Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 6 कालिदास का प्राणीप्रेम Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Chapter 6 कालिदास का प्राणीप्रेम
GSEB Class 10 Hindi Solutions कालिदास का प्राणीप्रेम Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
हरिणशावक इनमें से किसके बाणों से घायल हआ था ?
(अ) कालिदास
(ब) मल्लिका
(क) दन्तुल
(ड) अम्बिका
उत्तर :
(क) दन्तुल
प्रश्न 2.
कालिदास हरिणशावक के अंगों पर ………. का लेप लगाना चाहता है ।
(अ) हवाई
(ब) तेल
(क) मरहम
(ड) घृत
उत्तर :
(ड) घृत
प्रश्न 3.
‘मेरी वेश-भूषा ही इस बात का परिचय देती है कि मैं यहाँ का निवासी नहीं हूँ ।’ – यह वाक्य कौन किस से कहता है ?
(अ) कालिदास दन्तुल से
(ब) दन्तुल कालिदास से
(क) मल्लिका दन्तुल से
(ड) दन्तुल मल्लिका से
उत्तर :
(ब) दन्तुल कालिदास से
प्रश्न 4.
उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालिदास को किसलिए जानता है ?
(अ) ‘ऋतुसंहार’ के लिए
(ब) ‘गीतसंहार’ के लिए
(क) ‘संगीतसंहार’ के लिए
(ड) ‘नाट्यसंहार’ के लिए
उत्तर :
(अ) ‘ऋतुसंहार’ के लिए
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
कालिदास कौन थे ?
उत्तर :
कालिदास संस्कृत भाषा के महान साहित्यकार थे।
प्रश्न 2.
हिरणशावक किसके बाणों से घायल हुआ था ?
उत्तर :
हरिण-शावक दन्तुल के बाणों से घायल हुआ था।
प्रश्न 3.
कालिदास हिरण को कहाँ ले गये ?
उत्तर :
कालिदास हरिण-शावक को मल्लिका के घर ले गये।
प्रश्न 4.
अंत में दन्तुल ने कालिदास को कैसे पहचाना ?
उत्तर :
मल्लिका द्वारा परिचय पाकर दन्तुल ने कालिदास को पहचाना।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
माँ के रुष्ट होने के पीछे मल्लिका क्या अनुमान करती है ?
उत्तर :
मल्लिका कालिदास के साथ बरसात में बाहर गई थी। इसलिए वह बुरी तरह भीगकर घर लौटी थी। मल्लिका अनुमान करती है कि उसकी मां के रुष्ट होने का यही कारण है।
प्रश्न 2.
दन्तुल कौन था ? वह मल्लिका के घर कैसे पहुँचा ?
उत्तर :
दन्तुल उज्जयिनी राज्य का राजपुरुष था। उसके बाण से एक हरिण-शावक घायल हुआ था। घायल हरिण-शावक अपनी जान बचाने के लिए कालिदास की गोद में आ गया था। कालिदास उसे लेकर मल्लिका के घर आ गए थे। रास्ते में हरिण-शावक के टपकते खून को देखते हुए राजपुरुष दन्तुल अपने शिकार को खोजते हुए मल्लिका के घर पहुंचा था।
प्रश्न 3.
मल्लिका ने दन्तुल को हरिणशावक के लिए हठ न करने के लिए क्यों कहा ?
उत्तर :
दन्तुल कालिदास से घायल हरिण-शावक लेने पर अड़ा हुआ था। मल्लिका ने दन्तुल से कहा कि तुम्हारे लिए घायल हरिणशावक को पाना अधिकार का प्रश्न है, जबकि कालिदास के लिए उसे न देना संवेदना का प्रश्न है। अधिकार के प्रश्न से संवेदना का प्रश्न अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसलिए मल्लिका ने दन्तुल को हरिण-शावक के लिए हठ न करने के लिए कहा।
प्रश्न 4.
कालिदास दन्तुल को अपराधी न मानने के लिए क्या तर्क देता है ?
