Gujarat Board GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 7 बादल को घिरते देखा है Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi Textbook Solutions Chapter 7 बादल को घिरते देखा है
GSEB Std 12 Hindi Digest बादल को घिरते देखा है Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उनके नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए।
प्रश्न 1.
कवि ने अमल-धवल गिरि के शिखरों पर किसको घिरते देखा है?
(क) सूर्य को
(ख) बादल को
(ग) चंद्र को
(घ) बारिश को
उत्तर :
(ख) बादल को
प्रश्न 2.
कवि ने छोटे-छोटे मोती जैसे कणों को मानसरोवर में कहाँ पर गिरते देखा है ?
(क) स्वर्ण कमल पर
(ख) बादलों पर
(ग) फूलों पर
(घ) हरी घास पर
उत्तर :
(क) स्वर्ण कमल पर
प्रश्न 3.
जब बादल को घिरते देखा, तब किस ऋतु का प्रभाव था?
(क) वर्षा
(ख) हेमंत
(ग) वसंत
(घ) शिशिर
उत्तर :
(ग) वसंत
प्रश्न 4.
कवि ने मानसरोवर के श्याम नील सलिल में किसको तैरते देखा है ?
(क) मछलियाँ को
(ख) हंसों को
(ग) बगुलों को
(घ) भैंसों को
उत्तर :
(ख) हंसों को
2. निानलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए:
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता किस दृष्टि से अधिक महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर :
‘बादल को घिरते देखा है’ कविता प्रकृति के सौंदर्य वर्णन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2.
इस कविता का रचनाकाल क्या है?
उत्तर :
‘बादल को घिरते देखा है’ कविता का रचना-काल पावस ऋतु अर्थात् वर्षाऋतु है।
प्रश्न 3.
कवि ने कमल को किस रंग का बताया है ?
उत्तर :
कवि ने कमल को सुनहरे रंग का बताया है।
प्रश्न 4.
प्रस्तुत कविता में कवि ने किसका परिवेश प्रस्तुत किया है ?
उत्तर :
‘बादल को घिरते देखा है’ कविता में कवि ने हिमालय के मानसरोवर और पर्वत-शिखरों का परिवेश प्रस्तुत किया है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्यों में दीजिए ।
प्रश्न 1.
कविता के प्रथम चरण में क्या दृश्य है?
उत्तर :
‘बादल को घिरते देखा है’ कविता के प्रथम चरण में निर्मल-सफेद बर्फ से आच्छादित पर्वत-शिरवर पर बादल घिर आए हैं। तथा मानसरोवर झील में खिले हुए कमल के सुनहरे फूलों पर छोटीछोटी मोती जैसी शीतल बूंदें गिर रही हैं।
प्रश्न 2.
हंस किससे ऊबकर शीतलता प्राप्त करने हिमालय पर आते हैं ?
उत्तर :
पावस की ऋतु की उमस बहुत कष्टदायक होती है। हंस पावस ऋतु की उमस से ऊबकर शीतलता प्राप्त करने हिमालय पर आते हैं।
प्रश्न 3.
बासंती सुबह में सरोवर के किनारे शैवालों की हरी दरी पर किसके प्रणय-कलह का दृश्य है?
उत्तर :
बासंती सुबह में सरोवर के किनारे शैवालों की हरी दरी पर चकवा और चकवी के प्रणय-कलह का दृश्य है।
प्रश्न 4.
कवि ने किरणों और शिखर को कैसा बताया है ?
उत्तर :
‘बादल को घिरते देखा है’ कविता में कवि ने सुबह के बाल-सूर्य की किरणों और शिखर पर इन किरणों के पड़ते सुनहरे प्रकाश का वर्णन किया है। कवि ने किरणों को मृदु तथा शिखर को स्वर्णाभ अर्थात सोने की आभा जैसा बताया है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाँच-छ: पंक्तियों में लिखिएः
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में कवि की सौंदर्य की नैसर्गिता का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :
‘बादल को घिरते देखा है’ कविता में कवि नागार्जुन ने प्रकृति के कई मनोहर चित्र खींचे हैं। हिमालय के उज्ज्वल शिखर तो देखते ही बनते हैं। उन पर पावस ऋतु के बादलों को घिरना भी बड़ा मनोरम लगता है। मानसरोवर झील में सुनहरे कमल खिले हुए हैं। उन। पर बादलों से गिरते मोती जैसे जलकण अपूर्व शोभा प्रदान करते हैं। झीलों में तैरते हए हंसों को देखना अच्छा लगता है। वसंत के प्रभाव की सुंदरता निराली है। मंद-मंद, शीतल पवन का स्पश बड़ा सुहावना लगता है। बाल-सूर्य की कोमल किरणों का सुनहरा प्रकाश पर्वत-शिखरों को भी स्वर्णिम बना देता है। इस प्रकार कविता में वर्णित सौंदर्य की नैसर्गिकता अत्यंत स्वाभाविक और हृदयस्पर्शी है।
प्रश्न 2.
