Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions पूरक वाचन Chapter 1 गुड गुड माय सन Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Purak Vachan Chapter 1 गुड गुड माय सन
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
जमुना काका को आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर :
जमुना काका रमण के घर आए थे। रमण ने उनका स्वागत किया। घर में किसी प्रकार की चहल-पहल न देखकर जमुना काका समझ गए कि रमण ने अभी तक शादी नहीं की। उन्होंने शादी की बात की तो रमण ने बात टाल दी और टेंटु टी, माय सन पुकारकर आवाज दी। पलभर में ही रोबोट चाय की ट्रे लेकर उपस्थित हो गया। अचानक इस प्रकार रोबोट को देखकर जमुना काका के आश्चर्य की सीमा न रही।
प्रश्न 2.
रोबोट प्रा. रमण के कौन-कौन से कार्य करता था?
उत्तर :
रोबोट प्रा. रमण के घर में सभी काम बड़े सुचारु ढंग से करता था। घर आए हुए प्रा. रमण के मित्रों को किसी पुस्तक की आवश्यकता होती तो रोबोट ही अलमारी से निकालकर वह पुस्तक ला देता था। वह प्रयोगशाला में भी प्रा. रमण की मदद करता था। यदि कभी प्रा. रमण बीमार पड़ जाते तो वह छोटी-मोटी दवाएं भी दे देता था। प्रा. रमण अपने इस निर्माण से बहुत खुश थे।
प्रश्न 3.
प्रा. रमण अपने रोबोट को किस तरह निर्देश देते थे?
उत्तर :
प्रा. रमण ने अपने रोबोट को मि. होंची-होंची नाम दे रखा था। रोबोट को निर्देश देने के लिए उन्होंने एक विशेष भाषा का निर्माण किया था। मि. होंची के सिवाय अन्य कोई वह भाषा नहीं समझ सकता था। दरवाजा खोलने के लिए वे ‘डोडी डूम … डोडी डूम’ बोलते थे। सब्जी काटनी हो तो वे ‘वोबू-वोबू’ बोलते थे। भोजन के लिए थाली टेबल पर रखवाने के लिए वे ‘हू शु शेंग … हू शु शेंग’ कहकर निर्देश देते थे। ___इस प्रकार तमाम कार्यों के लिए कोड निर्धारित भाषा में निर्देश देते थे।
प्रश्न 4.
कौन-सा नजारा देखकर प्रा. रमण गहरी सोच में पड़ गए?
उत्तर :
एक दिन कालेज का काम पूरा करके प्रा. रमण घर लौटे। उन्होंने कॉलबेल दबाया, पर दरवाजा न खुला। आमतौर पर प्रा. रमण दरवाजा खुलवाने के लिए कॉलबेल दबाते तो मि. होंची तुरंत दरवाजा खोलता था और वेलकम सर! कहकर उनका स्वागत करता था। परन्तु उस दिन पाँच-छ: बार कॉलबेल बजाने पर भी दरवाजा न खुला तो प्रा. रमण सोच में पड़ गए। आखिरकार प्रा. रमण ने अपने हैंड बैग से चाबियाँ निकालकर दरवाजा खोला। अन्दर जाकर उन्होंने मि. होंची को सोफे पर मजे से टी.वी. देखते पाया। यह नजारा देखकर प्रा. रमण सोच में पड़ गए।
प्रश्न 5.
प्रा. रमण को मि. होंची-होंची से डर क्यों लगने लगा?
उत्तर :
एक बार एक युवक ने अपनी बाइक प्रा. रमण के साथ टकरा दी। इससे प्रा. रमण को तो कोई चोट नहीं आई, पर उनके स्कूटर को थोड़ा नुकसान हुआ। इससे क्रोधित होकर प्रा. रमण घर पहुंचे। कई बार कॉलबेल बजाई पर दरवाजा न खुला। तब उन्होंने अपनी चाबी से दरवाजा खोला। भीतर पहुंचकर देखा तो मि. होंची-होंची टी.वी. देखने में मशगूल थे।
प्रा. रमण ने आवेश में आकर होची-होंची के गाल पर एक थप्पड़ जमा दी। लेकिन दूसरे ही क्षण होची-होंची ने भी उनके गाल पर कसकर तमाचा जड़ दिया। प्रा. रमण लबक गए। खैर, प्रा. रमण के आदेश पर मि. होंची-होंची चाय बनाकर लाया। चाय पीकर जब प्रा. रमण उसकी तारीफ करने होंची-होंची के सामने गए तो उसने फिर एक थप्पड़ उनके गाल पर जड़ दिया। इस घटना के बाद प्रा. रमण मि. होची-होंची से डरने लगे।
प्रश्न 6.
