GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 6 स्पीति में बारिश

Gujarat Board GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 6 स्पीति में बारिश Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 6 स्पीति में बारिश

GSEB Class 11 Hindi Solutions स्पीति में बारिश Textbook Questions and Answers

अभ्यास

पाठ के साथ :

प्रश्न 1.
इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता क्यों ?
उत्तर :
स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल – स्पीति ज़िले की एक तहसील है। स्पीति की भौगोलिक स्थिति विचित्र है। इतिहास में स्पीति का वर्णन ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण कम मिलता है। अलंघ्य भूगोल यहाँ इतिहास का एक कारक है। संचार में कुछ ज्यादा सुधार न होने के कारण भी स्पीति का इतिहास में वर्णन नहीं मिलता है।

स्पीति में आवागमन के साधन भी नहीं है। स्पीति पूरी तरह से पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। साल में आठ-नौ महीने बर्फ रहती है तथा स्पीति क्षेत्र शेष संसार से कटा रहा है। स्पीति की आबादी बेहद कम है तथा जनसंचार के साधनों का अभाव है। स्पीति का जिक्र सिर्फ राज्यों के साथ जुड़े रहने पर ही आता है। यह क्षेत्र प्रायः स्वायत्त ही रहा है।

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प्रश्न 2.
स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं ?
उत्तर :
स्पीति में जनसंख्या न के बराबर है इसका कारण स्पीति में होनेवाली कठिनाइयाँ। स्पीति का जीवन बहुत कठिन है। स्पीति में केवल ऊँचे-ऊँचे पहाड़े हैं। स्पीति चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। स्पीति में केवल दो ही ऋतुएँ होती है। जून से सितंबर तक अल्पकालिक बसंत ऋतु तथा शेष वर्ष शीत ऋतु होती है।

दिसंबर से मई तक बर्फ रहती है। स्पीति में लंबी शीत ऋतु ही होती है। आठ-नौ महीने यह क्षेत्र शेष विश्व से कटा रहता है। शीत ऋतु के कारण यहाँ जलाने के लिए लकड़ी भी नहीं होती। लोग ठंड से ठिठुरते रहते हैं। स्पीति में जादा पहाड़ों की वजह यहाँ न ज्यादा पेड़ हैं, ना ज्यादा हरियाली है। स्पीति एक वीरान जगह है इसलिए यहाँ खेती भी ज्यादा नहीं की जाती।

यहाँ साल में एक ही फसल उगा सकते हैं। जौ, गेहूँ, मटर व सरसों के अलावा दूसरी फसल नहीं हो सकती। स्पीति में किसी प्रकार का फल व सब्जियाँ पैदा नहीं होती है। यहाँ रोजगार के साधन नहीं हैं। स्पीति में, ज्यादातर जमीन खेती योग्य है, परंतु सिंचाई के साधन विकसित नहीं हैं। अतः यहाँ के लोग अत्यंत जटिल परिस्थिति में रहते हैं।

प्रश्न 3.
लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों है ?
उत्तर :
लेखक ने जब स्पीति यात्रा की तब उन्हें ये मालूम पड़ा कि यहाँ की श्रेणियाँ अधिक से अधिक ऊँची हैं। स्पीति में दक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। माने एक मंत्र है जो बौद्ध धर्म में आता है। माने मंत्र की बड़ी महिमा है। ‘ओं मणि पदमे हूं’ इनका बीज मंत्र है। इसी मंत्र को संक्षेप में माने कहते हैं। लेखक का मानना है कि इस मंत्र का यहाँ इतना अधिक जाप हुआ है कि पर्वत श्रेणी को यह नाम आसानी से दिया जा सकता है। हो सकता है कि स्पीति के दक्षिण की पर्वत श्रेणी का माने नाम इसी कारण पड़ा है।

प्रश्न 4.
‘ये माने की चोटियों बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं – इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है ?
उत्तर :
लेखक ने जब स्पीति की यात्रा कि तब उन्हें ये मालूम पड़ा कि स्पीति के लोग कितनी कठिनाईयों में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। स्पीति में ज्यादा तर ऊँचे ऊँचे पहाड़ है इसी कारण स्पीति बाकी विश्व से कटा हुआ है। स्पीति का जीवन बहुत कठोर है, यहाँ जनसंख्या ना के बराबर है। यहाँ के पहाड़ों की श्रेणियाँ माने के मंत्र से उदास हो गई है।

लेखक का मानना है कि देश और दुनिया के मैदानों से और पहाड़ों से युवक-युवतियाँ स्पीति में आएँ और पहले वे स्वयं का अहंकार गलाएँ फिर इन पहाड़ों की चोटियों का अहंकार चूर करें। लेखक चाहता है कि युवक-युवतियाँ यहाँ आकर आनंद का अनुभव करें जो साहस और कूवत से प्राप्त होता है। युवक-युवतियाँ यहाँ आकर क्रीड़ा-कौतुक करें, प्रेम के खेल खेलें, जिससे यहाँ के वातावरण में ताजगी व उत्साह का संचार हों।