उत्तर :
राजपुरुष दन्तुल ने जिस क्षेत्र में हरिण-शावक का आखेट किया था, उस क्षेत्र में हरिणों का आखेट करना मना था। राजपुरुष दन्तुल बाहर से आया था, इसलिए उसे यहाँ के नियम की जानकारी नहीं थी। कालिदास दन्तुल को हरिण-शावक का आखेट करने के लिए अपराधी न मानने के लिए यह तर्क देते हैं।
प्रश्न 5.
उज्जयिनी की राजसभा कवि कालिदास का सम्मान किस तरह करना चाहती है ?
उत्तर :
उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति ‘ऋतुसंहार’ के लेखक कवि कालिदास को जानता है। सम्राट ने स्वयं ‘अतुसंहार’ पढ़ा है और उसकी प्रशंसा की है। इसलिए उज्जयिनी की राज्यसभा कवि कालिदास को राजकवि का सम्मान देकर उन्हें सम्मानित करना चाहती है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
घायल हरिणशावक को बचाने के लिए कालिदास ने क्या-क्या किया ?
उत्तर :
राजपुरुष दन्तुल के बाण से घायल होकर हरिण-शावक अपनी जान बचाने के लिए कुलाचे भरता हुआ कालिदास की गोद में आ गया था। तब कालिदास ने उसे अपनी गोद में समेट कर उसके घायल बदन को सहलाते हुए उसे तरह-तरह से सांत्वना दी थी – ठीक उसी तरह जैसे वे किसी पायल बच्चे को पुचकार कर धीरज बंधा रहे हो। मल्लिका के घर उन्होंने उसे दूध पिलाया, जिससे उसे राहत मिली। मल्लिका के घर राजपुरुष ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति बताते हुए कालिदास से उसे सौंप देने का हठ किया तो कालिदास ने स्पष्ट शब्दों में उसे जवाब दिया कि इस क्षेत्र में आखेट नहीं होता और यह हरिणशावक पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। कालिदास अंत में राजपुरुष की परवाह नहीं करते और घायल हरिण-शावक को अपने साथ लेकर अपने घर जाने के लिए निकल पड़ते हैं। इस प्रकार कालिदास ने हरिण-शावक को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया।
प्रश्न 2.
कालिदास हरिणशावक को क्यों बचाना चाहते थे ?
उत्तर :
कालिदास एक संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके हृदय में प्राणियों के प्रति बहुत प्यार था। वे उस पार्वत्य भूमि के निवासी थे, जहाँ लोग पशु-पक्षियों को अपनों में से, अर्थात् अपने मित्र मानते थे। कालिदास के क्षेत्र में हरिणों का आखेर अपराध माना जाता था। आहत हरिण-शावक को देखकर वे स्वयं आहत थे और उसे हर हालत में जीवित रखने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने राजपुरुष दन्तुल से स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि यह घायल हरिण-शावक उनकी पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। वह यह.सोचकर भूल कर रहा है कि वे इसे उसे सौंप देंगे। इन पंक्तियों से प्राणियों के प्रति कालिदास के प्रगाढ़ प्रेम का पता चलता है। जिस व्यक्ति के मन में प्राणियों के प्रति इतना प्रेम हो, वह एक घायल हरिण-शावक की जान बचाना क्यों नहीं चाहेगा। मूक प्राणियों की रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। इसलिए कालिदास हरिण-शावक की जान बचाना चाहते थे।
प्रश्न 3.
हरिणशावक के लिए कालिदास और दन्तुल के बीच में हुए संवाद को अपने शब्दों में लिखिए ?