बुआजी प्रा. रमण के घर में ठहरने के लिए क्यों तैयार
उत्तर :
एक बार प्रा. रमण की बुआजी उनके घर आईं। प्रोफेसर के आदेश पर होंची-होंची,चाय बनाकर लाया। बुआजी पहले हॉचीहोंची को देखकर हक्का-बक्का रह गई थीं, पर उसके हाथ की बढ़िया चाय पीकर वे खुश हो गईं। प्रा. रमण ने होंची-होंची को अपना साथी और सेवक बताया। प्रा. रमण उसे धन्यवाद देने के लिए उसकी पीठ पर हाथ रखा तो उसने उनके गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। बुआजी गुस्सा करने लगी तो उसने उनको भी थप्पड़ मारा। इससे नाराज होकर बुआजी प्रा. रमण के घर रुकने को तैयार न हुईं।
प्रश्न 7.
प्रा. रमण के रोबोट की थप्पड़ मारने की आदत छूटी?
उत्तर :
प्रा. कबीर ने देखा कि टी.वी. पर ईदमिलाद का दृश्य आ रहा था। उन्होंने समझ लिया कि जब रोबोट ने टी.वी. ऑन किया होगा, तब उसने ईद की नमाज के बाद लोगों के गले मिलने के दृश्य देखे होंगे।
पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार बातचीत करते-करते प्रा. कबीर उग्र हो गए और उन्होंने प्रा. रमण के गाल पर कसकर एक थप्पड़ मार दिया। प्रा. रमण ने प्रा. कबीर को थप्पड़ नहीं मारा बल्कि खुश होकर उनकी पीठ थपथपाने लगे। थोड़ी देर बाद प्रा. कबीर रमण की पीठ थपथपाकर चले जाने का बहाना करके दूसरे दरवाजे से रोबोट की प्रतिक्रिया देखने लगे।
प्रा. रमण अपने रोबोट के सामने खड़े हो गए। रोबोट थप्पड़ मारने के बदले प्रा. रमण के गले लगकर उनकी पीठ थपथपाने लगा। प्रा. रमण ने भी भावविभोर होकर उसे गले लगा रि और ‘गुड गुड माय सन’ बोलने लगे। इसके बाद रोबोट ने फिर को थप्पड़ नहीं मारा।
गुड गुड माय सन Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
प्रस्तुत पाठ एक रोबोट के कार्यों और उसके जीवन-व्यवहारों में आए रोचक परिवर्तनों का अदभुत वर्णन है। इस कथा में रोबोट द्वारा भविष्य में किए जा सकनेवाले कार्यों की वर्तमान में रोचक कल्पना की गई है।
पाठ का सार :
प्रा. रमण का रोबोट : प्रा. रमण का रोबोट उनके घर के सभी प्रकार के कामों के साथ-साथ उनके निजी कार्यों में भी उनकी सहायता करता था। उनकी प्रयोगशाला में वह उनकी मदद करता था। यहां तक कि वह कभी-कभार बीमार होने पर उन्हें छोटी-मोटी दवाइयाँ भी दे देता था। वे अपने इस साथी, सेवक रोबोट से काफी खुश थे।
प्रत्येक कार्य के लिए सांकेतिक भाषा : रोबोट से अलग-अलग काम लेने के लिए प्रा. रमण ने अलग-अलग सांकेतिक शब्द निर्धारित कर रखे थे। उन्होंने उसका नाम मि. होंची-होंची रखा था। होची-होंची अपनी भाषा समझता था। दरवाजा खोलने के लिए ‘डोडी डूम … डोडी डूम’, सब्जी काटने के लिए ‘वोबू-वोबू’, भोजन के लिए थाली टेबल पर रखवाने के लिए ‘हू शु शेंग … हू शु शेंग’ तथा किसी काम को करने से रोकने के लिए ‘गोटू … गोटू’ शब्दों का प्रयोग करना पड़ता था।