चोटियों पर चढ़ने से जीवन अंगड़ाई लेने लगेगा। युवाओं के अट्टहास से चोटियों पर जमा आर्तनाद पिघलेगा। लेखक ने स्पीति के पहाड़ों में एक उदासीनता, वीरानी अनुभव की है इसलिए वह युवा-युवतियों को यहाँ आने का आह्वान करता है।

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प्रश्न 5.
वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है, लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर :
स्पीति चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है। स्पीति में जनसंख्या लाहुल से कम है, इसका कारण है यहाँ की ऋतु। स्पीति में सिर्फ दो ही ऋतुयें हैं। स्पीति में ज्यादातर शीत ऋतु होती है। आठ-नौ महीने यह क्षेत्र शेष विश्व से कटा रहता है। लेखक बताते हैं कि स्पीति में वर्षा कम होती है। इस कारण वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती।

वर्षा के बिना यहाँ की धरती सूखी, ठंडी व बंजर है। जब कभी यहाँ वर्षा हो जाती है तो लोग इसे अपना सुखद सौभाग्य मानते हैं। वर्षा के दिन को वे सुख का संकेत मानते हैं। वर्षा की कमी वगैरह के कारण यहाँ पेड़ नहीं होते है। इसलिए स्पीति अधिकतर वीरान है और यहाँ ज्यादा फसल नहीं होती। लेखक खुशनसीब थे कि उनके आने के बाद यहाँ वर्षा हुई। लोगों ने उन्हें बताया कि वर्षा होने के कारण आपकी यात्रा सुखद होगी।

प्रश्न 6.
स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर :
स्पीति ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में कम रहा हैं। अलंघ्य भूगोल यहाँ इतिहास का एक बड़ा कारक है। स्पीति उसके बड़े पहाड़ों की वजह से अन्य क्षेत्रों से अलग माना जाता हैं। स्पीति में अधिकतर पहाड़े ऊँचे है। स्पीति में जनसंख्या न के बराबर हैं। स्पीति के पहाड़ों की ऊँचाई 13000 से 21000 फीट तक की है। ये अत्यंत दुर्गम है। यहाँ के दरें बहुत ऊँचे व दुर्गम हैं।

स्पीति में सिर्फ दो ही ऋतुएँ होती हैं। यहाँ जादातर ठंडी का माहौल होता है। यहाँ साल में आठ-नौ महीने बर्फ जमी रहती है तथा रास्ते बंद हो जाते हैं। स्पीति पर्वतीय स्थल ज्यादा होने के कारण यहाँ ज्यादा फसलें उगाई भी नहीं जाती। यहाँ वर्षा नहीं होती तथा पेड़ व हरियाली का नामोनिशान नहीं है। स्पीति में परिवहन व संचार का कोई साधन नहीं है। यहाँ का जनजीवन कठिनाइयों से भरा होने के कारण यहाँ पर्यटक नहीं आते और यहाँ वर्षा की कमी के कारण यहाँ का वातावरण उदास रहता है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1.
स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होनेवाली बारिश का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘वर्षा’ दो अक्षरों का ये शब्द सुखद अनुभूति दिलाता है। तपती गरमी के बाद जब आकाश में काले बादल आते हैं तो मानो मन को शांति मिलती है। वो किसान जो हररोज आकाश की ओर देखकर बारिश की राह देखता है उसके लिए मानो आनंद का ठिकाना नहीं रहता है। वर्षा होते ही चारों तरफ प्रसन्नता फैल जाती है।

पेड़, पौधे जैसे आनंद से हिल रहे हो। मोर अपने पंख फैला के बारिश का आनंद उठाता है। प्रकृति भी प्रसन्न होकर हँसती हुई प्रतीत होती है। नदियाँ आनंद का अनुभव करते हए तेजी से प्रवाहित होती है। बारिश में बच्चों की मस्ती पे कोई लगाम नहीं रहता है। पक्षी अपनी खुशी का इजहार स्वर उत्पन्न करके करते हैं। तालाब, नहरें, नदियाँ सभी ओर आनंद का माहौल छा जाता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो धरती फिर से प्रसन्न हो गई हो।

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प्रश्न 2.
स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहनेवाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किनका जीवन आपको अच्छा लगता है और क्यों ?
उत्तर :
स्पीति जनजीवन : स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति जिले की तहसील है। स्पीति एक विरान जगह है जहाँ पेड़-पौधे ना के बराबर है। स्पीति में पहाड़ों के श्रेणियों की ऊँचाई बाकी पहाड़ों से जादा है। स्पीति में सिर्फ दो ही ऋतुएँ हैं। सर्दी में सब कुछ जम जाता है। वर्षा नहीं होती। स्पीति में सिर्फ एक ही फसल की जाती है।

स्पीति में मुख्य फसलें हैं जौ, गेहूँ, मटर और सरसों। स्पीति में वर्षा बहुत ही कम होती है। स्पीति में रोजगार, कृषि, स्वाद्य-सामग्री व संचार के साधनों की कमी है। स्पीति में जीवन-निर्वाह भी कठिनता से होता है।

