GSEB Class 11 Hindi Rachana पत्र-लेखन

Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Rachana पत्र-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 11 Hindi Rachana पत्र-लेखन

निम्नलिखित सूचनानुसार पत्र लिखिए :

प्रश्न 1.
राजपथ, नारायणनगर, अहमदाबाद – 380007 से महेश गुप्ता लक्ष्मी सहकारी बैन्क, वीरमगाम शाखा के एजेंट को कैशियर की जगह के लिए आवेदन-पत्र भेजता है।
उत्तर:

राजपथ,
नारायणनगर,
अहमदाबाद-380007 ।
6 दिसम्बर, 2018

सेवा में,
एजेंट,
लक्ष्मी सहकारी बैन्क,
वीरमगाम
संदर्भ : कैशियर की जगह के लिए आवेदन-पत्र ।
‘मान्यवर महोदय,
दिनांक 4 – 12 – 2018 के ‘टाइम्स ऑफ इन्डिया’ में आपके बैन्क की ओर से कैशियर की जगह के लिए एक विज्ञापन छपा था। उसी सिलसिले में मैं यह आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ।

सन् 2016 में मैंने गुजरात विश्वविद्यालय से बी.कॉम. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। उसी वर्ष अहमदाबाद की प्रसिद्ध फर्म गाला एन्ड कंपनी में मुझे नौकरी मिल गई थी। उसके साथ ही मैंने ‘कॉस्ट एकाउन्टैन्सी’ की परीक्षा भी द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण कर ली।

पिछले आठ महीने से मैं यहाँ के ‘देसाई एन्ड सन्स’ में एकाउन्टैन्सी का काम संभाल रहा हूँ। जहाँ तक आधुनिक एकाउन्टेन्सी का संबंध है, मुझे उसके बारे में पूरी जानकारी है। मेरी उम्र 23 साल है।

मैं ईमानदारी और लगन से काम करने में विश्वास रखता हूँ। यदि मुझे आपकी संस्था में सेवा करने का अवसर दिया गया, तो मैं आपको पूरा विश्वास दिलाता हूँ कि मेरे काम से आपको पूर्ण संतोष होगा।

पूरी उम्मीद के साथ,

आपका विश्वासी,
महेश गुप्ता

संलग्न : प्रमाणित प्रतिलिपियाँ :

  1. बी.कॉम, का प्रमाणपत्र ।
  2. कॉस्ट एकाउन्टैन्सी का प्रमाणपत्र ।
  3. गाला एन्ड कंपनी का कार्यदक्षता एवं चरित्र-प्रमाणपत्र ।

GSEB Class 11 Hindi Rachana पत्र-लेखन

प्रश्न 2.
25, विवेकानंद नगर, गांधीधाम – 370 201 से मोनिका भावनगर निवासी अपनी सहेली उमा को चुनाव केन्द्र का आँखों देखा हाल पत्र द्वारा लिखती है। उत्तर:

25, विवेकानंद नगर,
गांधीधाम – 370 201।
16 अक्तूबर, 2018

प्रिय उमा,

सस्नेह नमस्कार।

मेरा मन कई दिनों से तुम्हें पत्र लिखने के लिए उत्सुक था, पर चुनाव-संबंधी कार्यों में व्यस्त होने के कारण पत्र न लिख सकी। पिछले रविवार को हमारे शहर में नगरपालिका के चुनाव थे। हमारे मुहल्ले से भी डॉ, शांति पटेल उम्मीदवार के रूप में खड़े थे। मैंने उनके प्रचार के कार्य में काफी सहयोग दिया था। खुशी तो इस बात की है कि सर्वाधिक मत से. वे चुनाव में विजयी हुए हैं।

चुनाव के दिन बड़ी चहल-पहल रही। चुनाव-केन्द्र के लिए आजाद मैदान में एक बड़ा तंबू लगाया गया था। सुबह आठ बजे से ही लोग चुनाव-केन्द्र पर मतदान के लिए आने लगे थे। मतदाताओं में सिर्फ बाबू लोग ही नहीं थे, पर मजदूर, महिलाएं और बूढ़े भी थे। चुनाव-अधिकारी मतदाता के पहचान-पत्र की जाँच करता था।

