Gujarat Board GSEB Solutions Class 6 Hindi Chapter 6 न्याय Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 6 Hindi Chapter 6 न्याय
GSEB Solutions Class 6 Hindi न्याय Textbook Questions and Answers
न्याय अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
अली ख्वाज़ा ने मोहरें तेल में क्यों छुपाई होंगी?
उत्तर :
तेल के रंग के कारण मोहरें दिखाई न पडें, इसलिए अली ख्वाजा ने मोहरें तेल में छुपाई होंगी।
प्रश्न 2.
मित्र के साथ हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए?
उत्तर :
मित्र के साथ सच्चाई और ईमानदारी से भरा व्यवहार करना चाहिए। मित्र के साथ हमें कभी छल – कपट और विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 3.
वाज़िद और हसन की जगह आप होते तो क्या करते?
उत्तर :
वाजिद की जगह मैं होता तो अपने मित्र के साथ विश्वासघात न करता।
अगर मैं हसन की जगह होता तो मैं भी उसीकी तरह घटना की पूरी छान – बीन करता और युक्ति से अली ख्वाजा को न्याय दिलाता।
2. नीचे लिखे संदर्भ में कहानी के पात्रों के संवाद कक्षा में बुलवाइए :
प्रश्न 1.
अली ख्वाजा और वाज़िद (जब अली ख्वाज़ा तेल का घड़ा रखने आया)
उत्तर :
अली ख्वाजा और वाजिद (जब अली ख्वाजा तेल का घड़ा रखने आया।)
वाजिद : आओ, आओ, अली भाई, कहिए, क्या बात है?
अली ख्वाजा : वाजिद भाई, बात यह है कि अल्लाह के शुक्र से मैं मक्का जा रहा हूँ। सारी तैयारी हो गई है। यह तैल से भरा घड़ा है। मैं चाहता हूँ कि इसे आप अपने यहाँ रख लें। जब मैं वापस आऊँगा, तब ले लूँगा।
वाजिद : हाँ, हाँ, कोई बात नहीं, यह लीजिए मेरे तहखाने की चाबी। वहाँ घड़ा रख आइए। जब लौटें तब, वहाँ से ले जाएँ।
अली ख्वाजा : शुक्रिया।
प्रश्न 2.
अली ख्वाज़ा और वाज़िद का झगड़ा
उत्तर :
अली ख्वाजा : अरे वाजिदभाई, तेल के इस घड़े में मेरी पाँच सौ मोहरें थी, वे इसमें नहीं हैं।
वाजिद : अलीभाई, आप हमारे यहाँ तेल से भरा घड़ा रख गए थे। वह वैसे का वैसा आप वापस आकर ले गए। यह मोहरों की बात कहाँ से आ गई?
अली ख्वाजा : मोहरें घड़े के अंदर थीं। मैंने उनका जिक्र करने की जरूरत नहीं समझी। लेकिन अभी देखा तो उसमे तेल है, पर मोहरें नहीं हैं।
वाजिद : देखिए, आप तहखाने में जिस जगह जैसा घड़ा रख गए थे, वैसा आपको मिल गया। इसके सिवा मैं कुछ नहीं जानता।
अली ख्वाजा : उसमें मोहरें नहीं है, इसका मतलब आपने मोहरें चुरा ली हैं।
वाजिद : अली, एक तो मैंने आपका तेल रखा और ऊपर से चोरी का इल्जाम! शर्म नहीं आती आपको?
अली ख्वाजा : शर्म तो तुमको आनी चाहिए, दोस्त और पड़ोसी के साथ धोखेबाजी करते हुए। मोहरें चुरा ली और अब बड़े साहूकार बनते हो !
वाजिद : जो चीज थी ही नहीं, उसकी चोरी का सवाल ही पैदा नहीं होता। तुम्हारे इल्जाम लगाने से मैं चोर नहीं बन जाता।
प्रश्न 3. हसन ने क्या सूझ-बूझ दिखाई थी, कक्षा में चर्चा कीजिए और लिखिए।
उत्तर:
शिक्षक : रमण, हसन ने वाजिद की चोरी पकड़ने के लिए क्या किया?
रमण : गुरुजी, वाजिद की चोरी पकड़ने के लिए हसन ने दो तेलियों को बुलाया।
शिक्षक : हसन ने तेलियों को क्यों बुलवाया?
दीपक : गुरुजी, तेली ही बता सकते थे कि घड़े में भरा तेल कितना पुराना है।
शिक्षक : तो तेलियों ने तेल के बारे में पता कैसे लगाया?
सौरभ : गुरुजी, तेलियों ने तेल को चखकर तथा सूंघकर बताया कि घड़े में भरा तेल दो महीने पुराना है। अली ख्वाजा छः महीने पहले गया था। उसका भरा हुआ तेल होता तो छः महीने पुराना होता। इसका अर्थ यह हुआ कि वाजिद ने पुराना तेल निकालकर नया तेल भरा था। पुराना तेल निकालने पर उसे मोहरें जरूर मिलीं होंगी।
शिक्षक : इस तरह हसन ने बड़ी चतुराई से वाजिद की चोरी पकड़ ली।
न्याय स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
वाजिद को कैसे पता चला कि बर्तन में मोहरें हैं?
उत्तर :
वाजिद जब घड़े की सील तोड़कर तेल निकालने लगा, तब घड़े से सिक्कों की आवाज़ आई। उसे लगा कि घड़े में तेल के नीचे कुछ है। इसलिए उसने सारा तेल दूसरे बर्तन में निकाल लिया। इस तरह वाजिद के बर्तन में मोहरों का पता चला।
प्रश्न 2.
अली ख्वाज़ा और वाज़िद के बीच झगड़ा क्यों हुआ?