उत्तर :
राजपुरुष दन्तुल के बाण से आहत हरिण-शावक को अपनी बाहों में लेकर कालिदास मल्लिका के घर आता है। तभी हरिण-शावक के शरीर से टपकती हुई खून की बूंदों के सहारे राजपुरुष दन्तुल वहाँ पहुँचता है और कालिदास से हरिण-शावक की मांग करता है। इस बात को लेकर दोनों के बीच संवाद होता है।
दन्तुल कालिदास से कहता है कि वे उसके बाण से आहत हरिणशावक उठा लाए हैं। वह उसकी संपत्ति है। इसलिए वे उसकी संपत्ति लौटा दें। इसके जवाब में कालिदास कहते हैं कि जिस क्षेत्र में उसने हरिण-शावक पर बाण चलाया है, उस प्रदेश में हरिणों का आखेट नहीं होता। वह बाहर से आया है इसलिए उसे इस जुर्म के लिए अपराधी नहीं माना जा रहा है, यही क्या कम है। दन्तुल फिर कहता है कि अपराध का निर्णय क्या उन जैसे ग्रामीण करेंगे? वह राजपुरुषों के लंबे अधिकार की धौंस जमाता है और हरिण-शावक को अपनी संपत्ति बताते हुए दे देने के लिए कहता है। कालिदास कहते हैं कि हरिण-शावक पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। इसके बाद कालिदास घायल हरिण-शावक को लेकर अपने घर रवाना हो जाते हैं।
5. आशय स्पष्ट कीजिए :
प्रश्न 1.
तुम्हारे लिए प्रश्न अधिकार का है, उनके लिए संवेदना का।
उत्तर :
शिकारी व्यक्ति और किसी की जान बचानेवाले, दोनों में बहुत फर्क होता है। शिकारी को शिकार करके किसी के प्राण लेने में कोई झिझक नहीं होती, बल्कि वह इसे अपनी बहादुरी और मनोरंजन के रूप में देखता है। वह शिकार करना अपना शौक मानता है और शिकार पर अपना अधिकार मानता है। पर संवेदनशील व्यक्ति का हृदय किसी घायल प्राणी को देखकर द्रवित हो उठता है। वह उसका प्राण बचाने के लिए अपनी जान लड़ा देता है। अधिकार जतानेवाला व्यक्ति प्राण लेने पर खुश होता है, जबकि संवेदनशील व्यक्ति किसी की जान बचाकर खुश होता है। यदि कोई किसी को प्राण दे नहीं सकता है, तो उसे किसी का प्राण लेने का भी अधिकार नहीं है।
प्रश्न 2.
यह हरिणशावक पार्वत्य-भूमि की संपत्ति है, राजपुरुष और इसी पार्वत्य-भूमि के निवासी हम इसके सजातीय हैं ।
उत्तर :
पार्वत्य क्षेत्र में मनुष्य और पशु-पक्षी में कोई अंतर नहीं है। दोनों प्राणधारी हैं और पायल होने पर दोनों को ही दर्द होता है। इसलिए पर्वतीय भूमि में मनुष्य और पक्षु-पक्षी में सजातीय रिश्ता है। इस भूमि में जैसे मनुष्य को मारना अपराध है, ठीक उसी तरह पशु-पक्षियों को मारना भी अपराध है।
इस क्षेत्र में कोई व्यक्ति किसी पशु का शिकार कर उसे अपनी संपत्ति जताना चाहे, तो यहां के निवासियों को यह कदापि बर्दाश्त नहीं होता। इसीलिए कालिदास राजपुरुष दन्तल से यह वाक्य कहते हैं। पार्वत्य भूमि के पशु-पक्षी की जान बचाने के लिए इस क्षेत्र के लोग अपनी जान लड़ा देते हैं। क्योंकि वे इन्हें अपने से अलग नहीं मानते।
6. शब्द का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
प्रश्न 1.
आस्तरण, रुष्ट, दूर्वा, आखेट
7. विशेषण बनाइए :
प्रश्न 1.
- शरीर
- गाँव
- प्रदेश
- दिन
- पीड़ा
उत्तर :
- शरीर – शारीरिक
- गाँव – गवार
- प्रदेश- प्रादेशिक
- दिन – दैनिक
- पीड़ा – पीड़ित
8. भाववाचक संज्ञा बनाइए :
प्रश्न 1.