कवि ने किन रंगों के संयोजन से इन्द्रधनुषी प्रभाव पैदा किया है ?
उत्तर :
कवि देखते हैं कि मानसरोवर झील में कमल के सुनहरे फूल खिले हुए हैं। उन पर बर्फ से आच्छादित चोटियों पर घिरे हुए बादलों से मोती-से जलकण गिर रहे हैं। आसपास की झीलों में कमलनालों की लालिमा लिए हुए आभा बिखर रही है। सुबह बाल-सूर्य की सुनहरी किरणे पर्वत-शिखरों पर गिरकर उन्हें भी सुनहरा बना रही हैं। मानसरोवर के पानी में शैवालों की हरी दरी-सी बिछी हुई है। इस प्रकार कवि ने कविता में लाल, श्वेत, स्वर्णिम, नील-श्यामला, हरा आदि रंगों का प्रयोग करके इन्द्रधनुषी प्रभाव पैदा किया है।
प्रश्न 3.
कविता में कवि की कल्पना और भावुकता का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कवि देखते हैं कि मानसरोवर झील पर पावस ऋतु के बादल छाए हुए हैं। उनसे गिरते जलकण कवि को मोती जैसे लगते हैं। हिमालय की पहाड़ियों पर कई छोटी-मोटी झोले हैं। कवि उन झीलों में तैरते हुए हंसों को देखता है। वह कल्पना करता है कि शायद वर्षाऋतु की उमस से व्याकुल होकर वे हंस अपनी तपन मिटाने के लिए उन झीलों में तैरने आए हों और कमलनाल के तीखे-मीठे तंतु खोज रहे हों। रात के समय का चकवा-चकवी का वियोग कवि को भावुक बना देवा है। उसे लगता है, यह कैसा शाप है, जिसके कारण वे रात में एक-दूसरे से अलग रहने के लिए विवश हो जाते हैं। सुबह होते उन वियोगी पक्षियों के क्रंदन की समाप्ति और फिर उनका मिलन कवि की भावना को आनंद प्रदान करता है।
5. आशय स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
बालारुण की मुद् किरणें थीं। अगल-बगल स्वर्णाभ शिखर थे।
उत्तर :
बाल्यावस्था में सूर्य का गोला धीरे-धीरे पर्वत-शिखरों के बीच उभरकर ऊपर उठता हुआ दिखाई दे रहा था। सूर्य की कोमल सुनहरी किरणों से पर्वत-शिखर सोने की भाँति चमक रहे थे। सूर्योदय हो गया था। सूर्योदय का यह समय चकवा-चकवी पक्षियों के लिए वरदान स्वरूप था। उनके विरह की रात समाप्त हो गई थी। उनका क्रंदन बंद हो गया था। वे रातभर के बिछोह के बाद अब फिर एक-दूसरे मिलकर प्रणय-कलह में लीन थे।
GSEB Solutions Class 12 Hindi बादल को घिरते देखा है Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सविस्तार (पाँच-छ: वाक्यों में) लिखिए :
प्रश्न 1.
चकवा-चकवी के प्रणय के बारे में कवि ने क्या लिखा है?
उत्तर :
चकवा-चकवी विचित्र पक्षी हैं। उन्हें चिरकाल से रात्रि के समय एक-दूसरे से अलग रहने का शाप मिला हुआ है। इसलिए ये पूरी रात एक-दूसरे से अलग रहकर विरह में क्रंदन करते रहते हैं। सुबह होते ही शाप का प्रभाव खत्म हो जाता है। इसी के साथ इनके विलाप की भी समाप्ति हो जाती है। कवि भावनाशील प्राणी है। उसे इस पक्षी को मिला यह शाप व्यथित कर देता है। प्रात:काल उनका विरह-कंदन बंद होने पर कवि को भी एक प्रकार की सुख की अनुभूति होती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
मानसरोवर में कमलों के ऊपर क्या गिरने से चित्र मनमोहक लगता है?