उत्तर :
वाजिद ने अली ख्वाजा के घड़े से तेल निकालने के साथ उसमें रखी मोहरें भी निकाल लीं। तेल तो उसने फिर से भर दिया पर मोहरें चुरा लीं। अली ख्वाजा ने मक्का की यात्रा से लौटकर अपना घड़ा देखा तो उसमें मोहरें नहीं थीं। उसने मोहरों के बारे में वाजिद से पूछा तो वाजिद ने मोहरें चुराने से साफ इन्कार किया। इसलिए उन दोनों के बीच झगड़ा हुआ।
प्रश्न 3.
खलीफ़ा ने हसन को अपने दरबार में क्यों बुलाया?
उत्तर :
एक दिन खलीफा अपना भेष बदलकर शहर में घूम रहे थे। एक जगह उन्होंने कुछ लड़को को ‘न्यायालय का खेल’ खेलते हुए देखा। वे छिपकर उनका खेल देखने लगे। जो लड़का न्यायाधीश बना था, उसकी समझदारी और निर्णय करने की पद्धति उन्हें बहुत अच्छी लगी।
उन्हें लगा कि अली ख्वाजा और वाजिद के झगड़े को यह लड़का सुलझा सकता है। इसलिए उन्होंने हसन को अपने दरबार में बुलाया।
प्रश्न 4.
तेलियों की बात सुनकर वाज़िद क्यों घबराया?
उत्तर :
तेलियों ने घड़े के तेल को देख, चख और सूंघकर बताया कि वह दो महीने पुराना है। अली ख्वाजा ने घड़े में छः महीने पहले तेल भरा था। इससे साबित हो गया कि वाजिद ने अली का तेल निकालकर बाद में उसमें दूसरा तेल भरा। पुराना तेल निकालने पर उसे घड़े में रखी मोहरें जरूर मिली होंगी। तेलियों की बात सुनकर अली को लगा कि उसकी चोरी पकड़ी जाएगी, इसलिए वह घबरा गया।
प्रश्न 5.
तेलियों ने कैसे सच्चा निर्णय किया?
उत्तर :
तेलियों को तेल की अच्छी परख थी। कौन – सा तेल कितने समय का है, इसे वे आसानी से बता सकते थे। उन्होंने घड़े के तेल को देखा, सूंघा और चखा। उन्होंने बताया कि घड़े का तेल दो महीने से ज्यादा पुराना नहीं है। इस प्रकार, तेल की गंध और स्वाद की पहचान कर तेलियों ने घड़े के तेल के बारे में सच्चा निर्णय किया।
प्रश्न 6.
वास्तविकता जानने पर खलीफ़ा ने क्या निर्णय किया?
उत्तर :
हसन की सूझबूझ से तेल के बारे में वास्तविकता का पता चल गया। इससे खलीफा को न्याय के लिए सबूत मिल गया। उन्होंने वाजिद को अली ख्वाजा की मोहरें वापस करने का आदेश दिया। इसके साथ ही उन्होंने विश्वासघात के अपराध के लिए वाजिद को सजा सुनाई। खलीफा ने बुद्धिमान हसन को बहुत – सा पुरस्कार दिया।
2. निम्नलिखित वाक्य कौन किसे कहता है, लिखिए :
(1) यह तेल का घड़ा मैं आपके घर रखकर जाना चाहता हूँ।
(2) आप अपना घड़ा तहखाने में रख आइए।
(3) आप काज़ी की अदालत में जाइए।
(4) आप इस घड़े की जाँच कीजिए।
(5) हुजूर, मैं तो छ: महीने पहले मक्का की यात्रा करने गया था।
उत्तर :
(1) अली ख्वाजा वाजिद से कहता है।
(2) वाजिद अली ख्वाजा से कहता है।
(3) लोग अली ख्वाजा से कहते हैं।
(4) हसन तेलियों से कहता है।
(5) अली ख्वाजा खलीफा से कहता है।
प्रश्न 3.
(क) आपने किए हुए प्रवास का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर :
15, आनंदनिवास,
कालबादेवी रोड,
मुंबई – 400 002।
24 दिसंबर, 2012
प्रिय मित्र शैलेश,
सप्रेम नमस्कार।
कल ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारी दीदी की सगाई की खबर पढ़कर बहुत खुशी हुई।
पिछले रविवार को हम कुछ मित्रों ने एक प्रवास का आयोजन किया था। सुबह नौ बजे हम सब मित्र गेट वे ऑफ इंडिया पहुँच गए। वहाँ एक मोटर बोट में बैठकर हम एलिफेंटा के लिए चल दिए। ठंडी – ठंडी हवा की लहरों ने हमारे तन – मन को पुलकित कर दिया। लगभग एक घंटे की जलयात्रा के बाद हम एलिफेंटा पहुंचे।
एलिफेंटा का वास्तविक नाम धारापुरी है। हमने वहाँ की प्राचीन गुफाएँ देखीं। कई गुफाओं में बुद्ध की प्रतिमाएँ हैं। एक गुफा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति है। उसने हम सबका मन मोह लिया। हमने वहाँ के एक होटल में खाना खाया। कुछ समय हमने विश्राम करने और खेलने में बिताया। शाम को पाँच बजे हम मुंबई लौट आए।
हमारा यह एक दिवसीय पर्यटन बहुत ही मजेदार रहा। उसकी याद आज भी हमारे मन को प्रसन्न कर देती है।
अपने मातापिता से मेरा प्रणाम कहना। शीला दीदी को बधाई।
तुम्हारा मित्र,
सुरेश
(ख) क्या तुम्हारे साथ भी कभी कोई ऐसी घटना घटी है कि तुम्हें न्याय के लिए किसी के पास जाना पड़ा हो? उस घटना को विस्तार से लिखिए।
उत्तर :
एक बार मैं अपनी छोटी बहन मीनल के साथ मेले में गया था। मेला हमारी गली में ही लगा था। माँ ने हम दोनों को दस – दस रुपये दिए थे। मेरे बटुए में दस रुपये का एक नोट पहले से पड़ा था। यह दस का नोट मिलने पर दस रुपये के दो नोट अर्थात् बीस रुपये हो गए।
मेले में हमने दस – दस रुपये की कुल्फी खाई। मैंने अपना बटुआ खोला और उसमें से एक दस का नोट निकालकर कुल्फीवाले को दे दिया। मीनल ने अपना बटुआ खोला तो वह खाली था। उसने मेरे बटुए में पड़ा नोट देख लिया था। उसे लगा कि मैंने उसका दस रुपये का नोट ले लिया है, नहीं तो मेरे पास दो नोट कहाँ से आए?