मैदानी भागों का जीवन : मैदानी भागों में पहाड़ों की संख्या कम होती है। मैदानी क्षेत्रों में जलवायु कठोर नहीं है। मैदानी क्षेत्रों में छह ऋतुएँ हैं। मैदानी क्षेत्रों में सर्दी कम होती है। मैदानों में रोजगार, कृषि, खाद्य सामग्री व संचार के साधनों की कमी नहीं है। व्यक्ति के पास सुख के साधनों की कमी नहीं है। मैदानी क्षेत्रों के लोगों का जीवन नियमित रूप से चलता रहता है।

जीवनयापन अपेक्षाकृत सरल है। उपर्युक्त तुलना से यह स्पष्ट होता है कि स्पीति के लोगों का जीवन मैदानी भागों के निवासियों की तुलना में बेहद कष्टदायक है। निश्चितरूप से मैदानी भागों में रहनेवाले लोगों का जीवन अधिक सुखद है, अच्छा है। अतः वही मेरी पसंद है।

प्रश्न 3.
‘स्पीति में बारिश’ एक यात्रा-वृत्तांत है। इसमें यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों, यात्रा-स्थल से जुड़ी विभिन्न जानकारियों → का बारीकी से वर्णन किया गया है। आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन लगभग 200 शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
ग्रीष्मावकाश में मैंने अपने माता-पिता, बहन और दो मित्रों के साथ वैष्णोदेवी घूमने जाने की योजना बनाई। सबको मेरा प्रस्ताव पसंद आया और हम सब त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णोदेवी के दर्शनों को निकल पड़े। माता वैष्णोदेवी हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं।

माँ वैष्णोदेवी की यात्रा का पहला पड़ाव जम्मू होता है। जम्मू तक आप बस, टैक्सी, ट्रेन या फिर हवाई जहाज से पहुँच सकते हैं। माँ वैष्णोदेवी यात्रा की शुरूआत कटरा से होती है। कटरा से ही माता के दर्शन के लिए निःशुल्क यात्रा पर्ची मिलती है। यह पर्ची लेने के बाद ही आप कटरा से माँ वैष्णो के दरबार तक की चढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं।

यह पर्ची लेने के तीन घंटे बाद आपको चढ़ाई के पहले ‘बाण गंगा’ चैक पॉइंट पर इंट्री करानी पड़ती है और वहाँ सामान की चैकिंग कराने के बाद ही आप चढ़ाई प्रारंभ कर सकते हैं। पूरी यात्रा में स्थान-स्थान पर जलपान व भोजन की व्यवस्था है। माता के जयकारे से भक्तिमय वातावरण हो जाता है।

कटरा व जम्मू के नज़दीक कई दर्शनीय स्थल व हिल स्टेशन हैं, जहाँ जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।

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प्रश्न 4.
लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी। इन तीस वर्षों में क्या स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है ? जानें, सोचें और लिखें।
उत्तर :
‘स्पीति में बारिश’ एक यात्रा-वृत्तांत है। लेखक ने जब तीस वर्ष पहले स्पीति में यात्रा की तो तब उन्होंने ‘स्पीति में बारिश’ यह यात्रा-वृत्तांत लिखा। स्पीति एक वीरान जगह है जो हिमाचल प्रदेश के मध्य में स्थित है। स्पीति में तीस साल पहले संचार के आधुनिक साधन भी नहीं थे। केवल वायरलेस के जरिए केवल केलंग व काजा के बीच संबंध रहता है।

स्पीति में केवल दो ऋतुएँ है। स्पीति में वर्षा जादा नहीं होती है। स्पीति में जादातर महिने सर्दी में जमा हुआ रहता है। स्पीति में जादातर ऊँचे पहाड़ों के कारण यहाँ पेड़-पौधे कम नजर आते है। यहाँ वर्षा की कमी के कारण सिर्फ एक ही फसल की जाती है। स्पीति में तीस वर्ष पहले रोजगार, कृषि, खाद्य-सामग्री व संचार के साधनों की कमी रही थी।

स्पीति का 30 वर्ष पहले ये हाल था, परंतु आज वहाँ कुछ परिवर्तन आया है। अब वहाँ संचार, यातायात व रोजगार के साधन कुछ विकसित हुए है, परंतु प्राकृतिक, दशाएँ वैसी ही हैं। अतः अधिक परिवर्तन की वहाँ गुंजाइश नहीं है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में ‘क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए। लैंप की लौ तेज़ की। खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज़ हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया। उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रहीं थी। मैं उसे देख नहीं रहा था। सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बरफ का अंश लिए तुषार जैसी बूंदें पड़ रही थीं।
→ लैंप की लॉ तेज की। जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला वैसे ही तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा। मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बर्फ का अंश लिए तुषार जैसी बूंदें पड़ रही थीं।