उत्तर :
मानसरोवर में कमलों के ऊपर बादलों से गिरते मोती जैसे जलकणों के कारण चित्र मनमोहक लगता है।
प्रश्न 2.
हंस झीलों में क्या खोजते हैं?
उत्तर :
हंस झीलों में तीखे और मीठे तंतुओं को खोजते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
ऋतु वसंत का सुप्रभात था … (काव्य-पक्ति पूर्ण कीजिए।)
A. सारी रात बितानी होती
B. मंद-मंद था अनिल बह रहा
C. छोटे-छोटे मोती जैसे
D. तुंग हिमालय के कंधों पर
उत्तर :
B. मंद-मंद था अनिल बह रहा
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची (समानार्थी) शब्द लिखिए :
- अमल = निर्मल
- धवल = उज्चल, श्वेत
- शिखर = चोटी, शृंग
- तुहिन = बरफ, हिम
- सलिल = जल
- पावस = वर्षाऋतु
- आकुल = बेचैन
- तिक्त = तीखा
- तिरना = तैरना
- अनिल = पवन
- मृदु = कोमल
- विरहित = अलग
- निशा (निशाकाल) = रात
- चकवा = चक्रवाक
- क्रंदन = रोना
- सरवर – झील
- शैवाल = सेवार
- कलह = झगड़ा
निम्नलिखित शब्दों के विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द लिखिए :
- अमल × समल (कोश)
- शीतल × उष्ण
- श्यामल × उज्ज्वल
- सम × विषम
- मधुर × कटु
- सुप्रभाव × कुप्रभाव
- मंद × तीव्र
- मृदु × कठोर
- रात × दिन
- महान × लघु
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- आकुल = आ (उपसर्ग) + कुल
- सुप्रभाव = सु (उपसर्ग) + प्र + भाव
- बेबस = बे (उपसर्ग) + बस
निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानिए :
प्रश्न 1.
- धवलगिरि के शिखरों पर बादल को घिरते देखा है।
- सूर्य की स्वर्णिम किरणों को मानसरोवर के कमलों पर गिरते
- बालारुण की मृदु किरणें थीं।
उत्तर :
- धवल – गुणवाचक विशेषण
- स्वर्णिम – गुणवाचक विशेषण
- मृदु – गुणवाचक विशेषण
निम्नलिखित शब्दसमूहों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
- जिसमें मल न हो – अमल, निर्मल
- पर्वत का सबसे ऊपर का भाग – शिखर
- हिमालय पर स्थित पवित्र झील – मानसरोवर
- सोने जैसी आभावाला – स्वर्णाभ
- हवा न चलने से मालूम होनेवाली गरमी – उमस
- अच्छा प्रभाव – सुप्रभाव
- प्रभात का सूर्य – बालारुण
- जिसे शाप मिला है – अभिशापित
- रात का समय – निशाकाल
- पानी के भीतर की घास – शैवाल
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
- यहाँ छोटा-बड़ा कई झील है।
- अनिल मंद-मंद बह रहा था।
- वो पक्षी मानसरोवर पर तैर रहे थे।
- आखी रात यहीं बिताना होगा।
- तुम तुम्हारा काम करो।
- उनकी हिन्दी मातृभाषा नहीं है।
- मैं बादल को घिरते देखा है।
- यह हिमगिरि को शिखर है।
उत्तर :
- यहाँ छोटी-बड़ी कई झीलें हैं।
- मंद-मंद अनिल बह रहा था।
- वे पक्षी मानसरोवर में तैर रहे थे।
- सारी रात यहीं बितानी होगी।
- तुम अपना काम करो।
- हिन्दी उनकी मातृभाषा नहीं है।
- मैंने बादल को घिरते देखा है।
- ये हिमगिरि के शिखर हैं।
बादल को घिरते देखा है Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
कवि को हिमालय दर्शन के दौरान हिमालय के अपने ढंग के प्राकृतिक सौंदर्य के निराले दर्शन होते हैं। कवि को पर्वत-शिखरों पर छाए हुए बादलों मानसरोवर में फूले हुए कमल के फूलों पर गिरती हुई बूदो, सरोवर के जल में तैरते पावस की उमस मिटाते हंसों को देखने का सौभाग्य मिलता है। इनके अलावा उन्हें रात्रि-विरह के पश्चात् सूर्योदय के साथ चकवा-चकवी पक्षी का अदभुत मिलन और प्रणय-कलह देखने को मिलता है।