अपने बटुए में नोट न देखकर मीनल रुआंसी हो गई। बोली, “लगता हैं, मेरा नोट तूने ले लिया है। अब मैं कुल्फी का पैसा कहाँ से दूँ?” मैंने उसे समझाया कि दूसरा दस रुपये का नोट मेरे बटुए में पहले से है, पर वह न मानी और मुझे झूठा बताने लगी। मैंने अपने बटुए से नोट कुल्फीवाले को दिया और मीनल को लेकर माँ के पास आया।”
मैंने माँ से कहा, “माँ, देखो मीनल मुझे झूठा कह रही है। आपने जो दस का नोट दिया था, वह इसने कहीं गिरा दिया। अब अपनी गलती के लिए मुझे दोष दे रही है। माँ, अब तू ही इसको समझा।”
मीनल अभी भी रो रही थी और मुझे झूठा साबित कर रही थीं। माँ ने उससे कहा, “अरी पगली, टेबल पर देख, वह क्या पड़ा है।” माँ का दिया हुआ नोट मीनल टेबल पर ही भूल गई थी। वह नोट उसने बटुए में डाला ही नहीं था, तो मिलता कैसे!
अब मीनल को अपनी भूल का पता चला। उसने मुझसे क्षमा माँगी।
(ग) कहानी की प्रमुख घटनाओं को इस क्रम में लिखो कि पूरी कहानी स्पष्ट हो सके, जैसे
ईराक में व्यापारी अली ख्वाजा के पास एक हजार सोने की मुहरें इकट्ठा होना।
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उत्तर :
- पाँच सौ मोहरों को तेल से भरे घड़े में रखना।
- उस घड़े को मित्र वाजिद के तहखाने में रख आना और मक्का की यात्रा पर निकल जाना।
- जरूरत पड़ने पर वाजिद द्वारा घड़े में से तेल निकालना और मोहरों को चुरा लेना
- अली ख्वाजा और वाजिद में झगड़ा। खलीफा से न्याय माँगना।
- खलीफा का भेष बदलकर नगर में निकलना और हसन का मिलना।
- हसन द्वारा तेलियों को बुलाना और मोहरों की चोरी का पता चलना।
- अली ख्वाजा को मोहरें वापस मिलना, वाजिद को सजा।
4. निम्नांकित कहानी के चित्र एवं वाक्य उलट-पुलटकर दिए गए हैं, उसको पढ़कर कहानी का निर्माण कीजिए और उचित शीर्षक दीजिए :
शेर की नींद खुल गयी और उसने गुस्से से चूहे को पंजे में पकड़ लिया। चूहा रोते-रोते बोला, “कृपा करके मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”
जाल में फँसते ही शेर दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ सुनकर चूहा वहाँ आया। शेर को जाल में फँसा देखकर अपने साथियों को बुलाकर चूहे ने शेर को जाल से छुड़ाया।
एक दिन जंगल में एक शेर आराम से सो रहा था। शेर जहाँ सो रहा था उसके पास एक बिल था। जिसमें एक चूहा रहता था।
शेर को चूहे और उसके साथियों ने जाल से छुड़ाया और शिकारी से बचाया। उस दिन से शेर और चूहा मित्र बन गये। साथ में खेलने लगे।
शेर को सोया हुआ देखकर चूहा उसके पास गया। वह शेर के शरीर पर चढ़ा और नाचने लगा।
एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार करने आया। उसने सिंह का शिकार करने के लिए जाल बिछाया।
उत्तर :
नोंध : उलट – पुलट वाक्यों तथा चित्रों के लिए पाठ्यपुस्तक देखें।
एक दिन जंगल में एक शेर आराम से सो रहा था। शेर जहाँ सो रहा था, . उसके पास एक बिल था, जिसमें एक चूहा रहता था।
शेर को सोया हुआ देखकर चूहा उसके पास गया। वह शेर के शरीर पर चढ़ा और नाचने लगा।
शेर की नींद खुल गई और उसने गुस्से से चूहे को पंजे में पकड़ लिया। चूहा रोते – रोते बोला, “कृपा करके मुझे छोड दो, (किसी दिन) तुम्हारी मदद करूँगा।”
एक दिन एक शिकारी जंगल में शिकार करने आया। उसने सिंह का शिकार करने के लिए जाल बिछाई।
जाल में फँसते ही शेर दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ सुनकर चूहा वहाँ आया। शेर को जाल में फँसा देखकर वह अपने साथियों को बुला लाया। उन्होंने जाल काट डाला और शेर को जाल से छुड़ाया।
इस तरह चूहे ने शेर को शिकारी से बचाया। उस दिन से शेर और चूहा मित्र बन गए और साथ में खेलने लगे।
शीर्षक :
- शेर और चूहा।।
- छोटे भी बड़ों के काम आते हैं।
5. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियावाचक शब्द ढूँढ़कर उदाहरण अनुसार वाक्य फिर से लिखिए :
उदाहरण :
- राधा ने संजीव को पत्र लिखा।
- राधा ने किसको पत्र लिखा?
