Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 12 Solutions प्रयोजनमूलक हिन्दी शब्दावली : विश्वकोश, थीसॉरस परिचय और उपयोग Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 12 Hindi प्रयोजनमूलक हिन्दी शब्दावली : विश्वकोश, थीसॉरस परिचय और उपयोग
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
शब्दकोश किसे कहते हैं ?
उत्तर :
शब्दकोश शब्दों की एक ऐसी बड़ी सूची या ग्रंथ होता है, जिसमें शब्दों की मानक वर्तनी, उसकी व्युत्पत्ति, उच्चारण, अर्थ, व्याकरण, निर्देश, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश होता है।
प्रश्न 2.
शब्दकोश में किस तरह की जानकारी होती है?
उत्तर :
शब्दकोश में शब्दों की वर्तनी शुद्ध होती है। शब्द का उच्चारण कैसे किया जाता है तथा उसकी व्युत्पत्ति कैसे हुई है, इस संबंध में पूर्ण जानकारी मिलती है। इसके अलावा व्याकरण की दृष्टि से शब्द के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है।
प्रश्न 3.
शब्दकोश का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
मनुष्य को अपनी भावना को व्यक्त करने के लिए सही अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती है। सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्दों का चयन आवश्यक होता है। सही शब्दचयन के लिए शब्दों का संकलन तथा शब्दों के मानकीकरण की आवश्यकता होती है। ये सारी चीजें एकसाथ शब्दकोश में मिलती हैं। इसलिए शब्दकोश का उपयोग किया जाता है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच वाक्यों में दीजिए :
प्रश्न 1.
विश्वकोश किसे कहते हैं?
उत्तर :
विश्वकोश में किसी भी विषय का पूर्ण विवेचन होता है। इसमें संसार के सभी मुख्य विषयों पर विस्तृत लेख, उनके ऐतिहासिक विवरण, प्रयोग तथा गुण-दोष आदि का विशद विवेचन प्रस्तुत किया जाता है। साथी ही उस विषय से जुड़े दृष्टांत, उदाहरण, पृष्ठभूमि तथा चित्रादि भी प्रस्तुत किए जाते हैं। इस तरह विश्वकोश में किसी विषय, वस्तु आदि की प्रकृति, निर्माण-प्रक्रिया, प्रयोग, विधि, शक्ति, स्वरूप आदि का विस्तार से वर्णन किया जाता है।
प्रश्न 2.
ज्ञानकोश किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कोश की एक विद्या ज्ञानकोश के नाम से विकसित हुई है। इसके भी कई प्रकार और पद्धतियां हैं। चरितकोश, कथाकोश, इतिहासकोश, ऐतिहासिक कालकोश, जीवनचरितकोश, पुराख्यानकोश तथा पौराणिक ख्यात पुरुषकोश आदि ज्ञानकोश की अनेक विधाएं हैं।
प्रश्न 3.
विश्वकोश का उपयोग बताइए।
उत्तर :
विश्वकोश में किसी विषय, वस्तु आदि की प्रकृति, निर्माण प्रक्रिया, प्रयोग, विधि, शक्ति, स्वरूप आदि का विस्तृत वर्णन किया जाता है। इसमें किसी भी विषय का पूर्ण विवेचन किया जाता है। संसार के हर मुख्य विषय पर विश्वकोश में विस्तृत लेख होता है। उसके ऐतिहासिक विवरण तथा गुण-दोष, प्रयोग आदि का विशद विवेचन भी होता है। साथ ही विषय से संबद्ध दृष्टांत, उदाहरण, चित्रादि भी होते हैं। इनसे लोगों को परिपूर्ण जानकारी मिल जाती है। इसके अलावा विश्वकोश की जानकारी प्रामाणिक होती है।
शब्दावली : विश्वकोश, थीसॉरस परिचय और उपयोग Summary in Hindi
विवप्रवेश :
मनुष्य को अपनी भावनाएं व्यक्त करने तथा विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए सही शब्दों के चुनाव के लिए सहि शब्दों और जानकारियों के लिए संदर्भ ग्रंथों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार की सारी जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं ‘शब्दकोश’ तथा ‘विश्वकोश’ से। इस पाठ में इन दोनों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
पाठ का सार :
कोश की कल्पना : भाव के सही संप्रेषण के लिए सही अभिव्यक्ति और सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन जरूरी होता है। इसके लिए जरूरी है शब्दों का संकलन करना। शब्दों का संकलन करके उसे व्यवस्थित ढंग से रखने के लिए जरूरी होता है कोश। कोश में शब्दों को इकट्ठा किया जाता है।
शब्दकोश : शब्दकोश एक ऐसी बड़ी सूची या ग्रंथ होता है, जिसमें शब्दों की मानक वर्तनी, उसकी व्युत्पत्ति, उच्चारण, अर्थ, व्याकरण, निर्देश, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश होता है।