महिला अधिकारी मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी के नाखून पर पक्की स्याही से निशान लगा देती थी। तीसरा-अधिकारी मतदाता के हस्ताक्षर करने के बाद उसे मतपत्र (कापली) देता था। मतदाता वह मतपत्र अन्य अधिकारी के पास जमा करने के बाद ही मत-कुटीर में प्रवेश कर पाता था। तत्पश्चात् अपनी पसंद के उम्मीदवारों के चिह्न पर नीला बटन दबाकर लाल बटन दबाना था। बीप आवाज आते ही मतदाता मत-कुटीर से बाहर आ जाता था। इस प्रकार चुनाव-प्रक्रिया सी.सी.टी.वी. कैमरा के अन्तर्गत व्यवस्थित ढंग से सम्पन्न हो रही थी।

मतदान केन्द्र से कुछ दूरी पर लोगों की टोलियाँ अपनी-अपनी चर्चा में मग्न थीं। तांगों, रिक्शों और टैक्सियों का भी तांता लगा हुआ था। कुछ भेल-पूरीवाले और फुटकर विक्रेता भी खड़े थे। दूर से सारा वातावरण किसी मेले जैसा लग रहा था। इस तरह मेरा सारा दिन चुनाव-केन्द्र पर ही बीता। शेष कुशल है। वापसी डाक से पत्रोत्तर लिखना।

तुम्हारी सहेली,
मोनिका

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प्रश्न 3.
12, कृष्णकुंज, गोपीपुरा, सूरत – 395 006 से रसिका देसाई, नवभारत बालिका विद्यालय, खाड़िया, अहमदाबाद में हिन्दी शिक्षिका के पद पर नियुक्त होने के लिए विद्यालय के आचार्यजी को आवेदनपत्र भेजती है।
उत्तर:

12, कृष्णकुंज,
गोपीपुरा,
सूरत – 395006।
5 मार्च, 2018

सेवा में,
श्रीमान् आचार्यजी,
नवभारत बालिका विद्यालय,
खाड़िया, अहमदाबाद
संदर्भ: हिन्दी शिक्षिका के पद के लिए आवेदनपत्र ।

मान्यवर महोदय,

कल दैनिक ‘संदेश’ में आपके विद्यालय की ओर से एक हिन्दी शिक्षक के लिए विज्ञापन छपा था। उसी सिलसिले में मैं प्रस्तुत आवेदनपत्र भेज रही हूँ। मैंने सन् 2016 में मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी मुख्य विषय : के साथ स्नातक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। पिछले : दो वर्षों से मैं ‘शारदा इंस्टिट्यूट’ में हिन्दी का अध्यापन कार्य कर रही हूँ। ‘राष्ट्रभाषा-रल’ की परीक्षा भी मैं उत्तीर्ण कर चुकी हूँ। हिन्दी साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग की ‘विशारद’ परीक्षा भी मैंने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। हिन्दी के प्रति शुरू से ही मेरी रुचि रही है और पढ़नापढ़ाना ही मेरा शौक है।

मेरी उम्र 25 साल की है। मैं ईमानदारी और लगन से काम करने में विश्वास रखती हूँ। आपके प्रतिष्ठित विद्यालय में सेवा का अवसर पाना मेरे लिए एक गर्व और सौभाग्य की बात होगी। आशा है, आप मेरे आवेदनपत्र पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे। मुझे हिन्दी की सेवा करने में खुशी होगी।

आपकी विश्वासी,
रसिका देसाई

संलग्न :प्रमाणित प्रतिलिपियाँ:

  1. बी.ए. प्रमाणपत्र ।
  2. ‘राष्ट्रभाषा-रत्न’ का प्रमाणपत्र ।
  3. ‘विशारद’ का प्रमाणपत्र ।

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प्रश्न 4.
9, सुधा सदन, टावर रोड, सूरत -395003 से सुभाष पारेख ने भगत वाँच कंपनी, पायधुनी, मुंबई-400002 से एक घड़ी खरीदी है, किन्तु वह ठीक समय नहीं देती। सुभाष कंपनी के मैनेजर को एक शिकायती पत्र लिखता है।
उत्तर:

9, सुधा सदन,
टावर रोड,
सूरत – 395 003।
27 दिसम्बर, 2018

प्रति
मैनेजर,
भगत वॉच कंपनी,
पायधुनी,
मुंबई – 400 002
संदर्भ : नई खरीदी हुई घड़ी के बारे में शिकायत ।
महोदय,
पिछले दिनों में बड़े दिन की छुट्टियों में मुंबई आया था। उस समय दिनांक 10-12-2018 को मैंने आपकी कंपनी से एक टेबलघड़ी 450 रुपये में खरीदी थी। उसका बिल नं. 376 है।

आपके सेल्समेन ने विश्वास दिलाया था कि घड़ी बहुत अच्छी और टिकाऊ है। कम-से-कम दो वर्ष तक इस घड़ी में कोई खराबी नहीं आ सकती। लेकिन पन्द्रह दिनों में ही इस घड़ी ने मुझे निराश कर दिया!

जब तक मैं मुंबई रहा, घड़ी ने सही समय दिया। मुंबई से यहाँ आते ही यह घड़ी रोज आधा घंटा पिछड़ जाती है। मैं उसे रोज ठीक समय पर चाबी देता हूँ। उसे बहुत सुरक्षित जगह रखा गया है। उसके साथ किसी तरह की छेड़खानी नहीं की जाती, फिर भी यह सही समय नहीं देती। उसकी वजह से कई बार स्कूल जाने में मुझे देर हो चुकी है। जिस सुविधा के लिए मैंने यह घड़ी खरीदी थी, उसका मुझे जरा भी लाभ नहीं मिल रहा है, इसलिए मजबूर होकर मैं आपको यह पत्र भेज रहा हूँ।

आशा है, आप जल्द से जल्द मेरी शिकायत का उचित उत्तर देंगे।

आपका विश्वासी,
सुभाष पारेख

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प्रश्न 5.
7, आदर्शनगर, सुमानपुरा, रिंग रोड, वडोदरा – 390007 से सचिन अहमदाबाद-निवासी अपने मित्र को चक्षुदान का महत्त्व बताते हुए पत्र लिखता है।
उत्तर:

7, आदर्शनगर,
सुमानपुरा,
रिंग रोड,
वडोदरा – 390007।
9 सितम्बर, 2018

प्रिय मित्र सुनील,
सप्रेम नमस्ते।

आज सबेरे ही तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बहुत खुशी हुई कि तुम्हारे चाचाजी ने मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने का निर्णय : किया है और इसके लिए उन्होंने अस्पतालवालों से आवश्यक बातचीत कर ली है।

सुनील, यो तो हर तरह का दान प्रशंसनीय होता है, पर चक्षुदान की तो बात ही क्या ! इसमें दाता को कुछ खोना नहीं पड़ता, पर लेनेवाले की अंधेरी दुनिया एकाएक रोशन हो जाती है। जरा उस अंधे की पीड़ा है तो सोचो जिसने अपने प्रियजनों के चेहरे कभी नहीं देखे, रंग-बिरंगे फूलों से जिसका कभी परिचय नहीं हुआ। बेचारे अंधे को क्या पता कि सावन का हरा-भरा वैभव कैसा होता है और पूनम के चाँद की शोभा कैसी होती है! ऐसे व्यक्ति को यदि आँखों की रोशनी मिल जाए तो उसकी दुनिया ही बदल जाए। तुम्हारे चाचाजी के चक्षुदान से किसी ऐसे ही अभागे का भाग्य बदल सकता है। इसलिए तुम्हारे चाचाजी, सचमुच, बधाई के पात्र हैं।
निस्संदेह नेत्रदान महादान है। इस प्रवृत्ति को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

परिवार में सबसे मेरा नमस्ते कहना।

तुम्हारा ही,
सचिन

प्रश्न 6.
आनंद भवन, स्टेशन रोड, वाराणसी – 221001 से कल्याणी अपनी सखी अनुराधा को दहेजप्रथा की बुराइयाँ समझाते हुए एक पत्र लिखती है।
उत्तर:

आनंद भवन,
स्टेशन रोड,
वाराणसी – 221 001।
15 दिसम्बर, 2018

प्रिय सखी अनुराधा,
सप्रेम नमस्कार।
तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारी पड़ोसिन की नव-विवाहिता बेटी दीपा की करुण कथा पढ़कर मर्मातक पीड़ा हुई। दहेज की बलिवेदी पर देश की नव-वधुएं, पता नहीं, कब तक शहीद होती रहेंगी!

