि उसके शेठ मुनीमचंद के अचानक देहावसान के बाद कोई वारिस न होने के कारण वह आ बैठा उन्हीं के ठीये पर ।
प्रश्न 2.
“बिटर-बिटर देखना” यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है । देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए ।
उत्तर :
- आँखें फाड़कर देखना : निर्लज्ज व्यक्ति सामने से गुजर रही महिला को आँखें फाड़कर देख रहा था ।
- पुरकर देखना : स्टैंड पर खड़ा आवारा जैसा युवक आने-जानेवाली लड़कियों को घूरकर देख रहा था ।
- दुकर-टुकर देखना : एक बच्चा मिठाई की ओर टुकर-टुकर देख रहा था ।
- कनखियों से देखना : आँगन की भीड़ में बैठी युवती अपने भावी वर को कनखियों से देख रही थी ।
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है । सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है ? लिखें ।
(क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए ।
(ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा ।
(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात ।
(घ) रोटी जनाब पकती है ऑच से ।
उत्तर :
(क) मियाँ छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं ।
(ख) थोड़ा वक्त निकाल लेंगे ।
(ग) बात दिमाग में चक्कर काट गई है।
(घ) जनाब ! रोटी आँच से पकती है ।
Hindi Digest Std 11 GSEB मियाँ नसीरुद्दीन Important Questions and Answers
एक-एक वाक्य में उत्तर दें।
प्रश्न 1.
मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान कहाँ स्थित थी ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान जामा मस्जिद के पास मटियामहल के गया मुहल्ले में थी।
प्रश्न 2.
पंचहजारी अंदाज से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
पंचहजारी अंदाज का अर्थ बड़े सेनापतियों जैसा अंदाज। मुगलों के समय में पाँच हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे। यह ऊँचा पद होता था। नसीरुद्दीन में भी उस पद की तरह गर्य व अकड़ था।
प्रश्न 3.
मियाँ ने लेखिका को घूरकर क्यों देखा ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका अखबारवाली तो नहीं है। वे उन्हें खुराफाती मानते हैं जो खोज करते रहते हैं। इस कारण उन्होंने लेखिका को घूरकर देखा।
प्रश्न 4.
अखबारवालों के बारे में उनकी क्या राय है ?
उत्तर :
अखबारवालों के बारे में मियों की राय पूर्वग्रह-ग्रस्त है। वे अखबार बनानेवालों के साथ-साथ अखबार पढ़नेवालों को भी निठल्ला मानते हैं। इससे लोगों को कोई फायदा नहीं मिलता।।
प्रश्न 5.
मियाँ ने किन-किन खानदानी व्यवसायों का उदाहरण दिया ? क्यों ?
उत्तर :
मियाँ ने नगीनासाज, आईनासाज, मीनासाज, रफूगर, रंगरेज व तेली-तंबोली व्यवसायों का उदाहरण दिया। उन्होंने लेखिका को समझाया कि इन लोगों के पास नानबाई का ज्ञान नहीं है। खानदानी पेशे को अपने बुजुर्गों से ही सीखा जाता है।
प्रश्न 6.
मियाँ ने नानबाई का काम क्यों किया ?
उत्तर :
मियाँ ने नानबाई का काम किया, क्योंकि यह उनका खानदानी पेशा था। इनके पिता व दादा मशहूर नानबाई थे। मियाँ ने भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाया।
प्रश्न 7.
मियाँ किस बात से भड़क उठे ?
उत्तर :
मियाँ ने बताया कि उनके पूर्वज बादशाह के नानबाई थे तो लेखिका ने उनसे बादशाह का नाम पूछा। इस बात पर वे भड़क उठे।
प्रश्न 8.
तुनकी क्या है ? उसकी विशेषता बताइए।
उत्तर :
तुनकी विशेष प्रकार की रोटी है। यह पापड़ से भी अधिक पतली होती है।
प्रश्न 9.
मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे।
प्रश्न 10.
मियाँ नसीरुद्दीन के कारीगर का क्या नाम था ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन के कारीगर का नाम बब्बन मियाँ था।
प्रश्न 11.