कुछ उत्कृष्ट निदर्शन : ‘ऑक्सफॉर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ ऐसा ग्रंथ है, जिसमें उपर्युक्त सभी प्रवृत्तियों का उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण किया गया है। इसका नवीन बृहत्तम संस्करण आधुनिक कोश विद्या की सभी विशेषताओं से सम्पन्न है। इसी तरह नागरी प्रचारिणी सभा के ‘हिंदी शब्दसागर’ तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाश्यमान ‘मानक शब्दकोश’ एक उल्लेखनीय प्रयास हैं।
हिंदी कोशकला के संपादक रामचंद्र वर्मा के इस कार्य का उपजीव्य भी मुख्यतः ‘शब्दसागर’ ही है। हिंदी के अन्य कोशों की अधिकांश सामग्री इसी कोश से ली गई है। ज्ञान मंडल के ‘बृहद् हिन्दी कोश’ में पेटेवाली प्रणाली शुरू की गई है। पर भारतीय भाषाओं के कोश उस स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं, जहाँ तक ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी अथवा अन्य भाषाओं के उत्कृष्ट कोश पहुंच चुके हैं।
विभिन्न प्रकार के कोश : शब्दकोशों के विभिन्न रूप आज विकसित हो चुके हैं। शास्त्रों और विज्ञान शाखाओं के पारिभाषिक शब्दकोश, दर्शन, भाषा विज्ञान, मनोविज्ञान, समाजविज्ञान, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र तथा चिकित्सा शब्दकोश आदि शब्दकोशों का निर्माण विभिन्न भाषाओं में किया जा रहा है।
ज्ञानकोश : कोश की जो दूसरी विद्या विकसित हुई है, वह है ज्ञानकोश। इसके बृहत्तम और उत्कृष्ट रूप को इन्साइक्लोपीडिया कहते हैं। हिंदी में इसके लिए ‘विश्वकोश’ शब्द का प्रयोग होता है। इन्साइक्लोपीडिया के अनुवाद रूप में विश्वकोश शब्द ही प्रचलित है। अंग्रेजी भाषा में बुक ऑफ नालेज, डिक्शनरी और जनरल नालेज आदि शीर्षकों से अनेक छोटे-बड़े विश्वकोश और ज्ञानकोश बने हैं। ज्ञानकोशों के चरितकोश, कथाकोश इतिहासकोश, पुराख्यानकोश, पौराणिक ख्यात पुरुषकोश आदि अनेक प्रकार हैं।
प्रसिद्ध विश्वकोश : अंग्रेजी में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका और इन्साइक्लोपीडिया अमेरिकाना नामक दो प्रसिद्ध विश्वकोश हैं। इनकी प्रामाणिकता सामान्यतः सर्वत्र स्वीकृत है। इनके संशोधित, संबंधित तथा परिष्कृत संस्करण निरंतर निकलते रहते हैं।
हिंदी के विश्वकोश : इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, इन्साइक्लोपीडिया इन्कार्टा तथा इन्साइक्लोपीडिया अमेरिकाना की लोकप्रियता तथा ज्ञानवर्धक उपयोगिता से प्रभावित होकर भारतीय पत्रकार नगेंद्रनाथ बसु ने पच्चीस खंडों में विभाजित हिंदी विश्वकोश का निर्माण और प्रकाशन किया। इसी तरह डॉ. धीरेंद्र वर्मा तथा भगवतशरण उपाध्याय जैसे विद्वानों के संयुक्त प्रयास से बारह खंडों में एक अन्य ‘हिंदी विश्वकोश’ का प्रकाशन हुआ। इसके अलावा पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यम से संबंधित हिंदी में कई अन्य विश्वकोशों का भी प्रकाशन हुआ है।
शब्दकोश और विश्वकोश में अंतर : शब्दकोश के केंद्र में ‘शब्द’ होते हैं, जबकि विश्वकोश के केंद्र में विषय का पूर्ण विवेचन निहित होता है। विश्वकोश में विषय को पूर्णतः स्पष्ट किया जाता है। शब्दकोश में शब्दों के संबंध में हिज्जे, अर्थ, उच्चारण, उत्पत्ति आदि की जानकारी मिलती है। विश्वकोश में किसी वस्तु के विषय में जानकारी मिलती है। शब्दकोश विद्यार्थी अवस्था से लेकर अंतकाल तक काम आता है।
इंटरनेट पर हिंदी विश्वकोश : हिंदी विश्वकोश इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। ये विश्वकोश हिंदी की सबसे पुरानी संस्था नागरी प्रचारिणी सभा ने तैयार किए थे। केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने इसे इंटरनेट पर स्थापित किया है। इसका उद्देश्य भारत के संबंध में हिन्दी में एक समग्र ज्ञानकोश उपलब्ध कराना है।
शब्दावली : विश्वकोश, थीसॉरस परिचय और उपयोग शब्दार्थ :
- वर्तनी – हिज्जे।
- व्युत्पत्ति – उद्गम या उत्पत्ति का स्थान।
- सन्निवेश – एकत्र होना।
- विधिक – कानूनी।
- निदर्शन – प्रदर्शन।
- जागरूक – कर्तव्य के बारे में सावधान।
- अनुयोग – जिज्ञासा, प्रश्न।
- आयास – यत्न, श्रम, मानसिक पीड़ा।
- विधा – प्रकार, तरीका।
- अनुशीलन – मनन तथा गंभीर अभ्यास।
- तुलनात्मक – जिसमें किसी से तुलना की जाए।
- कदाचित – कभी, शायद।
- सर्वस्वीकृत – सब के द्वारा स्वीकृत, मान्य।
- संवर्धित – बढ़ाया हुआ।
- विषद – लंबा-चौड़ा, विस्तृत।
- अनुपयोगी – जो उपयोगी न हो।
- परिवर्द्धन – बढ़ाना, वृद्धि।
- अधुनातन – आजकल का, आधुनिक।
- भ्रमात्मक – जिसके संबंध में भ्रम हो।
- निरूपण – किसी विषय को इस रूप में रखना, जिससे वह साफ-साफ समझ में आ जाए।