रोबोट के व्यवहार में बदलाव : रोबोट प्रा. रमण के सारे काम तो करता ही था, बाहर से आने पर घंटी बजाने पर वह घर का दरवाजा भी खोल देता था। पर कुछ दिनों से उसमें अजीब-सा बदलाव आ गया था। अब वह घंटी बजाने पर दरवाजा नहीं खोलता था। दरवाजा खोल कर अंदर आने पर वह प्रा. रमण को सोफे पर बैठा हुआ टी.वी. देखता हुआ मिलता था। एक दिन गुस्से में प्रा. रमण ने उसको थप्पड़ मार दिया, तो उसने भी प्रा. रमण को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
रोबोट को आदत : जिस दिन से रोबोट ने प्रा. रमण को थप्पड़ मारा था, उस दिन से उसे थप्पड़ मारने की आदत पड़ गई थी। जब प्रा. रमण उसके करीब जाते, तो वह उन्हें थप्पड़ जड़ दिया करता था। एक दिन प्रा. रमण की बुआ उनके घर आई और वे जब रोबोट के पास गई, तो उसने उन्हें भी जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। बुआजी उसके घर से भाग खड़ी हुई।
प्रा. रमण की चिंता : रोबोट की थप्पड़ मारने की आदत ने प्रा. रमण की नींद हराम कर दी थीं। उन्हें ताज्जुब होता था कि यह यंत्र यंत्र-मानव कैसे बन गया है? उन्होंने उसकी इस आदत से छुटकारा पाने के लिए देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अपने गुरु प्रा. डॉ. कबीर काका से मिलने का निश्चय किया। . प्रा.
रमण की कबीर काका से भेंट : प्रो. रमण ने कबीर काका को रोबोट के व्यवहार में आए बदलाओं के बारे में सब कुछ बताया। उन्होंने उनसे कहा कि थप्पड़ मारने की शुरूआत उसने उन्हीं से की है। प्रा. डॉ. कबीर ने प्रा. रमण से कई तरह के प्रश्न पूछे। प्रा. डॉ. कबीर रोबोट के व्यवहार में आए बदलाव के बारे में सोचते हैं। वे उसका उपाय आजमाने के लिए प्रा. रमण के घर जाते हैं।
निर्धारित योजना के अनुसार कार्य : पहले से निश्चित योजना के अनुसार प्रा. डॉ. कबीर और प्रा. रमण आपस में झगड़ा करने लगते हैं। वे तू-तू, मैं-मैं पर उतर आते हैं। इसी बीच प्रा. डॉ. कबीर ने प्रा. रमण के गाल पर कसकर थप्पड़ जड़ दिया, पर प्रा. रमण ने बदला लेने के लिए उन्हें थप्पड़ नहीं मारा, बल्कि खुशी-खुशी प्रा. डॉ. कबीर को गले लगाकर उनकी पीठ थपथपाने लगे। मि. होची-होंची यह सब देख रहा था।
मि. होंची-होंची का व्यवहार बदला : प्रा. डॉ. कबीर प्रा. रमण से गले मिलकर कमरे से बाहर चले गए। फिर दूसरे दरवाजे से कमरे में प्रवेश कर वे देखने लगे कि रोबोट अब कैसा व्यवहार करता है। प्रा. रमण धीरे-धीरे ‘होची-होची’ के पास गए तो उसने उन्हें थप्पड़ लगाने के बदले उनसे गले लगकर उनकी पीठ थपथपाना शुरू कर दिया। प्रा. रमण ने उसे गले लगा लिया और कहा ‘गुड गुड माय सन।’
गुड गुड माय सन शब्दार्थ :
- सम्मुख – सामने।
- प्रोत्साहित – कोई काम करने के लिए हिम्मत बढ़ाया जाना।
- कोड – संकेत।
- प्रयोगावस्था – प्रयोग किए जानेवाली स्थिति।
- संशोधन – भूल आदि दूर करके शुद्ध करना।
- परिमार्जन – दोष, त्रुटियाँ दूर करके ठीक करना।
- पराक्रम – बल, शक्ति।
- फुसफुसाना – बहुत ही धीमे स्वर में कान में कुछ कहना।
- सयाना – समझदार।
- प्रशंसात्मक – प्रशंसा करने का लहजा।
- छिनभर – क्षणभर।
- स्वयमेव – आप ही।
- अप्रत्याशित – जिसकी आशा न की गई हो।
- मुबारकबाद – बधाई।