मियाँ नसीरुद्दीन ने पाठ में कितने प्रकार की तालीम की बात कही है ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन ने पाठ में दो प्रकार की तालीम की बात कही है।
प्रश्न 12.
‘मियाँ नसीरुद्दीन’ पाठ किस विधा में लिखा गया है ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन शब्दचित्र (रेखाचित्र) विधा में लिखा गया है।
प्रश्न 13.
मियाँ नसीरुद्दीन किस प्रकार के तालीम को असली हुनर मानते हैं ?
उत्तर :
मियाँ नसीरुद्दीन करके सीखने की कला को असली हुनर मानते हैं।
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए।
प्रश्न 1.
“उतर गए वे जमाने। और गए वें कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना
जानते थे। मियाँ अब क्या रखा है… निकाली तंदूर से – निगली और हज़म।”
उत्तर :
संदर्भ : उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘आरोह’ नामक पुस्तक में संकलित एवं लेखिका कृष्णा सोबती द्वारा लिखित ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ में से लिया गया है। उपर्युक्त वाक्य स्वयं मियाँ नसीरुद्दीन कहते हैं।
व्याख्या : मियाँ नसीरुद्दीन से जब लेखिका पूछताछ करती है और उनके हुनर के बारे में जानना चाहती है तब मियाँ नसीरुद्दीन उन्हें सब सच-सच बताते हैं। उन्होंने रोटियाँ बनाने का हुनर अपने वालिद से सीखा था और उनके यहाँ तीन पीढ़ी से यह काम चला आ रहा है।
पहले के जमाने में बादशाह रोटियाँ बनानेवाले नानबाइयों के हुनर की कद्र भी करते थे और उनकी सराहना भी करते थे पर आज के समय में लोगों के पास समय ही नहीं रह गया है। लोग व्यस्त रहने का ढोंग करने लगे हैं। आज के लोगों को तो बस पेट भरने से ही मतलब है। वे असली हुनर की बिलकुल भी कद्र नहीं करते। यही अफसोस मियाँ नसीरुद्दीन को भी है।
विशेष :
- यहाँ पर मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने अंतर्मन की पीड़ा को शब्दों के द्वारा प्रकट किया है।
- मियाँ नसीरुद्दीन आज की पीढ़ीयों पर कटाक्ष कर रहे हैं।
- आज के यांत्रिक जीवन पर तीखा व्यंग्य है।
- भाषा सरल और सहज है।
उचित विकल्प पसंद कर उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
‘मियाँ नसीरुद्दीन’ पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
(a) प्रेमचंद
(b) कृष्णा सोबती
(c) सायजित राय
(d) शेखर जोशी
उत्तर :
(b) कृष्णा सोबती
प्रश्न 2.
मियाँ नसीरुद्दीन नानबाइयों के …..
(a) दुश्मन
(b) मसीहा
(c) मित्र
(d) स्पर्धी
उत्तर :
(b) मसीहा
प्रश्न 3.
‘मियाँ नसीरुद्दीन’ किस प्रकार की रचना है ?
(a) कहानी
(b) उपन्यास
(c) संस्मरण
(d) रेखाचित्र
उत्तर :
(d) रेखाचित्र
प्रश्न 4.
मियाँ नसीरुद्दीन कितने प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर है ?
(a) छप्पन
(b) पचपन
(c) पैंसठ
(d) चालीस
उत्तर :
(a) छप्पन
प्रश्न 5.
मियाँ नसीरुद्दीन ने रोटी बनाने का हुनर किससे सीखा था ?
(a) दादा
(b) पिता
(c) माँ
(d) चाचा
उत्तर :
(b) पिता
प्रश्न 6.
कृष्णा सोबती का जन्म………. सन् में हुआ था।
(a) 1930
(b) 1935
(c) 1926
(d) 1925
उत्तर :
(d) 1925
प्रश्न 7.
‘मियाँ नसीरुद्दीन’ किसे खोजियों की खुराफात मानते हैं ?
