Gujarat Board GSEB Solutions Class 9 Hindi Rachana संवाद-लेखन (1st Language) Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 9 Hindi Rachana संवाद-लेखन (1st Language)
नाटक तथा कथासाहित्य में पात्रों के पारस्परिक औपचारिक वार्तालाप को संवाद कहते हैं। संवाद का सामान्य अर्थ है – बातचीत। संवाद, नाटक और एकांकी का मूल तत्त्व है। अच्छे संवाद-लेखन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- संवाद की भाषा सरल होनी चाहिए ताकि आसानी से संप्रेषित हो सके।
- संवाद छोटे-छोटे और स्पष्ट होंगे, तभी आकर्षण बढ़ेगा।
- संवाद परिवेश और विषय के अनुरूप होने चाहिए।
- संवाद पात्र के अनुरूप होने चाहिए।
- संवाद में जितनी ज्यादा स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही रोचक, सजीव और मनोरंजक होगा।
- संवाद का आरंभ कुतूहल जगानेवाला होना चाहिए।
- संवाद का अंत स्वाभाविक और रोचक होना चाहिए।
- पात्रों के चरित्र, स्वभाव तथा संस्कृति के अनुरूप भाषा होनी चाहिए।
उदाहरण : आप प्रेमचंद के नाम से परिचित हैं। उनकी प्रसिद्ध कहानी ईदगाह के संवाद देखिए :
हामिद – यह चिमटा कितने का है ?
दुकानदार – यह तुम्हारे काम का नहीं है जी।
हामिद – बिकाउ है कि नहीं ?
दुकानदार – बिकाउ नहीं है और यहाँ क्यों लाद लाये हैं ?
हामिद – तो बताते क्यों नहीं कि कै पैसे का है ?
दुकानदार – छे पैसे लगेंगे।
हामिद – ठीक बताओ।
दुकानदार – ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो तो लो, नहीं चलते बनो।
हामिद – तीन पैसे लोगे ?
संवादों के कुछ उदाहरण –
1. बिन बुलाये मेहमान के बारे में पति-पत्नी संवाद
पति – (सुबह टहलकर घर लौटा है।) अरी भाग्यवान, लगता है आज पड़ोसी अखबार पढ़ने नहीं आए।
पत्नी – नहींजी, वह आए थे।
पति – फिर तुमने क्या किया ?
पत्नी – मैंने चाय पिला दी।
पति – और ?
पत्नी – और अखबार दे दिया। बोले हैं, पढ़कर दे जाता हूँ।
पति – मैं तो तंग आ गया हूँ। सुबह-सुबह अखबार पढ़ने आ जाते हैं।
पत्नी – मुफ्त में चाय भी मिल जाती है।
पति – मन करता है कि अखबार वाले से कह दूँ कि अखबार उन्हीं के घर डाल दिया करे। मैं वहीं जाकर पढ़ लूँगा।
पत्नी – तो अखबार के बहाने उनके घर चाय पीने जाएँगे ?
पति – फिर पीछा छुड़ाने का और क्या उपाय है ?
पत्नी – रहने दीजिए, जैसा चल रहा है चलने दीजिए। शायद उन्हें अक्ल आ जाए।
पति – लगता तो नहीं है, खैर ! कुछ दिन देख लेते हैं। (तब तक अखबार हाथ में लिए यह आते दिखते हैं।)
2. मार्कशीट को लेकर पिता-पुत्री संवाद
पिताजी – बेटा सुमन, तुम्हारी अर्धवार्षिक परीक्षा की मार्कशीट मिली क्या ?
सुमन – जी पिताजी, आज ही मिली है।
पिताजी – जा दिखाओ, मैं भी देखू कि तुम्हारा परीक्षाफल कैसा है ?
सुमन – (बस्ते से मार्कशीट निकालकर पिता को देते हुए) लीजिए पिताजी।
पिताजी – (मार्कशीट देखकर) – अरे, इस बार तो तुम्हारी पिछली परीक्षा की अपेक्षा अच्छे अंक मिले हैं, शाबाश !
सुमन – जी पिताजी, परंतु सामाजिक विज्ञान में कुछ कम आए हैं।
पिताजी – कोई बात नहीं, विषय ही ऐसा है, बहुत विस्तृत है। इसे अच्छी तरह समझकर पढ़ो। उत्तर मत रटो। बार बार दुहराओ। अगली परीक्षा में इसमें भी अच्छे अंक मिलेंगे।
सुमन – जी पिताजी, ऐसा ही करूँगी। (मार्कशीट वापस लेकर)
सुमन – पिताजी, माँ को भी दिखा दूँ !