कविता का सरल अर्थ :
अमल धवल ………. घिरते देखा है।
कवि हिमालय पर्वत के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि मैंने निर्मल, स्वच्छ, उज्ज्वल (बर्फ से आच्छादित) पर्वत की चोटियों पर बादलों को घिरते हुए देखा है। वे कहते हैं कि मैंने बादल से छोटे-छोटे मोती जैसे शीतल, बर्फीले जल कणों को मानसरोवर झील में कमल के खिले हुए सुनहरे फूलों पर गिरते हुए देखा है। मैंने शिखरों पर बादलों को घिरते हुए देखा है।
छोटी-बड़ी कई ………. घिरते देखा है।
कवि कहते हैं कि हिमालय की पहाड़ियों में कई छोटी-बड़ी झीलें हैं। इन झीलों के समतल क्षेत्रों में हल्के काले और नीले जल में वर्षाऋतु की उमस से व्याकुल होकर आए हंसों को मैंने अपनी तपन मिटाने के लिए तैरते हुए पानी में कमलनाल के तीखे (तीते) और मीठे तंतुओं को खोजते हुए देखा है। मैंने शिखरों पर बादलों को घिरते हुए देखा है।
ऋतु वसंत का ………. घिरते देखा है।
कवि सरोवर के तट के सुनहरे प्रभात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वसंत का यह सुंदर सवेरा था। मंद-मंद शीतल हवा चल रही थी। बाल-सूर्य की कोमल-कोमल किरणें चारों ओर फैल रही थीं। उनका सुनहरा प्रकाश पर्वत-शिखरों पर पड़ रहा था। इसलिए ये शिखर सुनहरी आभा से चमक रहे थे। ये शिखर अगल-बगल ही थे।
सुबह होते ही उन विरह-विवश चकवा-चकवी का क्रंदन बंद हो गया। चकवाचकवी को चिरकाल से रात्रि के समय एक-दूसरे से अलग रहने का शाप मिला हुआ है, इसलिए इन्हें पूरी रात एक-दूसरे से अलग रहकर विरह में बितानी पड़ती है। सुबह होने पर शाप का प्रभाव खत्म हुआ तो इस पक्षी जोड़े का विलाप भी खत्म हो गया। कवि कहते हैं कि फिर मैंने उस महान सरोवर के तट पर शैवालों की हरी मखमली दरी पर चकवा- चकवी का प्रणय कलह छिड़ते देखा था। मैंने पर्वत-शिखरों पर बादल को घिरते हुए देखा है।
बादल को घिरते देखा है शब्दार्थ :
- अमल – मल रहित, निर्मल।
- धवल – उजला, सफेद।
- गिरि – पहाड़।
- शिखर – पर्वत की चोटी।
- तुहिन – तुषार, बर्फ।
- मानसरोवर – मानसरोवर झील।
- स्वर्णिम – सुनहरी
- झील – प्राकृतिक जलाशय, सरोवर ।
- श्यामल – हल्का काला।
- नील – नीला।
- सलिल – पानी।
- पावस – वर्षा।
- उमस – वह गरमी जो हवा न चलने पर होती है।
- आकुल – व्यग्र, घबराया हुआ।
- तिक्त – तीता, तीखा।
- मधुर – मीठा।
- विसतंतु – कमलनाल के तंतु।
- तिरते – तैरते।
- वसंत – वसंतऋतु।
- सुप्रभात – अच्छा प्रभात।
- अनिल – पवन।
- बालारुण – सुबह का सूर्य।
- मृदु – कोमल, मुलायम।
- अगल-बगल – पास-पास।
- स्वर्णाभ – सोने की सी आभा या चमकवाला।
- विरहित – विरहवाला।
- निशाकाल – रात्रि का समय।
- चिर – बहुत।
- अभिशापित – जिसे शाप दिया गया हो।
- चकवा-चकई – एक जल पक्षी, जो रात में अपने जोड़े से दूर हो जाता है।
- क्रंदन – विलाप।
- सरवर – सरोवर।
- तीरे – किनारे।
- शैवाल – सेवार।
- हरी दरी – हरे रंग के मोटे सूतों से बना एक बिछावन, सतरंजी।
- प्रणय – प्रेम। कलह-झगड़ा, विवाद।