(a) चित्रकार
(b) अखबारनबीस
(c) शिक्षक
(d) फिल्मकार
उत्तर :
(b) अखबारनवीस
प्रश्न 8.
मियाँ नसीरुद्दीन के कितने बेटे हैं ?
(a) दो
(b) चार
(c) एक भी नहीं
(d) पाँच
उत्तर :
(c) एक भी नहीं
प्रश्न 9.
‘बाकरखानी’ किसका प्रकार है ?
(a) रोटी
(b) बिरयानी
(c) पुलाव
(d) सब्जी
उत्तर :
(a) रोटी
प्रश्न 10.
‘नानबाई’ का क्या अर्थ है ?
(a) कपड़े धोनेवाला
(b) रोटी बनानेवाला
(c) घर का काम करनेवाला
(d) बच्चों का ख्याल रखनेवाला
उत्तर :
(b) रोटी बनानेवाला
सही गलत बताइए।
प्रश्न 1.
- ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ की लेखिका का नाम कृष्णा सोबती है।
- ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्दचित्र ‘हम-हशमत’ नामक संग्रह से लिया गया है।
- ‘मित्रो मरजानी’ के लेखिका का नाम कृष्णा सोबती है।
- कृष्णा सोबती को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- मियाँ नसीरुद्दीन नानबाइयों के मसीहा थे।
- मियाँ नसीरुद्दीन चालीस प्रकार की रोटियाँ पकाने के लिए मशहूर थे।
- मियाँ नसीरुद्दीन का इंटरव्यू कृष्णा सोबती ने लिया था।
- मियाँ नसीरुद्दीन को अखबारनवीसों से बहुत लगाव था।
- मियाँ नसीरुद्दीन ने नानबाई का हुनर तेली-तंबोली से सीखा।
- मियाँ नसीरुद्दीन के दादा बादशाह के वहाँ नानबाई का काम करते थे।
- ‘तालीम की तालीम भी बड़ी चीज होती है। यह विधान मियाँ नसीरुद्दीन ने कहा।
- ‘खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है।’ यह विधान कृष्णा सोबती ने कहा।
- ‘रूमाली’ रोटी का एक प्रकार है।
- ‘तुनकी’ पापड़ से भी महीन रोटी होती है।
- मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान खटियामहल में स्थित थी।
उत्तर :
- सही
- सही
- सही
- सही
- सही
- गलत
- सही
- गलत
- गलत
- सही
- सही
- गलत
- सही
- सही
- गलत
प्रश्न 2.
कौन किससे कहता है ?
- “आपसे कुछ एक सवाल पूछने थे – आपको वक्त हो तो……”
- “मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो ?”
- “पूछना यह था कि किस्म-किस्म की रोटी पकाने का इल्म आपने कहाँ से हासिल किया ?”
- “नसीहत काहे की मियाँ ! काम करने से आता है, नसीहतों से नहीं। हाँ !”
- “कहो भाई मीर साहिब ! सुबह न आना हुआ, पर क्यों ?”
- “कहने का मतलब साहिब यह कि तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है।”
- “हमने न लगाया होता खोमचा तो आज क्या यहाँ बैठे होते ?”
- “कोई ऐसी चीज बनाओ जो न आग से पके, न पानी से बने।”
- “और क्या झूठी है ? आप ही बताइए, रोटी पकाने में झूठ का क्या काम। झूठ से रोटी पकेगी ? क्या पकती देखी है कभी ! रोटी जनाब पकती है आँच से, समझे !”
- “मियाँ रहमत, इस वक्त किधर को ! अरे वह लौंड़िया न आई रूमाली लेने ! शाम को मँगवा लीजो।”
- “वालिद मरहूम तो कूच किए अस्सी पर क्या मालूम हमें इतनी मोहलत मिले, न मिले।”
- “अभी यही जानना था कि आपके बुजुर्गों ने शाही बावर्चीखाने में तो काम किया ही होगा ?”
- “यह बब्बन मियाँ कौन हैं, साहिब ?”