(1) अध्यापक ने बच्चों को कहानी सुनाई।
(2) रात को कूत्ते भौंक रहे थे।
(3) वह पटाखे देख रहा है।
(4) वेदांत किताब पढ़ रहा था।
(5) पता नहीं तन्मय मेरे पास से कब चला गया।
(6) आकाश में पतंग उड़ रही थी।
उत्तर :
क्रियावाचक शब्द
(1) अध्यापक ने बच्चों को कहानी सुनाई। वाक्य : बच्चों को कहानी किसने सुनाई? – सुनाई
(2) रात को कुत्ते भौंक रहे थे। वाक्य : कुत्ते कब भौंक रहे थे? – भौंक रहे थे
(3) वह पटाखे देख रहा है। वाक्य : वह क्या देख रहा है? – देख रहा है
(4) वेदांत किताब पढ़ रहा था। वाक्य : कौन किताब पढ़ रहा था? – पढ़ रहा था
(5) पता नहीं तन्मय मेरे पास से चला गया। वाक्यः तन्मय मेरे पास से कब चला गया? – चला गया
(6) आकाश में पतंग उड़ रही थी। वाक्य :पतंग कहाँ उड़ रही थी? – उड़ रही थी
6. कहानी पढ़िए, उचित शीर्षक दीजिए एवं चर्चा करके प्रश्नों का निर्माण कीजिए तथा उत्तर लिखिए :
एक बार राजा कृष्णदेवराय के महल में एक सेवक काँच का खूबसूरत मोर साफ कर रहा था। गलती से उसके हाथ से मोर गिरकर टूट गया। राजा को वह मोर बहत प्रिय था। जब राजा महल में आए, उन्हें अपना प्रिय मोर दिखाई न दिया। पूछने पर पता चला कि वह टूट गया है। क्रोध में आकर उन्होंने सेवक को छ: महीने के लिए कारागार में डलवा दिया।
कुछ दिनों बाद राजा कृष्णदेवराय, मंत्री तेनालीराम और दूसरे दरबारियों के साथ राजा उद्यान में घूमने निकले। तेनालीराम बोले, “महाराज, पास ही बाल उद्यान है। उसे भी देखते चलें।”
राजा कृष्णदेवराय बाल उद्यान की ओर आए। उद्यान में तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। एक स्थान पर बच्चे नाटक खेल रहे थे। एक बच्चा राजा बना हुआ था। उसके सामने दो
सिपाही एक अपराधी को पकड़कर खड़े थे। खेत के मालिक ने शिकायत की, “महाराज, आज यह मेरे खेत से गाजर और मूली उखाड़कर ले गया।” सुनकर राजा बने बच्चे ने चोरी करनेवाले से पूछा। उसने गलती मान ली तब वह बोला, “ठीक है, तुम्हें माफी दी जाती है पर ध्यान रखना कि दोबारा यह गलती न हो।” फिर खेत के मालिक से कहा, “तुम्हारे नुकसान की भरपाई शाही खजाने से की जाएगी पर पहली गलती पर भला हम कैसे सजा दें।”
नाटक देखने के बाद मंत्री ने कहा, “महाराज, यह बच्चा तो बड़ा शरारती है। इसे सजा मिलनी चाहिए।” तेनालीराम बोले, “हाँ महाराज, मेरे विचार से सज़ा यही हो कि इसे राज दरबार में बुलाकर यह नाटक फिर से दोहराने को कहा जाए।”
नाटक देखकर राजा कृष्णदेवराय सोच में पड़ गए। तेनालीराम की चतुराई पर वे मन-ही-मन मुस्कुरा उठे। यह देखकर मंत्री असमंजस में पड़ गए। उसके बाद राजा कृष्णदेवराय बोले, “सचमुच तेनालीराम, तुमने ठीक कहा। आज मैं समझा कि न्याय करते समय राजा का मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए।”
अगले ही दिन राजा ने उस सेवक को रिहा करवा दिया।
तेनालीराम की चतुराई
प्रश्न 1.
सेवक से कौन – सा अपराध हुआ?
उत्तर :
सेवक से राजा का प्रिय काँच का मोर टूट गया था।
प्रश्न 2.
राजा ने सेवक को क्या सजा दी?
उत्तर :
राजा ने सेवक को छ: महीने के लिए कारागार में डलवा दिया।
प्रश्न 3.
बाल उद्यान में क्या हो रहा था?
उत्तर :
बाल उद्यान में बच्चे नाटक खेल रहे थे।
प्रश्न 4.
तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय को बाल उद्यान में क्यों ले गए?
उत्तर :
तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय को बाल उद्यान में ले गए, क्योंकि वे उन्हें यह समझाना चाहते थे कि न्याय करते समय राजा का मन बालक जैसा निर्मल होना चाहिए।
प्रश्न 5.
तेनालीराम बालक को कौन – सी सजा दिलाना चाहते थे?
उत्तर :
तेनालीराम बालक को यह सजा दिलाना चाहते थे कि उद्यान में किए गए नाटक को वह दरबार में दोहराए।
प्रश्न 6.
न्याय करते समय राजा का मन कैसा होना चाहिए?
उत्तर :
न्याय करते समय राजा का मन बच्चे जैसा निर्मल होना चाहिए।
प्रश्न 7.
राजा ने सेवक को क्यों रिहा कर दिया?
