Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions Vyakaran विरामचिह्न Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi Vyakaran वाक्य विरामचिह्न
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
पूर्ण विराम किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पूर्णविराम का अर्थ है पूरा विश्राम। पूर्णविराम एक खड़ी पाई (।) होता है। जब किसी बात का एक अंश पूरा होता है, तो उसे पूरा वाक्य कहते हैं। तब पूर्णविराम लगाया जाता है। वाक्य के इसी सूचकांक को पूर्णविराम कहते हैं। जैसे-बिल्ली रास्ता काट गई।
प्रश्न 2.
अर्ध विराम किसे कहते हैं ?
उत्तर :
लिखते समय वाक्य में अल्पविराम से कहीं अधिक देर रुकना होता है, तो इसका प्रयोग किया जाता है। यह वाक्य को पृथकपृथक खंडों में विभाजित करता है। जैसे- तुमने उसे पकड़ लिया; लेकिन वह भाग निकला।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
कोष्ठक किसे कहते हैं ?
उत्तर :
किसी पद का अर्थ स्पष्ट करने तथा संवाद में पात्रों की मानसिक स्थिति स्पष्ट करने के लिए कोष्ठकों का प्रयोग किया जाता है। क्रम सूचक अंकों एवं अक्षरों के साथ भी कोष्ठक का प्रयोग होता है। जैसे – काशी (वाराणसी) हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थान है। (नेपथ्य में शोर होता है।)
प्रश्न 2.
उद्धरण चिह्न किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब किसी वाक्यांश अथवा शब्द को किसी ग्रंथ से उद्धरित करके जैसे-का-तैसा लिखा जाता है, तब उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है। वाक्यांश को दोहरे उद्धरण चिह्न से शुरू करके दोहरे उद्धरण चिह्न से पूर्ण किया जाता है।
प्रश्न 3.
प्रश्नसूचक चिह्न किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिन वाक्यों में प्रश्न पूछे जाते है, उन प्रश्नात्मक वाक्यों के अंत में जो चिहन लगाया जाता है, उसे प्रश्नसूचक चिहन कहते हैं। इसके अलावा संदेहात्मक अथवा व्यंग्यात्मक वाक्यों में जिस शब्द पर संदेह व्यक्त किया जाता है, वहाँ भी जिस चिह्न का प्रयोग किया जाता है, उसे प्रश्नवाचक चिह्न कहते हैं।
विरामचिह्न Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
भाषा में विरामचिहनों का बहुत महत्त्व होता है। बिना विरामचिहनों के अर्थ का अनर्थ हो जाता है। प्रस्तुत पाठ में हिन्दी में उपयोग में आनेवाले विभिन्न विरामचिहनों का समुचित परिचय दिया गया है।
पाठ का सार :
विरामचिन : जिन चिहनों का वाक्यों में रुकने, ठहरने के लिए प्रयोग होता है, उन्हें विरामचिहन कहते हैं। विरामचिहन बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। विरामचिहनों के द्वारा ही वाक्य अपने परिष्कृत रूप में प्रस्तुत होते हैं।
हिन्दी में निम्नलिखित विरामचिहनों का प्रयोग होता है :
पूर्णविराम (|): पूर्णविराम वाक्य के अंत में प्रयुक्त होते हैं। वाक्य पूर्ण होने पर पूर्णविराम लगाया जाता है। जैसे- महेंद्र कोटा में काम करता है। गौतम शैतान लड़का है।
अल्पविराम (,): जब एक ही वाक्य में अनेक पदबंध अथवा उपवाक्य एकत्र हो जाते हैं, तो उन्हें अलग करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। यह चिह्न क्षणिक विश्राम का प्रतीक है। जैसे- हरीश मोना के साथ गया, शत्रुघ्न मथुरा से राम के साथ गया और शिव सिंह वहीं रह गया। अल्पविराम का प्रयोग शब्दों की पुनरावृत्ति में, वाक्य के वाक्य खंड को पृथक करने, वाक्य के प्रारंभ में संबोधन कारक से युक्त शब्द होने तथा वाक्यांश में अनेक क्रियाविशेषणों का प्रयोग होने पर होता है।