- कोमल
- बहुत
- रुष्ट
उत्तर :
- कोमल – कोमलता
- बहुत – बहुतायत
- रुष्ट – रुष्टि
9. दो-दो समानार्थी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
लहू, हरिण, ऋतु, दूध
10. सविग्रह समास भेद बताइए :
प्रश्न 1.
अनुसरण, हिरण शावक, प्रतिदिन, निःशस्त्र
Hindi Digest Std 10 GSEB कालिदास का प्राणीप्रेम Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
दन्तुल कालिदास तक कैसे पहुंचा?
उत्तर :
दन्तुल रक्तबिंदुओं का अनुसरण करके कालिदास तक पहुंचा था।
प्रश्न 2.
उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालिदास को कैसे जानता था?
उत्तर :
उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालिदास को ‘ऋतुसंहार’ के कवि के कारण जानता था।
प्रश्न 3.
दन्तुल ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति क्यों कहा?
उत्तर :
हरिण-शावक दन्तुल के बाणों से घायल हुआ था इसलिए दन्तुल ने उसे अपनी संपत्ति कहा।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :
प्रश्न 1.
दन्तुल को खेद था कि उसने कालिदास के साथ …
(अ) दुष्टता का व्यवहार किया था।
(ब) अशिष्टता का व्यवहार किया था।
(क) हिंसा का व्यवहार किया था।
उत्तर :
दन्तुल को खेद था कि उसने कालिदास के साथ अशिष्टता का व्यवहार किया था।
प्रश्न 2.
अंबिका रुष्ट थी, क्योंकि …
(अ) वहाँ राज कर्मचारी आए थे।
(ब) कालिदास हरिण-शावक को आस्तरण पर लिटानेवाला था।
(क) पुत्री मलिका वर्षा में कालिदास के साथ थी।
उत्तर :
अंबिका रुष्ट थी, क्योंकि पत्री मल्लिका वर्षा में कालिदास के साथ थी।
प्रश्न 3.
यदि दन्तुल कालिदास के क्षेत्र का निवासी होता तो वह …
(अ) पगड़ी न पहनता।
(ब) संस्कृत भाषा में बात करता।
(क) हरिणों का शिकार न करता।
उत्तर :
यदि दन्तुल कालिदास के क्षेत्र का निवासी होता तो वह हरिणों का शिकार न करता।
प्रश्न 4.
हरिण-शावक को पाना कालिदास के लिए …
(अ) अनुभूति का प्रश्न था।
(ब) संवेदना का प्रश्न था।
(क) अभ्यास का प्रश्न था।
उत्तर :
हरिण-शावक को पाना कालिदास के लिए संवेदना का प्रश्न था।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- कालिदास का प्राणीप्रेम’ इस नाटक में ………. के प्रति प्रगाढ़ प्रेम व्यक्त हुआ है। (वनराज, वन्य प्राणियों)
- एक बाण प्राण ले सकता है तो ………. का कोमल स्पर्श प्राण दे भी सकता है। (ऊंगलियों, हाथों)
- कालिदास ने हरिण को ………. पिलाया। (अमृत, दूध)
- मल्लिका की मां को ………. की चिंता रहती है। (अपवाद, विवाद)
- अंबिका ………. की माँ थी। (कालिदास, मल्लिका)
- हरिण-शावक ………. के बाणों से घायल हुआ। (दुष्यंत, दन्तुल)
- कालिदास ………. भाषा के महाकवि थे। (हिन्दी, संस्कृत)
उत्तर :
- वन्य प्राणियों
- ऊंगलियों
- दूध
- अपवाद
- मल्लिका
- दन्तुल
- संस्कृत
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- हरिण – …………..
- घृत – …………..
- आहत – …………..
- पीड़ा – …………..
- निकट – …………..
- बरतन – …………..
- चिता – …………..
- हठ – …………..
- साहस – …………..
- बाण – …………..
- प्रशंसा – …………..
- ललाट – …………..
- आखेट – …………..
- अपराधी – …………..
- पर्याप्त – …………..
- तल्य – …………..
- भाजन – …………..