अचरज की बात है कि समाज-सुधारकों के प्रयासों और सरकारी कानून के बावजूद समाज में दहेज का जोर बढ़ता ही जा रहा है। शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब अखबार में किसी दहेज-मृत्यु की खबर पढ़ने को न मिले। मनचाहा दहेज न मिलने पर नव-वधू को सताना, मारना-पीटना और कभी-कभी चिता के हवाले कर देना आज आम बात हो गई है।

यहाँ तक कि समाज में आगे बढ़ा हुआ शिक्षित-संपन्न वर्ग भी दहेज लेने में पीछे नहीं है! कुछ लोग सीधे ढंग से दहेज न लेने का ढोंग करके उसे किसी दूसरे रूप में वसूल कर लेते हैं। दहेज का मायावी दानव नित नये रूप धारण करके समाज का शोषण कर रहा है। नयी-नवेली वधुएं दहेज की आग में खाक हो रही हैं, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। मुझे लगता है कि दहेज के इस दैत्य का नाश करने के लिए देश की नारी-शक्ति को ही महिषासुरमर्दिनी माँ दुर्गा का रूप धारण करना होगा। समाचारपत्र, रेडियो-दूरदर्शन, समाज एवं युवा पीढ़ी को दहेजप्रथा दूर करने के लिए ठोस प्रयत्न करने होंगे। तुम्हारा क्या विचार है?

दीपा के शोकसंतप्त परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना के साथ।

तुम्हारी सखी,
कल्याणी

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प्रश्न 7.
3, विजयनगर सोसायटी, राजकोट-360001 से – अजय पटेल मुंबई में रहनेवाले अपने मित्र नीरव को रेल दुर्घटना .. का आँखों देखा हाल लिख भेजता है।
उत्तर:

3, विजयनगर सोसायटी,
राजकोट -360001।
4 नवम्बर, 2018

प्रिय मित्र नीरव,
सप्रेम नमस्कार।

यों तो जीवन में अच्छी-बुरी घटनाएं होती ही रहती हैं। परंतु कुछ घटनाएँ अपनी अमिट याद छोड़ जाती हैं। मित्र, पिछले सप्ताह एक ऐसी ही दुर्घटना हुई, जिसमें मैं बाल-बाल बच गया।

31 अक्तूबर को मैं शाम की गाड़ी से अपने चाचा के घर। वडोदरा जा रहा था। मैं आरक्षित डिब्बे में था। डिब्बे में स्त्री-पुरुष, बच्चे, बूढ़े, जवान सभी तरह के मुसाफिर थे। सब ने रात का खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। कुछ लोग तो जल्दी ही खर्राटे भी भरने लगे। मेरी घड़ी में उस समय रात के दस बज रहे थे। नींद का हमला मुझ पर हआ ही था कि मैंने एक जोरदार धक्के का अनुभव किया। ऊपर की बर्थों पर सोए हुए कुछ यात्री धड़ाम से नीचे गिर पड़े। हमारी रेलगाड़ी रुक गई। मैं भी नीचे गिरा, पर मुझे – चोट नहीं लगी।

फिर पता चला कि हमारी रेलगाड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। अगले दो डिब्बों के यात्री तो बुरी तरह घायल हो चुके थे। मैं तो बहुत पीछे के डिब्बे में था, इसलिए पूरी तरह बच गया। डिब्बे में से बाहर आकर मैंने देखा तो दृश्य बड़ा ही भयावना था। दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों में से चीखें आ रही थीं। किसी के कंधे में चोट आई थी। किसी का सिर, तो किसी के हाथ-पैर जख्मी हो गए थे। घायलों के शरीर से रक्त की धाराएं बह रही थीं। डॉक्टरों का एक दल वहाँ शीघ्र आ पहुंचा और घायल यात्रियों का उपचार करने लगा।

मित्र, उस दृश्य को याद करता हूँ तो आज भी मेरा रोम-रोम सिहर उठता है। बस, जान बची तो लाखों पाए। तुम्हारे भैया और भाभी को मेरा प्रणाम ।

तुम्हारा ही,
अजय पटेल

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