उत्तर :
राजा ने सेवक को रिहा कर दिया, क्योंकि उसने पहली बार यह मामूली अपराध किया था।
न्याय योग्यता विस्तार
- ऐसी अन्य कहानियाँ पुस्तकालय में जाकर पढ़िए।
- बीरबल की चतुराई, पंचतंत्र की कहानियाँ, अरेबियन नाईट्स जैसे कहानी संग्रह पढ़िए।
- इस कहानी का नाट्यीकरण कीजिए।
Hindi Digest Std 6 GSEB न्याय Important Questions and Answers
न्याय विशेष प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
ईराक की राजधानी का नाम बताइए।
A. तेहरान
B. जेरूसलाम
C. बगदाद
D. मदीना
उत्तर :
C. बगदाद
प्रश्न 2.
पुराने समय में जहाँ सामान रखा जाता था …
A. खानखानादि
B. गुसलखाना
C. मयखाना
D. तहखाना
उत्तर :
D. तहखाना
प्रश्न 3.
किसी चीज को ढककर उसको मुहरबंद करना …
A. सील
B. कील
C. हील
D. मील
उत्तर :
A. सील
प्रश्न 4.
पयगंबर का उत्तराधिकारी …
A. वजीफा
B. खलीफा
C. शरीफा
D. मुनाफा
उत्तर :
B. खलीफा
प्रश्न 5.
इनमें से किस शब्द का अर्थ ‘कहानी’ होता है …
A. हिस्सा
B. रस्सा
C. किस्सा
D. दीक्षा
उत्तर :
C. किस्सा
2. कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (सबूत, सूझबूझ, तिजोरी, शरीफ, दावत, सुनवाई)
(1) अली ख्वाजा ने मक्का ……………………………….. की यात्रा का निश्चय किया।
(2) एक दिन वाजिद के घर ……………………………….. थी।
(3) उसने उन मोहरों को अपनी ……………………………….. में छिपाकर रख दिया।
(4) एक सप्ताह बाद का समय ……………………………….. के लिए दिया गया।
(5) खलीफा को न्याय के लिए ……………………………….. मिल गया।
(6) सभी लोगों ने हसन की ……………………………….. और न्याय की प्रशंसा की।
उत्तर :
(1) अली ख्वाजा ने मक्का शरीफ की यात्रा का निश्चय किया।
(2) एक दिन वाजिद के घर दावत थी।
(3) उसने उन मोहरों को अपनी तिजोरी में छिपाकर रख दिया।
(4) एक सप्ताह बाद का समय सुनवाई के लिए दिया गया।
(5) खलीफा को न्याय के लिए सबूत मिल गया।
(6) सभी लोगों ने हसन की सूझबूझ और न्याय की प्रशंसा की।
3. सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :
प्रश्न 1.
अली ख्वाजा ने अपनी जमा – पूँजी मित्र के यहाँ रखने का निश्चय किया, क्योंकि …
(अ) वह अकेला था।
(ब) उसे परिवार में किसी पर विश्वास न था।
(क) उसके घर सुरक्षा का अच्छा प्रबंध था।
उत्तर :
अली ख्वाजा ने अपनी जमा – पूँजी मित्र के यहाँ रखने का निश्चय किया, क्योंकि वह अकेला था।
प्रश्न 2.
वाजिद ने तरह – तरह के पकवान बनवाए थे, क्योंकि …
(अ) उसे गरीबों को खिलाना था।
(ब) उसे उनको बेचना था।
(क) उसके घर दावत थी।
उत्तर :
वाजिद ने तरह – तरह के पकवान बनवाए थे, क्योंकि उसके घर दावत थी।
प्रश्न 3.
वाजिद ने अली ख्वाजा के घड़े से तेल निकाला, क्योंकि …
(अ) उसे उसकी मोहरें चुरानी थीं।
(ब) उसे उसकी जाँच करनी थी।
(क) उसके घर में तेल खत्म हो गया था।
उत्तर :
वाजिद ने अली ख्वाजा के घड़े से तेल निकाला, क्योंकि उसके घर में तेल खत्म हो गया था।
प्रश्न 4.
ख्वाजा काजी की अदालत से निराश होकर लौटा, क्योंकि …
(अ) वह छुट्टी पर गया था।
(ब) उसके पास पक्के सबूत नहीं थे।
(क) काजी को उसकी बात समझ में नहीं आई।
उत्तर :
ख्वाजा काजी की अदालत से निराश होकर लौटा, क्योंकि उसके पास पक्के सबूत नहीं थे।
प्रश्न 5.
खलीफा ने हसन को दरबार में बुलाया, क्योंकि …
(अ) वह बहुत समझदार था।
(ब) वह अच्छा जासूस था।
(क) वह काजी का बेटा था।
उत्तर :
खलीफा ने हसन को दरबार में बुलाया, क्योंकि वह बहुत समझदार था।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक – एक वाक्य में दीजिए :
प्रश्न 1.
अली ख्वाजा ने तेल का घड़ा कहाँ रखा?
उत्तर :
अली ख्वाजा ने तेल का घड़ा अपने मित्र और पड़ोसी वाजिद के घर के तहखाने में रखा।
प्रश्न 2.
वाजिद के घर में तेल क्यों खत्म हो गया था?
उत्तर :
वाजिद के घर में तेल खत्म हो गया था, क्योंकि दावत के कारण तरह – तरह के पकवान बनाए गए थे।
प्रश्न 3.
वाजिद ने घड़े का तेल दूसरे बर्तन में क्यों निकाला?
उत्तर :
वाजिद ने घड़े का तेल दूसरे बर्तन में निकाला, क्योंकि उसे लगा कि घड़े में तेल के सिवा कुछ और भी है।
प्रश्न 4.
लोगों ने ख्वाजा को क्या सलाह दी?
उत्तर :
लोगों ने ख्वाजा को काजी की अदालत में जाने की सलाह दी।
प्रश्न 5.
शहर में भेष बदलकर घूमते समय खलीफा ने क्या देखा?