Hindi Digest Std 11 GSEB स्पीति में बारिश Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘स्पीति में बारिश’ पाठ का केन्द्रीय भाव बताइए।
उत्तर :
‘स्पीति में बारिश’ यह एक यात्रा-वृत्तांत है। स्पीति हिमाचल के मध्य में स्थित है। इस यात्रा वृत्तांत के माध्यम से लेखक ने स्पीति का भौगोलिक, ऐतिहासिक एवं राजकीय स्थितियों बड़ा ही तादृश, रोचक और यथार्थपूर्ण चित्रण किया है। इस यात्रा वृत्तांत को पढ़कर हम घर बैठे ही स्पीति की यात्रा करने का रोमांच अनुभव कर सकते हैं।

स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुलस्पीति ज़िले की तहसील है। ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण स्पीति इतिहास में कम रहा है। लेखक ने इस पाठ में स्पीति की भौगोलिक स्थिति, पहाड़ों की ऊँचाई, ऋतुएँ, जनजीवन और उनसे संबंधित कठिनाइयों के बारे में बताया है। स्पीति अपने पहाड़ों की अधिक से अधिक ऊँचाई के कारण सबसे अलग रहा है।

स्पीति चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है। स्पीति में सिर्फ दो ही ऋतुएँ हैं। यहाँ आठ-नौ महिने तो ठंडी ही होती है। वर्षा ऋतु यहाँ बहुत कम कालावधि के लिये होती है। वर्षा के अभाव के कारण यहाँ वर्ष में सिर्फ एक ही फसल ली जाती है। यहाँ संचार साधन के अभाव के कारण भी जीवन कठिनाइयों से भरा है। यहाँ जादातर ठंडी रहने के कारण यहाँ का वातावरण उदास है इसलिए लेखक चाहता है कि कुछ युवा पर्यटकों का यहाँ आना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है। ठंडे रेगिस्तान जैसे स्पीति के लिए उनका आना, वहाँ बूदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है।

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प्रश्न 2.
चाह्य आक्रमण से स्पीति के लोग अपनी सुरक्षा कैसे करते हैं ?
उत्तर :
स्पीति एक क्षेत्र जो इतिहास से अलग है। स्पीति एक क्षेत्र जो चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है। स्पीति संचार की कमी के कारण यहाँ जनजीवन कठिनाइयों में है। परंतु अब कुछ सुधार के कारण ‘वायरलेस सेट’ के जरिए केलंग और काजा के बीच संबंध रहता है। स्पीति क्षेत्र प्रायः स्वायत्त रहा है चाहे कोई भी राजा रहा हो। इसका कारण यहाँ का भूगोल है।

भूगोल ही इसकी रक्षा तथा संहार करता है। स्पीति में जब बाह्य आक्रमण होता है तब वे लोग अप्रतिकार का तरीका अपनाते है। अप्रतिकार मतलब ये लोग उससे लड़ते नहीं है। वे चाँग्मा का तना पकड़कर या एक-दूसरे को पकड़कर आँख मींचकर बैठ जाते हैं। जब आक्रमणकारी या संकट गुजर जाता है तो वे उठकर वापस आ जाते हैं। स्पीति के लोग अप्रतिकार के सहारे अपनी सुरक्षा करते हैं।

प्रश्न 3.
स्पीति रेगुलेशन कब पास हुआ ? इसके बारे में बताइए।
उत्तर :
1873 में स्पीति रेगुलेशन पास हुआ। स्पीति रेगुलेशन में लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया। यहाँ पर अन्य कानून लागू नहीं होते थे। यहाँ के नोनो को मालगुजारी इकट्ठा करने का काम दिया जाता था। तथा यहाँ के नोनो को छोटे-छोटे फौजदारी के मुकदमों का फैसला करने का अधिकार भी दिया गया था।

उससे ऊपर के मामले नोनो कमिशनर के पास भेज देता था। 1960 में इस क्षेत्र को पंजाब राज्य में तथा 1966 में हिमाचल प्रदेश बनने के बाद राज्य के उत्तरी छोर का जिला बनाया गया। अंग्रेजी काल में कुरनू के असिस्टेंट कमिशनर के समर्थन से नोनो काम करता था। स्थानीय लोग इसे अपना राजा मानते थे।

एक वाक्य में उत्तर लिखें।

प्रश्न 1.
लेखक कृष्णनाथ का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
लेखक कृष्णनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था।

प्रश्न 2.
लेखक कृष्णनाथ का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर :
लेखक कृष्णनाथ का जन्म सन् 1934 में हुआ था।

प्रश्न 3.
लेखक कृष्णनाथ ने किस विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की ?
उत्तर :
लेखक कृष्णनाथ ने काशी हिंदू विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की।

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प्रश्न 4.
लेखक कृष्णनाथ जी की गहरी पैठ किसमें थी ?
उत्तर :
लेखक कृष्णनाथ जी की बौद्ध दर्शन में गहरी पैठ थी।

प्रश्न 5.
लेखक कृष्णनाथ को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ?
उत्तर :
लेखक कृष्णनाथ को लोहिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

प्रश्न 6.
‘स्पीति में बारिश’ किस प्रकार की विधा है ?
उत्तर :
‘स्पीति में बारिश’ यात्रा-वृत्तांत विधा है।