- “ये कारीगर लोग आपकी शागिर्दी करते हैं ?”
- “उतर गए वे जमाने। और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे। मियाँ अब क्या रखा है……. निकाली तंदूर से – निगली और हज़म।”
उत्तर :
- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
- मियाँ नसीरुद्दीन मीर साहिब से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
- बादशाह सलामत मियाँ नसीरुद्दीन के बुजुर्गों से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
- मियाँ नसीरुद्दीन मियाँ रहमत से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से।
- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से।
- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से।
- मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका से।
अपठित गद्यखंड
इस गद्यखंड को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। किसी देश या राष्ट्र का प्रत्येक व्यक्ति उसका नागरिक है। किसी राज्य के निवासी होने के कारण व्यक्ति को कुछ मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं जिन्हें नागरिक अधिकार कहा जाता है। इनमें धार्मिक स्वतंत्रता, विचार-स्वतंत्रता तथा अपने निजी मत अथवा विचारों को प्रकट करने की सुविधाएँ हैं।
इसीके कारण उसे बहुत-सी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुविधाएँ भी प्राप्त होती हैं। स्वतंत्र राष्ट्र यथासंभव अपने नागरिकों के नागरिक अधिकारों की रक्षा का प्रयत्न करते हैं और नागरिक अपने राष्ट्र के सामूहिक हितरक्षण का ध्यान रखते हैं।
पर जैसे प्रत्येक नागरिक के कुछ अधिकार होते हैं वैसे ही उसके कुछ कर्तव्य भी होते हैं। इन कर्तव्यों के ज्ञान और पालन पर ही एक समाज का भविष्य निर्भर करता है। वस्तुतः लोकाचरण या लोकनीति को ही आजकल नागरिकशास्त्र कहा जाता है। मनुष्य जिस समाज का सदस्य है उसके प्रति उसकी शुभाकांक्षा अथवा कल्याणभावना उसके आचरण में किस प्रकार प्रकट होती है या होनी चाहिए, यह नागरिक विद्या के अंतर्गत आता है।
जो आचरण हमारे पड़ोसियों, देशवासियों के हित के विरुद्ध हैं वे सब अनागरिक आचरण हैं। नागरिक का कर्तव्य यह है कि वह दूसरों के जीने में बाधक नहीं सहायक बने। उसका आचरण लोकहित के अनुकूल होना चाहिए; उसके अंदर यह भावना विकसित होनी चाहिए कि हम सब का हित एक है; हम सब को मिलकर रहना चाहिए।
रामनाथ ‘सुमन’
प्रश्न 1.
नागरिक अधिकार किसे कहते हैं ? उनमें किन बातों का समावेश होता है ?
उत्तर :
किसी राज्य का निवासी होने के कारण व्यक्ति को जो अधिकार प्राप्त होते हैं उन्हें नागरिक अधिकार कहते हैं। इनमें धार्मिक, स्वतंत्रता, विचार स्वातंत्र्य तथा निजी मत या विचारों को प्रकट करने की सुविधा आदि का समावेश है।
प्रश्न 2.
नागरिक अधिकार मिलने से व्यक्ति को क्या लाभ होते है ?
उत्तर :
नागरिक अधिकारों के कारण व्यक्ति को बहुत-सी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सुविधाएँ मिलती हैं। स्वतंत्र राष्ट्र अपने नागरिकों के अधिकारों का रक्षण करने का प्रयास भी करते है, बदले में नागरिक भी राष्ट्र के सामूहिक हितों की रक्षा का ध्यान रखते हैं।
प्रश्न 3.
नागरिकशास्त्र की मूल भावना में किन चीजों का समावेश होता है ?
उत्तर :
किसी देश या राज्य के नागरिक को मिलनेवाले अधिकार तथा कर्तव्यों का यानी लोक का आचरण तथा लोकनीति को आजकल नागरिकशास्त्र कहते हैं। नागरिकशास्त्र के अंतर्गत व्यक्ति के आचरण का वह रूप आता है जिससे समाज के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति उसकी शुभकांक्षा या कल्याण भावना व्यक्त हो।
प्रश्न 4.