उत्तर :
शहर में भेष बदलकर घूमते समय खलीफा ने कुछ लड़कों को न्यायालय का खेल खेलते हुए देखा।
प्रश्न 6.
खलीफा हसन से क्यों प्रभावित हुए?
उत्तर :
खलीफा हसन से प्रभावित हुए, क्योंकि उनको न्याय करने का हसन का तरीका बहुत सही लगा।
प्रश्न 7.
अली ख्वाजा ने वाजिद से कितने समय पहले तेल भरा था?
उत्तर :
अली ख्वाजा ने वाजिद से चार महीने पहले तेल भरा था।
प्रश्न 8.
लोगों ने हसन की तारीफ क्यों की?
उत्तर :
लोगों ने हसन की तारीफ की, क्योंकि उसने बड़ी सूझबूझ से अली ख्वाजा और वाजिद के झगड़े का फैसला किया था।
न्याय प्रवृत्तियाँ
(1) न्याय की देवी का चित्र प्राप्त कर अपनी कॉपी में चिपकाइए।
(2) तुम्हारी कक्षा के दो लड़कों में से एक ने दूसरे से कुछ रुपये उधार लिए थे। उधार लेनेवाला लड़का पैसे चुका नहीं रहा है। तुम इस मामले का निपटारा कैसे करोगे?
(3) अपने निकट के किसी न्यायालय या ग्रामपंचायत की मुलाकात लीजिए।
(4) गुजरात का उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) कहाँ है?
उत्तर :
अहमदाबाद में।
(5) भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहाँ है?
उत्तर :
दिल्ली में।
न्याय Summary in Gujarati
ન્યાય
જૂના જમાનામાં ઇરાકની રાજધાની બગદાદમાં એક વેપારી રહેતો હતો, તેનું નામ હતું અલીખ્વાજા. વેપાર કરતાં – કરતાં જ્યારે તેની પાસે એક હજાર સોનામહોરો ભેગી થઈ, તો તેણે મક્કા શરીફની યાત્રા કરવાનો નિશ્ચય કર્યો. તે એકલો રહેતો હતો.
તેણે પોતાની જમાપૂંજી પોતાના મિત્રને ત્યાં મૂકવાનો નિશ્ચય કર્યો. યાત્રાના ખર્ચ માટે તેણે પાંચ સો સોનામહોર જુદી રાખી, વધેલી સોનામહોર એક ઘડામાં મૂકીને તેલ ભરી દીધું. અલીખ્વાજા પડોશમાં પોતાના મિત્ર વાજિદને ઘેર ગયો. તેને પોતાની યાત્રા વિશે જાણ કરીને કહ્યું, “આ તેલનો ઘડો હું તમારે ત્યાં મૂકીને જવા ઇચ્છું છું. મક્કાથી પાછો આવીને લઈ જઈશ.”
વાજિદે પોતાના ભોંયરાની ચાવી એને આપતા કહ્યું કે, “તમે તમારો ઘડો ભોંયરામાં મૂકી આવો અને જ્યારે પાછા ફરો ત્યારે એ જગ્યાએથી લઈ લેજો.” અલીખ્વાજા ઘડો મૂકીને યાત્રાએ જતો રહ્યો.
એક દિવસ વાજિદને ઘેર મિજબાની હતી. ભાત – ભાતનાં પકવાન બનાવતાં તેલ ખલાસ થઈ ગયું. રાતનો સમય હતો. વાજિદની બીબી માથું ખંજવાળવા માંડી. ત્યારે તેને અલીખ્વાજાના તેલના ઘડાની યાદ આવી.
તેણે વાજિદને કહ્યું કે, “તમે ભોંયરામાં રાખેલા તેલના ઘડામાંથી થોડું તેલ કાઢી લાવો. આ સમયે બજાર તો બંધ છે. કાલ સવારે બજારમાંથી નવું તેલ લાવીને ઘડામાં ભરી દઈશું.” ખ્વાજા આજે રાત્રે જ આવીને તો તેલ નહીં માંગે.
બીબીની વાત સાંભળીને વાજિદ ભોંયરામાં ગયો. જ્યારે ઘ તેલ કાઢવા લાગ્યો ત્યારે ઘડામાંથી સિક્કાઓનો ખણખણાટ સંભળાયો. તેને લાગ્યું કે ઘડામાં તેલની નીચે કંઈક છે. આથી બધું તેલ બીજા વાસણમાં કાઢ્યું. તેણે જોયું કે ઘડામાં તો પાંચ સો સોનામહોરો હતી.
તેણે તે મહોરો પોતાની તિજોરીમાં મૂકી દીધી અને તેલ લાવીને બીબીને આપી દીધું. બીજે દિવસે તેણે બજારમાંથી નવું તેલ લાવીને ઘડામાં ભરી દીધું. જેવી રીતે ખ્વાજાઅલીએ કર્યું હતું તેવી જ રીતે તેણે ઘડાને સીલ કરી દીધું.
થોડા દિવસો પછી ખ્વાજા મક્કાની યાત્રાએથી પાછો આવ્યો. ઘરમાં પોતાનો ‘ સામાન મૂકીને તે સીધો જ વાજિદને ઘેર ગયો અને પોતાની યાત્રાની બધી વાત કરી. પછી તેલનો ઘડો લઈને તે ઘેર આવ્યો. જ્યારે તેણે ઘડાનું તેલ કાઢીને જોયું તો તેના પગ નીચેથી જમીન જ સરકી ગઈ. તે માથું પકડીને બેસી ગયો, કારણ કે ઘડામાં એક પણ સોનામહોર નહોતી. તે વિચારવા લાગ્યો કે હવે શું કરવું?