पिताजी – ‘हाँ, हाँ, दिखला दो। देखकर वह भी खुश होंगी। (सुमन माँ के पास जाने लगती है।)
3. ग्रीष्मावकाश के आयोजन को लेकर दो मित्रों में संवाद
विशाल – अरे मित्र रोहित ! अहमदाबाद की गरमी तो सहन नहीं हो रही है। गरमी की पूरी छुट्टी कैसे बीतेगी ?
रोहित – विशाल, बात तो तुम ठीक कह रहे हो, पर करें क्या, कोई दूसरा चारा भी तो नहीं है ? इतने पैसे भी तो नहीं है कि किसी पहाड़ी जगह पर कुछ दिन घूम आयें।
विशाल – उसकी चिंता मत करो। हमने महाबलेश्वर के ‘हॉली डे होम्स’ में दो कमरे बुक करा रख्ने हैं। वह हमें पंद्रह दिन के लिए मिल जाएगा।
रोहित – हमें तो वहाँ बस आस-पास पैदल चलकर देखना है। कुछ रुपयों का प्रबंध तो मैं कर सकता हूँ।
विशाल – तो आज ही कॉलेज से रेलवे कंसेशन पास निकलवा लेते हैं उससे टिकट पर छूट भी मिलेगी, जिससे कुछ रुपये किराये से बचेंगे।
रोहित – और मुझे खाना पकाना आता है, हम दोपहर का खाना स्वयं पका लेंगे।
विशाल – हाँ, हाँ, वहाँ खाना पकाने की अनुमति तथा सुविधा है। (थोड़ रूककर) और सुबह-शाम के नाश्ते के लिए कुछ नमकीन, सुखड़ी, जैसी चीजें घर से बनावाकर लेते चलेंगे।
रोहित – हाँ, इससे भी प्रवास का खर्च थोड़ा कम हो जाएगा।
विशाल – तो पक्का रहा, चलो घरवालों से मिलकर प्रवास की आगे की तैयारी करें।
रोहित – हाँ। अच्छा।।
4. स्त्री मतदाता और प्रत्याशी के बीच संवाद
प्रत्याशी – नमस्कार बहनजी।
स्त्री मतदाता – नमस्कार।
प्रत्याशी – इस बार मुझे वोट दीजिएगा।
स्त्री मतदाता – आप किस पार्टी से खड़े हैं ?
प्रत्याशी – मैं किसी पार्टी में नहीं हूँ, निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा हूँ।
स्त्री मतदाता – पिछली बार के प्रत्याशी जो वादा करके गए थे, उसे उन्होंने पूरा नहीं किया। जीत के बाद कभी हाल देखने भी नहीं आए और जब गाँव के जागरूक युवक उनसे मिलने जाते तब उनके कार्यकर्ता बहाना बनाकर टाल देते थे।
प्रत्याशी – नहीं जी, मैं केवल वादे नहीं कर रहा, पूरे करके भी दिखाऊँगा।
स्त्री मतदाता – ऐसा तो पहलेवाले भी कहते थे, पर…
प्रत्याशी – नहीं, नहीं, मैं वैसा नहीं हूँ, वह बाहरी था, मैं स्थानीय हूँ। मैं आपके बीच का रहनेवाला हूँ।
स्त्री मतदाता – ठीक है, हम सोच-समझकर फैसला लेंगे।
5. अध्यापक – विद्यार्थी संवाद (विषय के चयन को लेकर)
विद्यार्थी – सर, प्रणाम। मैं आपसे राय लेना चाहता हूँ।
अध्यापक – खुश रहो, किस बारे में राय लेनी है।
विद्यार्थी – ग्यारहवीं कक्षा में विषय के चुनाव को लेकर।
अध्यापक – इसमें कठिनाई कहाँ है ? कुछ विषय तो अनिवार्य ही हैं।
विद्यार्थी – जी, सर !
अध्यापक – अनिवार्य विषयों के अलावा कौन-से विषय चनने हैं ?