- व्यथित – …………..
- आस्तरण – …………..
- अपवाद – …………..
उत्तर :
- हरिण – मृग
- घृत – घी
- आहत – पायल
- पीड़ा – दर्द
- निकट – समीप
- बरतन – पात्र
- चिंता – फिक
- हठ – जिद
- साहस – हिम्मत
- बाण – तौर
- प्रशंसा – तारीफ
- ललाट – भाल
- आखेट – शिकार
- अपराधी – दोषी
- पर्याप्त – काफी
- तल्य – शय्या
- भाजन – पात्र
- व्यथित – दुःखी
- आस्तरण – बिछौना
- अपवाद – निंदा
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- कोमल × ……….
- दक्षिण × ……….
- पीड़ा × ……….
- थोड़ा × ……….
- रुष्ट × ……….
- निकट × ……….
- शीघ्र × ……….
- सम्मान × ……….
- मिलन × ……….
- देर × ……….
- आवश्यक × ……….
- निःशस्त्र × ……….
उत्तर :
- कोमल × कठोर
- दक्षिण × उत्तर
- पीड़ा × राहत
- थोड़ा × बहुत
- रुष्ट × प्रसन्न
- निकट × दूर
- शीघ्र × विलंब
- सम्मान × अपमान
- मिलन × बिछोह
- देर × जल्द
- आवश्यक × अनावश्यक
- नि:शस्त्र × सशस्त्र
निम्नलिखित संधि को छोड़िए :
प्रश्न 1.
- नि:संदेह
- दुर्लभ
- निष्प्राण
- निर्दोष
उत्तर :
- नि:संदेह = निः + संदेह
- दुर्लभ = दुस् (दुः) + लभ
- निष्प्राण = निः + प्राण
- निर्दोष = निः + दोष
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- व्यंग्य से भरा हुआ
- जिसके पास शस्त्र न हो
- राजसभा का कवि
- तलवार का हाथ में रखनेवाला भाग
- चौकड़ी भरना
- जो आवश्यकता अनुसार हो
- पशु का बच्चा
- पीछे-पीछे चलना
- हस्तरेखा की विद्या
- जिसके पास शस्त्र हो
उत्तर :
- व्यंग्यात्मक
- निःशस्त्र
- राजकवि
- मूठ
- कुलाँच
- पर्याप्त
- शावक
- अनुसरण
- सामुद्रिक
- सशस्त्र
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- पुचकारना
- जीना
- घूमना
- व्यक्ति
- दूर
- निकट
- माता
- पशु
- पुरुष
- कवि
- थपथपाना
उत्तर :
- पुचकारना – पुचकार
- जीना – जीवन
- घूमना – घुमाव
- व्यक्ति – व्यक्तित्व
- दूर – दूरी
- निकट – निकटता
- माता – मातृत्व
- पशु – पशुता
- पुरुष – पुरुषता
- कवि – कवित्व
- थपथपाना – थपथपाहट
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- कर्म
- दृष्टि
- प्रश्न
- प्रशंसा
- निवास
- अभ्यास
- निर्णय
- व्यंग्य
- अपराध
- लेखन
- पीडा
- चिंता
- चोरी
- आखेट
- लेख
- शिकार
उत्तर :
- कर्म – कर्मचारी
- दृष्टि – दृष्टा
- प्रश्न – प्राश्निक
- प्रशंसा – प्रशंसक
- निवास – निवासी
- अभ्यास – अभ्यासी
- निर्णय – निर्णायक
- व्यंग्य – व्यंग्यकार
- अपराध – अपराधी
- लेखन – लेखक
- पीड़ा – चौड़क
- चिता – चिंतक
- चोरी – चोर
- आखेट – आखेटक
- लेख – लेखक
- शिकार – शिकारी
निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- चिता
- परिचय
- अकस्मात
- रक्त
- व्यंग्य
- संकोच
- प्रशंसा
- समुद्र
- निर्णय
- पर्वत
- भूमि
- पशु
- निर्भर
उत्तर :
- चिता – चितित
- परिचय – परिचित