प्रश्न 7.
स्पीति कहाँ स्थित है ?
उत्तर :
स्पीति हिमालय के मध्य में स्थित है।

प्रश्न 8.
स्पीति किस जिले की तहसील है ?
उत्तर :
स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है।

प्रश्न 9.
किन कारणों की वजह स्पीति इतिहास में कम रहा है ?
उत्तर :
ऊँचे दरों व कठिन रास्तों के कारण स्पीति इतिहास में कम रहा है।

प्रश्न 10.
स्पीति रेगुलेशन में लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा कब दिया गया ?
उत्तर :
1873 ई. में स्पीति रेगुलेशन में लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया।

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प्रश्न 11.
स्पीति में कितनी ऋतुएँ होती हैं ?
उत्तर :
स्पीति में सिर्फ दो ही ऋतुएँ होती हैं।

प्रश्न 12.
स्पीति घाटी के दक्षिण की पर्वत श्रेणियाँ किस नाम से जानी जाती हैं ?
उत्तर :
दक्षिण की पर्वत श्रेणियाँ माने नाम से जानी जाती हैं।

प्रश्न 13.
बौद्धों का बीज मंत्र कौन-सा हैं ?
उत्तर :
बौद्धों का बीज मंत्र है – ‘ओं मणि पो हुँ।

प्रश्न 14.
केलंग के बादशाह को क्या भय रहता हैं ?
उत्तर :
केलंग के बादशाह को भय रहता है कि काजा का सूबेदार उसकी आज्ञा का पालन करता है या नहीं ? कहीं वह बगावत तो नहीं करनेवाला।

प्रश्न 15.
स्पीति में किस धर्म का प्रभाव है ?
उत्तर :
स्पीति में बौद्ध धर्म का प्रभाव है।

प्रश्न 16.
लेखक स्पीति में किन्हें बुलाना चाहता है ?
उत्तर :
लेखक दुनिया के मैदानों व पहाड़ों से युवक-युवतियों को बुलाना चाहता है।

सही और गलत बताइए।

प्रश्न 1.

  1. ‘स्पीति में बारिश’ एक यात्रा-वृत्तांत है।।
  2. ‘स्पीति में बारिश’ के लेखक प्रेमचंद है।
  3. स्पीति काश्मीर के मध्य में स्थित है।
  4. स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है।
  5. 1901 में स्पीति में 3321 लोग थे।
  6. भारत को स्पीति का प्रशासन ब्रिटिश राज से मिला।
  7. अंग्रेजों ने 1922 ई. में कश्मीर के राजा गुलाबसिंह से स्पीति का प्रशासन लिया था।
  8. लद्दाख मंडल के समय स्पीति का शासन स्थानीय राजा द्वारा चलाया जाता था।
  9. लद्दाख मंडल के समय स्थानीय राजा को नोनो कहा जाता था।
  10. अंग्रेजी काल में जम्मू के असिस्टेंट कमिशनर के समर्थन से नोनो काम करता था।
  11. 1873 ई. में स्पीति रेगुलेशन में लाहुल व स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया।
  12. स्पीति में सभी कानून लागू होते हैं।
  13. 1960 में स्पीति क्षेत्र को पंजाब राज्य में तथा 1966 में हिमाचल प्रदेश बनने के बाद राज्य के उत्तरी छोर का जिला बनाया गया।
  14. लेखक पारा नदी, पिन की घाटी के बारे में भी मानभाई से सुना है।
  15. स्पीति क्षेत्र अत्यंत बीहड़ और वीरान है।
  16. स्पीति क्षेत्र दो-तीन महीने शेष दुनिया से कटा हुआ रहता है।
  17. स्पीति के पहाड़ लाहुल से कम ऊँचे, भव्य हैं।
  18. स्पीति के पहाड़ों के सिरों पर यहाँ के नर-नारियों का आर्तनाद जमा हुआ है।
  19. स्पीति में हिम का आर्तनाद है, ठिठुरन है और व्यथा है।
  20. स्पीति मध्य जम्मू की घाटी है।
  21. दक्षिण की पर्वत श्रेणियों को माने श्रेणियाँ कहते हैं।
  22. स्पीति के पहाड़ों की ऊँचाई 13000 फीट है।
  23. ‘ओं मणि पद्मे हुँ’ इस मंत्र को माने मंत्र कहते हैं।
  24. स्पीति में छह ऋतुएँ होती हैं।
  25. स्पीति में लाहुल से भी कम वर्षा होती है।
  26. स्पीति में ज्यादा फसलें होती हैं।
  27. स्पीति की धरती सूखी, ठंडी व वंध्या रहती है।
  28. ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में स्पीति कम रहा है।
  29. स्पीति में जैन धर्म का प्रभाव है।
  30. लेखक नहीं चाहता है कि ऊँचाइयों के माप के चक्कर में पड़ा जाए।

उत्तर :

  1. सही
  2. गलत
  3. गलत
  4. सही
  5. गलत
  6. सही
  7. गलत
  8. सही
  9. सही
  10. गलत
  11. सही
  12. गलत
  13. सही
  14. सही
  15. सही
  16. गलत
  17. गलत
  18. सही
  19. सही
  20. गलत
  21. सही
  22. गलत
  23. सही
  24. गलत
  25. सही
  26. गलत
  27. सही
  28. सही
  29. गलत
  30. सही