विद्यार्थी – हिन्दी, अंग्रेजी तो अनिवार्य हैं। बाकी के विषयों में से चुनना है। मैं विज्ञान के विषय लेना चाहता हूँ।
अध्यापक – विज्ञान के विषयों के दो वर्ग हैं – (1) गणित के वर्ग में गणित के साथ दो भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र या कम्प्यूटर ले सकते हो। या फिर गणित छोड़कर जीवविज्ञान के साथ भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान या कम्प्यूटर ले सकते हो।)
विद्यार्थी – मुझे कम्प्यूटर पसंद है, पर गणित नहीं।
अध्यापक – तब तो तुम्हें जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान या रसायन विज्ञान और कम्प्यूटर विज्ञान ही लेने पड़ेंगे। फिर भी अपने घर पर सलाह ले लेना।
विद्यार्थी – जी सर, धन्यवाद।
अध्यापक – तुम्हारा स्वागत है।
6. महँगाई के बारे में दो महिलाओं के बीच के संवाद
विनीता – अरे विशाखा, इतनी धूप में कहाँ गई थी ?
विशाखा – नमस्ते दीदी, बच्चों की स्टेशनरी लेने बाजार गई थी, सुबह-शाम तो दुकान पर बड़ी भीड़ होती है। (कुछ रूककर) पर दीदी नोटबुक, पेन्सिल आदि महँगी हो गई हैं। जिसके दो बच्चे पढ़नेवाले हों, उन्हें तो बड़ी तकलीफ होगी।
विनीता – हाँ, यह तो है। अपने समाज द्वारा राहतदर पर नोटबुक मिल रही है, वहाँ से क्यों नहीं ले लेती।
विशाखा – गई थी लेने, पर उस नोटबुक का कागज बहुत खराब है, साइज भी ठीक नहीं है। महँगाई के मारे गरीब उसे लेता जरूर है, पर बेमन से।
विनीता – महँगाई की तो बात ही मत कर, शाक-सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं। अनाज, दालों के भाव में मानो आग लगी हुई है।
विशाखा – दीदी, सरकार महँगाई कम करने के लिए कुछ करती क्यों नहीं ?
विनीता – सरकार ! सरकार की महिमा तो और भी न्यारी है। डीजल, पेट्रोल के दाम प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, सरकार उन्हें रोकना तो दूर रहा ऊपर से टैक्स तथा वैट बढ़ाकर अपनी तिजोरी भर रही है।
विशाखा – पर इससे मार तो बिचारी जनता पर ही पड़ रही है न !
विनीता – मरना तो आम जनता को ही है। डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ने से यातायात, ढुलाई महँगी हो रही है और रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।
विशाखा – सरकार तो महँगाई घटाने के नाम पर ही चुनकर आई थी।
विनीता – वह बात और है, हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और। अब तो सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
विशाखा – इस देश का मालिक तो भगवान ही है, और हम भी भगवान भरोसे !
7. यात्री और कंडक्टर के बीच संवाद
यात्री – कंडक्टर साहब, बस रूकवाइए मुझे उतरना है।
कंडक्टर – उतरना है तो आगेवाले गेट पर पहुँचिए।
यात्री – कैसे पहुँचूँ, रास्ते में बड़ी भीड़ है !
कंडक्टर – आप कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री तो हैं नहीं कि आपके लिए रास्ता खाली कराया जाए। रास्ता बनाते हुए आगे निकलिए।
यात्री – तब तक तो बस स्टैंड निकल जाएगा ? रूकवाइए न।
कंडक्टर – देखिए, जल्दी आगे निकलिए, मैं पिछले गेट से नहीं उतारूँगा।
यात्री – अरे, बस रुकवाइए।
कंडक्टर – ब्रेक ड्राइवर के पास है, मेरे पास नहीं। आप गेट पर पहुँचिए, ड्राइवर रोक देगा।।
यात्री – अरे, मेरा स्टैंड तो निकल गया, फौरन रुकवाइए।
कंडक्टर – आगे निकलिए और अब अगले स्टैंड पर उतरकर लौट आइएगा।
यात्री – मैं तुम्हारे खिलाफ शिकायत करूँगा।
कंडक्टर – खुशी से। पिछले गेट से तो नहीं ही उतारूँगा। (यात्री रास्ता बनाता हुआ आगे निकलता है।)
स्वयं करें
- आइ.पी.एल. फाइनल मैच (2018) के बारे में दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए।
- प्रात:काल टहलने और व्यायाम से होनेवाले लाभ के बारे में अध्यापक और शिष्य के बीच होनेवाले संवाद की कल्पना कीजिए।
- महिलाओं पर बढ़ रहे घरेलू अत्याचार की रोकथाम के विषय में दो या अधिक महिला कार्यकर्ताओं के बीच संभावित संवाद को लिखिए।
- वार्षिक परीक्षा की तैयारी को लेकर बड़ी बहन तथा छोटेभाई के बीच होनेवाले संवाद की कल्पना कीजिए।