- अकस्मात – आकस्मिक
- रक्त – रक्तिम
- व्यंग्य – व्यंग्यात्मक
- संकोच – संकोचित
- प्रशंसा – प्रशंसित
- समुद्र – सामुद्रिक
- निर्णय – निर्णायक
- पर्वत – पर्वतीय
- भूमि – भौमिक
- पशु – पाशविक
- निर्भर – निर्भित
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- रुचि-अरुचि
- राज्यसभा
- राजकवि
- कालिदास
- गाँववासी
- प्रतिदिन
उत्तर :
- द्वन्द्व
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- अव्ययीभाव
कालिदास का प्राणीप्रेम Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
‘कालिदास का प्राणीप्रेम’ लेखक मोहन राकेश के प्रसिद्ध नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ का एक छोटा-सा अंश है। इस भाग में बाण से आहत हिरन के बच्चे की सेवा-शुश्रूषा और उसके प्राण की रक्षा के रूप में कवि कालिदास की गहरी संवेदना और वन्य प्राणियों के प्रति उनका प्रगाढ़ प्रेम व्यक्त हुआ है।
पाठ का सार :
घायल हरिण-शावक : बाण से घायल हिरन का एक बच्चा कुलाचें भरता हुआ कवि कालिदास की गोद में समा गया था। उसके शरीर से खून टपक रहा था। कवि उसे बाहों में भर लेते हैं और उसे लेकर चल पड़ते हैं।
हरिण-शावक को सांत्वना : कवि रास्ते में हरिण-शावक को सांत्वना देते हुए उससे बातें करते हैं। वे उससे कहते हैं – हम जिएंगे। एक बाण से घायल हो हम नहीं मर सकते। हम पीडा सह सकते हैं। उगलियों का कोमल स्पर्श हमें प्राण दे सकता है। हमारे अंगों पर घूत का लेप होगा। हम वनस्थली में घूमेंगे … दूर्वा खाएंगे।
मल्लिका का आश्चर्य : मल्लिका द्वार की ओर बढ़ती है, तो घायल हरिण-शावक को देखकर उसे ताज्जुब होता है। उसने कुछ समय पहले इधर से कुछ राज कर्मचारियों को घोड़े पर जाते हुए देखा था। उसे शंका होती है, शायद उन्हीं में से किसी का यह दुष्कृत्य हो।
हरिण-शावक की तीमारदारी : कालिदास हरिण-शावक को पुचकारते और उसे सांत्वना देते हैं। वे उसे दूध पिलाते हैं।
राजपुरुष का प्रवेश : इसी समय राजपुरुष दन्तुल घर में प्रवेश करता है। वह अपने बाण से आहत हरिण-शावक की मांग करता है।
कालिदास उससे कहते हैं कि इस प्रदेश में हिरनों का आखेट नहीं होता। तुम इस बात से अनमिज्ञ हो, इसलिए तुम्हें अपराधी नहीं माना जा रहा, यह कुछ कम नहीं है। दन्तुल कालिदास को राजपुरुषों के अधिकार का भय दिखाता है। कालिदास उससे कहते हैं, यह हरिण-शावक पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। वे हरिण-शावक को लेकर जाने लगते हैं। राजपुरुष अपनी तलवार की मूठ पर हाथ रखकर उनके पीछे जाना चाहता है।
मल्लिका का तर्क : मल्लिका राजपुरुष को रोक कर उसे समझाती है कि वह घायल हरिण-शावक के लिए हठ न करे। यह हरिण-शावक उसके लिए अधिकार का प्रश्न है, तो कालिदास के लिए यह संवेदना का प्रश्न है। कालिदास नि:शस्त्र होते भी तुम्हारे शस्त्र की चिंता नहीं करेंगे।