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सही विकल्प चुनें।

प्रश्न 1.
‘स्पीति में बारिश’ इस पाठ के लेखक कौन है ?
(a) प्रेमचंद
(b) कृष्णा सोबती
(c) कृष्णनाथ
(d) शेखर
उत्तर :
(c) कृष्णनाथ

प्रश्न 2.
जोशी कृष्णनाथ का जन्म कहाँ हुआ है ?
(a) वाराणसी
(b) मिर्जापुर
(c) गाजीपुर
(d) लखऊ.
उत्तर :
(a) वाराणसी

प्रश्न 3.
कृष्णनाथ जी को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ?
(a) साहित्य अकादमी सम्मान
(b) फ्रांस का लेजन डी ऑनर
(c) पहल सम्मान
(d) लोहिया सम्मान
उत्तर :
(d) लोहिया सम्मान

प्रश्न 4.
स्पीति कहाँ स्थित है ?
(a) हिमालय के मध्य में
(b) जम्मू के मध्य में
(c) कुल्लु के मध्य में
(d) काश्मीर के मध्य में
उत्तर :
(a) हिमालय के मध्य में

प्रश्न 5.
स्पीति किस जिले की तहसील है ?
(a) लाहुल-स्पीति
(b) जम्मू-काश्मीर
(c) कुल्लू-मनाली
(d) कुल्लु-लाहुल
उत्तर :
(a) लाहुल-स्पीति

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प्रश्न 6.
स्पीति में हाल में कितने लोग रह रहे हैं ?
(a) 34000
(b) 35000
(c) 33200
(d) 34200
उत्तर :
(a) 34000

प्रश्न 7.
स्पीति रेगुलेशन में लाहुल व स्पीति को कब विशेष दर्जा दिया गया ?
(a) 1873
(b) 1900
(c) 1871
(d) 1920
उत्तर :
(a) 1873

प्रश्न 8.
स्पीति कैसा क्षेत्र है ?
(a) बीहड़
(b) भीड़-भाड़
(c) मैदानी
(d) उजाड़
उत्तर :
(a) बीहड़

प्रश्न 9.
स्पीति में कितनी ऋतुएँ होती हैं ?
(a) दो
(b) तीन
(c) छह
(d) चार
उत्तर :
(a) दो

प्रश्न 10.
कालिदास ने अपने किस ग्रंथ में वर्षा-ऋतु का वर्णन किया है ?
(a) ऋतु संहार
(b) प्रेमाश्रम
(c) गबन
(d) बौद्ध निबंधावली
उत्तर :
(a) ऋतु संहार

प्रश्न 11.
स्पीति में किस धर्म का प्रभाव है ?
(a) बौद्ध
(b) जैन
(c) क्रिश्चियन
(d) पारसी
उत्तर :
(a) बौद्ध

GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 6 स्पीति में बारिश

अपठित गद्यांश

इस गयखंड को पढ़िए तथा उस पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

गंगा कुछ भी न करती, केवल देवव्रत भीष्म को ही जन्म देती, तो भी वह आज आर्य-जाति की माता ही कहलाती। भीष्म की बज जैसी टेक, उनकी निःस्पृहता, उनका ब्रह्मचर्य और तत्त्वज्ञान सदा के लिये आर्यजाति का एक आदरणीय आदर्श बन गया है। हम गंगा को ऐसे महापुरुष की माता के रूप में ही पहचानते हैं।

नदी को अगर कोई उपमा शोभती है, तो वह माता की ही। नदी के तीर पर रहने से अकाल का डर तो रहता ही नहीं। जब मेघराज हमें धोखा दे देते हैं, तब नदी माता ही हमारी फ़सल पकाती है। नदी का तट शुद्ध और शीतल हवा का स्रोत है। उसके किनारे-किनारे घूमने-फिरने जावें तो प्रकृति की मातृवत्सलता के अखंड प्रवाह का दर्शन होता है।

नदी बड़ी हो और उसका बहाच धीरगंभीर हो, तब तो उसके तट पर रहनेवालों की शान-शौकत और खुशहाली उस नदी पर ही निर्भर रहती है। सचमुच नदी जन-समाज की माता है। जब हम किसी नदी के किनारे पर आबाद शहर की गलियों में घूम रहे हों और एकाध कोने से कहीं नदी की झलक देखने को मिल जाय, उस समय हमें कितना आनन्द होता है !