अर्धविराम (;): इसका प्रयोग अल्पविराम की तरह होता है। इसका प्रयोग अल्पविराम से अधिक देर रुकने के लिए होता है। जैसे – तुमने उसे पकड़ लिया; लेकिन वह भाग निकला।
प्रश्नसूचक चिह्न (?) : प्रश्नात्मक वाक्यों के अंत में प्रश्नसूचक चिहन लगाया जाता है। जैसे- तुम क्यों जा रहे हो? संदेहात्मक अथवा व्यंग्यात्मक वाक्यों में भी इस चिहन का प्रयोग किया जाता है। जैसे- उसने देश का उद्धार (?) कर दिया।
विस्मयादिबोधक चिहन (!) : जिस वाक्य में हर्ष, विषाद, आश्चर्य, भय, करुणा, घृणा, दया, संबोधन आदि के भाव व्यक्त होते हैं,
वहाँ इस चिहन का प्रयोग होता है। जैसे- यह क्या हो रहा है? हाय! वह चल बसा! छि:! तुम्हें धिक्कार है।
संक्षेप चिहन (.) : जब किसी शब्द को पूरा न लिखना हो, तब इसका प्रयोग करते हैं। जैसे- एम.ए., मा. चतुर्वेदी।
उद्धरण चिह्न (‘…’ “….”): किसी के संवाद अथवा किसी ग्रंथ के उद्धरण को जैसे का तैसा लिखा जाता है, तब इसका प्रयोग करते हैं। उद्धरण चिहन इकहरे ‘…’ और दोहरे “…” दो तरह के होते हैं। जैसे
‘साकेत’ मैथिलीशरण गुप्त की सशक्त रचना है।
“यह साहित्य के जटिलतम प्रश्न कहे जा सकते हैं।” (पुस्तक का उद्धरण)
योजक चिह्न (-) : सामासिक अथवा पुनरुक्त शब्दों के बीच इसका उपयोग होता है। जैसे – रात-दिन, हानि-लाभ, राम-लक्ष्मण, पढ़ते-पढ़ते।
निर्देशक चिहन (_): यह चिहन योजक चिहन से बड़ा होता है। यह विशेष शब्द को बल देने या उसके विषय में कुछ कहने के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- उसने कहा था – मैं जबरदस्ती कर रहा हूँ।
विवरणचिहन (:-) : इसका प्रयोग तब होता है, जब किसी अर्थाभिप्राय से कुछ सूचना व्यक्त की जाती है। जैसे- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
अर्धवाक्य सूचक चिह्न (…): जब किसी शब्द या वाक्य को कौतूहल, आश्चर्य अथवा अनावश्यक मानकर पूरा नहीं लिखा जाता, तब इसका उपयोग होता है। जैसे – तुम चले आना, नहीं तो … ।
शब्द बल सूचक (डडड) : जब किसी शब्द पर अधिक जोर दिया जाता है, तब इसका उपयोग होता है। जैसे – राम तुम वहाँ हो डडड
तुलनासूचक चिह्न (=): यह चिहन बराबरी, समानता या तुलना के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- रवि = सूर्य। राकेश = चंद्रमा।
समाप्तिसूचक चिह्न (… / … / …) : यह चिहन रचना, लेख, समीक्षा, कथन की समाप्ति पर लगाया जाता है।
कोष्ठक ( ) : क्रम सूचक अंकों तथा अभिप्राय स्पष्ट करने आदि के लिए कोष्ठकों का प्रयोग होता है। जैसे – 4 + 5 – (8 + 2 – 3) ग 3। तथा नेताजी हवाई दुर्घटना में मारे गए। (हालांकि सेन इसे नहीं मानते।)
विरामचिह्न शब्दार्थ :
- विभाजित – विभक्त, जिसका विभाजन हुआ हो।
- वाक्यार्थ – वाक्य का अर्थ।
- पृथक – अलग।
- समृद्ध – सम्पन्न।
- अभिव्यक्ति – स्पष्ट रूप से प्रकट, स्पष्ट।
- दृष्टव्य – देखने योग्य।
- क्षणिक – क्षणभर ठहरनेवाला।
- यज्ञोपवीत – जनेऊ।
- प्रक्रिया – पद्धति।
- पुनरावृत्ति – दोहराना।
- संदेहात्मक – संदिग्ध, जिसके कारण संदेह हो।
- इकहरा – एक परतवाला।
- जटिलतम – दुरूह, पेचीदा।
- अभिप्राय – मतलब।
- परोक्षरूप – जो सामने न हो, अप्रत्यक्षा