एक नागरिक के रूप में हमें क्या नहीं करना चाहिए ?
उत्तर :
जो आचरण हमारे पड़ोसियों, देशवासियों के हित के विरुद्ध हो यह आचरण नहीं करना चाहिए। हमें दूसरों के जीने में बाधक नहीं बनना है, बल्कि सहायक बनना है।
प्रश्न 5.
‘अनागरिक’ में से उपसर्ग तथा प्रत्यय अलग करके मूल शब्द भी लिखिए।
उत्तर :
अनागरिक में ‘अ’ उपसर्ग, ‘नगर’ मूलशब्द तथा ‘इक’ प्रत्यय है।
प्रश्न 6.
यथासंभव का सविग्रह समास भेद बताइए।
उत्तर :
यथासंभव – जितना संभव हो – अव्ययीभाव समास।
मियाँ नसीरुद्दीन Summary in Hindi
‘समय ही वह रंग है जो अनेक-अनेक रंगों में विभाजित होता है और पठन-पाठन प्रक्रिया द्वारा फिर एक हो जाता है ।’ (शब्दों के आलोक में)
‘मानव जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप मृत्यु है । मनुष्य इसके लिए कुछ नहीं कर सकता । अत: इसे अत्यंत कम समय में अपने व्यक्तिगत जीवन को अर्थ देना है ।’ (ऐ लड़की से)
- नाम : ‘कृष्णा सोबती’
- जन्म : कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी, 1925 में गुजरात में (अब पाकिस्तान के पंजाब में) हुआ, जो झेलम चेनाब नदियों के बीच का इलाका है ।
- प्रमुख रचनाएँ : जिंदगीनामा, दिलोदानिश, ऐ लड़की, समय सरगम, डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, सूरजमुखी अँधेरे के (उपन्यास); बादलों के घेरे, (कहानी संग्रह); हम-हशमत संस्मरण तथा शब्दों के आलोक में शब्दचित्र) आदि ।
- साठोत्तरी हिन्दी लेखिकाओं के बीच कृष्णा सोबती का नाम एक प्रबद्ध एवं जागरूक महिला लेखिका के रूप में सर्वश्रुत है ।
हिंदी कथा साहित्य में कृष्णा सोबती की विशिष्ट पहचान है । वे मानती हैं कि कम लिखना विशिष्ट लिखना है । यही कारण है कि उनके संयमित लेखन और साफ़-सुथरी रचनात्मकता ने अपना एक नित नया पाठक वर्ग बनाया है । उनके कई उपन्यासों, लंबी कहानियों और संस्मरणों ने हिंदी के साहित्यिक संसार में अपनी दीर्घजीवी उपस्थिति सुनिश्चित की है ।
उन्होंने हिन्दी साहित्य को कई ऐसे यादगार चरित्र दिए हैं, जिन्हें अमर कहा जा सकता है; जैसे मित्रो, शाहनी, हशमत आदि भारत-पाकिस्तान पर जिन लेखकों ने हिंदी में कालजयी रचनाएँ लिखीं, उनमें कृष्णा सोबती का नाम पहली कतार में रखा जाएगा । बल्कि यह कहना उचित होगा कि यशपाल के ‘झूठा-सच’, राही मासूम रजा के ‘आधा गाँव’ और भीष्म साहनी के ‘तमस’ के साथ-साथ कृष्णा सोबती का ‘जिंदगीनामा’ इस प्रसंग में एक विशिष्ट उपलब्धि है ।
संस्मरण के क्षेत्र में ‘हम-हशमत’ शीर्षक से उनकी कृति का विशिष्ट स्थान है, जिसमें अपने ही एक दूसरे व्यक्तित्व के रूप में उन्होंने हशमत नामक चरित्र का सृजन कर एक अद्भुत प्रयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया है । कृष्णा जी के भाषिक प्रयोग में भी विविधता है । उन्होंने हिन्दी की कथाभाषा को एक विलक्षण ताज़गी दी है । संस्कृतनिष्ठ तत्समता, उर्दू का बाँकपन, पंजाबी की जिंदादिली, ये सब एक साथ उनकी रचनाओं में मौजूद है ।
पुरस्कार एवं सम्मान : कृष्णा सोबती को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं । वे निम्नानुसार हैं –
