Gujarat Board GSEB Solutions Class 10 Hindi Vyakaran समास द्वारा सब्द रचना (1st Language) Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Vyakaran समास द्वारा सब्द रचना (1st Language)
‘समास’ का अर्थ है ‘संक्षेप’। पंडित कामता प्रसाद गुरु के अनुसार ‘दो या अधिक शब्दों (पदों) का परस्पर सम्बन्ध बतानेवाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर उन दो या अधिक शब्दों से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है, उस शब्द को सामासिक शब्द कहते हैं और उन दो या अधिक शब्दों का जो संयोग होता है उसे समास कहा जाता है।’
- समास कम से कम दो पदों का योग होता है।
- समस्त पद में (विभक्ति प्रत्ययों) कारक चिह्नों का लोप हो जाता है।
- समस्त पदों को खंडों में विभाजित करके सम्बन्ध को स्पष्ट करना ‘विग्रह’ कहलाता है।
उदा :- सामासिक शब्द – नभचर
- समास विग्रह – नभ में विचरण करनेवाला
- समास के कई भेद हैं।
हिन्दी के मुख्य समास इस प्रकार है :
1. अव्ययीभाव समास :
अव्ययीभाव समास में पहला पद अव्यय और दूसरा पद संज्ञा होता है। दोनों को मिलाकर पूरा शब्द अव्यय के समान हो जाता है। अव्ययीभाव समास लिंग, वचन, कारक, पुरुष आदि की दृष्टि से परिवर्तित नहीं होते हैं।
उदाहरण –
- समस्त पद – विग्रह
- यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
- आजीवन – जीवनभर
- यथासमय – समय के अनुसार
- सपरिवार – परिवार के साथ
- प्रत्यक्ष – आँखों के सामने
2. द्वन्द्व समास :
जहाँ दोनों पद प्रधान हों वहाँ द्वन्द्व समास होता है। विग्रह करने पर ‘और’, ‘तथा’, ‘या’ अथवा ‘आदि’ योजक शब्द लगते हैं।
उदाहरण:
- समस्त पद – विग्रह
- रामकृष्ण – राण और कृष्ण – राम या कृष्ण
- माता-पिता – माता और पिता – माता या पिता
- पाप-पण्य – पाप और पुण्य – पाप या पुण्य
- सुख-दुःख – सुख और दुःख – सुख या दुःख
- नर-नारी – नर और नारी – नर या नारी
3. बहुब्रीहि समास :
जिस समास का कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि अन्य पद प्रधान होता है, उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। समास होने पर पूरा पद विशेषण की तरह काम करता है। वह किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान आदि विशेष्य की अपेक्षा रखता है।
उदाहरण –
- समस्त पद – विग्रह
- चक्रपाणि – चक्र है हाथ में जिसके अर्थात् विष्णु
- लम्बोदर – लंबा (बड़ा) है उदर जिसका अर्थात् गणेश
- शत्रु – नहीं पैदा हुआ है जिसका शत्रु अर्थात् वह तिरंगा
- तीन रंगोंवाला अर्थात् भारत का राष्ट्र ध्वज
- निशाचर – निशा (रात) में विचरण करनेवाला अर्थात् राक्षस
4. द्विगु समास :
जिन सामासिक पदों का पूर्वपद संख्यावाची शब्द हो, वहाँ द्विगु समास होता है। अर्थ की दृष्टि से यह समास प्रायः समूहवाचक होता है; जैसे –
- त्रिभुज – तीन भुजाओं से बनी बंद आकृति
- चौराहा – जहाँ चार रास्ते मिलते हैं (चार राहों का समूह)
- शताब्दी – शत (सौ) अब्द (वर्षो) का समूह
- पंचवटी – पंच (पाँच) वट (वृक्षों) का समूह आदि।
(5) कर्मधारय समास :
जहाँ समस्त पद के दोनों खंडों में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय संबंध हो, वहाँ कर्मधारय समास होता है। यानी कर्मधारय समास का पूर्वपद विशेषण या उपमावाचक होता है; जैसे –