कहाँ शहर का गन्दा वातावरण और कहाँ नदी का आनन्ददायी दर्शन ! उस क्षण दोनों का अन्तर हमें मालूम हो जाता है। नदी ईश्वर नहीं है; पर ईश्वर का स्मरण करानेवाली देवी ज़रूर है। अगर गुरु को नमन करना उचित है तो नदी को भी वन्दना करना उचित है।

प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न क.
भीष्म के कौन-से गुण आर्य जाति के लिए आदर्श बन गए ?
‘उत्तर :
भीष्म की प्रतिज्ञा निर्वहन की वज्र जैसी टेक, उनकी निस्पृहता, उनका ब्रह्मचर्य और तत्त्वज्ञान सदा के लिए आर्य जाति का आदर्श बन गए हैं।

प्रश्न ख.
नदी तट पर संस्कृतियों के विकास के कौन-से प्रमुख कारण हैं ?
उत्तर :
तट की उपजाऊ जमीन में कृषि की सहूलियत, अत्यधिक उत्पादन, शीतल स्वास्थ्यवर्धक हवा की उपलब्धता के कारण से नदी के किनारे संस्कृतियों का विकास हुआ, जैसे – सिंधु घाटी की सभ्यता, दजला-फरात की संस्कृति, नील नदी तट की संस्कृति।

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प्रश्न ग.
नदी को लोकमाता क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
नदियाँ मानव निवास के लिए अनुकूलताएँ प्रदान करती हैं, जिसमें उनके तट पर मानव का पालन-पोषण आसानी से हो जाता है। पालनकर्ती होने के कारण ही नदियों को लोकमाता कहते हैं।

स्पीति में बारिश Summary in Hindi

नाम : कृष्णनाथ
जन्म : सन् 1934, वाराणसी (उ. प्र.)
प्रमुख रचनाएँ : लद्दाख में राग-विराग, किन्नर धर्मलोक, स्पीति में बारिश, पृथ्वी-परिक्रमा, हिमालय यात्रा, अरुणाचल यात्रा, बोद्ध निबंधावली, हिंदी और अंग्रेजी में कई पुस्तकों का संपादन भी किया ।
मृत्यु : सन् 2016 में

जीवन परिचय:

कृष्णनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 1934 में हुआ । इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया । इनका झुकाव समाजवादी आंदोलन और बौद्ध दर्शन की ओर हो गया । बौद्ध दर्शन में इनकी गहरी पैठ है । कृष्णनाथ अर्थशास्त्र के विद्वान हैं । और वे काशी विद्यापीठ में इसी विषय के प्रोफेसर भी रहे । अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं पर इनका अधिकार है और दोनों की पत्रकारिता से भी इनका जुड़ाव रहा । ये हिंदी की साहित्यिक पत्रिका ‘कल्पना’ के संपादक मंडल में कई साल रहे और अंग्रेजी के ‘मैनकाइंड’ का कुछ वर्षों तक संपादन भी किया ।

वे राजनीति, पत्रकारिता और अध्यापन की प्रक्रिया से गुज़रते-गुज़रते बौद्ध दर्शन की ओर मुड़े । बौद्ध-दर्शन पर इन्होंने काफी कुछ लिखा है । भारतीय और तिब्बती आचार्यों के साथ बैठकर उन्होंने नागार्जुन के दर्शन और वज्रयानी परंपरा का अध्ययन शुरू किया । भारतीय चिंतक जे. कृष्णमूर्ति ने जब बौद्ध विद्वानों के साथ चिंतन-मनन शुरू किया तो कृष्णनाथ भी शामिल थे ।

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साहित्यिक परिचय :

कृष्णनाथ एक उच्च कोटि के रचनाकार थे । इन्होंने अपने सृजन-आकांक्षा पूरी करने हेतु यायावारी की । एक यायावारी तो इन्होंने वैचारिक धरातल पर की थी, दूसरी सांसारिक अर्थ में । इन्होंने हिमालय की यात्रा शुरू की और उन स्थलों को खोजना और खंगालना शुरू किया । फिर जब उन्होंने इस यात्रा को शब्दों में बाँधना शुरू किया तो यात्रा-वृत्तांत जैसी विद्या विलक्षणता से भर गई ।

वे जहाँ की यात्रा करते हैं वहाँ ये सिर्फ पर्यटक नहीं होते बल्कि एक तत्त्ववेत्ता की तरह यहाँ का अध्ययन करते चलते हैं । वे शुष्क अध्ययन नहीं करते बल्कि उस स्थान विशेष से जुड़ी स्मृतियों को रोशन करते हैं । ये वे स्मृतियाँ होती हैं जो इतिहास के प्रवाह में सिर्फ स्थानीय होकर रह गई हैं लेकिन जिसका संपूर्ण भारतीय लोकमानस से गहरा रिश्ता रहा है ।

पहाड़ के छोटे-बड़े शिखर पर दुबककर बैठी वह विस्मृत-सी-स्मृति मानों कृष्णनाथ की प्रतीक्षा कर रही हो कि ये आएँ, उसे देखें और उसके बारे में लिखें, और उसे जनमानस के पास ले जाएँ । वे लोग, जो इन स्थानों की यात्रा कर चुके हैं, वे अगर कृष्णनाथ के यात्रा-वृत्तांत को पढ़ेंगे तो उन्हें ये अनुभूति होगी कि उनकी यात्रा पूर्ण हो गई है ।

प्रमुख सम्मान :

लेखक कृष्णनाथ को लोहिया सम्मान दिया गया है ।

पाठ का सारांश :