તે તરત જ વાજિદને ઘેર ગયો અને પોતાની સોનામહોરો માગવા લાગ્યો. વાજિદે કહ્યું, “સીલબંધ તેલનો ઘડો, જ્યાં તમે મૂકીને ગયા હતા ત્યાંથી જ તમે લઈ ગયા છો. મેં તો તેને હાથ પણ નથી લગાડ્યો. હું કેવી રીતે માની લઉં કે તેમાં સોનામહોરો હતી.” બંને મિત્રોમાં બોલાચાલી થવા લાગી. બંનેનો ઝઘડો સાંભળીને આસપાસના લોકો ભેગા થઈ ગયા. લોકોએ જ્યારે ઝઘડો વધતો જોયો ત્યારે ખ્વાજાને કહ્યું કે “આપ કાજીની અદાલતમાં જાઓ. તે જ આપનો ઝઘડો પતાવી શકશે.”
ખ્વાજાએ કાજીની અદાલતમાં પોતાની વાત રજૂ કરી, પરંતુ પાકા પુરાવાના અભાવે તેને ત્યાંથી પણ નિરાશ પાછા ફરવું પડ્યું, ત્યારે તેણે બગદાદના ખલીફાને ત્યાં અપીલ કરી અને ન્યાય માગ્યો. ખલીફાએ તેની અપીલ સ્વીકારી લીધી અને સમગ્ર બાબત પર વિચાર કરવા માટે સમય માગ્યો. એક સપ્તાહ પછીનો સમય સુનાવણી માટે રાખવામાં આવ્યો. ખ્વાજા અને વાજિદનો કિસ્સો હવે પ્રખ્યાત થઈ ગયો હતો.
ખલીફા એક દિવસ પોતાનો વેશ બદલીને શહેરમાં ફરી રહ્યા હતા. ત્યારે તેમણે કેટલાક છોકરાઓને ન્યાયાલયની રમત રમતા જોયા. તેઓ છુપાઈને તેમનો ખેલ જોવા લાગ્યા. તેમને લાગ્યું કે જે છોકરો ન્યાયાધીશ બન્યો છે તે ખૂબ સમજુ છે. તે જેવી રીતે ન્યાય કરી રહ્યો છે તે બિલકુલ યોગ્ય છે.
એટલે તેમણે તે છોકરાને પોતાની પાસે બોલાવ્યો અને તેનું નામ પૂછ્યું. છોકરાએ કહ્યું, “મારું નામ હસન છે.” ખલીફાએ કહ્યું, “મેં તમારી રમત જોઈ છે, તું ખૂબ સમજુ છે. કાલે અમારા દરબારમાં આવજે.”
બીજે દિવસે ખલીફાના દરબારમાં અલીખ્વાજા, વાજિદ અને હસન હાજર થયા. ખલીફાએ હસનને કહ્યું, “તું આ બંનેના ઝઘડાની વાત સાંભળ, અને કહે કે આમાંથી કોણ સાચું બોલી રહ્યું છે.”
હસને બંનેની વાતો ધ્યાનથી સાંભળી. પછી તેણે બે તેલીઓને દરબારમાં બોલાવ્યા. થોડી વારમાં બે તેલી આવી ગયા. હસને તેમને કહ્યું, “આપ આ ઘડાના તેલની પરીક્ષા કરો અને બતાવો કે આ ઘડામાં તેલ કેટલું જૂનું છે.”
બંને તેલીઓએ વારાફરતી તેલને જોયું, સુંવ્યું અને ચાખ્યું. પછી પોતાનો નિર્ણય આપ્યો: “ઘડાનું તેલ બે મહિના કરતાં વધારે જૂનું નથી.”
તેલીઓની વાત સાંભળી વાજિદ તો ગભરાઈ ગયો. અલીખ્વાજા ખુશ થઈને બોલી ઊઠ્યો, “હુજૂર, હું તો છ મહિના પહેલાં મક્કાની યાત્રા કરવા ગયો હતો. ત્યારે મેં તેલ ખરીધું હતું.” તેલીઓ અને અલીખ્વાજાની વાત સાંભળીને સૌને વાસ્તવિક્તાનું જ્ઞાન થઈ ગયું.
ખલીફાને ન્યાય માટે પુરાવો મળી ગયો હતો. ખલીફાએ હસનને ધન્યવાદ આપ્યા અને વાજિદને કહ્યું, “આપે અલીખ્વાજાના ઘડામાંથી તેલ અને સોનામહોરો કાઢી છે, તે આપ તેને પાછું આપી દો અને ચોરી તથા વિશ્વાસઘાતના અપરાધની સજા ભોગવો.” ખલીફાએ હસનને પુરસ્કાર भायो.
ખલીફાના દરબારમાં હાજર સો લોકોએ હસનની સૂઝ – સમજણ અને ન્યાયની ભારે પ્રશંસા કરી.
न्याय Summary in English
Justice
In ancient age there lived a merchant named Alikhwaja in Bagdad, the capital of Iraq. He had earned one thousand gold coins by his business. So he decided to go on pilgrimage of Meccasharif. He lived alone.
He decided to keep his gold coins at his friend’s house. He kept five hundred gold coins for his expenditure of his pilgrimage, put the rest gold coins in a pot and filled it with edible oil. Alikhwaja went to his friend Vajid’s house.
He informed him about his pilgrimage and said, “I want to keep this pot full of edible oil at your place. I will take it back when I return from Mecca.
Valid gave him the key of his cellar and said, “You yourself put the pot in the cellar and get it back from that place when you return.” Alikhwaja put the pot there and went on pilgrimage.
One day there was a dinner party at Vajid’s house. While cooking various sweets, edible oil was finished. It was night. When Vajid’s wife began to think, she remembered Alikhwaja’s pot which was full of edible oil. She said to Vajid, “Please go to the cellar and get some edible oil from that pot.