- साहित्य-शिरोमणी पुरस्कार
- साहित्य अकादमी की ‘महत्तर फेलो’ (पंजाब विश्वविद्यालय)
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
- हिन्दी अकादमी, दिल्ली पुरस्कार
- साहित्य अकादमी की बृहत्तर सदस्या (फेलो)
- मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान
- रामकृष्ण जायदवाल हारमोनी अवार्ड
- ज्ञानपीठ सम्मान
‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र ‘हम-हशमत’ नामक संग्रह से लिया गया है । इसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र खींचा गया है । इसमें मियाँ नसीरुद्दीन अपनी मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला और उसमें खानदानी महारत को बताते हैं । वे अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और स्वयं करके सीखने को असली हुनर मानते हैं ।
पाठ का सारांश :
एक दोपहर जब लेखिका घूमते-घूमते अचानक जामा मस्जिद के निकट मुहल्ले के एक अँधेरी दुकान के पास आती हैं तो पता चलता है कि वो खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान है । उन्हें यह भी पता चला कि मियाँ छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं। – लेखिका के प्रश्न पूछने पर मियाँ नसीरुद्दीन समझ जाते हैं कि वो एक पत्रकार हैं ।
फिर भी वो उनके प्रश्नों का उत्तर बड़े ही आत्मविश्वास के साथ देते हैं । लेखिका को यह भी बताते हैं कि यह उनका खानदानी पेशा है । बादशाह के दरबार में भी उनके पूर्वजों ने काम किया था, मियाँ थोड़े खिसिया उठे । लेखिका उनके बेटे-बेटियों के बारे में भी पूछना चाहती थीं, लेकिन मियाँ के चेहरे के भाव देखकर उन्होंने इस विषय को न छेड़ना ही उचित समझा ।
बातों-बातों में यह भी पता चला कि मियाँ अपने शागिर्दो का भी बहुत सम्मान करते हैं । वे उन्हें समय पर उचित वेतन देते – हैं । इस प्रकार, मियाँ नसीरुद्दीन के रोटियाँ बनाने की कला तथा उनके पेशे के प्रति समर्पण देखकर लेखिका बहुत प्रभावित हुई ।
शब्दार्थ – टिप्पणी :
- नानबाई – तरह-तरह की रोटी बनाने-बेचने का काम करनेवाला
- काइयाँ – धूर्त, चालाक
- अखबार नवीस – पत्रकार
- इल्म – जानकारी, ज्ञान, विद्या
- मीनासाज़ – मीनाकारी करनेवाला
- वालिद – पिता
- मरहूम – जिसकी मृत्यु हो चुकी हो
- लमहा भर – क्षणभर
- बजा फरमाना – ठीक बात कहना
- परवान करना – उन्नति की तरफ बढ़ना
- रूखाई – उपेक्षित भाव
- रुमाली – एक प्रकार की रोटी जो रुमाल की तरह बड़ी और पतली होती है ।
- मज़मून – मामला, विषय
- निठल्ला – बेरोजगार
- बावर्चीखाना – रसोई घर
- पेशानी – माथा, मस्तक
- खुराफ़ात – शरारत
- नगीनासाज़ – नगीना जड़नेवाला
- रैंगरेज – कपड़ा रँगनेवाला
- अख्रित्यार करना – अपनाना
- मोहलत – कार्य विशेष के लिए मिलनेवाला समय
- नसीहत – सीख, शिक्षा
- शागिर्द – शिष्य
- जमात – कक्षा, श्रेणी
- तरेरा – घूरकर देखा
- जहमत उठाना – तकलीफ़, झंझट, कष्ट
- लुत्फ – आनंद, स्वाद
- तालीम – शिक्षा
- जहाँपनाह – शरणदाता, ईश्वर