‘स्पीति में बारिश’ एक यात्रा-वृत्तांत है । स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल – स्पीति जिले की तहसील है । स्पीति अपनी भौगोलिक एवं प्राकृतिक विशेषताओं के कारण अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न है । लेखक ने यहाँ स्पीति की जनसंख्या, ऋतु, फसल, लोगों के कठिनाई भरे जीवन का भी वर्णन किया है ।

स्पीति ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में कम रहा है । संचार में कुछ सुधार होने के कारण अब केलंग और काजा के बीच संबंध रहता है । केलंग के बादशाह को हमेशा अवज्ञा या बगावत का डर रहता है । यह क्षेत्र प्रायः स्वायत्त रहा है चाहे कोई भी राजा रहा हो ।

स्पीति में जनसंख्या लाहुल से भी कम है । 1901 में यहाँ 3231 लोग थे, अब यहाँ 34000 लोग हैं । यहाँ जनसंख्या प्रति वर्गमीला बहुत कम है । भारत को यहाँ का प्रशासन ब्रिटिश राज से मिला । 1873 ई. में स्पीति रेगुलेशन में लाहुल-स्पीति को विशेष दर्जा दिया गया । स्पीति में चारों तरफ पहाड़ हैं । इसकी मुख्य घाटी स्पीति नदी की घाटी है ।

स्पीति क्षेत्र अत्यंत बीहड़ और वीरान है । स्पीति में दो ही ऋतुएँ होती हैं । जून से सितंबर तक अल्पकालिक वसंत ऋतु तथा शेष वर्ष शीत ऋतु होती है । दिसंबर से मई तक बर्फरहती है। स्पीति में एक ही फसल होती है जिनमें जौ, गेहूँ, मटर व सरसों प्रमुख है । सिंचाई के साधन पहाड़ों से बहनेवाले झरने है । लेखक चाहता है, कि देश-दुनिया के मैदानों व पहाड़ों से युवक-युवतियाँ आकर अपने अहंकार को बुलाकर फिर चोटियों के अहंकार को चूर करें ।

माना कि चोटियाँ भुढ़े लामाओं के जप से उदास हो गई । युवक-युवतियाँ यहाँ आकर किलोल करें तो यहाँ आनंद का प्रसार हो । लेखक का मानना है कि कुछ युग पर्यटकों का स्पीति पहुँचना स्पीति के पर्यावरण को बदल सकता है । ठंडे रेगिस्तान जैसे स्पीति के लिए उनका आना, वहाँ बूंदों भरा एक सुखद संयोग बन सकता है ।

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शब्दार्थ – टिप्पणी :

  • योग – मिलाप
  • अलंध्य – जो पार न किया जा सके
  • अवज्ञा – आज़ा को न मानना
  • वायरलेस – बिना तार संदेश भेजना
  • स्वायत्त – स्वतंत्र
  • संहार – अंत
  • अल्प – थोड़ा, कम
  • चाँग्मा – एक पेड़ का नाम
  • पद्धति – तरीका
  • दूरगामी – दूर तक असर करनेवाला
  • शरीक – सम्मिलित
  • मालगुजारी – भूमि का लगान
  • वृत्तांत – हाल, कथा
  • छोर – किनारा
  • प्रीति – प्रेम
  • निर्वाण – मोक्ष
  • भव्य – विशाल
  • अट्टहास – ठहाका लगाना
  • तलहटी – पहाड़ से नीचे का क्षेत्र
  • गजेटियर – राजपत्र
  • मान-मर्दन – कुचलना, घमंड दूर करन डालना
  • किल्लोल – खेल
  • शूल – काँटा
  • बरखा-बहार – वर्षा की बहार
  • पावस – वर्षा ऋतु
  • संवेदन – अनुभव
  • साध – इच्छा
  • कुल – दो हलों से जोती जा सकनेवाली धरती
  • आकस्मिक – अचानक हुई घटना
  • संचार – संदेश भेजना
  • बगावत – विद्रोह
  • तहत – अधीन
  • सिरजी – रची – डाकिया
  • हदस – डर
  • अप्रतिकार – विरोध न करना
  • जस का तस – ज्यों-का-त्यों
  • अधीनता – गुलामी
  • रेगूलेशन – कानून
  • फौजदारी – मारपीट
  • स्वराज्य – अपना राज्य
  • दुर्गम – जहाँ जाना कठिन हो
  • वीरान – जहाँ लोग न रहते हों
  • वृत्ति – जीविका
  • अतळ – तर्क से परे
  • आर्तनाद – पीड़ा भरी आवाज
  • बखशना – छोड़ना
  • महात्म्य – महिमा
  • बाह्य – बाहरी
  • कूवत – सामर्थ्य, बल
  • अल्पकालिक – थोड़े समय के लिए
  • मतवाला – मस्त
  • कामीजन – विलास करनेवाले लोग
  • लालित्य – सौंदर्य
  • कलपती – चीत्कार करती
  • वंध्या – बाँझ
  • पहर – समय (तीन घंटा)
  • आड – ओट
  • तुषार – बर्फ
  • उलीचना – हाथ से बाहर फेंकना
  • पल्ला – हिस्सा

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