- नीलाकाश (नीला + आकाश) = नीले रंग का आकाश
- महाराज = महान् राजा
- कमलनयन = कमल रूपी नयन
- चरणकमल = कमल रूपी चरण आदि।
6. तत्पुरुष :
जहाँ सामासिक उत्तर पद प्रधान होता है तथा पूर्वपद गौण। इस समास की रचना में दो पदों के बीच में आनेवाले कारक चिह्नों (परसर्गो) का लोप हो जाता है। (कर्ता, संबोधन के परसर्गों को छोड़कर) जैसे –
- विद्यालय (विद्या + आलय) = विद्या के लिए आलय
- हस्तलिखित = हस्त (हाथ से लिखित)
- रसोईघर = रसोई के लिए घर
- राजकुमार = राजा का कुँवर (कुमार)
- पदच्युत = पद से च्युत
- पदप्राप्त = पद को प्राप्त
- ध्यानमग्न = ध्यान में मग्न आदि।
विशेष : आगे की कक्षाओं में आपको इन समासों के उपभेदों की भी जानकारी दी जाएगी।
अभ्यास के लिए
1. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास के नाम बताइए :
- देशभक्त
- शिवालय
- स्वर्गीय
- मदांध
- स्वरचित
- मनगढंत
- वाग्दत्ता
- श्रमसाध्य
- परीक्षाकेन्द्र
- चिकित्सालय
- आरामकुर्सी
- देशभक्ति
- रसोईघर
- भयभीत
- धर्मभ्रष्ट
- अपराधमुक्त
- समयानुकूल
- क्षमादान
- जनमत
- अमृतवर्षा
- लोकसभा
- भाग्यविधाता
- भाग्याधीन
- वितरण-विधि
- पराश्रित
- हवाईयात्रा
- लोकप्रिय
- सर्वश्रेष्ठ
- वायुयान
- बैलगाड़ी
- अनहोनी
- निडर
- अनंत
- अनीति
- असंभव
- नास्तिक
- पवनचक्की
- मरुभूमि
- गोबर गणेश
- जलमग्न
उत्तर :
- देश का भक्त, तत्पुरुष
- शिव का आलय, तत्पुरुष।
- स्वर्ग को गया, तत्पुरुष
- मद से अंध, तत्पुरुष
- स्व द्वारा रचित, तत्पुरुष
- मन से गढ़ा गया, तत्पुरुष
- वाक् द्वारा दत्त, तत्पुरुष
- श्रम से साध्य, तत्पुरुष
- परीक्षा के लिए केन्द्र, तत्पुरुष
- चिकित्सा के लिए आलय, तत्पुरुष
- आराम के लिए कुर्सी, तत्पुरुष
- देश के लिए भक्ति, तत्पुरुष
- रसोई के लिए घर, तत्पुरुष
- भय से भीत (डरा), तत्पुरुष
- धर्म से भ्रष्ट, तत्पुरुष
- अपराध से मुक्त, तत्पुरुष
- समय के अनुकूल, तत्पुरुष
- क्षमा का दान, तत्पुरुष
- जन का मत, तत्पुरुष
- अमृत की वर्षा, तत्पुरुष
- लोक की सभा, तत्पुरुष
- भाग्य का विधाता, तत्पुरुष
- भाग्य के अधीन, तत्पुरुष
- वितरण की विधि, तत्पुरुष
- पर (दूसरे) के आश्रित, तत्पुरुष
- हवा में यात्रा, तत्पुरुष
- लोक में प्रिय, तत्पुरुष
- सर्व में श्रेष्ठ, तत्पुरुष
- वायु में चलनेवाला यान, तत्पुरुष
- बैल द्वारा खींची जानेवाली गाड़ी, तत्पुरुष
- न होनी, तत्पुरुष
- न डर, तत्पुरुष
- न अंत, तत्पुरुष
- न नीति, तत्पुरुष
- न संभव, तत्पुरुष
- न आस्तिक, तत्पुरुष
- पवन द्वारा चलनेवाली चक्की, तत्पुरुष
- मरु से बनी भूमि, तत्पुरुष
- गोबर से बने गणेश, तत्पुरुष
- जल में मग्न (डूबी), तत्पुरुष
सविग्रह समास भेद बताइए :
स्वयं हल करें
1. विग्रह करके समास भेद बताइए :
ध्यानपूर्वक, प्रतिदिन, ईश्वरदत्त, राहखर्च, अंधविश्वास, निर्दोष, त्रिभुज, विद्यारहित, हवनकुंड, मुखचंद्र, चंद्रमुखी, पुरुषोत्तम, इकहरा, चारपाई, अछूत, दीर्घायु, दोपहर, सीधा-सादा, अन्याय, हृष्टपुष्ट, क्रोधाग्नि, जन्मांध, कंदमूल, चतुर्भुज, ऋणमुक्त, सर्वोत्तम, भला-बुरा, पंचवटी, पदभ्रष्ट, निर्भय, धीरे-धीरे, निशिचर, राग-विराग, जलचर, देशांतर, चक्रपाणि, अनुरूप, पतझड़, कनकटा, सुखद, चौपगा, आशुतोष।