The bazaar is closed now. We shall buy new edible oil from the bazaar the next day and fill the pot up. Khwaja won’t come tonight and ask for the oil.”
After listening to his wife Vajid went to the cellar. When he broke the seal of the pot and began to take oil from it, he heard the sound of the coins. He felt that there must be something in the pot below the oil. So he poured the oil in another vessel and found five hundred gold coins in the pot. He put the gold coins in his safe and brought oil to his wife. The next day he bought new oil and filled the pot up. Then he sealed the pot as Khwaja had done.
After some days Khwaja returned from the pilgrimage of Mecca. After leaving the luggage at home, he went straight to Vajid’s house and told him about his pilgrimage. Then he returned home with his oil pot. When he emptied the pot he was stunned. He was shocked because there wasn’t any gold coin in the pot. He began to think what he should do then.
Immediately he went to Vajid’s house and asked for his gold coins. Vajid said, “You yourself have taken the sealed pot from where it was. I have not even touched the pot. How can I believe that there were gold coins in the pot ?” Both the friends began to quarrel. People around gathered there. When people saw that the quarrel had gone out of control they said to Khwaja, “Please go to the Kaji (judge) in the court. He will settle your quarrel.”
Khwaja presented his own case in the court before the Kaji. But because of no evidence he had to return disappointed. Then he appealed to the Khalipha of Bagdad and requested for justice. The Khalipha accepted his appeal and asked for some time to think. A week was kept for hearing the case. The case of Khwaja and Vajid had become familiar.
One day when Khalipha was going in his disguised clothes, he saw some boys playing the game of a court. He began to watch the game hiding somewhere. He felt that the boy who had become the judge was very wise.
The way he was justifying the case was quite right. So he called the boy to him and asked his name. The boy said, “My name is Hasan” The Khalipha said, “I have seen your game. You are very wise. Please come to our court tomorrow.”
The next day Alikhwaja, Vajid and Hasan remained present in the court. The Khalipha said to Hasan, “Listen to the quarrel of these two persons and say who is right (true) of the two.”
Hasan heard both of them attentively. Then he called two oil merchants (persons who extract oil from oil seeds and sell). Soon they came. Hasan said to them, “Please taste the oil from the pot and say how old the oil is.”
Both the oil merchants saw, sniffed and tasted the oil. Then they gave their opinion : “The oil of this pot is not older than two months.”
Hearing the fact Vajid was frightened. Alikhwaja became happy and said, “I had gone to pilgrimage of Mecca before six months. At that time I had bought the oil.” After hearing the two oil merchants and Alikhwaja all realised the fact.
The Khalipha had enough evidence for justice. The Khalipha congratulated Hasan and said to Vajid, “Return the oil and gold coins to Alikhwaja which you have taken from his pot and bear the punishment for the guilt of theft and betrayal.” The Khalipha gave reward to Hasan.
People who were present in the court praised Hasan for his wisdom and justice.
न्याय विषय – प्रवेश
अदालत किसी झगड़े का निपटारा करते समय सबूतों पर ध्यान देती है। सबूत न मिलने पर वह सही न्याय नहीं दे पाती। ऐसे मामले में सूझ – बूझ काम आती है। इस कहानी में एक चतुर लड़का अपनी सूझ – बूझ से एक व्यापारी को सही न्याय दिलाता है।
न्याय शब्दार्थ
- मोहर – सोने का सिक्का; gold coin
- पूँजी- धन; wealth
- तहखानाजमीन के नीचे बना कमरा; cellar
- दावत – भोजन-समारंभ, मित्रों-रिश्तेदारों को खिलाने का कार्यक्रम; dinner party, feast
- पकवान – खाने की चीजें, मिठाई; sweets
- सील – ठप्पा, मुहर; seal
- काजी – न्यायाधीश; judge
- सबूत – प्रमाण; proof, evidence
- अभाव- कमी, न होना; non-existence/lacking
- निराश – दुःखी, हताश; disappointed
- खलीफा – पैगंबर का उत्तराधिकारी; Khalipha, next to prophet
- अपील-निवेदन; appeal
- प्रख्यात – प्रसिद्ध; famous
- भेष- वेश, पहनावा; dress
- तेली- तेल निकालनेवाला; a person who extracts oil from oilseeds and sells it
- जाँच – परख; investigation
- वास्तविकता – असलियत; reality, fact
- विश्वासघात – धोखा; betrayal, breach of trust
- पुरस्कार – इनाम; prize, award
- सूझ-बूझ – समझदारी; understanding, wisdom
- भूरि-भूरि – बहुत; very much
न्याय मुहावरे – अर्थ और वाक्य – प्रयोग
- सिर खुजलाना – समझ न पाना कि क्या किया जाए
वाक्य : प्रश्न सुनकर लड़का सिर खुजलाने लगा। - पैरों तले की जमीन खिसक जाना – आघात लगना
वाक्य : जब यात्री को मालूम हुआ कि जेब से बटुआ गायब हुआ है, तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई। - सिर पकड़कर बैठ जाना – निराश होना
वाक्य : उत्तीर्ण छात्रों में अपना नाम (नंबर) न देखकर राजू सिर पकड़कर बैठ गया। - उलटे पाँव जाना – फौरन जाना
वाक्य : एक नोट फटा देखकर मैं उलटे पाँव दुकानदार के पास गया। - कहा – सुनी होना – वाद – विवाद होना
वाक्य : सीट पर बैठने के लिए दो यात्रियों में कहा – सुनी होने लगी। - अपनी बात रखना – जो हुवा था वह बताना।
वाक्य : किसान ने पंचायत में अपनी बात रखी। - भूरि – भूरि प्रशंसा करना – बहुत तारीफ करना
वाक्य : बादशाह अकबर ने बीरबल की चतुराई की भूरि – भूरि प्रशंसा की।