राजपुरुष के रुख में परिवर्तन : मल्लिका के मुंह से ‘कालिदास’ नाम सुनकर राजपुरुष दन्तुल सन्न रह जाता है। उसे पछतावा होता है कि जिस व्यक्ति से वह तक कर रहा था वे ही कवि कालिदास हैं, जिन्हें उज्जयिनी का राजा उनके काव्य ‘ऋतुसंहार’ के लिए उन्हें सम्मानित कर उन्हें राज्य के राजकवि का दर्जा देना चाहता है। दन्तुल मल्लिका से कहता है कि आचार्य वररुचि इसी उद्देश्य से उज्जयिनी से यहाँ आए हैं। मल्लिका यह सुनकर चौंक जाती है।
राजपुरुष दन्तुल कवि कालिदास के साथ अशिष्टता का व्यवहार करने के लिए खेद व्यक्त करता है और कहता है कि उसे उनसे क्षमा मांगनी चाहिए।
टिप्पणी कालिदास : कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि थे। अपने असाधारण साहित्य से संस्कृत भाषा को विश्व-भाषा का दर्जा दिलानेवाले महाकवि कालिदास विश्वकवि हैं।
कालिदास ने ‘रघुवंशम्’ व ‘कुमारसंभवम्’ नामक दो महाकाव्य, ‘मेघदूतम्’ तथा ‘अतुसंहारम्’ नामक दो खंडकाव्य और ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’, ‘विक्रमोर्वशीयम्’ व ‘मालविकाग्निमित्रम्’ नाम के तीन नाटक लिखे हैं, जो विश्व प्रसिद्ध हैं। उनके काव्यनाटकों का रूपांतर विश्व की लगभग सभी भाषाओं में हुआ है।
कालिदास का प्राणीप्रेम शब्दार्थ :
- हरिण-शावक – हिरन का बच्चा, मृग-छौना।
- पुचकारना – प्यार जताना।
- टपकना – चूना, बूंद-बूंद कर गिरना।
- आहत – घायल, चोट खाया हुआ।
- स्पर्श – छूना।
- आस्तरण – बिछौना, बिस्तर।
- विश्राम – आराम करना, थकावट दूर करना।
- घृत – घी।
- वनस्थली – वन की भूमि, जहाँ वन हो।
- दूर्वा – दूब।
- आकृतियाँ – शक्ल, (यहाँ अर्थ) मनुष्य।
- वक्ष – छाती। थपथपाना- थपकी देना।
- औटाना – आग पर रखकर गाढ़ा करना।
- अनिष्ट – हानिकर, बुरा।
- रोमांच – आनंद से रोएँ खड़े होना।
- उड़ेलना – ढालना, तरल पदार्थ एक से दूसरे बरतन में डालना।
- कुलांच – चौकड़ी, छलांग, उछाल।
- अनुमान – आभास, अंदाजा।
- अपवाद – निंदा।
- भाजन – बरतन, पात्र।
- ड्योढ़ी – द्वार, देहली।
- आसन – वह चीज जिस पर बैठा जाए।
- आकस्मिक – अचानक या सहसा होनेवाला।
- अनुसरण – पीछे-पीछे चलना।
- व्यंग्यात्मक हंसी – चिढ़ाने के अंदाजवाली हंसी।
- ललाट – मस्तक, माथा।
- सामुद्रिक – हस्तरेखा विद्या, ज्योतिष।
- लांछन – दोष, कलंक।
- आखेट – शिकार।
- अपराधी – अपराध करनेवाला।
- पार्वत्य भूमि – पर्वतीय भूमि, पहाड़ी जमीन।
- सजातीय – एक ही जातिवाले, एक ही तरह के जीव।
- तल्प – शैया, अटारी।
- सहसा – एकाएक।
- हठ – जिद।
- संवेदना – दूसरों के कष्टों के प्रति सहानुभूति का भाव।
- निःशस्त्र – जिसके पास कोई हथियार न हो।
- तर्क – वाद-विवाद।
- उज्जयिनी – उज्जैन।
- राज्यसभा – राजा की सभा।
- राजकवि – जिसे राज्य से ‘राज कवि’ का सम्मान मिला हो।
- अशिष्टता – उजड़डता।